वॉशिंगटन। अमेरिका के एक मीडिया निगरानी निकाय ने उत्तर प्रदेश में एक टीवी पत्रकार की गोली मार कर जान लेने की घटना की जांच करने की मांग की है। निकाय ने जांच की मांग करते हुए राज्य के प्राधिकारियों से इसके षड्यंत्रकारियों को शीघ्र न्याय के दायरे में लाने को कहा है। पत्रकार हेमंत यादव को तीन अक्तूबर को उत्तर प्रदेश में मोटरसाइकिल पर सवार बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी जिससे उनकी मौत हो गई। राज्य में चार माह में यह तीसरी ऐसी घटना है।
‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ (सीपीजे) के एशिया कार्यक्रम समन्वयक बॉब डाइज ने कहा कि हम प्राधिकारियों से हेमंत यादव की हत्या के मामले की जांच तेज करने का आह्वान करते हैं। पुलिस को इस मामले की जांच के लिए त्वरित एवं निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और दोषियों को न्याय के दायरे में लाना चाहिए। डाइज ने कहा कि भारत में अक्सर पत्रकारों की हत्या के मामले बिना सजा के रह जाते हैं, हत्या का कारण मायने नहीं रखता। भारत के लिए यह समय दंडमुक्ति की इस प्रवृत्ति में बदलाव का है।
बयान के अनुसार, सीपीजे ने पुष्टि की है कि बीते 10 साल में भारत में कार्य संबंधी कारणों के चलते 11 पत्रकारों की हत्या की गई और सभी मामले पूरी तरह दंडमुक्ति के रहे। सीपीजे के ‘2015 दंडमुक्ति सूचकांक’ (2015 इम्प्यूनिटी इन्डेक्स) में भारत का 14वां स्थान है। सूची में वह देश शामिल हैं जहां पत्रकारों की हत्या की जाती है और हत्यारे आजाद घूमते हैं।
यादव की मौत से पहले, जून में 50 साल के जगेन्द्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश में उनके आवास पर पुलिस के छापे के दौरान सिंह को कथित तौर पर आग लगा दी गई थी और आठ जून को उनकी मौत हो गई। अगस्त में एक स्थानीय हिन्दी दैनिक के अंशकालिक संवाददाता संजय पाठक की दो व्यक्तियों ने हत्या कर दी थी। सीपीजे न्यूयार्क स्थित एक अमेरिकी स्वतंत्र गैर लाभकारी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करता है।