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आंदोलन के चार माह पूरे, जागरण कर्मचारियों के हौसले बुलंद

नई दिल्ली/ नोएडा। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों के आंदोलन को चार माह का समय पूरा हो चुका है। इस दौरान कर्मचारियों ने नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर से लेकर इंडिया गेट और नोएडा तक अपनी आवाज़ बुलंद की। लेकिन सबका साथ- सबका विकास की बात करने वालों तक उनकी आवाज़ नहीं पहुंची। इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि ऐसे लोगों के लिए शायद मेहनतकशों का दर्द कोई मायने नहीं रखता और दूसरा यह कि कर्मचारी जिन दैनिक जागरण के मालिकानों के खिलाफ लड़ रहे हैं उनसे उनकी काफी निकटता है।

<p>नई दिल्ली/ नोएडा। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों के आंदोलन को चार माह का समय पूरा हो चुका है। इस दौरान कर्मचारियों ने नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर से लेकर इंडिया गेट और नोएडा तक अपनी आवाज़ बुलंद की। लेकिन सबका साथ- सबका विकास की बात करने वालों तक उनकी आवाज़ नहीं पहुंची। इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि ऐसे लोगों के लिए शायद मेहनतकशों का दर्द कोई मायने नहीं रखता और दूसरा यह कि कर्मचारी जिन दैनिक जागरण के मालिकानों के खिलाफ लड़ रहे हैं उनसे उनकी काफी निकटता है।</p>

नई दिल्ली/ नोएडा। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों के आंदोलन को चार माह का समय पूरा हो चुका है। इस दौरान कर्मचारियों ने नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर से लेकर इंडिया गेट और नोएडा तक अपनी आवाज़ बुलंद की। लेकिन सबका साथ- सबका विकास की बात करने वालों तक उनकी आवाज़ नहीं पहुंची। इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि ऐसे लोगों के लिए शायद मेहनतकशों का दर्द कोई मायने नहीं रखता और दूसरा यह कि कर्मचारी जिन दैनिक जागरण के मालिकानों के खिलाफ लड़ रहे हैं उनसे उनकी काफी निकटता है।

कई मौकों पर दैनिक जागरण के मालिकान सबका साथ-सबका विकास की बात कहकर सत्ता में आने वालों के साथ बड़ी शान से फ़ोटो खिंचाते और उसके बाद चौड़ी छाती कर कहते दिखाई देते हैं कि हम नहीं करते माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन। चार महीने बाद लाजिमी तौर पर मेहनतकश कर्मचारियों के सामने भी आर्थिक दिक्कतें आने लगी हैं। अपने हक़-हुकूक के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने अपनी आधी जिंदगी तो दिल्ली-एनसीआर में जागरण को स्थापित करने में लगा दी। 20-25 साल तक बेहद ईमानदारी और निष्ठा से काम करने के बाद जब कर्मचारियों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2014 में आये फैसले को लागू करने की मांग की तो अखबार मालिकानों ने अत्याचार शुरू कर दिए।

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ग़ौरतलब है कि अखबार में कार्यरत कर्मचारियों की ख़राब माली हालत को देखते हुए ही पूर्ववर्ती केंद्र सरकार ने मजीठिया वेज बोर्ड का गठन किया था। अखबार मालिकों ने गत अक्टूबर में नोएडा, लुधियाना, जालंधर, धर्मशाला और हिसार में 400 कर्मचारियों को अपना हक़ मांगने पर निलंबित कर दिया। कर्मचारियों ने सैकड़ों की संख्या में सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा लेकिन शायद सबका साथ- सबका विकास में जागरण कर्मचारी नहीं आते। वर्तमान में कई कर्मचारियों के बच्चों के स्कूल से नाम कट चुके हैं। इसके अलावा कर्मचारी मकान के किराये से लेकर दैनिक आवश्यकताओं के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। कई कर्मचारियों का कहना है कि वे जागरण के मालिकानों के अत्याचार के कारण बेशक एक वक़्त की रोटी खा रहे हों लेकिन इतना तय है कि वे अपने अधिकार के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। आंदोलित कर्मचारियों का कहना है कि वे जागरण के मालिकानों का असली चेहरा दुनिया के सामने उजागर करेंगे।

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0 Comments

  1. sanjib

    January 28, 2016 at 10:05 am

    Ab Jagaran hi nahi, sabhi malikon ki pol khulne wali hai bhai… Apni jeet to ab tai hai hi. Bus datey rahna hai…

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