Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

चुल्लू भर पानी में डूब मरो पत्रकार संघटनों के पदाधिकारियों

सुबह सुबह सोकर उठने के बाद हमेशा की तरह वाट्सअप और मेल चेक किया तो मुम्बई के एक पत्रकार संघ का मेल था फोटो के साथ। न्यूज़ थी कि इस पत्रकार संघ ने किया वृक्षारोपण। इस अवसर पर कई पुलिस वाले और अधिकारी भी मौजूद थे। सही कहूँ तो ऐसी कोई प्रेस रिलीज देखता हूँ तो माथा भन्ना जाता है। आज देश भर में पत्रकारों के ऊपर जुल्म हो रहे हैं। किसी पत्रकार से जबरी रिजाइन माँगा जा रहा है तो प्रशांत जैसा जुझारू हमारा साथी आत्महत्या की कोशिश में नासिक के अस्पताल में पड़ा है। किसी पत्रकार का ट्रांसफर हो रहा है। किसी को मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन मांगने पर प्रबंधन गुंडों से धमका रहा है। ऐसे में देश भर में कुछ पत्रकार संघटनो और यूनियनों को छोड़कर बाकि कागजी शेर पुलिस और नेताओं के तलवे चाट रहे हैं।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>सुबह सुबह सोकर उठने के बाद हमेशा की तरह वाट्सअप और मेल चेक किया तो मुम्बई के एक पत्रकार संघ का मेल था फोटो के साथ। न्यूज़ थी कि इस पत्रकार संघ ने किया वृक्षारोपण। इस अवसर पर कई पुलिस वाले और अधिकारी भी मौजूद थे। सही कहूँ तो ऐसी कोई प्रेस रिलीज देखता हूँ तो माथा भन्ना जाता है। आज देश भर में पत्रकारों के ऊपर जुल्म हो रहे हैं। किसी पत्रकार से जबरी रिजाइन माँगा जा रहा है तो प्रशांत जैसा जुझारू हमारा साथी आत्महत्या की कोशिश में नासिक के अस्पताल में पड़ा है। किसी पत्रकार का ट्रांसफर हो रहा है। किसी को मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन मांगने पर प्रबंधन गुंडों से धमका रहा है। ऐसे में देश भर में कुछ पत्रकार संघटनो और यूनियनों को छोड़कर बाकि कागजी शेर पुलिस और नेताओं के तलवे चाट रहे हैं।</p>

सुबह सुबह सोकर उठने के बाद हमेशा की तरह वाट्सअप और मेल चेक किया तो मुम्बई के एक पत्रकार संघ का मेल था फोटो के साथ। न्यूज़ थी कि इस पत्रकार संघ ने किया वृक्षारोपण। इस अवसर पर कई पुलिस वाले और अधिकारी भी मौजूद थे। सही कहूँ तो ऐसी कोई प्रेस रिलीज देखता हूँ तो माथा भन्ना जाता है। आज देश भर में पत्रकारों के ऊपर जुल्म हो रहे हैं। किसी पत्रकार से जबरी रिजाइन माँगा जा रहा है तो प्रशांत जैसा जुझारू हमारा साथी आत्महत्या की कोशिश में नासिक के अस्पताल में पड़ा है। किसी पत्रकार का ट्रांसफर हो रहा है। किसी को मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन मांगने पर प्रबंधन गुंडों से धमका रहा है। ऐसे में देश भर में कुछ पत्रकार संघटनो और यूनियनों को छोड़कर बाकि कागजी शेर पुलिस और नेताओं के तलवे चाट रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज हर शहर में कम से कम 5 से ज्यादा पत्रकार संघटन हैं। फलाने पत्रकार संगठन, ढिमाके पत्रकार संग़ठन। ये सभी पत्रकार संग़ठन पत्रकारों की भलाई वाले मामले में क्या कर रहे हैं। जवाब होगा अधिकांश को मजीठिया का मतलब ही नहीं पता। देश के सभी मंत्रालयों में, मनपा में भी पत्रकार संग़ठन हैं लेकिन कुछ को छोड़ दिया जाये तो अधिकाँश पत्रकार संग़ठन नेताओं की चापलूसी में लगे हैं। आज मंत्रालय में पत्रकार संघटन हैं लेकिन अधिकाँश पत्रकार यूनियन मजीठिया मामले में मंत्रियो से बात नहीं करती। इसके पदाधिकारी दांत चिहारे नेताओं के आगे पीछे घूमते हैं।

साफ़ कहूँ तो आप एक दिन मंत्रियों की प्रेस कांफ्रेंस का बायकाट कीजिये और बोलिये मजीठिया नहीं तो कांफ्रेंस नहीं। देखिये यही नेता मंत्री आपके पीछे घूमने लगेंगे। देश भर में आज ऐसे पत्रकार संगठनों की कमी नहीं जो चाह जाय तो बहुत कुछ हो सकता है। बड़े बड़े अखबार के नामचीन पत्रकार पान और चाय की टपरी के सामने भौकाल टाइट करते हैं।फलां अधिकारी नहीं सुन रहा था उसे डंडा करा दिया… उसका ट्रांसफर करा दिया। ऐसे लोगो से कहूँगा कि महाराज थोडा मजीठिया के बारे में सोचिये। आपकी बात अधिकारी सुनते हैं, मैं भी मानता हूँ। आप चाह जायें तो मंत्री से लेकर संत्री तक सब मजीठिया वेज बोर्ड की फ़ाइल लेकर भागे आपके आगे पीछे, लेकिन नहीं क्योंकि बैनर चला गया तो पावर चला जायेगा। इसलिए बैनर और पावर दोनों रहना चाहिए। सर सलामत तो पगड़ी हजार।

Advertisement. Scroll to continue reading.

देश भर के आज जितने भी पत्रकार संगठन, यूनियन, फेडरेशन आदि हैं, रजिस्ट्रेशन के समय लिख कर देते हैं कि वे पत्रकारों के हित में काम करेंगे। रजिस्ट्रेशन के बाद कुछ पत्रकार संग़ठन, यूनियन, फेडरेशन तो सही काम करते हैं लेकिन बाकी लग जाते हैं पुलिस और नेताओ की दलाली करने में। आज जो पत्रकार संग़ठन या यूनियन मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे हैं, उनको धन्यवाद। लेकिन बाकी जो पत्रकार यूनियन संग़ठन फेडरेशन मजीठिया मामले में पत्रकारों का साथ नहीं दे रहे हैं उन्हें यही कहूँगा अगर जरा भी लाज शर्म है तो आगे बढ़ो वरना चुल्लू भर पानी में डूब मरो। किस काम का ये पत्रकार संघ या यूनियन या फेडरेशन जो पत्रकारों के हित की बात होने पर मऊगा बन जाते हैं।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
मुंबई
9322411335

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement