नई दिल्ली/ नोएडा। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से कर्मचारियों का पक्ष लेने और अखबार मालिकों को सख्त सन्देश देने से मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे मीडिया कर्मचारियों में खासा उत्साह है। बुधवार को नोएडा सेक्टर 62 स्थित एक पार्क में हुई बैठक में जागरण कर्मचारियों ने कहा कि अब अखबार मालिकों को कर्मचारियों पर अत्याचार बंद कर उनसे माफ़ी माँग लेनी चाहिए।
बैठक में जागरण कर्मचारी एम्प्लाइज यूनियन के महामंत्री व वरिष्ठ पत्रकार श्री रतन भूषण प्रसाद सिंह ने कहा कि अब माननीय अदालत के संज्ञान में यह आ गया है कि मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग करने पर कर्मचारियों पर किस कदर अत्याचार किये गए। उन्होंने कहा कि मजीठिया अब ज्यादा दूर नहीं है और जल्द ही कर्मचारियों को न्याय मिलेगा। यूनियन के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि 12 जनवरी को हुई सुनवाई के बाद अखबार मालिक बेहद दबाव में हैं।
उन्होंने कहा कि अखबार मालिकों के बड़े अधिवक्ताओं द्वारा इस मामले में अगली तारीख लिए जाने की सारी कोशिशें पूरी तरह विफल हो गयी। उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई तक जागरण कर्मचारी माननीय अदालत को वह समस्त दस्तावेज़ उपलब्ध करा देंगे जिससे स्पष्ट हो जायेगा कि अखबार मालिकों ने माननीय सर्वोच्च अदालत के फैसले की अवमानना की है। अन्य कर्मचारियों ने कहा कि अब जल्द ही अखबार मालिकों को कर्मचारियों को वेज बोर्ड की सिफारिशों का लाभ दे देना चाहिए। जागरण कर्मचारियों ने एक स्वर में कहा कि वे मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करवाने को लेकर अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे।
माननीय सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया मामले की सुनवाई के दौरान अदालत का रुख स्पष्ट रूप से अखबार में कार्यरत कर्मचारियों के पक्ष में रहा। सुनवाई शुरू होने पर कर्मचारियों के अधिवक्ता श्री परमानन्द पाण्डेय ने माननीय न्यायाधीश श्री रंजन गोगोई और श्री एन वी रमन्ना की खण्डपीठ को बताया कि माननीय अदालत द्वारा फरवरी 2014 में दिए गए फैसले का कई संस्थानों द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है।
श्री पाण्डेय ने माननीय न्यायधीशों को बताया कि वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग करने पर दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका ने सैकड़ों कर्मचारियों को संस्थान से बाहर कर दिया है। माननीय न्यायाधीश श्री गोगोई ने कहा कि जिन राज्यों की रिपोर्ट आई है, वहां भी अधिकतर संस्थानों ने वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू नहीं किया है। उन्होंने अखबारकर्मियों के उत्पीड़न पर चिंता जताई।
अखबार मालिकों की ओर से अदालत में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को एक शब्द भी बोलने का मौका नहीं मिला। अदालत ने जिन राज्यों की रिपोर्ट नहीं आई है उन्हें दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। अदालत छह सप्ताह में इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगी। इस दौरान अदालत कक्ष मीडियाकर्मियों से खचाखच भरा हुआ था। कुल मिलाकर अब अखबार मालिकों को स्पष्ट समझ जाना चाहिए कि उन्हें कर्मचारियों को उनका हक़ जल्द से जल्द दे देना चाहिए। वरना, माननीय अदालत की अवमानना का दोषी पाये जाने पर उनका सलाखों के पीछे जाना तय है।
Kashinath Matale
January 15, 2016 at 5:50 am
Thanks Bhadas4media.com and thanks to the Sr. Counsel Parmanand Pandey and Colin Gonsavlves.
Jeet to satya ki hi hogi. Bass jaldi jaldi hearing honi chahiye.
please inform about the next date of hearing.
Congratulation to the employees who are fighting for justice.
sashi bhusan pandey
January 15, 2016 at 12:05 pm
jis din jail jayenge me us din mithai batunga
sanjib
January 15, 2016 at 12:18 pm
Next Date 29.02.2016 Padi hai Dear Com. Kashinath ji.
sanjib
January 14, 2016 at 3:44 pm
Ab ye Malik, Directors aur Managers ke Hosh Thikaney Aa Jayega.. Aur Ummeed hai 12th Jan. ko aa bhi gaya hoga. Inke ye Teeno Tuchchey Vakeelon ko ab bhi Sharm aani chahiye, kyonki Inki Govt. ne Jis Wageboard ko Laagu kiya, Ussi ke Khilaaf ye Khadey ho gaye, wah bhi sirf Paisa Kamaaney ki Khatir. Desh ko to Inlogon ne Loota hi, ab khali waqt me Ye Bhrasht Mantri ab Wakalat ke Zariye “Workers” ke saath Nangaa Naach ker rahey hain..
Supreme Court, Parmanand Pandey aur Colin Gonsalves sahab ko Tahey Dil se Sadhuwad. Aur Sath me Bhadas4media ko bhi, jinhone workers ko Sari Ghatnaon se samai-2 per awgat karaya, Apna Sujhao diya aur Jitna ho sakey councelling ki.. Yashvant ji ko bhi iske liye Sadhuvad.
raj
January 19, 2016 at 11:14 pm
loot-pit chuke in malikan ko kaun samjhae. rajasthan patrika ke to raje ne vigyapan (ad) bhi band kar diye.