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सियासत

वर्तमान सीबीआई मुख्‍यालय उसी शर्त के अनुसार दरभंगा महाराज ने नेहरू को दान दिया….

Kumud Singh : राष्टपति प्रणव मुखर्जी ने प्रधानमंत्री से सिफारिश की है कि लाालू प्रसाद को दिसम्बर माह तक उनके सरकारी आवास में रहने दिया जाए। इतिहास देखिए- 1950 में एक दिन गिरिंद्र मोहन मिश्र सुबह राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के पास गये और उनसे समय मांगा कि कामेश्‍वर सिंह आपसे मिलना चाहते हैं। इधर, बनैली के राजा कुमार गंगानंद सिंह भी कुछ ऐसा ही कहने पहुंचे। शाम को दोनों के बीच मुलाकात हुई लेकिन कोई महत्‍वपूर्ण बात नहीं हुई। राजेंद्र प्रसाद सोचते रहे कि कामेश्‍वर सिंह आये लेकिन कुछ कहा नहीं, कामेश्‍वर सिंह सोचते रहे कि राजेंद्र बाबू बुलाया क्‍यों।

<p>Kumud Singh : राष्टपति प्रणव मुखर्जी ने प्रधानमंत्री से सिफारिश की है कि लाालू प्रसाद को दिसम्बर माह तक उनके सरकारी आवास में रहने दिया जाए। इतिहास देखिए- 1950 में एक दिन गिरिंद्र मोहन मिश्र सुबह राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के पास गये और उनसे समय मांगा कि कामेश्‍वर सिंह आपसे मिलना चाहते हैं। इधर, बनैली के राजा कुमार गंगानंद सिंह भी कुछ ऐसा ही कहने पहुंचे। शाम को दोनों के बीच मुलाकात हुई लेकिन कोई महत्‍वपूर्ण बात नहीं हुई। राजेंद्र प्रसाद सोचते रहे कि कामेश्‍वर सिंह आये लेकिन कुछ कहा नहीं, कामेश्‍वर सिंह सोचते रहे कि राजेंद्र बाबू बुलाया क्‍यों।</p>

Kumud Singh : राष्टपति प्रणव मुखर्जी ने प्रधानमंत्री से सिफारिश की है कि लाालू प्रसाद को दिसम्बर माह तक उनके सरकारी आवास में रहने दिया जाए। इतिहास देखिए- 1950 में एक दिन गिरिंद्र मोहन मिश्र सुबह राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के पास गये और उनसे समय मांगा कि कामेश्‍वर सिंह आपसे मिलना चाहते हैं। इधर, बनैली के राजा कुमार गंगानंद सिंह भी कुछ ऐसा ही कहने पहुंचे। शाम को दोनों के बीच मुलाकात हुई लेकिन कोई महत्‍वपूर्ण बात नहीं हुई। राजेंद्र प्रसाद सोचते रहे कि कामेश्‍वर सिंह आये लेकिन कुछ कहा नहीं, कामेश्‍वर सिंह सोचते रहे कि राजेंद्र बाबू बुलाया क्‍यों।

अगले दिन राजेंद्र बाबू के टेबुल पर दरभंगा हाउस के अधिग्रहण संबंधी फाइल थी। राजेंद्र बाबू समझ गये। उन्‍होंने उसपर जवाहर के नाम खास नोट लिखा कि कैबिनेट का यह फैसला सही नहीं लग रहा है, अगर दरभंगा हाउस का अधिग्रहण होता है तो मेरे मित्र और दरभंगा के महाराजा को दिल्‍ली में प्रवास मुश्किल हो जायेगा, ऐसे में आप इसे वापस ले लें। जवाहर ने इस पर शर्त रखी कि अगर इतनी ही जमीन और उसपर मकान बनाकर महाराजा दे दें तो मैं दरभंगा हाउस नहीं लूंगा। वर्तमान सीबीआई मुख्‍यालय उसी शर्त के अनुसार दरभंगा महाराज ने नेहरू को दान दिया, लेकिन कांग्रेस महाराज की मौत के बाद दरभंगा हाउस पर भी कब्‍जा कर ही लिया। प्रणब की सिफारिश से लगा कि रायसीना में कोई अपने इलाके का फिर बैठा हुआ है। जो कुछ सुना सुना सा बोल रहा है। क्‍या संगमा या कोई और वहां होता तो ऐसा बोलता…।

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युवा साहित्यकार और लेखक कुमुद सिंह के फेसबुक वॉल से.

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