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उत्तर प्रदेश

रीता बहुगुणा जोशी के घर आगजनी मामले में डीजीपी एके जैन को भी बनाएं मुलजिम : नूतन ठाकुर

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मुख्य सचिव आलोक रंजन से रीता बहुगुणा जोशी के घर पर आगजनी मामले में डीजीपी ए के जैन को भी मुलजिम बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि सीबी-सीआईडी द्वारा 28 जुलाई 2014 को गृह विभाग को भेजे पत्र और 361 पृष्ठ के अंतिम प्रगति आख्या  से श्री जैन की आपराधिक संलिप्तता स्पष्ट हो जाती है. उन्होंने कहा कि जब श्री जैन रात 12.30 बजे किरायेदारी के मामले में ठाकुरगंज जा सकते हैं तो उनके जैसे तेजतर्रार अधिकारी के लिए यह संभव नहीं था कि यह घटना उनके संज्ञान में न आई हो. अतः अधीनस्थ पुलिस अफसरों पर कार्यवाही और मुख्य अभियुक्त को बचाने को गलत मानते हुए उन्होंने श्री जैन को अभियुक्त बनाते हुए तत्काल डीजीपी पद से हटाने की मांग की है.

<p>सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मुख्य सचिव आलोक रंजन से रीता बहुगुणा जोशी के घर पर आगजनी मामले में डीजीपी ए के जैन को भी मुलजिम बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि सीबी-सीआईडी द्वारा 28 जुलाई 2014 को गृह विभाग को भेजे पत्र और 361 पृष्ठ के अंतिम प्रगति आख्या  से श्री जैन की आपराधिक संलिप्तता स्पष्ट हो जाती है. उन्होंने कहा कि जब श्री जैन रात 12.30 बजे किरायेदारी के मामले में ठाकुरगंज जा सकते हैं तो उनके जैसे तेजतर्रार अधिकारी के लिए यह संभव नहीं था कि यह घटना उनके संज्ञान में न आई हो. अतः अधीनस्थ पुलिस अफसरों पर कार्यवाही और मुख्य अभियुक्त को बचाने को गलत मानते हुए उन्होंने श्री जैन को अभियुक्त बनाते हुए तत्काल डीजीपी पद से हटाने की मांग की है.</p>

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मुख्य सचिव आलोक रंजन से रीता बहुगुणा जोशी के घर पर आगजनी मामले में डीजीपी ए के जैन को भी मुलजिम बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि सीबी-सीआईडी द्वारा 28 जुलाई 2014 को गृह विभाग को भेजे पत्र और 361 पृष्ठ के अंतिम प्रगति आख्या  से श्री जैन की आपराधिक संलिप्तता स्पष्ट हो जाती है. उन्होंने कहा कि जब श्री जैन रात 12.30 बजे किरायेदारी के मामले में ठाकुरगंज जा सकते हैं तो उनके जैसे तेजतर्रार अधिकारी के लिए यह संभव नहीं था कि यह घटना उनके संज्ञान में न आई हो. अतः अधीनस्थ पुलिस अफसरों पर कार्यवाही और मुख्य अभियुक्त को बचाने को गलत मानते हुए उन्होंने श्री जैन को अभियुक्त बनाते हुए तत्काल डीजीपी पद से हटाने की मांग की है.

सेवा में,
श्री आलोक रंजन,
मुख्य सचिव,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- श्री ए के जैन, आईपीएस पर कार्यवाही विषयक
महोदय,

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कृपया श्री पंकज कुमार, पुलिस अधीक्षक, अपराध शाखा, अपराध अनुसन्धान विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा श्री अरुण कुमार मिश्रा, विशेष सचिव, गृह (पुलिस) अनुभाग- 4, उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित पत्र संख्या सीबी-223/09 एनजीओ/(लखनऊ) दिनांक 28/07/2014 तथा उसके साथ संलग्न 361 पृष्ठ के अंतिम प्रगति आख्या  का सन्दर्भ ग्रहण करें, जो दिनांक 19/07/2009 को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सीबी-सीआईडी को संदर्भित किये गए मु०अ०स० 384/09 धारा 147/504/506/427/436 आईपीसी थाना हुसैनगांह, जनपद लखनऊ की विवेचना के पूर्ण करने के उपरांत शासनादेश दिनांक 21/03/2003 के अनुपालन में दिनांक 21/07/2014 को एडीजी, सीबी-सीआईडी द्वारा विवेचना की अंतिम प्रगति आख्या के अनुमोदित किये जाने के पश्चात् शासन को प्रेषित किये गए स्थिति विषयक है.

यह विवेचना सुश्री रीता बहुगुणा जोशी के सरोजिनी नायडू मार्ग, लखनऊ स्थित आवास के कतिपय आपराधिक तत्वों द्वारा जलाए जाने विषयक था.

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इस आख्या में उस घटना में श्री ए के जैन, वर्तमान डीजीपी, यूपी और तत्कालीन आईजी, लखनऊ ज़ोन की भूमिका का विश्लेषण किया गया है. इसमें कहा गया है कि समस्त तथ्यों और साक्ष्यों की समीक्षा और विश्लेषण से पाया गया कि श्री जैन द्वारा वीआईपी क्षेत्र में सुश्री रीता बहुगुणा जोशी के आवास पर आगजनी और तोड़फोड़ की इतनी महत्वपूर्ण घटना को कम महत्व दे कर कनक सिटी, ठाकुरगंज स्थित किरायेदारी के विवाद के एक मामले में रात करीब 12 बजे फोन आते ही इससे पूर्व ही सुश्री जोशी के घर आगजनी की इतनी संवेदनशील घटना की सूचना मिलने के बाद भी स्पष्टतया कम संवेदनशील प्रकरण के सम्बन्ध में खुद रात 12.30 बजे घटनास्थल निरीक्षण करना और वहां जांच का कोई औचित्य नहीं होने पर भी अनायास भ्रमण करते रहना और लगभग सवा घंटे विलम्ब से सुश्री बहुगुणा के आवास पर पहुंचना प्रमाणित है.

रिपोर्ट में यह भी अंकित है कि श्री जैन को सुश्री जोशी के विवादित बयान के बाद उत्पन्न स्थिति का आकलन था, जैसा उन्होंने स्वयं स्वीकार किया. इस रिपोर्ट में श्री जैन के इस कृत्य को स्पष्टतया कटघरे में लाया गया है और कहा गया है कि जिस स्थान पर वे गए वहां आईजी स्तर के अधिकारी के पहुँचने का कोई औचित्य नहीं था. इतना ही नहीं सीबी-सीआईडी ने श्री जैन को घटना के उपरांत घटनास्थल से पकडे गए कथित अभियुक्तों और सुश्री जोशी के मकान में आवासित 8 लोगों को निकाल कर थाना हजरतगंज और महिला थाना में रखने के सम्बन्ध में और उनसे घटना कारित करने वाले व्यक्तियों के सम्बन्ध में न तो स्वयं पूछताछ करने और न ही किसी राजपत्रित अधिकारी से पूछताछ करवाने तथा पूछताछ आख्या तैयार करवाने का भी स्पष्ट रूप से दोषी पाया.

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जब श्री जैन रात 12.30 बजे किरायेदारी के मामले में ठाकुरगंज जा सकते हैं तो उनके जैसे तेजतर्रार अधिकारी के लिए यह संभव नहीं था कि यह घटना उनके संज्ञान में न आई हो. अतः अधीनस्थ पुलिस अफसरों पर कार्यवाही और मुख्य अभियुक्त को बचाना पूरी तरह गलत है बल्कि तथ्यों से यही दिखता है कि मुख्य अभियुक्त स्वयं श्री ए के जैन थे. अतः निवेदन करती हूँ कि कल थाना हुसैनगंज में सीबी-सीआईडी द्वारा दर्ज कराये गए मुकदमे में न्याय की दृष्टि से श्री ए के जैन को मुख्य अभियुक्त बनाते हुए उनके खिलाफ भी तथ्यों के आलोक में विवेचना किये जाने के निर्देश देने की कृपा करें.

साथ ही इन तथ्यों की जानकारी के बाद श्री जैन की प्रदेश के डीजीपी जैसे अत्यंत न्यायपूर्ण, महत्वपूर्ण और जिम्मेदार पद, जिसपर पूरे प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को निष्पक्ष भाव से न्याय देने की जिम्मेदारी होती है, से भी निष्पक्ष विवेचना के दृष्टिगत तत्काल हटाये जाने की कृपा करें.

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पत्र संख्या- NT/Complaint/99/15
दिनांक- 21/03/2015                                     
भवदीय,

डॉ नूतन ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 094155-34525
[email protected]

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