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पत्रकार के लिए ज्ञान, भाषा व शिल्प का होना जरूरी : धूलिया

यूओयू में पत्रकारिता की हुई कार्यशाला

हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में आयोजित पत्रकारिता के विद्यार्थियों की कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो. सुभाष धूलिया ने कहा कि समाचारों के लिए नयी अवधारणा की आवष्यकता है। उन्होने कहा कि अभी वैकल्पिक अवधारणा का सृजन नही हो रहा है, इसकी बहुत सख्त आवशयकता है। पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन विद्या शाखा द्वारा आयोजित चार दिवसीय विशेष कार्यशाला के शुभारंभ पर प्रो. धूलिया ने कहा कि पत्रकारों को खबरों के लिए सबसे पहले स्रोत्र बनाना आवश्यक है। एक सफल पत्रकार के लिए ज्ञान, भाषा और शिल्प का होना बहुत जरूरी है। साथ ही उसे हमेशा अपने आंख, कान को खुले रखने चाहिए।

यूओयू में पत्रकारिता की हुई कार्यशाला

हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में आयोजित पत्रकारिता के विद्यार्थियों की कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो. सुभाष धूलिया ने कहा कि समाचारों के लिए नयी अवधारणा की आवष्यकता है। उन्होने कहा कि अभी वैकल्पिक अवधारणा का सृजन नही हो रहा है, इसकी बहुत सख्त आवशयकता है। पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन विद्या शाखा द्वारा आयोजित चार दिवसीय विशेष कार्यशाला के शुभारंभ पर प्रो. धूलिया ने कहा कि पत्रकारों को खबरों के लिए सबसे पहले स्रोत्र बनाना आवश्यक है। एक सफल पत्रकार के लिए ज्ञान, भाषा और शिल्प का होना बहुत जरूरी है। साथ ही उसे हमेशा अपने आंख, कान को खुले रखने चाहिए।

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पत्रकार को समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, तभी वह खबरों के साथ न्याय कर पायेगा। कुलपति ने कहा कि पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत बड़ा व चुनौतीपूर्ण भी है इसमें सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता है। उन्होंने पत्रकारिता के लिए पांच ‘क’ के सिद्धांत के बारे भी बताया और कहा कि इससे खबर की तह तक पहुंच सकते है। कार्यशाला में अतिथि वक्ता हिन्दुस्तान समाचार पत्र के स्थानीय संपादक योगेश राणा ने कहा कि पत्रकारिता में विजन बहुत बड़ा होता है। खबर आईने की तरह साफ होती है हमारा प्रयास होना चाहिए कि खबर को आईने की तरह पेश करें। उन्होने कहा कि खबर एक तरफ से आ रही ओर दूसरी तरफ जा रही है, इसमें हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम खबर को सही रूप से प्रस्तुत कर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा सके। उन्होंने रिपोर्टिंग को लेकर भी कई जानकारियां दी।

पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. गोविन्द सिंह ने पत्रकारिता के इतिहास को लेकर विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होने बताया कि पत्रकारिता आदि काल से ही चली आ रही है। पहले देव मुनी नारद, वेदव्यास व महाभारत के संजय का कार्य भी यही था। बाद के दौर में इसके स्वरूप में नये-नये परिवर्तन आये है आज न्यू मीडिया के दौर में हमारी जिम्मेदारियां काफी बढ़ गयी है। आर्ट्स एंड फिल्म गिल्ड ऑफ उत्तराखंड के महासचिव और ब्लॉगर अशोक पांडे ने कहा कि विज्ञापन कंपनियां जनता के दिमाग को अपनी व्यावसायिक ज़रूरतों के मुताबिक़ बदलने का काम कर रही हैं जिस वजह से लोगों को सही सूचना नहीं मिल पा रही हैं।

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उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में जहां विज्ञापनों के लिए ठोस नियम हैं वहीं भारत में बड़ी-बड़ी कंपनियां सारे कायदे-कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं। अमर उजाला के संपादकीय प्रभारी अनूप वाजपेयी ने रिपोर्टिंग के अनेक गुर बताये। उन्होने कहा कि खबरों की विश्वसनीयता बनाये रखना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि खबर लिखते समय पत्रकार को यह ध्यान रखना होगा कि वह जो लिख रहा है वह निष्पक्ष लिख रहा है।पत्रकारिता के एसिस्टेंट प्रोफसर भूपेनसिंह ने न्यू मीडिया व अकादमिक एसोसिएट राजेन्द्रसिंह क्वीरा ने विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी व सत्रीय कार्य के बारे में बताया। कार्यषाला में कुमाऊं भर से पत्रकारिता के विद्यार्थी मौजूद थे। इस विद्यार्थियों के अनेक सवालों का जवाब भी दिया गया।  

रिपोर्ट- राजेन्द्र सिंह क्वीरा 

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