लखनऊ : परिवादी श्री आर0के0 गुप्ता द्वारा जी0सी0 कन्स्ट्रक्शन एवं डेवलपमेण्ट के विरूद्ध राज्य उपभोक्ता आयोग, लखनऊ में एक मामला मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार अध्यक्ष एवं मा0 श्री सुशील कुमार न्यायिक सदस्य की पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुआ।
परिवादी ने वर्ष १९९० में विपक्षी कम्पनी लक्ष्मी वरदान कॉमर्शियल काम्प्लेम्स, गोमतीनगर, लखनऊ के अधिकाकरी श्री अजय सिन्हा द्वारा प्रस्तावित भूखण्ड जो पी0जी0आई0 संजय नगर स्कीम के अन्तर्गत था, में ३२०० वर्गफीट जमीन खरीदने के लिए १९-११-१९९० को १४,०००/- रू० जमा किया। इसके पश्चात वांछित धनराशि ५०,०००/- रू० जमा कराकर दिनांक २५-०६-१९९१ को इस भूखण्ड के पंजीकरण की प्रार्थना की गई किन्तु भूखण्ड का सीमांकन न होने से बैनामा नहीं किया गया।
इस भूखण्ड का वास्तविक कब्जा उसे आज तक नहीं दिया गया। यह तथ्य प्रकाश में आया कि विपक्षी द्वारा संचालित एक अन्य संस्था जनगणना सहकारी आवास समितिलि0, नारायण बिल्डिंग, हजरतगंज, लखनऊ है जिसके सचिव श्री अजय सिन्हा हैं, जो इस मामले के विपक्षी जी0सी0 कन्स्ट्रक्शन के निदेशक भी हैं और इन्हीं का इकाना स्टेडियम भी है। जब वास्तविक कब्जा परिवादी को नहीं मिला तब यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
इस परिवाद में पीठ के मा0 सदस्य श्री सुशील कुमार जी ने अपना निर्णय दिया जिससे पीठ के अध्यक्ष मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार सहमत नहीं हुए और इस प्रकार इस मामले में अलग-अलग निर्णय दोनों सदस्यों द्वारा दिए गए।
असमति हो जाने पर विधि के अनुसार यह मामला तीसरे न्यायिक सदस्य मा0 श्री राजेन्द्र सिंह को सन्दर्भित किया गया, जिन्होंने इस मामले में पक्षकारों को सुनने और दोनों निर्णयों का भलीभांति अवलोकन करने के पश्चात् मा0 न्यायमूर्ति अध्यक्ष महोदय के निर्णय से अपनी सहमति व्यक्त की और तद्नुसार सन्दर्भित मामले का निस्तारण किया जिसमें विपक्षी कम्पनी को निम्नलिखित आदेश दिया :-
१. विपक्षी कम्पनी परिवादी को अंकन ४५,०००/- रू० पंजीकरण हेतु जमा धनराशि पर जमा की तिथि से भुगतान की तिथितक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज अदा करे।
२. विपक्षी कम्पनी परिवादी को मानसिक प्रताड़ना के मद में ०१.०० करोड़ रू० और इस पर परिवाद प्रस्तुत करने के दिनांक से वास्तविक भुगतान की तिथि तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज अदा करे।
३. विपक्षी कम्पनी परिवादी को वाद व्यय के रूप में ०१.०० लाख रू० अदा करे।
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४. विपक्षी कम्पनी परिवादी को ०१.०० लाख रू० विशेष क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करे।
५. समस्त राशि का इस निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में अगर भुगतान नहीं किया गया तब ब्याज की दर १२ प्रतिशत होगी।