Surya Pratap Singh : गोरखपुर त्रासदी का ‘अखिलेश यादव’ कनेक्शन… अब यह साफ़ हो गया है कि ‘ऑक्सिजन’ की कमी से 48 घंटे में 30 मासूमों की मृत्यु हुई…. यह भी सही है कि दुःख की घड़ी में सरकार के किसी भी प्रतिनिधि को बिना जाँच पूर्ण हुए ‘अधिकारियों’ के बहकाबे पर यह नहीं कहना चाहिए था कि बच्चों की मौत ऑक्सिजन की कमी से नहीं हुई.. इस बयानों ने पीड़ित परिवारों का अवसाद को कम नहीं, अपितु और बढ़ा दिया। साथ ही इस ‘बालसंहार’ के तीन खलनायक- प्राचार्य आर. के. मिश्रा / उनकी पत्नी, डॉ. कफ़ील खान व ऑक्सिजन सप्लाई कर्ता पुष्पा सेल्स के मालिक मनीष भंडारी है, यह भी लगभग स्पष्ट हो चुका है।
अब जानिए इन तीनों खलनायकों का ‘अखिलेश यादव’ कनेक्शन। डॉ. आर. के. मिश्रा की प्राचार्य पद पर नियुक्ति/ प्रोन्नति व डॉ. कफ़ील खान की नियुक्ति वर्ष 2015 में आज़म ख़ान की सिफ़ारिश पर अखिलेश यादव ने ही की थी। बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील खान की पत्नी एक दाँतो की डॉक्टर है और चलाती है ‘बच्चों का नर्सिंग होम’…. वस्तुतः बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील ही नियम विरुद्ध इस नर्सिंग होम को भी संचालित करता है और इसमें BRD अस्पताल से चोरी गया वेंटिलेटर भी लगा रखा है। कफ़ील खान सरकारी अस्पताल को अपने नर्सिंग होम में मरीज़ पहुँचाने का प्लेटफ़ॉर्म के रूप में इस्तेमाल करता था। डॉक्टर आर. के. मिश्रा प्राचार्य व डॉक्टर कफ़ील खान की दुरभि संधि थी……दोनों मिलकर सभी ख़रीदारी करते थे।
अब बताता हूँ कि पुष्पा सेल्स के मालिक कौन हैं ..उत्तराखंड निवासी मनीष सिंह भंडारी पुत्र श्री चंद्रशेखर सिंह भंडारी, अखिलेश यादव की पत्नी के रिश्तेदार हैं और मज़े की बात है कि यह फ़र्म BRD अस्पताल के साथ-२ प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में ‘लिक्विड ऑक्सिजन’ अपने एकाधिकार के साथ सप्लाई करती है, जब कि इस फ़र्म की कोई मैन्युफ़ैक्चरिंग सुविधा/फ़ैक्टरी नहीं है…. ये एक ट्रेडर/दलाल है जो अन्य मैन्युफ़ैक्चरिंग कम्पनीयों से ख़रीद कर लिक्विड ऑक्सिजन सप्लाई करती है। सरकार यदि सीधे ऑक्सिजन बनाने वाली कम्पनी से लिक्विड ऑक्सिजन ले तो खाफ़ी सस्ती पड़ेगी …. लेकिन ऐसा केवल कमिशन के चक्कर में नहीं किया जाता है। यह भी बता दूँ कि पुष्पा सेल्स के जिस लम्बित भुगतान को समय से न देने की बात की जा रही है। यह भुगतान भी पिछले साल ‘अखिलेश यादव’ के कार्यकाल का है।
प्रदेश में सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कालेजों की ख़स्ता हालत जे लिए ‘अखिलेश यादव’ व ‘मायावती’ भी बराबर के ज़िम्मेदार हैं… यद्यपि अब इनको ठीक करने के ज़िम्मेदारी से वर्तमान सरकार बच नहीं सकती। अखिलेश सरकार में भी प्रत्येक वर्ष अगस्त माह में encephalitis से ४००-५०० बच्चों की मृत्यु होती रही है अतः अखिलेश यादव यदि आज बड़ी-२ बातें करे, तो इसे अपने निक्कमेपन को छुपाना व बेशर्मी ही कही जाएगी।
CM योगी कर्मशील हैं अतः पूर्व वर्षों के हालत के क्रम में स्वमँ BRD मेडिकल कॉलेज दिनांक ९ अगस्त, २०१७ को गए थे, लेकिन शासन/प्रशासन के अधिकारियों ने सही बात उनके सामने नहीं रखी कि ऑक्सिजन की कमी है या पैसा चाहिये… मुख्यमंत्री का स्वमँ अस्पताल जाकर समीक्षा करना दर्शाता है कि वे encephalitis से होने वाली सम्भावित बाल मौतों को रोकने के प्रति गम्भीर थे जबकि अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में कभी इस अस्पताल में encephalitis के बचाव के लिए समीक्षा करने नहीं पहुँचे…. इनके पाँच वर्ष के कार्यकल में encephalitis से लगभग ५,००० बच्चों की मौत हुई थी।
मुझे लगता है कि स्थानीय व शासन में बैठे अधिकारियों की लापरवाही व मंत्रियों की असंवेदनशील बयानबाज़ी ने सरकार की किरकिरी करायी…. और कर्मयोगी CM योगी के लिए असमंजसता/ Embarrassment की स्थिति पैदा कर दिया। मैं CM योगी का पक्ष नहीं ले रहा हूँ, केवल अपना independent मत व्यक्त कर रहा हूँ…. बाक़ी आप जो समझें। अतः पूर्व CM अखिलेश यादव द्वारा अब कुछ अनाप-सनाप कहने और दोषारोपण करने से पूर्व अपने गरेबान में झाँकने की अधिक ज़रूरत है। इस प्रदेश के बीमार ‘चिकित्सा’ व्यवस्था के लिए अखिलेश यादव ही ज़्यादा दोषी है और ऊपर लिखित 3 खलनायकों की ‘तिगड़ी’ का भी सीधा सम्बन्ध अखिलेश यादव से है। जय हिंद-जय भारत !!
यूपी के चर्चित आईएएस अधिकारी रहे सूर्य प्रताप सिंह की एफबी वॉल से.
इन्हें भी पढ़ें….
नाकारा तंत्र की बलि चढ़े मासूम?
xxx
जिंदगी बनाम कमीशन : गोरखपुर की घटना पर एक कविता
xxx
डा. कफील की असलियत पता करने गोरखपुर पहुंचे पत्रकार अजय प्रकाश की रिपोर्ट पढ़िए
xxx