यशवंत सिंह-
अपने व्यक्तित्व, विचार और व्यवहार से सहज ही आकर्षित कर लेने वाले अजीत विक्रम सिंह उर्फ़ गुड्डू भाई का आज जन्मदिन है। जीवन में बहुत कम लोग मुझे ऐसे मिले-दिखे हैं जो अपने उदात्त, उदार और सुचिंतित जीवन दर्शन से अपने आसपास एक सकारात्मक और चुंबकीय ऊर्जा वर्तुल क्रिएट कर देते हैं। गुड्डू भाई उनमें से एक हैं। वैसे तो इनके बड़े भाई अभय विक्रम सिंह उर्फ़ गप्पू भाई मेरे साथ पढ़े हैं, क्लास सिक्स से आठवीं तक लेकिन गुड्डू भाई हम लोगों से दो क्लास पीछे रहते हुए भी जीवन, समाज और अपने समय को बारीकी से समझने के मामले में हम लोगों से मीलों आगे निकल गये हैं। हम लोग इन्हें प्रयागराज का अनक्राउण्ड किंग कहते हैं।
इनके चाहने जानने वालों में किसी के साथ कोई समस्या मुसीबत हो तो ये चुपचाप संकटमोचक की तरह प्रकट होते हैं और उसका दुःख हर कर चल देते हैं। ये लिविंग लीजेंड सरीखे हैं। मैं इनसे कम ही मिल पाता हूँ, लेकिन जब भी मिला, हर दफे कुछ नया सीखा, इन्हें हर बार किसी नये अवतार में पाया!
इन्हें बचपन से जानता हूँ, इनके गाँव से लेकर प्रयागराज तक के सफ़र को देखता हूँ। इनकी कुंडली के कई चमत्कारिक क़िस्सों से दो-चार होता रहता हूँ।
गुड्डू भाई जैसों का स्वस्थ सानंद बने रहना ज़रूरी है ताकि कइयों की ज़िंदगियों में चमत्कार घटित होता रहे, दोस्ती और प्रेम के नये पन्ने सृजित होते रहें।
एक गहन एकांतिक और मौन आध्यात्मिक मन लिए हुए गुड्डू भाई की निजी ज़िंदगी में बहुत कुछ जगमग चकमक सरीखा दिखता है पर हैं वो मूलतः वैरागी ही। जीवन को जो बहुत तेज़ी से जीते हुए जीत लेता है वह एक रोज़ कह पड़ता है-
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे
ईमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे!
जन्मदिन की बहुत शुभकामनाएँ मेरे भाई!
सौजन्य : एफबी