Dilip Khan : राजस्थान पत्रिका और राजस्थान सरकार के बीच बीते कई साल से ठनी हुई है। पहले सबकुछ ठीक चल रहा था, फिर किसी बात से चिढ़कर सरकार ने विज्ञापन देना बंद कर दिया। गुलाब कोठारी ने उस वक़्त भी तीखा संपादकीय लिखा था। फिर सरकारी अनुदान से चल रहे गोशालों में दर्जनों गायों के मरने वाली ख़बर ने सरकार को और परेशान कर दिया। राजस्थान पत्रिका ने इस पर कई दिनों तक सीरीज चला दी।
गुलाब कोठारी दक्षिण दिशा के हैं, लेकिन विज्ञापन ही जब इस दिशा से नहीं आएगा तो परेड दाएं मुड़ क्यों करेगा कोई? भास्कर वाले उनसे ज़्यादा दक्षिणावृत्त हैं। और सब जानते हैं कि राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर में गलाकाट प्रतियोगिता है। गुलाब कोठारी का आज का संपादकीय ज़रूरी हस्तक्षेप है, लेकिन मुनाफ़े और धंधे की गलियों में किस इरादे से कोई आवाज़ दे रहा है, ये जानना ज़रूरी है। संपादकीय नीचे है :
राज्यसभा टीवी में कार्यरत पत्रकार दिलीप खान की एफबी वॉल से.
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Comments on “राजस्थान पत्रिका और राजस्थान सरकार में कई साल से ठनी है, पढ़ें गुलाब कोठारी को जोरदार संपादकीय”
ये गुलाब कोठरी बड़ा चोर है। पत्रकारों को तो मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी नहीं दे रहा। विज्ञापन नहीं मिल रहे तो फड़फड़ा रहा है। सारे संपादक भ्रष्ट हैं। मालिकों के दलाल हैं।