काला कानून वापस लेने तक ‘पत्रिका’ अखबार में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से जुड़ी खबरें नहीं छपेंगी

Pushya Mitra : राजस्थान की रानी के आगे रीढ़ सीधी करके खड़े होने के लिये पत्रिका समूह का शुक्रिया। आजकल यह संपादकीय परंपरा विलुप्त होती जा रही है। मगर एक बात मैं कभी भूल नहीं सकता कोठारी जी, आप अपने ही कर्मियों के तन कर खड़े होने को पसंद नहीं करते। मजीठिया वेतनमान मांगने वाले हमारे पत्रकार साथियों को पिछले दो साल से आप जिस तरह प्रताड़ित कर रहे हैं, किसी को नौकरी से निकाल रहे हैं, किसी का दूरदराज तबादला कर रहे हैं। यह जाहिर करता है कि आपमें भी उसी तानाशाही के लक्षण हैं, जो राजस्थान की महारानी में हैं।

राजस्थान सरकार के विवादित बिल के खिलाफ इस अखबार ने संपादकीय कॉलम खाली छोड़ा

दैनिक कंचन केसरी नामक अखबार ने राजस्थान सरकार के विवादित बिल के खिलाफ संपादकीय कॉलम में क्वेश्चन मार्क का चिन्ह लगाकर खाली छोड़ दिया. इस अखबार के संपादकीय प्रभारी उमेंद्र दाधीच हैं. उमेंद्र का कहना है कि उन्होंने मीडिया पर अंकुश लगाने वाले राजस्थान सरकार के विवादित अध्यादेश के खिलाफ मंगलवार को अपना संपादकीय कालम खाली छोड़ दिया. इस काल में केवल एक बड़ा सा प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया गया है.

आईएएस ओपी यादव पर राजस्थान सरकार इतनी मेहरबान क्यो?

भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को निरंकुश बनाने और मीडिया पर पाबंदी लगाने वाले बिल को विधानसभा में रखने के प्रकरण के दौरान ही आईएएस ओपी यादव के परिवार से जुड़ा सौ करोड़ का मामला सामने आया है.. ओपी यादव राज्य सरकार का सबसे चहेता अफसर है. राजस्थान में भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को निरंकुश बनाने और मीडिया पर पाबंदी लगाने वाला बिल मंजूर करवाने में जो तत्परता सीएम राजे और भाजपा के अन्य मंत्री दिखा रहे हैं, उन्हें प्रदेश के आबकारी आयुक्त ओपी यादव के ताजा प्रकरण से सबक लेना चाहिए.

मीडिया पर पाबंदी को तत्पर वसुंधरा सरकार के होश ठिकाने आए, विवादित बिल ठंडे बस्ते पहुंचा

आखिरकार भारी विरोध के बाद वसुंधरा सरकार बैकफुट पर आ गई… विवादित विधेयक सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया…  पिछले पांच दिनों से राजस्थान सरकार की किरकिरी हो रही थी… वसुंधरा सरकार ने लोकसेवकों के करप्शन पर मीडिया में लिखने पर पाबंदी लगाने और लोकसेवकों पर बिना इजाजत मुकदमा नहीं दर्ज करने वाले विवादित बिल को अब प्रवर समिति में भेजने के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इस विवादित अध्यादेश को बिल के रुप में सोमवार को वसुंधरा सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने विधानसभा में रखा था. उसके बाद देश भर में हंगामा मचा हुआ था.

भाजपा यानि भ्रष्टाचारियों को बचाने और मीडिया पर अंकुश लगाने वाली पार्टी! (देखें वीडियो)

राजस्थान की भाजपा सरकार ने एक काला कानून बनाने की तैयारी कर ली है. इसक कानून के बन जाने के बाद भ्रष्टों के खिलाफ कोई खबर मीडिया वाले न लिख सकते हैं और न दिखा सकते हैं. महारानी वसुंधरा राजे फिलहाल लोकतंत्र को मध्ययुगीन राजशाही में तब्दील करने पर आमादा हैं. जितना विरोध कर सकते हैं कर लीजिए वरना कल को विरोध करने लायक हम सब बचेंगे ही नहीं क्योंकि देश बहुत तेजी से आपातकाल और तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है. ज्यादातर बड़े मीडिया हाउसेज बिक चुके हैं. जो बचे हैं उनको धमका कर और पाबंदी लगाकर चुप कराया जा रहा है. राजस्थान सरकार का काला कानून पाबंदी लगाकर मीडिया को चुप कराने की साजिश का एक हिस्सा है.

राजस्थान पत्रिका और राजस्थान सरकार में कई साल से ठनी है, पढ़ें गुलाब कोठारी को जोरदार संपादकीय

Dilip Khan : राजस्थान पत्रिका और राजस्थान सरकार के बीच बीते कई साल से ठनी हुई है। पहले सबकुछ ठीक चल रहा था, फिर किसी बात से चिढ़कर सरकार ने विज्ञापन देना बंद कर दिया। गुलाब कोठारी ने उस वक़्त भी तीखा संपादकीय लिखा था। फिर सरकारी अनुदान से चल रहे गोशालों में दर्जनों गायों के मरने वाली ख़बर ने सरकार को और परेशान कर दिया। राजस्थान पत्रिका ने इस पर कई दिनों तक सीरीज चला दी।

पत्रकारों पर लगाम लगाने का एक और असफल प्रयास, मति मारी गई राजस्थान सरकार की!

राज की मंशा में खोट… दोस्तों, नमस्कार, लगता है अब राजस्थान सरकार की भी मति मारी गई है। उसके मंत्रियों का भी दिमाग खराब हो गया है।तभी तो पत्रकारों की लेखनी पर लगाम लगाने और भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देने का असफल प्रयास किया जा रहा है। इससे लगता है कि राज की मंशा में खोट है। लेकिन यह सब सरकार का वहम है कि कथित कानून बना कर पत्रकारों को डरा दिया जाए।

भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा और मीडिया पर शिकंजा कसने वाला नया कानून महारानी के निजी अहंकार की पराकाष्ठा : कुमार विश्वास

राजस्थान में नया कानून : जजों-अधिकारियों पर आरोप लगने के 6 महीने बाद ही मीडिया पूछ सकेगी

आम आदमी पार्टी के नेता और राजस्थान राज्य के प्रभारी कुमार विश्वास ने एक बार फिर मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे पर तीखा निशाना साधा है। राजस्थान सरकार के किसी भी नेता या कर्मचारी को कानूनी प्रक्रिया के दायरे से बाहर रखने वाले अध्यादेश पर बोलते हुए विश्वास ने कहा कि यह महारानी वसुन्धरा के निजी अहंकार की पराकाष्ठा है। इस कानून की तुलना अंग्रेजों के निर्मम कानूनों और उत्तर कोरिया के सुप्रीमो किम जोंग उन के बनाए कानूनों से करते हुए विश्वास ने कहा कि वसुन्धरा शायद भूल गई हैं कि अब राजतंत्र नहीं लोकतंत्र है।

राजस्थान में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बिना सरकारी एप्रूवल के कुछ नहीं लिख सकते!

बीजपी की वसुंधरा सरकार ने अध्यादेश लाकर एक खतरनाक नियम बना दिया है…

राजस्थान में अगर किसी सरकारी अफ़सर, जज या मजिस्ट्रेट ने कोई ग़लत काम या भ्रष्टाचार किया हो तो सरकार के अप्रूवल के बिना आप कुछ नहीं कर सकते। बीजपी की वसुंधरा सरकार ने अध्यादेश लाकर एक खतरनाक नियम बना दिया है। मान लीजिए उदयपुर के जिलाधिकारी ने घोटाला किया और ख़ूब पैसे बनाये। ऊपर मंत्री, मुख्यमंत्री और पार्टी के नेताओं तक भी पैसा पहुँचाया। लेकिन किसी नागरिक या संस्थान ने सरकार के घपले को पकड़ लिया। अगले ही दिन सबूतों के साथ शिकायत की जाती है।

IFWJ to launch agitation against the gag ordinance of Rajasthan government

New Delhi : Indian Federation of Working Journalists (IFWJ) has asked the government of Rajasthan to immediately withdraw the draconian Criminal Laws (Rajasthan Amendment) Ordinance, 2017, which is an unbearable onslaught on the freedom of speech and expression. This ordinance has reportedly already got the gubernatorial assent to be promogulated throughout the state and soon to be passed into law. The ordinance will not only seriously curb and control the freedom of media but will also help the corrupt and irresponsible officers and judges in screening and shielding their corrupt activities.