जयपुर में आज अमित शाह की प्रेस कांफ्रेंस में मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर कुछ पत्रकारों ने सवालों का ऐसा गोला दागा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बगले झांकने लगे और बड़ी बेशर्मी से अमित शाह ने कह दिया कि उन्हें मजीठिया वेजबोर्ड के बारे में कुछ नहीं मालूम। अमित शाह पर सवालों …
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गुलाब कोठारी जी, मोहन भागवत के अलावा और लोगों से भी मिला करिए, ज्ञान में वृद्धि होगी!
आदरणी गुलाब कोठारी जी मालिक और प्रधान संपादक, राजस्थान पत्रिका आरक्षण को लेकर आपने एक सर्वे किया है। आपके अखबार को लेकर एक रिसर्च मैंने भी की है। हाल ही में आपके अखबार के प्रथम पृष्ठ पर एक सर्वे छपा। इसमें बताया गया था कि आरक्षण से किस प्रकार समाज में वैमनस्य बढ़ रहा है। …
मजीठिया मामले में पत्रिका प्रबंधन को आज फिर मुंहकी खानी पड़ी!
Vijay Sharma : पत्रिका प्रबन्धन को आज फिर मुंहकी खानी पड़ी। प्रबन्धन ने 190 कर्मचारियों के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट से स्टे ले कर उसे लम्बा खींचने की कोशिश कर रहा था। लेकिन पत्रिका प्रबन्धन की ये कोशिश नाकाम हो गई और आज राजस्थान हाई कोर्ट ने स्टे ऑर्डर खारिज करते हुए लेबर कोर्ट …
चुनाव से पहले सरकार ने पत्रिका के ब्यूरो चीफ राजकुमार सोनी का तबादला कोयम्बटूर कराया
Ambrish Kumar : छतीसगढ़ से मुझे वर्ष 2003 में अपने एक्सप्रेस प्रबंधन ने जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिल्ली भेजने का आदेश दिया था. तब अपने पर कांग्रेस विरोध का आरोप था. भाजपाई सब साथ थे. कांग्रेस की सरकार थी. खबरों को लेकर अजीत जोगी से ठनी हुई थी. किसने दबाव …
ऋतिक रोशन ने पत्रिका और भास्कर को सरेआम लताड़ा, देखें ट्वीट
अभिनेता ऋतिक रोशन के बारे में अनर्गल खबर छापना पत्रिका और भास्कर जैसे बड़े अखबारों की वेबसाइटों को भारी पड़ा. ऋितिक रोशन ने इन दोनों अखबारों की वेबसाइटों के लिंक को सबके सामने यानि पूरे सोशल मीडिया की भीड़ की मौजूदगी में शेयर कर इन मीडिया हाउसों की क्लास ले ली.
राजस्थान पत्रिका और राजस्थान सरकार में कई साल से ठनी है, पढ़ें गुलाब कोठारी को जोरदार संपादकीय
Dilip Khan : राजस्थान पत्रिका और राजस्थान सरकार के बीच बीते कई साल से ठनी हुई है। पहले सबकुछ ठीक चल रहा था, फिर किसी बात से चिढ़कर सरकार ने विज्ञापन देना बंद कर दिया। गुलाब कोठारी ने उस वक़्त भी तीखा संपादकीय लिखा था। फिर सरकारी अनुदान से चल रहे गोशालों में दर्जनों गायों के मरने वाली ख़बर ने सरकार को और परेशान कर दिया। राजस्थान पत्रिका ने इस पर कई दिनों तक सीरीज चला दी।
हिट्स-लाइक के लिए अश्लीलता पर उतारू पत्रिका ग्रुप का पोर्टल, देखें ये हेडिंग और फोटो
एक दौर था जब लोग पत्रकारों के ईमानदार होने और निष्पक्ष पत्रकारिता के शानदार प्रयोगों के उदारहण दिया करते थे। बदलते समय के साथ साथ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया का भी स्वरूप और लेखन बदल गया है। अब पत्रकारिता के नाम पर बड़े बैनर के वेब पोर्टल तक ज्यादा से ज्यादा हिट्स और लाइक के चक्कर में अश्लीलता परोसने में जरा भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
‘राजस्थान पत्रिका’ अखबार का एक और कारनामा… ‘श्रीमती राहुल गांधी’ छाप डाला!
सीधी बात तो यह है कि ‘पत्रिका’ अखबार खुद में ब्लंडर्स का स्पेशल एडिशन है। इसी फेहरिस्त में चुरु से निकलने वाला ‘पत्रिका’ का एडिशन भी पीछे नहीं रह गया है। दरअसल 15 अगस्त के मौके पर कांग्रेस पार्टी की ओर से मिले बड़े से विज्ञापन में वहां के होनहार कर्मियों ने सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी को भी “श्रीमती” लगाकर बड़े में छाप दिया। अब पत्रिका या कोठारी जी को गलतियां भूलकर आगे बढ़ने की आदत होगी लेकिन उनका क्या, जिनको लगता है कि गलतियां सबक लेने के लिए होती हैं, न कि एक लेवल ऊपर होकर फिर से करने की चीज।
राजस्थान पत्रिका प्रबंधन से श्रम विभाग ने पूछा- क्यों नहीं दिया मजीठिया, कारण बताओ
राजस्थान पत्रिका के एमडी को श्रम विभाग ने नोटिस भेजकर उपस्थित होने को कहा
जयपुर। सर्वोच्च न्यायालय के मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में 19 जून को दिए गए फैसले के बाद पत्रकारों की उम्मीदों को झटका जरूर लगा था, लेकिन इस फैसले के बाद पत्रकारों की उम्मीदों को नए पंख भी मिल गए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर के श्रम कार्यालयों में मजीठिया वेज बोर्ड को हल्के में नहीं ले रहे हैं। लेबर विभाग को लेकर आम धारणा है कि यहां सालों साल मामले खिंचते चले जाते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद श्रम विभाग को लेकर मजबूरी में ही सही सक्रिय होना पड़ रहा है।
‘पत्रिका’ अखबार ने जिंदा मंत्री को ‘मार’ कर श्रद्धांजलि तक दिलवा दिया!
राजस्थान पत्रिका के जालोर एडिशन में 10 अगस्त को ‘पूर्व केन्द्रीय मंत्री को श्रद्धांजलि दी’’ शीर्षक से एक खबर प्रकाशित हुई. इसमें राजस्थान के जीते-जागते विधायक व मंत्री को भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं द्वारा श्रद्धांजलि दी जाने संबंधी खबर प्रकाशित कर दी गई. गौरतलब है कि बुधवार को दिल्ली में अजमेर सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांवर लाल जाट का निधन हो गया. इसकी खबरें सभी टीवी न्यूज चैनल्स पर पूरे दिन चलीं और सभी अखबारों में फ्रंट पेज पर भी छपीं.
पत्रिका, मंदसौर आफिस में कार्यरत मुरली मनोहर शर्मा की अमानवीय और घटिया हरकत
Shri Maan ji, mei Mandsaur Patrika me circulation back office or account ka work dekhta thha. 25.01.2016 Ko muje Murli Manohar Sharma davra cabin me Bulaya Gaya. Khaa Gaya ki kal se aap Ko nokari par nahi aana he. Mene uska reson puchha to bole koi reson nahi hei. Mene Khaa thik hei, mujhe letter de do aap to me kal se office nahi ayunga. Lekin letter Dene se bhi Mana kar diya.
भूरिया ने ऐसे अखबार के पक्ष में संसद में आवाज उठाई जिसे कर्मचारी शोषण में गोल्ड मेडल मिलना चाहिए
आदरणीय भूरिया जी,
नमस्कार,
सुबह-सुबह राजस्थान पत्रिका के प्रथम पेज पर आपकी मीडिया के दमन को लेकर चिंता के विषय में पढ़ा। अच्छा लगा। मीडिया के अधिकारों की बात होनी चाहिए। पुरजोर तरीके से मीडिया की दबती आवाज, अभिव्यक्ति, आजादी आदि-आदि के लिए लड़ना चाहिए। पर, आश्चर्यजनक तो यह है कि आप संपूर्ण मीडिया के लिए लड़े नहीं। एक विशेष अखबार की आपको चिंता हुई। कोई विशेष कारण। आखिर क्या मजबूरी थी? आपने कहा, अखबार के विज्ञापन रोकना लोकतंत्र विरोधी है। यह बात हजम नहीं हुई।
पत्रिका के उज्जैन संस्करण की हालत खराब, कर्मी दुखी, कइयों ने दिया इस्तीफा
राजस्थान पत्रिका के उज्जैन संस्करण के इन दिनों हालात खराब चल रहे हैं। यहां डेस्क पर काम करने वाले लोगों की संख्या कम होती जा रही है। लगता है प्रबंधन को इस बड़े संस्करण की फिक्र ही नहीं है। पिछले दिनों अवकाश ना मिलने के कारण परिवार को समय नहीं दे पा रहे डेस्क के राकेश बैंडवाल और सूरजभान चंदेल ने अखबार को टाटा कह दिया। वहीं आईटी विभाग के शम्मी जोशी भी इंदौर के आईटी हेड महेंद्र खींची के व्यवहार के कारण अखबार छोड़ गए। जोनल एडिटर के एक आदेश के बाद संपादकीय कार्य बखूबी अंजाम देने वाले महेश बागवान को आईटी का काम सौंप दिया गया जो किसी को हजम नहीं हो रहा।
मजीठिया वेज बोर्ड न देने के लिए अपने कर्मियों को प्लेसमेंट एजेंसी के हवाले कर रहा राजस्थान पत्रिका प्रबंधन!
वाचमैनों की तरह घूम घूम कर नौकरी करेंगे पत्रकार…. मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन, भत्ते और सुविधाएं न देना पड़े इसके लिए अखबार मालिक इस हद तक जा रहे हैं कि अपने ही कर्मचारियों को प्लेसमेंट एजेंसी के हवाले कर दे रहे हैं और ये कर्मचारी बेचारे बिलकुल एक गुलाम की तरह हंटर के खौफ से प्लेसमेंट एजेंसी में काम करने को मजबूर हैं। इस तरह का मामला सामने आया है देश के एक बड़े समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में।
क्या पत्रिका का प्रसार बहुत तेजी से गिर रहा है? देखें ये अंदर के आंकड़े
पत्रिका ग्रुप के ये खुफिया दस्तावेज वहीं के कुछ साथियों ने भड़ास को भेजा है. नीचे दोनों दस्तावेज प्रकाशित किए जा रहे हैं. इन इंटर आफिस कम्युनिकेशन से पता चलता है कि पत्रिका अखबार का प्रसार ज्यादातर जगहों पर गिर रहा है…
आखिरकार पत्रिका प्रबंधन ने दिया कर्मचारी का रोका वेतन
पत्रिका प्रबंधन को एक कर्मचारी ने आखिरकार झुकाते हुए अपनी शेष वेतन राशि ले ली। दरअसल टीएडीए व वीक आफ का पैसा मांगने पर छग के सूरजपुर जिले के रिपोर्टर रक्षेन्द्र प्रताप सिंह को छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय संपादक ने समाचार भेजने से मना कर दिया। इससे क्षुब्ध होकर कर्मचारी ने रिजाइन कर अपनी सैलरी व वीक आफ के पैसे मांगे।
अजमेर में भास्कर और पत्रिका ने दाम बढ़ाया तो अखबार वितरकों ने शुरू किया बहिष्कार, नवज्योति की बल्ले बल्ले
अजमेर में दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका ने एक राय होकर विगत 22 फरवरी को अचानक अखबार की कीमत 4.50 रुपए प्रति कॉपी कर दी। उस दिन तो हॉकर ने अखबार उठा लिया लेकिन अगले दिन उन्होंने बढ़ी कीमत वापस लेने की मांग करते हुए अखबार उठाने से मना कर दिया। उस दिन से वे लगातार दोनों अखबारों का बहिष्कार कर रहे हैं। इससे अखबार प्रबंधन में हड़कम्प मचा हुआ है।
पत्रिका ने अपने कर्मी को बर्खास्त किया तो कर्मी ने नोटिस भिजवाया और लेबर आफिस में शिकायत दर्ज कराई
राजस्थान पत्रिका समूह के अखबार पत्रिका के ग्वालियर संस्करण के सरकुलेशन डिपार्टमेंट में कार्यरत शैलेंद्र सिंह को प्रबंधन ने बिना किसी पूर्व सूचना के संस्थान से टर्मिनेट कर दिया. इससे दुखी महेंद्र ने प्रबंधन को वकील के माध्यम से लीगल नोटिस भिजवाया है और लेबर आफिस में शिकायत दर्ज कराई है. इस प्रकरण से संबंधित सभी दस्तावेज नीचे दिए जा रहे हैं…
पिता की तेरहवीं में छुट्टी लेकर गए फोटो जर्नलिस्ट की चार दिन की तनख्वाह काट ली
राजस्थान पत्रिका समूह में उत्पीड़न और प्रताड़ना की ढेर सारी कहानियां सामने आती रही हैं. एक ताजे घटनाक्रम के मुताबिक पत्रिका ग्वालियर के फोटो जर्नलिस्ट शशि भूषण पाण्डेय अपने पिता की तरेहवीं में हिस्सा लेने के लिए अवकाश पर गए थे. जब वे लौटकर आए तो पता चला उनका अवकाश मंजूर नहीं किया गया है और उनके वेतन से चार दिन की सेलरी काट ली गई है. इससे आहत पांडेय ने प्रबंधन को पत्र लिखकर न्याय करने की गुहार की है.
पत्रिका समूह, प्रधान संपादक, खुला खत, 22 दिसंबर की लंबी रात और कोहिनूर कंडोम!
माननीय प्रधान संपादक,
पत्रिका समूह
दिनांक 22 दिसंबर 2015 को आपके अखबार के पेज 7 पर कोहिनूर कॉन्डोम के विज्ञापन जिसकी हैडिंग ’22 दिसम्बर है साल की सबसे लम्बी रात, इसे दें कुछ एकस्ट्रा टाईम’ तथा सब हैडिंग ‘इस रात की सुबह नहीं’ सहित एक युगल का फोटो भी है…. देखा और पढ़ा। एक बार तो सोचा उसी समय आपको यह पत्र लिखूं, लेकिन फिर सोचा 22 दिसंबर के बाद लिखूं, जिससे आपकी और आपके जैसी सोच वालों की रात खराब ना हो! बहुत ही शर्मनाक बात है कि आए दिन आप अपनी लेखनी द्वारा ज्ञान झाड़ते रहते हैं, कई बार व्याख्यानों में भी ज्ञान ढोल आते हैं और अपने अखबार में क्या छप रहा है, उसका पता ही नहीं।
आईपीएस सिकेरा से पत्रिका के संपादक महेंद्र ने माफीनामा छापने का वादा किया (सुनें टेप)
भास्कर के बाद अब पत्रिका वालों ने की बदमाशी, आईपीएस नवनीत सिकेरा के बारे में सरासर झूठी खबर छाप दी
भास्कर वालों ने पाकिस्तानी झंडा फहराए जाने की झूठी खबर छापकर अपनी थू थू सोशल मीडिया पर कराई तो इस काम में भला राजस्थान पत्रिका क्यों पीछे रहता. पत्रिका वालों के यूपी के पत्रकारों ने आईपीएस नवनीत सिकेरा के बारे में बिलकुल उलटी खबर छाप दी है. खुद नवनीत सिकेरा ने सोशल मीडिया पर इस झूठ का पर्दाफाश कर अपना पक्ष रखा है. इसके बाद लोग सिकेरा की पोस्ट को शेयर लाइक कर पत्रिका वालों को इस किस्म का सरासर झूठ छापने के लिए लानत भेज रहे हैं. पहले पढ़िए सिकेरा ने क्या लिखा है और उनके बार में पत्रिका में खबर क्या छपी है….
टीए डीए और वीकली आफ मांगने पर नौकरी से निकाला, मीडियाकर्मी पहुंचा श्रम विभाग, पढ़ें शिकायती पत्र
प्रति,
जिला श्रम पदाधिकारी
जिला – सूरजपुर (छत्तीसगढ़)
विषय- उचित कार्यवाही हेतु,
आवेदक – रक्षेन्द्र प्रताप सिंह
ग्राम पोस्ट बड़सरा
जिला सूरजपुर (छग)
विरुद्ध
फोर्ट फोलियोज प्रायवेट लिमिटेड
रजिस्टर्ड ऑफिस: 217, लक्ष्मी काम्पलेक्स, एमआई रोड, जयपुर-302001 राजस्थान
2. क्षेत्रीय संपादक, दैनिक पत्रिका कार्यालय
मंगल भवन, लिंक रोड बिलासपुर
महोदय,
आवेदक निम्नांकित कथन करता है –
पत्रिका अखबार के गरिष्ठ, वरिष्ठ और कनिष्ठ संपादकों को 22 दिसंबर की कोहिनूर कंडोम वाली लंबी रात के अनुभव पर लिखना चाहिए!
कंडोम का विज्ञापन तो ठीक है लेकिन क्या इसे अब ऐसे बेचा जाएगा? और, क्या इसे ऐसे बेचने के प्रयास को अखबार वाले यूं ही सफल हो जाने देंगे? माना कि गंदा है पर धंधा है, लेकिन कितना गंदा है, क्या बताएगा या तू पूरा अंधा है? पत्रिका अखबार में यह विज्ञापन छपा है कोहिनूर कंडोम का. देख लीजिए.
आरके मार्बल्स व वंडर सीमेंट के यहां छापेमारी की खबर को खा गया राजस्थान पत्रिका अखबार!
राजस्थान का सबसे बड़ा मीडिया समूह होने का दावा करने वाला अखबार राजस्थान पत्रिका प्रदेश की सबसे बड़ी खबर को खा गया. खान विभाग घूस कांड के क्रम में दो कंपनियों पर छापे की न्यूज को राजस्थान पत्रिका ने नहीं छापा. राजस्थान खान विभाग घूस काण्ड के बाद से ही आरके मार्बल्स और सहयोगी कंपनी वंडर सीमेंट जांच के घेरे में हैं. इसी क्रम में आयकर विभाग ने समूह के सियासी रसूख को देखते हुए केंद्रीय रिज़र्व पुलिस के 80 हथियार बंद जवानों के साथ गुप्त तरीके से एक साथ 4 राज्यों के 29 ठिकानों पर छापे मारे. इस छापेमारी के दौरान 7000 करोड़ की सम्पति दस्तावेज और 250 करोड़ नकद बरामद की.
देश को गुलाब कोठारी जैसे मनुवादियों से आज़ाद होना पड़ेगा
एक लेख दैनिक पत्रिका दिनांक 30 अगस्त 2015 को प्रकाशित लेख ‘’आरक्षण से अब आज़ाद हो देश’’ जिसके लेखक है श्री गुलाब कोठारी की प्रतिक्रिया में लिखी गई है। ग़ौरतलब है की यह लेख पत्रिका की जैकेट स्टोरी (मुख्य पेपर के मुख्य पत्र पर) के रूप में प्रकाशित हुआ था। इस लेख को प्रारंभ करने के पहले बता दू की श्री गुलाब कोठारी एक व्यवसायी है वे पत्रिका (पूर्व में इसका नाम राजस्थान पत्रिका था) के मालिक एवं प्रधान संपादक है। वे जैन धर्म से ताल्लुख रखते है इस लिहाज से वे अल्पसंख्यक की श्रेणी में आते है।
राजस्थान पत्रिका लखनऊ के संपादक बने महेंद्र सिंह
राजस्थान पत्रिका रायपुर (छत्तीसगढ़) के संपादक महेंद्र प्रताप सिंह का तबादला यूपी में हो गया है। उनको लखनऊ का संपादक बनाया गया है।
भास्कर छोड़ पत्रिका गए संतोष पांडेय
पानीपत : यहां भास्कर में कार्यरत संतोष पांडेय ने अखबार छोड़ दिया है। अब वह राजस्थान पत्रिका, जयपुर के साथ अपना आगे का कार्यकाल शुरू करने जा रहे हैं। वह इससे पूर्व सतना, वाराणसी, देहरादून, लखनऊ में मीडिया के साथ जुड़े रहे हैं।
राजस्थान पत्रिका के रिपोर्टर ने चारागाह की जमीन को पत्नी के नाम आवंटित करा लिया
अजमेर (राजस्थान) : जिले के सावर क्षेत्र में राजस्थान पत्रिका के रिपोर्टर सत्यनारायण कहार पर लाखों रूपयों की बेशकीमती चारागाह भूमि को अपने नाम आवंटित करवाने का आरोप लगा है। सत्यनारायण पूर्व में ग्राम पंचायत सदारा का उपसरपंच रह चुका है। तब भी यह पत्रिका का ही रिपोर्टर था।
गुलाब कोठारी का विरोध करने की सजा, राहुल शर्मा समेत कइयों का दूरदराज तबादला
राजस्थान पत्रिका के मालिक गुलाब कोठारी के खिलाफ उदयपुर में मजीठिया को लेकर विरोध-प्रदर्शन करने वाले पत्रकारों पर आखिर पत्रिका मैनेजमेंट ने गाज गिरा ही दी। पत्रिका मैनेजमेंट ने उदयपुर राजस्थान पत्रिका के डेस्क इंचार्ज राहुल शर्मा का तबादला कोयमबटूर कर दिया है। उनके अलावा विकास बाकोलिया सहित दो पत्रकारों को चार्जशीट दी गई है। कुल मिलाकर इनको भी देर-सवेर रवाना कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि हाल ही में पत्रिका के मालिक गुलाब कोठारी उदयपुर के एक विवि में आए थे। यहां उनका सम्मान समारोह था। इसी दौरान उदयपुर पत्रिका के कुछ पत्रकारों ने कोठारी के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन किया।
अजमेर ‘पत्रिका’ में अहंकारी संपादक का आतंक, दुखद रवैये से स्टॉफ परेशान
राजस्थान पत्रिका अजमेर में जब से उपेंद्र शर्मा को संपादक बनाया गया है, स्टाफ पर मुसीबत टूट पड़ी है। जूनियर रिपोर्टर से सीधे संपादक की कुर्सी पर बैठे उपेंद्र शर्मा किसी को कुछ नहीं समझ रहे। उनसे पहले यहां ज्ञानेश उपाध्याय जैसे धीर-गंभीर और विद्वान संपादक थे। उपाध्याय ने अपने छोटे से कार्यकाल में सभी को मान-सम्मान दिया। लेकिन उपेंद्र शर्मा तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं।
गोविंद ठाकरे जबलपुर पात्रिका के संपादक बने
रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पत्रिका में कार्यरत सिटी चीफ गोविंद ठाकरे को जबलपुर पत्रिका का स्थानीय संपादक नियुक्त किया गया है। वे पत्रिका में पिछले पांच सालों से कार्यरत हैं।
पत्रिका के पत्रकारों के साथ और अधिक कठोर हुए गुलाब कोठारी
राजस्थान पत्रिका के मालिक गुलाब कोठारी का रवैया अपने ही स्टॉफ के प्रति दिनोदिन और अधिक कठोर होता जा रहा है। अपने खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अवमानना के छह मामलों का सामना करने के बावजूद उनके रुख में मामूली सा भी बदलाव आने की बजाए मजीठिया मामले पर अवाज उठाने वालों के साथ उनकी सख्ती बढ़ती …
राजस्थान पत्रिका के भ्रामक और भड़काऊ संपादकीय के खिलाफ सामाजिक संगठन HRD ने की पुलिस में रिपोर्ट
जयपुर। राजस्थान पत्रिका के 30 मर्इ, 2015 के जयपुर संस्करण के सम्पादकीय में आरक्षण के बारे में भ्रामक और भड़ाकाने वाला सम्पादकीय लिखकर प्रकाशित करने पर हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रूपचन्द मीणा के साथ पुलिस थाना मोती डूंगरी, जयपुर में उपस्थित होकर लिखित रिपोर्ट पेश की है और राजस्थान पत्रिका के विरुद्ध आपराधिक और देशद्रोह का अभियोजन चलाने एवं राजस्थान पत्रिका के प्रकाशन पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है।
पत्रिका के संपादकों और मैनेजरों में मजीठिया के लिए केस करने वालों को तोड़ने की होड़
खबर है कि राजस्थान पत्रिका उदयपुर के मैनेजर नायर ने मजीठिया वेज बोर्ड के लिए केस करने वाले पांच कर्मचारियो को तोड़ लिया है. अखबार मालिक निहार कोठारी अपने सभी मैनेजरों और संपादकों पर दबाव डाले हुए हैं कि वे मजीठिया के लिए केस करने वाले कर्मियों को किसी तरह समझाएं और पटाएं. संपादकीय प्रभारी राजेश कसेरा पर भी यही दबाव है. सूत्रों के मुताबिक कसेरा को तीन बार मुख्यालय बुलाकर मजीठिया की मांग करने वालों को अपने पाले में करने के लिए दबाव बनाया गया.
विलासपुर से वरुण के बारे में सूचना
खबर विलासपुर पत्रिका से है। यहां रायपुर पत्रिका के सिटी प्रमुख वरुण श्रीवास्तव को स्थानीय संपादक बनाया गया है।
खंडवा में पत्रिका के खिलाफ एकजुट पत्रकारों के संघर्ष का बिगुल बजा, सीएम के नाम एसडीएम को ज्ञापन
खंडवा में मई दिवस पर एसडीएम को मजीठिया वेतनमान से संबंधित ज्ञापन देते पत्रकार
खंडवा : पत्रिका अखबार के जो कर्ता-धर्ता अपने आप को जनता का तथाकथित हितैषी बताकर नई-नई मुहिम चलवाते हैं और मुद्दे उठवाते हैं उसकी सच्चाई आप भी जान लीजिए। पत्रकारों के हक में लागू मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक प्रमुख समाचारपत्रों को एक निर्धारित राशि से वेतनमान देने के आदेश दिए गए हैं। इसके खिलाफ पत्रिका सहित कुछ अखबार वाले कोर्ट गए। बाद में कोर्ट ने पत्रकारों के हक में फैसला दे दिया। फिर क्या था। पत्रिका अखबार ने अपनी मनमानी शुरू कर दी। पत्रकारों से एक फॉर्मेट पर साइन करवाए गए कि हमें मजीठिया के मुताबिक सैलरी नहीं चाहिए। जिन पत्रकारों ने फॉर्मेट पर हस्ताक्षर कर दिए, उन्हें तो बख्श दिया बाकी को एन-केन-प्रकारेण प्रताड़ित कर बाहर करने की साजिशें रची गईं। यहां-वहां ट्रांसफर किए गए।
मजीठिया वेतनमान : भास्कर और राजस्थान पत्रिका ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए झूठे जवाब
दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में देश भर के पत्रकारों के भविष्य से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड के मामले महत्वपूर्ण सुनवाई की तिथि अब चार-पांच दिन दूर है। इसके साथ ही मीडिया मालिकों ने पेशबंदी तेज कर दी है। पत्रकारों का हक मारने के लिए वे कानूनी स्तर पर तरह तरह की कागजी फरेब में लगे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक गत दिनो सुप्रीम कोर्ट में दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका ने अपने झूठे जवाब दाखिल करते हुए अदालत को बताया है कि उन्होंने अप्रैल 2014 से अपने यहां मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू कर दी हैं। उन्होंने यह भी सफेद झूठ बयान किया है कि मजीठिया की धारा 20-जी के अनुसार उनके संस्थान के सभी मीडिया कर्मियों ने प्रबंधन को लिख कर दे दिया है कि वे पुराने वेतनमान से संतुष्ट हैं। इसके पीछे मंशा ये साबित करने की है कि जो मीडिया कर्मी कोर्ट नहीं गए हैं, उन्हें मजीठिया वेतनमान नहीं मिलेगा। बाकी कर्मचारियों का काम प्रबंधकीय प्रकृति का है, इसलिए वे मजीठिया वेतनमान के हकदार नहीं हैं।
पत्रिका वाले कोठारी बाप-बेटा का कारनामा : हक के लिए कोर्ट जाने पर रामकुमार सिंह और राकेश वर्मा को निकाला
राजस्थान पत्रिका समूह से खबर है कि इस अखबार के मालिक पिता पुत्र इन दिनों पूरी तरह क्रूर हो चुके हैं. मजीठिया वेज बोर्ड के पैमाने पर सेलरी देने की मांग को लेकर जो-जो भी पत्रकार या गैर-पत्रकार सुप्रीम कोर्ट या किसी अन्य कोर्ट / उपक्रम में गए हैं, उन्हें बिना किसी नियम कानून की परवाह किए हुए संस्थान से बाहर निकाले जाने की कार्रवाई हो रही है.
पत्रिका में 12 का टर्मिनेशन और 40 का आउट ऑफ स्टेट ट्रांसफर
: सुब्रत राय की तरह पत्रिका के कोठारीज को भी भेजा जाए जेल : पत्रकारों के लिए मजीठिया की लड़ाई स्वतंत्रता संग्राम की तरह हो गई है। जिस तरह अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने वालों का दमन कर दिया जाता है, वैसे ही राजस्थान पत्रिका मैनेजमेंट के खिलाफ कोर्ट में जाने वालों के खिलाफ पत्रिका ने दमनकारी नीति शुरू कर दी है। 28 अप्रैल से पहले पत्रिका ने मजीठिया आंदोलन को पुरजोर तरीके से दबाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। मजीठिया आंदोलन लीड कर रहे पत्रकारों को पत्रिका प्रशासन ने रातों-रात टर्मिनेट करना शुरू कर दिया ताकि आंदोलन की कमर तोड़ सके।
मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई, भविष्य की रणनीति और लड़ने का आखिरी मौका… (देखें वीडियो)
Yashwant Singh : सुप्रीम कोर्ट से अभी लौटा हूं. जीवन में पहली दफे सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाने का मौका मिला. गेट पर वकील के मुहर लगा फार्म भरना पड़ा जिसमें अपना परिचय, केस नंबर आदि लिखने के बाद अपने फोटो आईडी की फोटोकापी को नत्थीकर रिसेप्शन पर दिया.
दिल्ली से हिंदी की मासिक पत्रिका ‘द्वंद्व’ का प्रथम संस्करण लांच
दिल्ली : यहां से विगत पंद्रह मार्च को लांच हुई हिंदी की सुपठनीय मासिक पत्रिका ‘द्वंद्व’ का प्रथम संस्करण बाजार में आ चुका है। पत्रिका की सीएमडी हैं सुजाता सिंह और दस वर्षों तक न्यूज चैनल में काम कर चुके दिनेश कुमार इसके संपादक हैं।
हिंदी की मासिक पत्रिका ‘द्वंद्व’ के प्रथम संस्करण का मुखपृष्ठ
मजीठिया वेज बोर्ड संघर्ष : पत्रिका और भास्कर ने उत्पीड़न तेज किया, बर्खास्तगी और इस्तीफे का दौर
हिंदी पट्टी के दो बड़े अखबारों राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर से खबर है कि यहां मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी मांगने वालों का प्रबंधन ने उत्पीड़न तेज कर दिया है. भास्कर प्रबंधन तो बौखलाहट में ऐसे ऐसे कदम उठा रहा है जिसे देख सुनकर सभी लोग दांतो तले उंगलियां दबा रहे हैं. पत्रिका प्रबंधन ने मजीठिया मांगने वाले एक मीडियाकर्मी को बर्खास्त कर दिया है. उन्हें जो पत्र भेजा गया है उसमें लिखा गया है कि– ”आपको कंपनी के क्लाज 3 के अनुसार तीन महीने का एडवांस नोटिस व एडवांस वेतन देकर सेवा से मुक्त किया जाता है. आपकी सेवाओं की अब कंपनी को जरूरत नहीं है. आप 27 फरवरी से खुद को सेवा से मुक्त समझें.”
राजस्थान पत्रिका में मजीठिया वेज बोर्ड के साइड इफेक्ट : डीए सालाना कर दिया, सेलरी स्लिप देना बंद
कोठारी साहब जी, मन तो करता है पूरे परिवार को लेकर केसरगढ़ के सामने आकर आत्महत्या कर लूं
जब से मजीठिया वेज बोर्ड ने कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाने का कहा व सुप्रीम कोर्ट ने उस पर मोहर लगा दी तब से मीडिया में कार्य रहे कर्मचारियों की मुश्किलें बढ रही हैं. इसी कड़ी में राजस्थान पत्रिका की बात बताता हूं। पहले हर तीन माह में डीए के प्वाइंट जोड़ता था लेकिन लगभग दो तीन वर्षों से इसे सालाना कर दिया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए तनख्वा बढ़ी तो जहां 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी थी तो मजीठिया लगने के बाद कर्मचारियों की तनख्वाह में मात्र 1000 रुपए का ही फर्क आया। किसी किसी के 200 से 300 रुपये की बढ़ोतरी।
राजस्थान पत्रिका के दस मीडियाकर्मियों ने सभी निदेशकों को भेजा लीगल नोटिस
राजस्थान पत्रिका से खबर है कि यहां के दस मीडियाकर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से संपर्क साधकर मालिकों को लीगल नोटिस भिजवाया है. लीगल नोटिस भिजवाने की पहल की है राजस्थान पत्रिका, उदयपुर के ललित जैन ने. ललित जैन 13 वर्षों से पत्रिका में जूनियर मेंटनेंस आफिसर के पद पर कार्यरत हैं. जैन के नेतृत्व में दस मीडियाकर्मियों ने पत्रिका जो लीगल नोटिस भिजवाया, उसे पत्रिका समूह मुख्यालय की तरफ से रिसीव भी कर लिया गया है.
पत्रिका ग्रुप ने अपने कई पत्रकारों को सम्मानित किया
जयपुर। प्रतिवर्ष होने वाली पंडित झाबरमल्ल स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन रविवार सुबह 10.30 बजे राजस्थान पत्रिका के के सरगढ़ कार्यालय में किया गया। इस अवसर पर पत्रिका की ओर से सृजनात्मक साहित्य व पत्रकारिता पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर पत्रिका समूह के प्रधान संपाधक गुलाब कोठारी ने लोकतंत्र में मीडिया के घटते प्रभाव पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल चुनावों के समय मीडिया को सिर-आंखों पर चढ़ा लेते हैं लेकिन इसके बाद वह उन्हें बोझ लगने लगता है। जनता के लिए बना लोकतंत्र अब सरकार के लिए हो गया है। सरकारें मीडिया को दबंगई दिखाने लगी हैं।
राजस्थान पत्रिका के इंप्लाई रहे सुमित ने मालिकों-संपादकों को पत्र लिखकर मजीठिया वेजबोर्ड के हिसाब से भुगतान मांगा
नैतिकता और नीतियों की दुहाई दे देकर खुद का घर भरने वाले अखबारों के मालिकों की चमड़ी इतनी मोटी हो गई है कि इन्हें अब किसी से भय नहीं लगता. राजनीति, नौकरशाही और न्यायपालिका को अपनी मुट्ठी में कर चुके ये लोग अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं. पर इनकी अकूत ताकत से हार न मानते हुए कुछ ऐसे वीर सामने आ जाते हैं जो इन्हें खुली चुनौती दे डालते हैं. ऐसे ही एक वीर का नाम सुमित कुमार शर्मा (मोबाइल- 07568886000) है.
पत्रिका के कार्यक्रम ‘हमराह’ को लेकर नवज्योति के मालिक दीनबंधु चौधरी का इगो टकरा गया!
राजस्थान पत्रिका और दैनिक नवज्योति की लड़ाई इतवार 14 दिसंबर की सुबह अजमेर की सड़कों पर नजर आई। पत्रिका का कार्यक्रम और नवज्योति के मालिक दीनबंधु चौधरी का इगो टकरा गया। पत्रिका ने पिछले कुछ दिनों से एक कार्यक्रम शुरू किया है, ‘हमराह’, इसके लिए इतवार की एक सुबह के लिए एक ऐसी सड़क का कुछ मीटर हिस्सा तय किया जाता है जहां दो घंटे सुबह 7 से 9 बजे तक शहर के लोग आकर बेलौस अंदाज में अपनी गतिविधियों, प्रतिभाओं का प्रदर्शन कर सकें।
पत्रिका में उठापटक का दौर : ज्ञानेश उपाध्याय, उपेंद्र शर्मा, संतोष खाचरियवास, अमित वाजपेयी के बारे में सूचनाएं
राजस्थान पत्रिका में इन दिनों जोरदार उठापटक का दौर है। दौलत सिंह चौहान को पत्रिका जयपुर का संपादक बनाए जाने के ठीक पहले के ये हालात हैं। करीब आठ महीने पहले ही अजमेर के स्थानीय संपादक बनकर आए बिहार मूल के ज्ञानेश उपाध्याय यहां अपने पैर जमा भी नहीं पाए थे कि उन्हें जोधपुर का स्थानीय संपादक बनाकर भेज दिया गया। उनकी जगह जयपुर से भीलवाड़ा मूल के उपेन्द्र शर्मा को अजमेर का स्थानीय संपादक बनाया गया है।
पत्रिका समूह में तबादलों की बयार, कई संपादक इधर उधर हुए
खबर है कि राजस्थान पत्रिका ने कई संपादकों को इधर उधर किया है. तबादले के दायरे में आए कुछ संपादकों को छह से नौ महीने पहले ही तैनात किया गया था. आखिर इतने कम महीनों में ही क्यों हटाना पड़ा है, यह सवाल चर्चा में है. नौ महीने पहले लगाए गए कोटा में अमित वाजपेयी, जोधपुर में राजेश नैन, उदयपुर में रमेश शर्मा को हटा दिया गया है. अमित वाजपेयी और राजेश नैन को जयपुर मुख्यालय में तलब किया गया है.
राजस्थान पत्रिका, जोधपुर में भ्रष्टाचार और जातिवाद चरम पर, गुलाब और नीहार कोठारी को भेजा गया गोपनीय पत्र
यशवंत जी, यह पत्र दो सप्ताह पहले राजस्थान पत्रिका के प्रमुख गुलाब कोठारी और नीहार कोठोरी को भेजा गया था… इस आशा के साथ कि यह पत्र मिलने के बाद कोई ठोस कार्यवाही होगी… लेकिन जैसे खबरें दबाई जाती हैं, वैसे ही इस पत्र को दबा दिया गया… आखिर में यह पत्र आपको भेजा जा रहा है… व्हिसल ब्लोअर का नाम उजागर नहीं करना पत्रकारिता का धर्म है और बात रही सत्यता की एक भी बात असत्य नहीं है… हर कर्मचारी पीड़ित है…
राजस्थान पत्रिका ने दीपावली पर गिफ्ट नहीं दिया कर्मचारियों को, बोनस में हजार रुपये कटौती
जयपुर से खबर है कि राजस्थान पत्रिका ने इस बार दीपावली लक्ष्मी पूजन के बाद अपने अखबार के कर्मचारियों को कोई गिफ्ट नहीं दिया. इस कारण से सभी कर्मचारियों को निराश होकर लौटना पड़ा. दरअसल पत्रिका समूह अपने कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों में से लगातार कटौती कर रहा है. पिछले कई दिनों का सीसीएल काफी महीनों बाद जमा करवाया गया.
पत्रिका, इंदौर में उठापटक जारी
पत्रिका इंदौर का संपादक विजय चौधरी को बनाने के बाद उठापटक जारी है. ताजी सूचना है कि सतना से शिशिर मिश्र को बुलाया गया है. इन्हें सिटी में दो सीनियर रिपोर्टर के ऊपर बैठा दिया गया है. संपादक के रूप में विजय चौधरी के आते ही पहले 3 महीने में 6 रिपोर्टर पत्रिका छोड़ चुके हैं.