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गूंगी आकाशवाणी से प्रशिक्षुओं में निराशा

आकाशवाणी की संवादहीनता के रवैये से प्रशिक्षु पत्रकारों में काफ़ी निराशा है। नाराज प्रशिक्षुओं ने कहा है कि इसकी शिकायत सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से कर दी गयी है और अब तक की पूरी सिलसिलेवार जानकारी उन तक पहुंचा दी गयी है। प्रशिक्षुओं का आरोप है कि प्रसार भारती के आदेश के बावजूद भी आकाशवाणी उनको इंटर्नशिप के लिए अपने यहां नियुक्ति नहीं दे रहा है जबकि उनके ही साथ के अन्य प्रशिक्षु जिन्हें प्रसार भारती ने दूरदर्शन के लिये चयनित किया था उनकी नियुक्ति हो गयी है और उनको पारिश्रमिक भी मिलना शुरू हो गया है जबकि आकाशवाणी अपनी निरंकुशता के कारण अब तक नियुक्ति नहीं दे सका है। बल्कि उल्टे संवादहीनता की स्थिति को कायम कर मामले को छिपाने की साज़िश रच रहा है। उन्होने कहा कि इसकी शिकायत सम्बन्धित मंत्रालय से कर दी गयी है।

<p>आकाशवाणी की संवादहीनता के रवैये से प्रशिक्षु पत्रकारों में काफ़ी निराशा है। नाराज प्रशिक्षुओं ने कहा है कि इसकी शिकायत सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से कर दी गयी है और अब तक की पूरी सिलसिलेवार जानकारी उन तक पहुंचा दी गयी है। प्रशिक्षुओं का आरोप है कि प्रसार भारती के आदेश के बावजूद भी आकाशवाणी उनको इंटर्नशिप के लिए अपने यहां नियुक्ति नहीं दे रहा है जबकि उनके ही साथ के अन्य प्रशिक्षु जिन्हें प्रसार भारती ने दूरदर्शन के लिये चयनित किया था उनकी नियुक्ति हो गयी है और उनको पारिश्रमिक भी मिलना शुरू हो गया है जबकि आकाशवाणी अपनी निरंकुशता के कारण अब तक नियुक्ति नहीं दे सका है। बल्कि उल्टे संवादहीनता की स्थिति को कायम कर मामले को छिपाने की साज़िश रच रहा है। उन्होने कहा कि इसकी शिकायत सम्बन्धित मंत्रालय से कर दी गयी है।</p>

आकाशवाणी की संवादहीनता के रवैये से प्रशिक्षु पत्रकारों में काफ़ी निराशा है। नाराज प्रशिक्षुओं ने कहा है कि इसकी शिकायत सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से कर दी गयी है और अब तक की पूरी सिलसिलेवार जानकारी उन तक पहुंचा दी गयी है। प्रशिक्षुओं का आरोप है कि प्रसार भारती के आदेश के बावजूद भी आकाशवाणी उनको इंटर्नशिप के लिए अपने यहां नियुक्ति नहीं दे रहा है जबकि उनके ही साथ के अन्य प्रशिक्षु जिन्हें प्रसार भारती ने दूरदर्शन के लिये चयनित किया था उनकी नियुक्ति हो गयी है और उनको पारिश्रमिक भी मिलना शुरू हो गया है जबकि आकाशवाणी अपनी निरंकुशता के कारण अब तक नियुक्ति नहीं दे सका है। बल्कि उल्टे संवादहीनता की स्थिति को कायम कर मामले को छिपाने की साज़िश रच रहा है। उन्होने कहा कि इसकी शिकायत सम्बन्धित मंत्रालय से कर दी गयी है।

ज्ञात हो कि भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) नई दिल्ली के कुछ प्रशिक्षुओं का साक्षात्कार प्रसार भारती द्वारा दिनांक 10 जून, 2015 को दूरदर्शन भवन कॉपरनिकस मार्ग के टॉवर-अ के कक्ष संख्या 517 में दीपा चन्द्रा के नेतृत्व में आयोजित किया गया था। उस साक्षात्कार के बाद निर्धारित उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं को दूरदर्शन व आकाशवाणी में इंटर्नशिप के लिए नियोजित करने का निर्णय दिनांक 29 जून, 2015 को लिया गया। यद्यपि दूरदर्शन के लिए चयनित छात्रों की नियुक्ति तो हो चुकी है, किन्तु आकाशवाणी के लिए चयनित हुये प्रशिक्षुओं की नियुक्ति आकाशवाणी की भारी अनियमितता के कारण उक्त तिथि से अभी तक नहीं की गयी है। हालांकि डीजी(आकाशवाणी) प्रशिक्षुओं से दिनांक 02 जुलाई, 2015 को एक औपचारिक मुलाक़ात भी कर चुके हैं जबकि ऐसा कोई क़दम दूरदर्शन की ओर से आवश्यक नहीं माना गया है। आकाशवाणी की ओर से जटिल संवादहीनता की स्थिति बनाई गयी है। साथ ही किसी भी तरह की सूचना अथवा देरी का कारण भी प्रशिक्षुओं को नहीं पता चल पा रहा है।

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इन प्रशिक्षुओं का आरोप है कि पूरी ढीला-हवाली आकाशवाणी के निदेशक की है। निराश प्रशिक्षु अमित कुमार सिंह और अतिया फ़िरदौस ने बताया कि आईआईएमसी के विशेष कार्याधिकारी अनुराग मिश्र से लेकर आकाशवाणी का कोई भी अधिकारी उनसे बात करने के लिए तैयार नहीं है। हम फ़ोन करते हैं तो विभाग-दर-विभाग कर्मचारी एक-दूसरे का फ़ोन नम्बर देकर हमें घनचक्कर बना रहे हैं। हालांकि आकाशवाणी के प्रोडक्शन की विशेष कार्याधिकारी बसुधा बनर्जी को ये प्रशिक्षु पूरे मामले में बेबस पाते हैं। इस पूरे मामले में सभी प्रशिक्षु काफ़ी निराश हो चुके हैं। बेरोजगारी में आकाशवाणी के चक्कर काट-काट कर और फोन से इनकी हालत ख़राब हो चुकी है। बताते चलें कि आईआईएमसी में शीघ्र ही दीक्षांत समारोह सम्पन होने वाला है और बिना कहीं इंटर्नशिप किये इन प्रशिक्षुओं को डिप्लोमा भी नहीं मिल पायेगा।

भड़ास के पास आए एक पत्र पर आधारित.

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