Media friends, aaj mai aap sabhi newspaper ke friends aur social media ke logo ko apna dard batana chahta hu ki maine print media ke circulation deptt. me taqreeban 15 saal diye jisme The hindu, Janmadhyam aur Inquilab jaise newspaper shamil hai. Maine ek august ko sahafat urdu daily join kiya tha. Aman abbas sb ne mujhe kai baar call karke bulaya tha aur kaha ki mere sahafat ka circulation incharge ban jaiye.
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रिपोर्टरों का पैसा खा गया यह चैनल!
सेवा में,
सम्मानित चैनल हेड / सीनियर्स / रिपोर्ट्स / स्टाफ
नेशनल वायस चैनल
आप और हम लोगों ने नेशनल वायस न्यूज़ चैनल को बड़ी मेहनत से आगे बढ़ाया और कम समय में मेहनत के बलबूते पर आगे तक लेकर गए और उस मेहनत की मलाई किसी ओर को समर्पित की गई। हमने दिन रात मेहनत कर लगभग दो साल तक चैनल को अपने खून पसीने से सींचा मगर हमारे सीनियर्स, चैनल के उच्चाधिकारियों ने हमारी मेहनत की मलाई खूब अच्छे से खाया और अपना पेट भरा। साथ ही उनका भी भरा जो उनके चाटुकार थे। मैंने अपनी मेहनत से चैनल को खूब काम करके दिया। खुद भूखा रहा। मगर चैनल को भूखा नहीं रहने दिया। उसका पेट भरता रहा। अपने करियर को देखते हुए घर में झूठा दिलासा देता रहा कि मैं एक अच्छे चैनल में काम कर रहा हूँ। मुझे अच्छा मेहनताना मिलता है। दिल टूट गया जब मेरे पिताजी ने एक दिन कहा कि अपनी कमाई से कुछ घर भी लेकर आया कर। मगर उन्हें कहाँ पता था कि मेरी मेहनत की कमाई तो चैनल के बड़े लोगों में बंट रही है।
लखनऊ के ‘लाइव टुडे’ चैनल के मालिक और प्रबंधन की दादागिरी
हाल ही में लखनऊ में पैदा हुआ एक चैनल इस क्षेत्र के शुरुआती दौर के पत्रकारों के लिए एक अच्छा प्लेटफ़ार्म बनके उभरा, लेकिन चैनल के मालिक और प्रबंधन की दादागिरी यहां भी चरम पर है। अपने चैनल के माध्यम से दुनिया को नियम कानून याद दिलाने वाले गोमती नगर के लाइव टुडे चैनल ने …
दैनिक जागरण ने मेरा पैसा नहीं दिया तो हाईकोर्ट जाऊंगा
पटना के बाढ़ अनुमंडल से दैनिक जागरण के पत्रकार सत्यनारायण चतुर्वेदी लिखते हैं-
मैं सत्यनारायण चतुर्वेदी दैनिक जागरण बिहार संस्करण के स्थापना व प्रकाशनकाल से बाढ़ अनुमण्डल से निष्ठा व ईमानदारी पूर्वक संवाद प्रेषण का कार्य करता रहा हूँ. नये सम्पादक जी के आने के कुछ ही महीने बाद वर्ष 2015 के अक्टूबर माह से अचानक मेरी खबरों के प्रकाशन पर रोक लगा दी गयी जो अब तक जारी है। इस बारे में मैंने रोक हटाने का निवेदन श्रीमान सम्पादक जी से किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
रांची एक्सप्रेस अखबार में मीडियाकर्मियों का शोषण, स्टाफ चिंतिंत
रांची एक्सप्रेस का नया प्रबंधन अपने स्टाफ के साथ तानाशाही भरा रवैया अपना रहा है. यहां के स्टाफ को दो माह बाद सेलरी दिया जाना आम बात हो गयी है. दो माह बाद भी कुछ स्टाफ को सेलरी दी जाती है, कुछ को नहीं. शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती है. स्टाफ को प्रबंधन द्वारा न तो कोई आईडी दिया गया है, न ही पीएफ की सुविधा. ऐसे में कई स्टाफ लेबर कोर्ट में जाने वाले हैं.
‘चक दे’ में काम कराते हैं लेकिन सेलरी नहीं देते
मेरा नाम रणजीत कौर है और मैंने ‘चक दे’ में 8 जून 2016 को ज्वाइन किया था, बतौर न्यूज़ एंकर इन पंजाबी. स्टार्टिंग में बड़ी बड़ी बातें की गयी थीं. पर था कुछ नहीं. नाईट ड्यूटी थी और सिक्योरिटी के नाम पर कुछ नहीं था. एक छोटी सी बिल्डिंग में इसका ऑफिस है, फरीदाबाद में. वहीं कॉल सेंटर चलते हैं. वहीं न्यूज़ चैनल भी है. इस चैनल का मालिक एनआरआई है.
80 प्रतिशत पत्रकारों को सेलरी से मतलब, सरोकार से नहीं
देश को जगाने वाले खुद अंधेरे में, कौन बोले उनके लिए… जो देश को जगा रहे हैं उनकी भी कोई सुधि लेने वाला है सभी को उनसे बस समाचार चाहिए चोखा। मतलब सही और रोचक। देश की पूरी ईमानदारी पत्रकार से ही चाहिए। जो पत्रकार लिखता पढ़ता है वह सच्चा भी होता है। 80 प्रतिशत ऐसे पत्रकार है देश में। उन्हें बस अपनी सैलरी से ही मतलब है। समाचार वहीं लिखने का प्रयास करते है जिसमें सच्चाई होती है। हर मीडिया कंपनी में ऐसे लोग है तभी आप सच्चाई को समझ और जान पा रहे है।
महिला पत्रकार ने अपने स्टेट हेड पर लगाए कई गंभीर आरोप
छत्तीसगढ़ में चैनल और अखबार बने उगाही का जरिया… न्यूज चैनल /अखबारों के रिपोर्टर व पत्रकार हो रहे शोषण के शिकार… पत्रकार संगठनों की भूमिका पर भी उठे सवाल..
छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता की आड़ में कैसा खेल, बिना वेतन जिलों में काम कर रहे पत्रकार
चैनल की माइक आईडी की लग रही बोली, वसूली और धमकी का चल रहा खेल, अनशन-शिकायतों का लगा अंबार, सोशल नेटवर्क का बेजोड़ इस्तेमाल, पीएमओ तक हो रही शिकायत
अमर उजाला में हो रहा शोषण, 5 दिन की सेलरी देकर 6 दिन काम ले रहे नए संपादक
प्रिय भड़ास,
यह सिर्फ शिकायती पत्र नहीं है। न ही किसी एक व्यक्ति की ओर से है। यह अमर उजाला के पीड़ित और शोषित कर्मचारियों की ओर से है। इस पत्र के जरिए नव नियुक्त संपादक महोदय की तानाशाही को उजागर किया जा रहा है। AUW यानि अमर उजाला वेबसाइट में इन दिनों कर्मचारियों का जमकर शोषण हो रहा है। इस पत्र के जरिए श्रम विभाग से गुहार है कि वह कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय की पड़ताल करे।
मोदी राज में सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्यरत सैकड़ों मीडियाकर्मियों का जमकर किया जा रहा शोषण
सेवा में,
यशवंत सिंह
संपादक
भड़ास4मीडिया डॉट कॉम
विषयः- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेन्टर के कर्मचारियों की दयनीय स्थिति से अवगत कराने के संबंध में प्रार्थना पत्र
मान्यवर,
हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेन्टर में, अनुबंधित कर्मचारी है। गत कई वर्षों से हमारी स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है जिसकी ओर हम आपका ध्यान निम्न बिन्दुओं के माध्यम से आकर्षित कराना चाहते है। हमारे कार्यालय में कार्यरत सभी कर्मियों को तीन माह के अनुबंध पर रखा जाता है जबकि अन्य समतुल्य मीडिया संस्थानों (दूरदर्शन, राज्यसभा टी.वी. लोकसभा टी.वी. पीआईबी, डीएवीपी, आकाशवाणी) में, सभी अनुबंधित कर्मियों को कम से कम एक वर्ष से दो वर्ष के अनुबंध पर रखा जाता है। इसी तीन माह के छद्म अनुबंध की आड़ में, नियोक्ता की ओर से मिलने वाली अधिकांश आधारभूत सुविधाओं से हमें दूर रखा जाता है।
‘ओके इंडिया’ न्यूज चैनल नहीं दे रहा अपने पत्रकारों को पैसा
‘ओके इण्डिया’ नामक न्यूज चैनल कर रहा पत्रकारों का शोषण. आठ महीनों से नहीं दिए न्यूज का पेमेंट. अपने आपको नेशनल न्यूज चैनल बताने वाला ओके इण्डिया न्यूज चैनल फरवरी से आनएयर हो गया था और तभी से न्यूज पत्रकारों से ली जा रही थी. पहली मीटिंग में जोगिन्द्र दलाल जो मालिक हैं, ने 200 …
कई चैनलों के स्ट्रिंगर के घर नही जलेंगे दीपावली पर चूल्हे!
मीडिया की रीढ़ कहे जाने वाले स्ट्रिंगरों के घर दीपावली का जश्न फीका होने की आशंका है। मिली जानकारी अनुसार कई चैनल पहले से ही घाटे में हैं। उनके पास स्ट्रिंगर्स को देने लिए आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं है। इसमें कुछ चैनल ऐसे हैं जो मीडिया इंडस्ट्री में कई सालों से स्थापित है और कुछ हाल हीमें उभरे हैं। लेकिन सबसे खास बात यह कि सभी चैनल जनता के सामने अपने को सबसे आगे बताने काम करते हैं। कुछ चैनल उस कतार में शामिल हैं जो आज भी 90 रुपए से 150 रुपए ही भुगतान करते हैं। ऐसे में स्ट्रिंगर बड़ी मुश्किल से 3000 रुपए प्रति माह ही कमा पाता है।
मजीठिया मांगने पर ‘हिंदुस्तान’ अखबार ने दो और पत्रकारों को किया प्रताड़ित
लगता है खुद को देश के कानून और न्याय व्यवस्था से ऊपर समझ रहा है हिंदुस्तान अखबार प्रबंधन। शुक्रवार को एक साथ उत्तर प्रदेश और झारखण्ड से तीन कर्मचारियों को प्रताड़ना भरा लेटर भेज दिए गए। इन कर्मचारियों की गलती सिर्फ इतनी थी की बिड़ला खानदान की नवाबजादी शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले हिन्दुस्तान मैनेजमेंट से उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और अपना बकाया मांग लिया था।
मेरे पर आरोप लगाने वाले हमीरपुर के पत्रकार दोहरे और उन्हें समर्थन दे रहे पत्रकारों की असलियत जानिए : राजेश सोनी
आदरणीय भाई यशवंत जी,
विषय : मेरे खिलाफ साजिश रचकर भड़ास में खबर प्रकाशित करवाने के सम्बन्ध में
मैं आपके भड़ास4मीडिया का नियमित पाठक हूँ। आप बहुत अच्छा लिखते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन भाई ये जो खबर आपने लगाई है, उसकी सत्यता को आपको जरूर जांचना चाहिए था। मैं आपकी कार्यशैली पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा रहा हूँ लेकिन ऐसा लेख और किसी का आरोप प्रकाशित करने से पहले आपको एक बार इसकी सत्यता जरूर मालूम करना चाहिए था। इस लिंक https://www.bhadas4media.com/tv/10873-hindi-khabar-ke-reporter-ki-kahani की खबर मेरे बारे में प्रकाशित की गयी है।
‘हिंदी खबर’ के रिपोर्टर की दुःख भरी कहानी…
सेवा में
श्रीमान यशवंत सिंह जी
संपादक, भड़ास4 मीडिया।
विषय- हिंदी खबर के रिपोर्टर की दुःख भरी कहानी।
कई चैनलों में काम करने के बाद अतुल अग्रवाल ने अब हिंदी खबर में काम शुरू किया है। इस चैनल में पहली बार कई ब्यूरो बनाने की प्रथा की शुरुवात की गई है। चैनल अभी यूट्यूब पर ही चल रहा है, लेकिन यूपी के अधिकारियों पर दबाव बनाकर अपनी जरूरतों को पूरा करने का खेल शुरू कर दिया गया है। कभी यह बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ने खबर चलने के बाद संज्ञान लिया और कार्यवाही कर दी मगर कहीं भी यह चैनल दिखाई नहीं दे रहा है।
सब कुछ ठीक नहीं चल रहा ‘हिंदी खबर’ चैनल में! पढ़िए, अंदर से आई एक चिट्ठी
आज से पाँच महीने पहले ‘हिंदी खबर’ चैनल की शुरुवात हुई. चैनल के असली मालिक संगम लाल बांग्लादेश की किसी कंपनी के कर्मचारी हैं और हिंदी खबर के फाइनेंसर थे. दूसरे असली मालिक मनीष अग्रवाल हैं जो कि ग़ज़िआबाद में एक व्यपारी हैं. तीसरे मालिक एंकर अतुल अग्रवाल हैं जिनने हिंदी खबर के सभी कर्मचारियों को बड़े बड़े सपने दिखाए. सभी लोगों ने दिलो जान से मेहनत करना शुरू कर दिया. चैनल तीन से चार महीने मे लांच हो गया. लेकिन अंदरखाने झूठ, फरेब और छल का राज बद से बदतर होता गया. गलत दबावों के आगे न झुकने वाली कई लड़कियों को हिंदी खबर से निकाल दिया गया. इस तरह की घटनाएं हिंदी खबर में रोज होने लगी. ऐसी ही एक घटना के कारण एक एफ.आई.आर. भी दर्ज हुई है.
भास्कर, जागरण, पत्रिका जैसे बड़े मीडिया समूहों की समग्र ‘नीच’ कथा पढ़िए
अब मैं उन बातों की भी जानकारी देने की कोशिश करूंगा जो अखबार के पन्नों तक नहीं पहुंचती हैं या जिन खबरों के कत्ल के कई कारण होते हैं। जैसे आपने कभी किसी अखबार में नहीं पढ़ा होगा कि एक वेज बोर्ड की अनुशंसाएं संसद स्वीकृत कर चुकी है, सुप्रीम कोर्ट लागू करने का आदेश दे चुका है लेकिन 11 नवंबर 2011 से वे ही अखबार इसे मानने से इंकार कर रहे हैं जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने का दावा करते थकते नहीं हैं। भास्कर से लेकर जागरण और पत्रिका समूह तक सभी दिग्गजों के यही हाल हैं। वेज बोर्ड की अनुशंसानुसार कर्मचारियों को पैसा न देना पड़े इसके लिए अखबार किस हद तक नीच हरकतों पर उतर आए हैं, नीच शब्द पर शुरुआती आपत्ति हो सकती है लेकिन यदि तथ्य निकाले जाएं तो शायद आप इससे भी बुरे शब्द इन अखबारों की शान में कहें।
कुमार अशोक की मौत और जिले की पत्रकारिता : अब भी न चेते तो बहुत देर हो जाएगी….
(स्वर्गीय कुमार अशोक : अब यादें ही शेष….)
कुमार अशोक का यूं चले जाना एक सबक है…. आज यह सूचना आई… ”चन्दौली मुगलसराय जनपद के वरिष्ठ पत्रकार हिंदी दैनिक हिन्दुस्तान के पूर्व प्रभारी व मुगलसराय मेल के प्रधान संपादक श्री कुमार अशोक जी का आज (बुधवार) भोर में वाराणसी स्थित चितईपुर के आदित्य अस्पताल में निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर प्रातः साढे सात बजे तक उनके रविनगर स्थित आवास पर पहुँच जायेगा। बताते चलें कि वे काफ़ी दिनों से किडनी के रोग से ग्रसित थे।” इन लाइनों पर पढ़ने के बाद मैं सन्न रह गया। की-बोर्ड पर उंगलियां नहीं चलीं।
भुखमरी के कगार पर कैनविज टाइम्स के पत्रकार
दुनिया की नंबर वन एमएलएम कंपनी बनने का दावा करने वाले ‘कैनविज समूह’ के अखबार ‘कैनविज टाइम्स’ के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर आ खड़े हुए हैं। पत्रकारों के हालात ऐसे हो गए हैं कि किसी पास दफ्तर पहुंचने का किराया नहीं है तो कोई अपने घर का किराया देने में असमर्थ है। कैनविज प्रबंधन कान में तेल डाले बैठा है। उसका पत्रकारों के दयनीय हालातों से कोई वास्ता नहीं। चर्चा है सैलरी लटकाने का ‘खेल’ प्रबंधन छंटनी को अंजाम देने के लिए खेल रहा है।
भईया, इससे अच्छा तो मजदूरी कर लेते, कहाँ से फंस गए मीडिया में!
आज कुछ काम से प्रेस क्लब गया हुआ था, हमेशा की तरह प्रेस क्लब के बाहर और भीतर चहल पहल थी, गेट के ठीक सामने एक कथित संस्थापित टीवी चैनल का कैमरामैन उदास मुद्रा में था, आदत से लाचार होकर पहले तो मैंने उनसे अभिवादन कर कुशलक्षेप पूछा, फिर जो जवाब आया, उसे सुन सुन्न रह गया, और ऐसा पिछले कई महीनों से लगातार जारी है, एक लम्बा मई मीडिया में गुजर चुका वो शख्स बड़ी ईमानदारी के साथ मुझसे कह रहा था, कि, “योगेश जी, ऐसा है, अगर हमको पता रहता कि मीडिया में इतनी ऐसी तैसी करने के बाद भी पगार कि चिंता रहती है, परिवार और पेट कि चिंता रहती है, तो कभी-भी मीडिया में तो नहीं आता, भले हो गाँव में खेतीबाड़ी कर लेता, पर सच में मीडिया में आने कि गलती नहीं करता.”
दैनिक जागरण के मालिक और मैनेजर भगवान से नहीं डरते लेकिन जनता को भगवान के नाम पर डराते हैं, देखें तस्वीरें
ये तस्वीरें दैनिक जागरण लखनऊ कार्यालय के बाहर की हैं. इसे कहते हैं- ”पर उपदेश कुशल बहुतेरे” यानि जो लोग भगवान से ना डरते हुए अपने कर्मियों को उनका मजीठिया वेज बोर्ड वाला कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक हक नहीं दे रहे हैं, वे ही लोग जनता को ईश्वर की नजर में होने का भय दिखाकर पेशाब न करने, कूड़ा न फेंकने की अघोषित हिदायत दे रहे हैं.
नेशनल दुनिया जयपुर में जनवरी से किसी को वेतन नहीं, मीडियाकर्मी परेशान
नेशनल दुनिया जयपुर से सूचना है कि यहां इस साल जनवरी से किसी को भी वेतन नहीं मिला है. खासकर मशीन विभाग के लोग बहुत परेशान हैं. पिछले माह की 26 तारीख को ही प्लांट को बन्द कर दिया गया. सभी कर्मचारी वेतन के लिये परेशान हो रहे हैं. प्रबन्धन की तरफ से कोई आश्वासन नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में कर्मचारी क्या करें और कहां जायें, कुछ समझ नहीं आ रहा है. प्रोडक्शन डिपार्मटमेंट की टीम में सभी सदस्य बड़े परेशान हैं.
मीडियाकर्मियों का वेतन देखेंगे तो शर्म आ जाएगी सांसद महोदय
गिने चुने संपादकों से तुलना मत कीजिए, खुद को सेवक कब मानेंगे प्रभु!
गरीब सांसदों को वेतन में बढो़त्तरी चाहिए. लाखों रुपए जो बतौर वेतन भत्ते मिलते हैं, वे कम हैं. राज्य सभा में सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि मीडिया ट्रायल की वजह से संसद डरती है. उन्होंने हवाला यह दिया कि संपादकों के वेतन का चौथाई भी मिल जाए, वही बहुत है. सही कहा नरेशजी ने. टीवी चैनल के गिने चुने पांच-सात संपादकों का पैकेज जरूर करोड़ों में है. परंतु जिस मीडिया से वह डरते हैं वहां के पत्रकारों का वेतन पांच-सात हजार मासिक तक का है. पत्रकार इस कदर जीवन यापन कर रहा है कि विपन्नता उसे गलत कामों की ओर मोड़ देती है, सांसदों को यह पता नहीं है क्या कि प्रिंट मीडिया के पत्रकारों की स्थिति कितनी शोचनीय है?
साधना न्यूज (एमपी-सीजी) के ठग संचालकों से बच कर रहिए, पढ़िए एक पीड़ित स्ट्रिंगर की दास्तान
संपादक
भड़ास4मीडिया
महोदय
मुझसे साधना न्यूज (मध्यप्रदेश छत्तीसगढ) के नाम पर 8 माह पूर्व विनोद राय के निजी खाते में 20 हजार रुपये ट्रांसफर कराए गए थे. इस रकम को खुद मैंने अपने खाते से भेजा था. परन्तु साधना न्यूज ने एक माह बाद ही किसी दूसरे को नियुक्त कर दिया. विनोद राय (इन्दौर, डायरेक्टर, साधना न्यूज) से रुपये वापस मांगने पर वे नये नये तरीके से टालते रहते हैं और आज कल करके कई प्रकार के बहाने से मुझे राशि लौटने से इनकार कर रहे हैं. मैं इसके लिए कई बार इन्दौर का चक्कर काट चुका हूं.
अमर उजाला वाले पत्रकार को न्यूज एजेंसी बना खूब कर रहे शोषण, सुनिए एक पीड़ित कर्मी की दास्तान
मीडिया संस्थान अमर उजाला में फुल टाइम कर्मचारियों को जबरन न्यूज़ एजेंसी का कर्मी बना कर उन्हें न्यूनतम वेतन लेने के दबाव बनाया जाता है. इसके लिए एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत समय-सीमा निर्धारित करके दबावपूर्वक लिखवाया जाता है कि वे (कर्मचारी) संस्थान के स्थाई कर्मचारी न होकर एक न्यूज़ एजेंसी कर्मी के तौर पर कार्य करेंगे. लेकिन असलियत ये है कि न्यूज़ एजेंसी संचालक से एक स्थाई कर्मचारी वाला काम लिया जा रहा है. उसे न्यूनतम वेतन पर सुबह 10 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक यानि 12 घंटे संस्थान के लिए कार्य करने को बाध्य किया जाता है.
‘दक्षिण मुंबई’ नामक अखबार की नीचता के खिलाफ युवा पत्रकार पहुंचा लेबर आफिस और पुलिस स्टेशन, पढ़ें शिकायती पत्र
मुंबई से एक अखबार निकलता है ‘दक्षिण मुंबई’ नाम से. इस अखबार में एक युवा पत्रकार ने पांच महीने तक काम किया. जब उसने सेलरी मांगी तो उसे बेइज्जत करके भगा दिया गया. इस अपमान से नाराज युवा पत्रकार ने लेबर आफिस में पूरे मामले की शिकायत की और भड़ास के पास पत्र भेजा. जब प्रबंधन को यह सब बात पता चली तो युवा पत्रकार को बुरी तरह धमकाया गया. इससे डरे युवा पत्रकार ने पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराई है.
धंधेबाज ‘समाचार प्लस’ चैनल : रिपोर्टरों को उगाही का टारगेट, पूरा न करने पर कइयों को हटाया
समाचार प्लस राजस्थान में सभी स्टिंगरों को दिया गया एक लाख से 2 लाख रुपये उगाही का लक्ष्य. नहीं देने वाले रिपोर्टरों को निकाला. 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के नाम पर उगाहने हैं लाखों रुपये. समाचार प्लस में मैं कई सालों से कार्य कर रहा था. 5 हजार रुपये मुझे मेरी मेहनत के मिलते थे. काम ज्यादा था, पैसे कम. लेकिन चैनल को कुछ और ही प्यारा था. समाचार प्लस राजस्थान टीम ने मुझे फ़ोन कर कहा-
पांच महीने बिना सेलरी काम कराया और बेइज्जत करके निकाल दिया
माननीय संपादक जी
भड़ास4मीडिया
सर
मेरा नाम श्याम दांगी है और मैं मुंबई में पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सर नौकरी के दौरान मैं कुछ कठिनाईयों का सामना कर रहा हूँ जिसके लिए आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है। मैं पिछले पांच महीने से मुंबई से प्रकशित होने वाले दैनिक अखबार दक्षिण मुंबई में बतौर सब एडिटर कार्यरत था। लेकिन मुझे इस दौरान कभी सैलरी नहीं मिली।
क्या प्रसार भारती और आकाशवाणी महानिदेशालय माननीय सर्वोच्च न्यायालय व संसद से भी बड़ी हो गई है!
आकाशवाणी के दोहरे मापदंड एवं हठधर्मिता के चलते लंबे समय से काम रहे आकस्मिक उद्घोषकों का नियमितिकरण नहीं किया जा रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी संविधान पीठ भी दस वर्षों या अधिक समय से कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवाओं का नियमितिकरण एक मुश्त उपाय के तहत करने के निर्देश दे चुकी है। आकाशवाणी में आकस्मिक कलाकार/ कर्मचारी सन 1980 से अर्थात प्रसार भारती के लागू होने के वर्षों पहले से स्वीकृत एवं रिक्त पड़े पदों के स्थान पर आकस्मिक उद्घोषक/ कम्पीयर के रूप में काम कर रहे हैं।
टीए डीए और वीकली आफ मांगने पर नौकरी से निकाला, मीडियाकर्मी पहुंचा श्रम विभाग, पढ़ें शिकायती पत्र
प्रति,
जिला श्रम पदाधिकारी
जिला – सूरजपुर (छत्तीसगढ़)
विषय- उचित कार्यवाही हेतु,
आवेदक – रक्षेन्द्र प्रताप सिंह
ग्राम पोस्ट बड़सरा
जिला सूरजपुर (छग)
विरुद्ध
फोर्ट फोलियोज प्रायवेट लिमिटेड
रजिस्टर्ड ऑफिस: 217, लक्ष्मी काम्पलेक्स, एमआई रोड, जयपुर-302001 राजस्थान
2. क्षेत्रीय संपादक, दैनिक पत्रिका कार्यालय
मंगल भवन, लिंक रोड बिलासपुर
महोदय,
आवेदक निम्नांकित कथन करता है –
धंधेबाज और चरित्रहीन जी न्यूज (एमपी-सीजी) वालों ने एक इमानदार रिपोर्टर को यूं बेइज्जत कर निकाला
घटना छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर सरगुजा की है. यहां मनीष सोनी नामक पत्रकार कई वर्षों से जी न्यूज एमपी-सीजी से जुड़े हुए हैं. आज उन्होंने अचानक देखा कि चैनल स्क्रीन पर उनका नाम लिखकर यह चलाया जा रहा है कि मनीष सोनी को चैनल से निकाल दिया गया है, उनसे कोई किसी प्रकार का संबंध अपने जोखिम पर रखे. ऐसी ही कुछ लाइनें बदल बदल कर लगातार चल रही थी. मनीष सोनी को यकीन न हुआ कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है. उन्होंने न तो दलाली की है, न बेइमानी की है, न चोरी की है, न अपराधी हैं, तो चैनल वाले ये सलूक क्यों कर रहे हैं.
कानपुर से संचालित होने वाले के. न्यूज चैनल का सच : ”खुद कमाओ और हमे भी लाकर दो, तब हम जानेंगे तुम रिपोर्टर हो!”
: काम करवा कर वेतन नहीं देते है ‘के. न्यूज’ वाले : के. न्यूज की कहानी यहां नौ महीने तक काम करने वाले बनारस के मीडियाकर्मी प्रहलाद गुप्ता की जुबानी :
वाराणसी। चिल्ला-चिल्ला कर झूठ को बेनकाब करने का दावा करने वाले चैनलों का भीतरी सच क्या है? क्या है इनकी हकीकत? कैसे ये अपने यहां काम करने वालो का शोषण करते हैं? मेरा दावा है, चैनलों पर ऐसी कोई बेक्रिंग न्यूज कभी नहीं दिखेगी। कानपुर से संचालित होने वाले रीजनल चैनल ‘के.न्यूज’ के साथ काम कर के मुझे यही सबक मिला कि सच का दम भरने वाले इन चैनलों का भीतरी चेहरा कितना बदसूरत है।
बदतमीज और क्रूर जागरण प्रबंधन के खिलाफ जाने-माने वकील परमानंद पांडेय ने पीएम मोदी को पत्र भेजा
Shri Narendra Modi
Hon’ble Prime Minister of India
New Delhi
Sub.: Exploitation, victimization and harassment of the Dainik Jagran employees
Hon’ble Pradhan Mantri ji,
We write to you with pain and anguish over the exploitation and victimization of newspaper employees by their proprietors that has crossed all limits. The saddest part of it is that the Governments- Central as well as the States- have become the mute spectators to this sordid state-of-affairs.
Outlook Hindi को पूरे सम्मान के साथ यह चेक एक पत्र के साथ वापिस कर रहा हूं
Siddhant Mohan : बीते अप्रैल में हुए ‘संकटमोचन संगीत समारोह’ के लिए मैंने आउटलुक पत्रिका के चन्द्र प्रकाश, फिर बाद में आकांक्षा पारे के कहने पर समारोह पर एक लेख लिखा था और ग़ुलाम अली खान साहब का इंटरव्यू भी किया था. बीच में कई दफा एकाउंट नंबर पूछने, नाम की स्पेलिंग कन्फर्म करने के लिए फोन आए. कुछेक बार एचआर डिपार्टमेंट से, कुछेक बार आकांक्षा जी से. कई बार एसएमएस से डीटेल भी मांगे गए. अप्रैल में किए इस काम के जवाब में मुझे कल यानी 20 मई को(छः महीने से भी ज्यादा वक़्त बाद) चेक मिला. 720 रूपए का. नाम की स्पेलिंग गलत.
बर्बाद फसल दिखाने आई गरीब महिला को हड़का रहे इस कलेक्टर ने चार जूते मारने लायक काम किया है या नहीं? (देखें वीडियो)
एबीपी न्यूज में स्पेशल करेस्पांडेंट ब्रजेश राजपूत ने एक वीडियो फेसबुक पर शेयर किया है. साथ ही यह भी बताया है कि इस वीडियो के एबीपी न्यूज पर चलने के फौरन बाद वीडियो में दिख रहे खलनायक अफसर के ट्रांसफर का आदेश आ गया. वीडियो में खलनायक अफसर एक गरीब किसान महिला को हड़का रहा है. यह किसान महिला जनसुनवाई में अपनी सूखी फसल दिखाने लाई थी और फसल दिखाते ही अफसर इस महिला पर बिगड़ पड़ा.
‘समाचार प्लस’ चैनल ने मुझ स्ट्रिंगर का छह महीने का पैसा मार लिया!
समाचार प्लस चैनल की रीयल्टी. पत्रकारों का शोषण करने वाला चैनल. न्यूनतम वेतन से भी कम देने वाला चैनल. छ माह की तनख्वाह खा जाने वाला चैनल. असभ्य और बदमिजाज एडिटर वाला चैनल. अपनी बात से बार बार पलटने वाले सम्पादक. स्ट्रिगरों का हक मारने वाले. खबर के लिए चौबीस घण्टे फोन करने वाले. वेतन के लिए फोन नहीं उठाने वाले. रोज शाम राजस्थान की जनता को ज्ञान बॉटने वाले सम्पादक महोदय. एक स्ट्रिगर के सवालों का जवाब नहीं दे पाते. राजस्थान के दर्जनों पत्रकारों के मेहनत के पैसे खा जाने वाले. पत्रकारो को आईडी कार्ड नहीं देने वाले. ऐसा चैनल जिसमे एकाउण्ट और एचआर डिपार्टमेन्ट नहीं हो. गेजुएट, पोस्ट गेजुएट और बीजेएमसी पास युवाओं को मजदूर से कम वेतन देने वाले, वह भी चार माह की देरी से. ये सब करता है समाचार प्लस चैनल.
गूंगी आकाशवाणी से प्रशिक्षुओं में निराशा
आकाशवाणी की संवादहीनता के रवैये से प्रशिक्षु पत्रकारों में काफ़ी निराशा है। नाराज प्रशिक्षुओं ने कहा है कि इसकी शिकायत सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से कर दी गयी है और अब तक की पूरी सिलसिलेवार जानकारी उन तक पहुंचा दी गयी है। प्रशिक्षुओं का आरोप है कि प्रसार भारती के आदेश के बावजूद भी आकाशवाणी उनको इंटर्नशिप के लिए अपने यहां नियुक्ति नहीं दे रहा है जबकि उनके ही साथ के अन्य प्रशिक्षु जिन्हें प्रसार भारती ने दूरदर्शन के लिये चयनित किया था उनकी नियुक्ति हो गयी है और उनको पारिश्रमिक भी मिलना शुरू हो गया है जबकि आकाशवाणी अपनी निरंकुशता के कारण अब तक नियुक्ति नहीं दे सका है। बल्कि उल्टे संवादहीनता की स्थिति को कायम कर मामले को छिपाने की साज़िश रच रहा है। उन्होने कहा कि इसकी शिकायत सम्बन्धित मंत्रालय से कर दी गयी है।
दैनिक जागरण नोएडा के 18 मीडियाकर्मी टर्मिनेट, प्रबंधन ने बाउंसर बुलाया, पुलिस फोर्स तैनात
दैनिक जागरण नोएडा की हालत बेहद खराब है. यहां मीडियाकर्मियों का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है और कानून, पुलिस, प्रशासन, श्रम विभाग, श्रम कानून जैसी चीजें धन्नासेठों के कदमों में नतमस्तक हैं. बिना किसी वजह 18 लोगों को टर्मिनेट कर उनका टर्मिनेशन लेटर गेट पर रख दिया गया. साथ ही प्रबंधन ने बाउंसर बुलाकर गेट पर तैनात करा दिया है. भारी पुलिस फोर्स भी गेट पर तैनात है ताकि मीडियाकर्मियों के अंदर घुसने के प्रयास को विफल किया जा सके. टर्मिनेट किए गए लोग कई विभागों के हैं. संपादकीय, पीटीएस से लेकर मशीन, प्रोडक्शन, मार्केटिंग आदि विभागों के लोग टर्मिनेट किए हुए लोगों में शामिल हैं.
दैनिक जागरण के मुख्य महाप्रबंधक, कार्मिक प्रबंधक और मार्केटिंग मैनेजर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज
मीडिया संस्थानों में गजब का खेल है। भले ही लोगों को बाहर से कुछ दिखता हो, लेकिन इसकी हालत आम कारोबार की तरह है। मुनाफा की होड़ में हर तरह के हथकंडे अख्तियार किए जा रहे हैं। देश का नम्बर वन अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण अखबार में भी तरह—तरह के खेल हैं। मामला कार्यस्थल पर सम्मान का है। फिलहाल इस अखबार में सीनियर मार्केटिंग एक्जक्यूटिव के पद पर कार्यरत पीड़ित महिला कर्मचारी ने गौतमबुद्ध नगर थाना में दैनिक जागरण के मुख्य महाप्रबंधक नीतेन्द्र श्रीवास्तव, कार्मिक प्रबंधक देवानंद कुमार उर्फ मुन्ना और नोएडा के मार्केटिंग मैनेजर नकुल त्यागी पर भारतीय दंड विधान की धारा 354ए और 504बी के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया है। यह मुकदमा कांड संख्या 643/15 के अन्तर्गत दर्ज किया गया है।
सात सौ रुपये, हजार रुपये, ढाई हजार रुपये… ये है सेलरी… बदले में 50 लाख से अधिक की विज्ञापन की वसूली
दैनिक हिन्दुस्तान से जुड़े रामगढ जिला अन्तर्गत गोला संवाददाता मनोज मिश्रा ने हिंदुस्तान अखबार को अलविदा कह दिया है. श्री मिश्रा ने इस बाबत एक आवेदन प्रधान संपादक श्री शशिशेखर और झारखण्ड के वरीय संपादक श्री दिनेश मिश्र को प्रेषित किया है. मनोज ने कहा कि सन 2000 से हिन्दुस्तान से जुड़ा. पत्रकारिता में काफी उतार-चढ़ाव देखे. जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले पत्रकारों का आज भी काफी शोषण किया जा रहा है. उन्हें अखबार प्रबंधन से सम्मानजनक पारिश्रमिक नहीं मिलता है. इस कारण पत्रकार आर्थिक तंगी से जूझते रहते हैं. सभी का परिवार है. खर्चे भी काफी हैं. पारिवारिक दायित्व होने और आर्थिक तंगी के कारण ही अखबार को अलविदा कह दिया.
आर्थिक तंगी से परेशान हिंदुस्तान अखबार के स्टिंगर मनोज मिश्र ने पत्रकारिता को गुडबाय कहा
झारखंड में हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान, रांची के स्थापना वर्ष से कार्यरत गोला-रामगढ़ से स्टिंगर मनोज मिश्र ने आर्थिक तंगी से जुझते हुए 28 अगस्त 2015 को पत्रकारिता क्षेत्र को अलविदा कह दिया है. अलविदा कहते हुए मनोज मिश्र ने स्टिंगर पद को छोड़ने के संबंध में संपादक के नाम पत्र में कहा है कि मैंने 15 वर्षों तक निष्ठापूर्वक, इमानदारी से समर्पित भाव से अखबार में काम किया. अब मैं काम करते हुए असहज महसूस कर रहा हूं. साथ ही स्टिंगर पद छोड़ रहा हूं.
नवभारत बस्तर के कर्मचारियों को दो महीने में एक दफे वेतन मिलता है!
नवभारत यूं तो एक प्रतिष्ठित अखबार समूह है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की दुर्दशा यह है कि यहां उन्हें दो महीनों में एक दफे वेतन मिलता है। आपको बता दें कि बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर दफ्तर से संचालित है। दूसरी ओर वेतन में भी भारी विसंगति की जानकारी मिली है। कुछ लोगों का कहना है कि अन्य अखबार समूहों के बनिस्बत यहां काफी कम वेतन मिलता है। और तो और, पिछले महीने का वेतन इस महीने की 25 तारीख को दी जाती है। ऐसे में अपने परिवार का पोषण करने वाले विशुद्ध पत्रकार किस तरह से अपने दायित्वों को निभाते होंगे, इसे लेकर सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है।
कैमरे से सच दिखाने वाले आजाद पत्रकार गौतम पर आज 15 केस हैं…
कैमरे पर सच दिखाने की हिमाकत का नतीजा यह रहा कि कोलकाता पुलिस गौतम कुमार विश्वास को बालों से नोचती हुई घसीट कर ले गई। उन्हें जहां चाहा मारा। लातें, घूसे सब। गौतम कोलकाता के फ्रीलांस पत्रकार हैं, जो पुलिस और प्रशासन की पोल खोलती फिल्में बनाते हैं। जान की परवाह किए बिना भ्रष्ट तंत्र से टकराने वाले गौतम के महीने के आधे से ज्यादा दिन अदालतों में जाते हैं। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा वकीलों को जा रहा है लेकिन फिर भी गौतम इस घुन लगी व्यवस्था के आगे न झुकते हुए बखूबी अपना काम कर रहे हैं।
ब्रेन हैमरेज के बाद मेरठ के फोटोग्राफर राजन को नौकरी से निकाल दिया ‘हिंदुस्तान’ ने
दैनिक हिंदुस्तान मेरठ से खबर है कि यहां कार्यरत एक फोटोग्राफर को प्रबंधन ने इसलिए नौकरी से निकाल दिया क्योंकि उसे ब्रेन हैमरेज हो गया था. कारपोरेट मीडिया प्रबंधन अपने कर्मियों के प्रति कितना संवेदनहीन है, इसकी बानगी यह घटनाक्रम है. राजेंद्र सक्सेना उर्फ राजन दैनिक हिंदुस्तान, मेरठ में दस वर्षों से कार्यरत थे. फील्ड में घूम घूम कर वह फोटोग्राफी समेत अखबार के समस्त कार्य करते थे. सारे निर्देशों आदेशों का यस सर यस सर करते हुए पालन करते थे. एक दिन अचानक उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया. लंबा इलाज चला. जब वो ठीक होकर काम पर लौटे तो उन्हें एक लेटर थमा दिया गया कि आपकी नौकरी खत्म.
जी पुरवइया कथा : कांप्रोमाइज न करने पर प्रताड़ित की जा रही महिला पत्रकार ने खोला कच्चा चिट्ठा, दिया इस्तीफा (पढ़ें पूरा पत्र)
नमस्कार सभी को…
अब मैं ज़ी पुरवईया की हिस्सा नहीं हूं… इसलिए कुछ बातें बताना बेहद ज़रूरी है… आप सभी को ये लग रहा होगा कि अचानक आख़िर मैंने क्योँ रिज़ाइन कर दिया… मुझे पता है संपादक महोदय ठीक उसी तरह कहेंगे जैसे अभिमन्यु सर के इस्तीफे के बाद कहा गया था कि मैंने उसे निकाला है… इसलिए मैं ख़ुद उस इस्तीफ़े की कॅापी इस मेल में लगा रही हूँ… ताकि लोगों को सच्चाई भी पता चले और बहुरुपिया संपादक का काला और घिनौना चेहरा भी सामने आए… मेरे छोड़ने का कारण नीचे दिए गए त्याग पत्र की कापी में उल्लखित है….
पत्रकारों की लगातार जघन्य हत्याओं और उत्पीड़न के खिलाफ नोएडा से दिल्ली तक पैदल प्रोटेस्ट मार्च 8 जुलाई को, आप भी आइए
अब हमारे और आपके सड़क पर उतरने का वक्त है… पत्रकारों की लगातार जघन्य हत्याओं और उत्पीड़न के खिलाफ नोएडा से दिल्ली तक पैदल प्रोटेस्ट मार्च का कार्यक्रम तय किया गया है जो 8 जुलाई को यानि कल होना है. इसमें आप भी आइए. चुप रहने, घर बैठे का वक्त नहीं है अब. देश भर में पत्रकारों की लगातार जघन्य तरीके से हत्याएं हो रही हैं. जगेंद्र सिंह, संदीप कोठारी, अक्षय सिंह… समेत दर्जनों हत्या-उत्पीड़न के मामले हैं. यह सिलसिला बदस्तूर जारी है.
‘आज’ अखबार का मालिक शार्दूल विक्रम गुप्त बोला- ”मैं चाहूं तो किसी रिक्शे वाले को भी संपादक बना सकता हूं”
वाराणसी। ‘आज’ अखबार से आर. राजीवन निकाल दिए गए। वरिष्ठ पत्रकार। सुनिए इनकी दास्तान। ये कहते हैं- फर्जी मुकदमा या हत्या शायद यही मेरे पत्रकारिता कर्म की संचित पूंजी हो, जो शायद आने वाले दिनों में मुझे उपहार स्वरूप मिले तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा. यकीन मानिए पूरे होशो-हवास में सच कह रहा हूं। हिन्दी का सबसे पुराना अखबार जो 5 साल बाद अपना शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है, उसी ‘आज’ अखबार में मैने 25 साल तक सेवा की, लिखता-पढ़ता रहा। निष्ठा-ईमानदारी के साथ अपने काम को अंजाम देता रहा। लेकिन एक दिन अचानक मुझे बिना किसी कारण-बिना किसी नोटिस के बाहर का रास्ता दिखा दिया।
‘आज’ अखबार से निकाले गए वरिष्ठ पत्रकार आर. राजीवन ने जब अपनी दास्तान सुनाई तो मीडिया के अंदर की हालत पर रोना आया… फोटो : भाष्कर गुहा नियोगी
sexual harassment of a female PhD. scholar in DU by a Prof. of St. Stephens college
New Delhi : Disha Student organisation organized a protest demonstration at Arts Faculty, University of Delhi, North campus to protest against the sexual harassment of a female PhD. scholar by her guide, a Prof. in St.Stephens College. The matter of sexual harassment came forward after the victim lodged an F.I.R against the teacher. The Scholar had reported the incident with the college authorities but she added that when she took the matter up with the internal affairs committee of the college, the principal tried to persuade her to drop the charges.
अगर इस नए चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो ये-ये काम करने होंगे (सुनें टेप)
: सेलरी नहीं देंगे, सेक्युरिटी मनी लेंगे, जहां का स्ट्रिंगर बनोगे वहां खुद आन एयर कराओगे चैनल : एमपी-सीजी यानि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से एक नया न्यूज चैनल आ रहा है, IND-24 नाम से. पी7 ग्रुप का एमपीसीजी चैनल बंद होने के बाद काफी सारे स्ट्रिंगर सड़क पर आ गए थे. मैंने अपने एक साथी को IND-24 के बारे में जानकारी दी और नौकरी के लिए बात करने को कहा. कुछ समय बाद उस स्ट्रिंगर का फोन मेरे पास आया और उसने मुझे बताया कि वहां सिक्युरिटी मनी की आड़ में काफी पैसे की मांग की जा रही है.
सुदर्शन न्यूज में काम कर रही एक लड़की ने पूरे ऑफिस के सामने महेश का भांडा फोड़ दिया (सुनें टेप)
आज मैं सुदर्शन न्यूज की एक खबर से आपको रुबरु करवाना चाहता हूं… वैसे तो खुद को राष्ट्रवादी बोलने वाले सुदर्शन न्यूज चैनल में आए दिन कुछ न कुछ घटिया-सा किस्सा होता ही रहता है.. पर अभी आपको जल्दी का ही एक किस्सा सुनाता हूं… कुछ दिन पहले सुदर्शन न्यूज से कई कर्मचारियों को निकाला गया और कई नए लोगो की नियुक्तियां भी की गईं… यह सब किया जा रहा था आउटपुट हेड महेश चतुर्वेदी के कहने पर..
उस मीटिंग में संपादक प्रभात ने पत्रकार धीरज को जातिवाद के नाम पर बेहद जलील किया था
कोई दिन था जब तारीख एक थी. यही वह तारीख है जब अमर उजाला गोरखपुर के संपादक सभी ब्यूरो और डेस्क की मीटिंग लेते हैं. दरअसल, प्रभात स्वयंभू विद्वान हैं. ग्रामीण हिंदी पत्रकारिता में अंग्रेजी बोल लेने वाले शख्स हैं. लेकिन हैं बेहद बदतमीज. मैं भी हूं लेकिन जब तक अगला ऐसा न हो. भोजपुरी में एक कहावत है ‘जिसका दिया न खाइए वह…’. तो उसी उबाऊ और बेहद अपमानजनक मीटिंग में तथाकथित इंटेलेक्चुअल प्रभात ने धीरज को जातिवाद के नाम पर बेहद जलील किया. अब जब जलील किया तो बेहद क्या.
वेद रत्न शुक्ला
मिर्जापुर में पत्रकार का उत्पीड़न, दबंगई से जमीन कब्जाने का प्रयास
: जब मामला अदालत में तो राजस्व विभाग कैसे कर सकता है सही-गलत का फैसला : मिर्जापुर के थाना जिगना में एक पत्रकार के उत्पीड़न का मामला सामने आ रहा है. बता दें कि यहां के मनिकठा गांव में पेशे से पत्रकार अनुज शुक्ला की पैत्रिक कृषि जमीन (गाटा संख्या- 612) को समाजवादी पार्टी के नेताओं की शह पर दबंगों द्वारा अवैध निर्माण कर कब्जाने की कोशिश की जा रही है. जबकि इस जमीन के विवादित बिंदु को लेकर मिर्जापुर की जू.डी. कोर्ट में किसी तरह के निर्माण के खिलाफ स्टे ऑर्डर (मुक़दमा संख्या- 463/ 2013) पारित है.
सोशल मीडिया कहते हैं इसे, ‘शोषण मीडिया’ तो नहीं!
आधुनिक युग में सोशल मीडिया को एक अहम स्थान हासिल है। लेकिन निजी, राजनीतिक और धार्मिक लड़ाइयों की जंग भी विभिन्न सोशल मीडिया साइट्स पर शुरू हो गई है जिससे सोशल मीडिया को लोग अब शोषण मीडिया के रूप में भी देखने लगे हैं।
अपनी लगातार खराब होती टीआरपी से परेशान इंडिया टीवी ने स्ट्रिंगरों को तंग करना शुरू किया
इंडिया टीवी की टीआरपी पिछले लगभग एक वर्ष से गिरती ही जा रही है. तमाम कोशिशों के बावजूद भी चैनल है की चढ़ाई चढ़ ही नहीं पा रहा है. ख़बरों के मामले में भी चैनल के पास लगातार सूखा ही पड़ता जा रहा है, जिसकी वजह से चैनल ने अपनी झुंझलाहट निकालते हुए स्ट्रिंगरों का पैसा मारना शुरू कर दिया है. लगातार स्ट्रिंगरों के बिल काटे जा रहे हैं. मेहनताने के नाम पर उन्हें सिर्फ अठन्नी चवन्नी थमाई जा रही है. अब इस चैनल के बुरे दिन आये हैं या कुछ और मामला है, मगर इंडिया टीवी में सब ठीक नहीं चल रहा है, यह तय है.
छुट्टी से लौटे रिपोर्टर को संपादक ने काम से रोका, दोनो में मारपीट होते होते बची, माहौल तनावपूर्ण
भोपाल : मजीठिया वेतनमान की मांग को लेकर दैनिक जागरण के सीईओ संजय गुप्ता के खिलाफ नई दुनिया, भोपाल के कर्मचारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर होने के बाद जागरण अखबार प्रबंधन बौखला गया है। छुट्टी से लौटे रिपोर्टर को काम से रोकने पर गत दिनो यहां नई दुनिया के संपादक से मारपीट होते होते रह गई। इसके बाद दफ्तर का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया है।
दिल्ली दूरदर्शन में महिला कर्मियों का यौन शोषण, शिकायत के बावजूद आयोग और मंत्री खामोश
दिल्ली : मीडिया में लड़कियों की स्थिति बहुत अच्छी नही है, यह बात किसी से छिपी नही है-तहलका का तरुण-तेजपाल मामला हो, या इंडिया टीवी की एंकर रही तनु शर्मा का मामला। अब तो दूरदर्शन भी महिला कर्मियों के लिए सुरक्षित नहीं रहा। दूरदर्शन में सेवारत कई महिला कर्मियों का यौन उत्पीड़न किया जा चुका है। हाल ही में दूरदर्शन की उत्पीड़ित महिला कर्मियों की लिखित शिकायतों के बावजूद उन पर न तो महिला आयोग गंभीर है, न अन्य कोई वह जांच एजेंसी, जहां वे अपनी शिकायतें कर रही हैं। महिला बाल विकास मंत्रालय का इस मामले पर खामोशी साध लेना तो और भी आश्चर्यजनक है। ये हाल तो तब है, जबकि उन पीड़ित महिलाओं में से एक उसी आरएसएस के दूरदर्शन में प्रसार भारती मजदूर संगठन बीएमस की नेता हैं, जिसकी इस समय केंद्र में सरकार है। एक पीड़ित महिला कर्मी ने न्याय की गुहार लगाते हुए शिकायती पत्र में लिखा है कि क्या बलात्कार हो जाने के बाद ही कोई कार्रवाई होगी?
स्टिंगरों से अब खबर की जगह सरपंचों के फ़ोन नंबर मांगे जा रहे हैं
ज़ी मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के नए चैनल हेड दिलीप तिवारी न जाने कौन सी दुश्मनी अपने ही चैनल के स्टिंगरों से निकाल रहे हैं. खबर तो दूर, चैनल में न्यूज़ स्क्रॉल तक नहीं चलाये जा रहे हैं. गिनती की स्टोरी पकड़ कर तीन-तीन दिनों तक रगड़ी जा रही हैं और कई मामलों में तो मीडिया ट्रायल तक किया जा रहा है. वो चाहे खंडवा के कलेक्टर द्वारा नरेंद्र मोदी के आगमन पर किये गए खर्च का मामला हो या बैतूल में एक व्यक्ति द्वारा एड्स की आशंका में परिवार की हत्या का फॉलोअप.
एक न्यूज चैनल जहां महिला पत्रकारों को प्रमोशन के लिए मालिक के साथ अकेले में ‘गोल्डन काफी’ पीनी पड़ती है!
चौथा स्तंभ आज खुद को अपने बल पर खड़ा रख पाने में नाक़ाम साबित हो रहा है…. आज ये स्तंभ अपना अस्तित्व बचाने के लिए सिसक रहा है… खासकर छोटे न्यूज चैनलों ने जो दलाली, उगाही, धंधे को ही असली पत्रकारिता मानते हैं, गंध मचा रखा है. ये चैनल राजनेताओं का सहारा लेने पर, ख़बरों को ब्रांड घोषित कर उसके जरिये पत्रकारिता की खुले बाज़ार में नीलामी करने को रोजाना का काम मानते हैं… इन चैनलों में हर चीज का दाम तय है… किस खबर को कितना समय देना है… किस अंदाज और किस एंगल से ख़बर उठानी है… सब कुछ तय है… मैंने अपने एक साल के पत्रकारिता के अनुभव में जो देखा, जो सुना और जो सीखा वो किताबी बातों से कही ज्यादा अलग था…. दिक्कत होती थी अंतर आंकने में…. जो पढ़ा वो सही था या जो इन आँखों से देखा वो सही है…
मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों से कहा- क्यों न तुम सभी के खिलाफ कंटेप्ट आफ कोर्ट का मुकदमा शुरू किया जाए!
लगता है उंट पहाड़ के नीचे आने वाला है. अपने पैसे, धंधे, दलाली, लायजनिंग, शोषण, पावर से नजदीकी, सत्ता-सिस्टम में दखल के बल पर खुद को खुदा समझने वाले मीडिया मालिकों पर आम मीडियाकर्मियों की आह भारी पड़ने वाली है. लेबर डिपार्टमेंट, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, सीएम, पीएम, डीएम निचली अदालतों आदि तक को मेनुपुलेट करने की क्षमता रखने वाले मीडिया मालिकों को सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के आगे पसीना आने वाला है. आज मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी दस याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अदालत ने संबंधित सभी मीडिया मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
मजीठिया के लिए कोर्ट गए दिव्य मराठी के हेमकांत को भास्कर प्रबंधन प्रताड़ित कर रहा
औरंगाबाद दिव्य मराठी में कार्यरत हेमकांत चौधरी अपने हक के लिए गुजरात हाईकोर्ट गए हैं. वे मजीठिया वेज बोर्ड के तहत सेलरी व एरियर न देने पर अखबार प्रबंधन के खिलाफ खुलकर लड़ रहे हैं. जैसे ही कंपनी को पता चला कि हेमकांत ने केस लगाया है, उत्पीड़न शुरू कर दिया गया. दिव्य मराठी अखबार दैनिक भास्कर समूह का मराठी दैनिक है. औरंगाबाद दिव्य मराठी से हेमकांत चौधरी द्वारा हाईकोर्ट जाने पर कोर्ट ने भास्कर मैनेजमेंट को नोटिस जारी कर दिया.
दैनिक भास्कर रतलाम : मजीठिया के लिए केस लगाने वालों पर प्रबंधन की बर्बरता, एक कर्मचारी से इस्तीफा लिया
दैनिक भास्कर की अन्य यूनिटों की तरह ही रतलाम (मप्र) की यूनिट में भी मजीठिया को लेकर कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। इससे प्रबंधन और स्थानीय अधिकारियों में खलबली मच गई है। बौखलाहट में प्रबंधन बर्बरता पर उतारू हो गया है। कार्यकारी संपादक ने तो मजीठिया के लिए केस लगाने वाले एक कर्मचारी से इस्तीफा ही ले लिया है। लेखा विभाग ने तो हद ही कर दी है, कर्मचारी के खिलाफ रिकवरी भी निकाल दी है। इस कार्रवाई ने आग में घी का काम किया है और कर्मचारियों ने प्रबंधन को ईंट का जवाब पत्थर से देने का मन बना लिया है।
मजीठिया वेज बोर्ड : डीएनए, मुंबई में लागू होते ही कर्मी डिमोट हो गए और सेलरी घट गई!
खबर है कि डीएनए अंग्रेजी अखबार मुंबई में मजीठिया वेज बोर्ड का इंप्लीमेंटेशन वर्ष 2010 के डिजीगनेशन के हिसाब से किया गया है. उस वक्त जो जिस पद पर था, उस पद के हिसाब से मिल रही सेलरी के आधार पर मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक नई सेलरी फिक्स की गई है. इस कारण ज्यादातर लोग एक तो डिमोट हो गए और वर्तमान में मिल रही सेलरी से कम सेलरी पाने लगे हैं. अदभुत है यह पत्रकारों का वेज बोर्ड भी.
मुझे मेरे पक्षपाती संपादक से बचाओ और इन सवालों के जवाब दिलवाओ….
है तो यह किसी फिल्मी धुन पर आधारित गाने का रूपांतरण लेकिन अखबारों पर पूरी तरह से लागू है। अखबार में काम करने वाला कोई कर्मचारी नहीं होगा जो अपने सम्पादक या मैनेजर से पीड़ित न हो। पीड़ित तो अन्य विभाग मसलन विज्ञापन, सर्कुलेशन एकाउंट, एचआर और प्रिंटिंग विभाग में कार्यरत कर्मचारी भी होंगे लेकिन मुद्दा सम्पादक पर इसलिए केन्द्रित है कि यह अखबार की रीढ़ कहलाता है। जिस तरह मरीज के बिना अस्पताल का, छात्र के बिना शिक्षक का, अपराध के बिना पुलिस विभाग का मुवक्किल के बिना वकील या यात्री के बिना बस या ट्रेन का कोई महत्व नहीं है उसी तरह अखबार का सम्पादक के बिना कोई महत्व नहीं है। लेकिन सम्पादक नामक यह संस्था धीरे-धीरे अपना महत्व खोती जा रही है।
सिर्फ 5000 रुपये में काम कर रहे हैं दैनिक जागरण, लखीमपुर के रिपोर्टर
दैनिक जागरण लखीमपुर ब्यूरो आफिस में इन दिनों संवाददाताओं / रिपोर्टरों का जमकर शोषण हो रहा है… बेहद कम पैसे में ये लोग काम करने पर मजबूर हैं.. प्रबंधन की तरफ से वेतनमान बढाने का झांसा काफी समय से दिया जा रहा है… बार वादा हर बार वादा ही साबित हो रहा है… बेरोजगारी के कारण रिपोर्टर चुपचाप मुंह बंद कर काम कर रहे हैं.. कोई आवाज नहीं उठाता क्योंकि इससे उन्हें जो कुछ मिल रहा है, वह भी मिलना बंद हो जाएगा…
यूएनआई में सेलरी संकट, हालत बेहद दयनीय, एक दिसंबर को धरना-प्रदर्शन
संपादक, भड़ास4मीडिया, महोदय, UNI की दुर्दशा से आप भली भांति वाकिफ होंगे. इस मीडिया संस्थान में कार्यरत पत्रकार और गैर-पत्रकार अत्यंत दयनीय स्थिति मैं हैं. विगत 14 महीने से तनख्वाह उन्हें नहीं दी गयी है. हर महीना सैलरी नहीं मिल रही. पत्रकारों का मनमाने तरीके से तबादला किया जा रहा है. वित्तीय संकट की स्थिति में स्थानान्तरण का बोझ पत्रकार सहन नहीं कर पा रहे हैं. उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गयी है. UNI में उर्दू के जानेमाने पत्रकार अलमगीर साहब की 8-9 जून को हुई मौत इसका जीता जागता उदाहरण है.
लोकमत प्रबंधन की प्रताड़नाओं ने बुझा दिया एक दीपक
: लोकमत समाचार पत्र समूह के अन्याय, अत्याचार और प्रताड़नाओं से हार गए दीपक नोनहारे : नागपुर : लोकमत समाचारपत्र समूह के मगरूर प्रबंधन के अन्याय, अत्याचार और प्रताड़नाओं के आगे ‘लोकमत समाचार’ का एक पत्रकार पराजित हो गया. ‘लोकमत समाचार’ में पिछले 25 सालों से व्यापार-व्यवसाय डेस्क संभाल रहे दीपक नोनहारे ने गुरुवार 6 नवंबर की दोपहर को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (मेयो अस्पताल) नामक सरकारी अस्पताल में दम तोड़ दिया.
जनसंदेश टाइम्स बनारस तालाबंदी की ओर, संपादक आशीष बागची ने डेढ़ दर्जन लोगों को निकाला
खबर है कि जनसंदेश टाइम्स, बनारस अब तालाबंदी के मुहाने पर है। सिर्फ घोषणा ही बाकी है। मालिकों ने हिटलरशाही रवैया अपनाते हुए एक नवंबर को डेढ़ दर्जन से अधिक कर्मचारियों को कार्यालय आने से मना कर दिया। इन कर्मचारियों का कई माह का वेतन भी बकाया है, जिसे मालिकानों ने देना गवारा नहीं समझा। इसके साथ ही अखबार के संस्करण भी सिमटा दिये गये। सिटी और डाक दो ही संस्कदर अब रह गये। पहले सभी जिलों के अलग-अलग संस्करण छपते थे। अब दो ही संस्करण में सभी जिलों को समेट दिया गया है।
शूट के दौरान जिया न्यूज की पत्रकार स्नेहल पटरियों पर गिरीं, दोनों पैर कटे, चैनल की तरफ से कोई मदद नहीं
कल एक फेसबुक मित्र से हाय हैलो हुयी. पहले वो रियल4न्यूज मे काम करती थीं. उसके बाद कल हालचाल पूछा तो पता चला कि जिया न्यूज में है. मैंने पूछा किस स्टोरी पर क़ाम चल रहा है तो बोलीं- फिलहाल रेस्ट पर हूं. मैंने कहा- कब तक. बोलीं- पता नही. मजाक में मैंने कहा- आफिसियल हालीडे. वो बोलीं- नो. मैंने कहा- शादी या प्रेग्नेन्सी. बोलीं- नहीं. फिर दिलचस्पी ली. एक और कयास लगाया की शूट के दौरान घायल? उसने कहा- हां.
हां हम अयोग्य हैं, इसीलिए पत्रकार हैं क्योंकि….
”अयोग्य लोग ही इस पेशे में आते हैं, वे ही पत्रकार बनते हैं जो और कुछ बनने के योग्य नहीं होते..” आज स्थापित हो चुके एक बड़े पत्रकार से कभी किसी योग्य अधिकारी ने ऐसा ही कहा था… कहां से शुरू करूं… मुझे नहीं आता रोटी मांगने का सलीका… मुझे नहीं आता रोटी छीनने का …
बनारस के वरिष्ठ पत्रकार गोपाल ठाकुर खुले आसमान के नीचे मौत का कर रहे हैं इंतजार…
क्या पता कब मारेगी
कहां से मारेगी
कि जिदंगी से डरता हूं
मौत का क्या, वो तो
बस एक रोज मारेगी
कभी धर्मयुग जैसे प्रतिष्ठित पत्रिका से जुड़े रहे बुर्जुग पत्रकार गोपाल ठाकुर को जिदंगी रोज मार रही है, फिर भी जिंदा हैं… सिर पर छत फिलहाल नहीं है…. जो अपने थे, वक्त के बदलते रौ में वो अपने नहीं रहे… बेबसी, बेकारी हालात के शिकार गोपाल जी का नया ठिकाना फिलहाल रविन्द्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम आश्रम का चबूतरा है, जहां लेट कर आसमान को निहारते हाथों को ऐसे ही हिलाकर शायद अपने गुजरे वक्त का हिसाब-किताब करते मिले… लेकिन इतने बुरे वक्त में भी उनके चेहरे पर शिकन नहीं दिखी…
चुनाव खत्म, चैनल बंद, नौकरी गई : ‘खबरें अभी तक’ से है ये खबर, छंटनी-बंदी के लिए नोटिस जारी
हरियाणा में चुनाव क्या खत्म हो गया, हरियाणा केंद्रित न्यूज चैनलों में उलटफेर का तगड़ा दौर शुरू हो चुका है. ‘फोकस टीवी हरियाणा’ में छंटनी की सूचनाओं के बीच एक नई खबर ‘खबरें अभी तक’ चैनल से है. हरियाणा केंद्रित इस न्यूज चैनल के प्रबंधन ने एक नोटिस चस्पा कर दिया है कार्यालय में कि समस्त स्टाफ के लोग नवंबर के महीने को एक माह का नोटिस पीरियड समझें और चैनल को अलविदा कह दें. इस नोटिस के मिलने से चैनल में काम करने वाले परेशान हो गए हैं. हरियाणा प्रदेश की सियासत में आई भूचाल की आहट प्रदेश के न्यूज चैनलों में दिन-रात काम करने वाले पत्रकारों के घरों तक पहुँच रही है.
संपादक है या जल्लाद : एक मिनट देर होने पर पैसे काट लेता है, देर तक काम करने के पैसे नहीं देता
वाराणसी। दिवाली थी। पूरा शहर रोशनी में डूबा हुआ था। पर मेरा मन किसी गहरे अंधेरे में दिशाहीन सा भटक रहा था। जेब में पैसे नहीं थे, और घर पर ढेरों उम्मीदें मेरा इन्तजार कर रही थी। ऐसे में घर कैसे जाता। बार-बार अपने होने पर रंज हो रहा था। खैर, किसी तरह से पैसों का इंतजाम किया और गोदौलिया से ठेले पर बिक रही मिठाई खरीद कर घर पहुंचा। बूढ़ी मां के हाथों पर मिठाई रखकर डबडबाई आखों से कहा- मां इस बार इतना ही कर पाया हूं। … और फिर उस संपादक का चेहरा जेहन में आया। जो एक मिनट आफिस देर से पहुंचने पर पैसा काट लेता था और तय समय के बाद भी घंटों काम करवाकर उसके पैसे नहीं देता था।
भास्कर चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल पर शादी का झांसा देकर देश-विदेश में रेप करने का आरोप (देखें पीड़िता की याचिका)
डीबी कार्प यानि भास्कर समूह के चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल के खिलाफ एक महिला ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है. इस बाबत उसने पहले पुलिस केस करने के लिए आवेदन दिया पर जब पुलिस वालों ने इतने बड़े व्यावसायिक शख्स रमेश चंद्र अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा लिखने से मना कर दिया तो पीड़िता को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. कोर्ट में पीड़िता ने रमेश चंद्र अग्रवाल पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पीड़िता का कहना है कि रमेश चंद्र अग्रवाल ने उसे पहले शादी का झांसा दिया. कई जगहों पर शादी रचाने का स्वांग किया. इसके बाद वह लगातार संभोग, सहवास, बलात्कार करता रहा.
श्री टाईम्स, लखनऊ के 30 पत्रकारों का दिपावली में निकला दिवाला
: लखनऊ के सैकड़ों पत्रकारों को पड़े वेतन के लाले : लखनऊ। राजधानी लखनऊ में हिंदी अखबार श्री टाईम्स के पत्रकारों का दिपावली का दिवाला निकल गया है। यह श्री टाइम्स अखबार की ही हालत नहीं बल्कि श्री न्यूज चैनल की भी दुर्दशा है। पत्रकारों का पिछले तीन से चार माह तक की तनख्वाह बकाया है। मगर अफसोस की बात कि उन्हें दिपावली के शुभ अवसर पर भी उनकी खुशियों को प्रबंधन द्वारा फीका करने का काम किया गया है। श्री टाईम्स अखबार की हालत यह कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला ब्यूरो कार्यालय पर ताला लग गया है।
राजस्थान पत्रिका ने दीपावली पर गिफ्ट नहीं दिया कर्मचारियों को, बोनस में हजार रुपये कटौती
जयपुर से खबर है कि राजस्थान पत्रिका ने इस बार दीपावली लक्ष्मी पूजन के बाद अपने अखबार के कर्मचारियों को कोई गिफ्ट नहीं दिया. इस कारण से सभी कर्मचारियों को निराश होकर लौटना पड़ा. दरअसल पत्रिका समूह अपने कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों में से लगातार कटौती कर रहा है. पिछले कई दिनों का सीसीएल काफी महीनों बाद जमा करवाया गया.