आदित्य प्रकाश भारद्वाज-
ABP के पत्रकार हैं। नाम ज्ञानेंद्र तिवारी है। भरी सभा में पत्रकार की हैसियत से कह रहे हैं कि चमत्कार हुआ है। लोगों ने कान खींचा तो ट्विटर पर मुहीम चलने लगी। Hashtag चल रहा। सब पर भारी ज्ञानेंद्र तिवारी। अरे, हद है भाई। बता रहे कि ये चमत्कार ही तो है। बिना बताए बागेश्वर सरकार को चाचा का नाम भतीजी का नाम और गृह प्रवेश के बारे में कैसे पता।

पंडित जी यह तो इतनी गुप्त जानकारी थी कि इसके लिए RTI लगानी पड़ती है। असल में आनंद बाज़ार पत्रिका (ABP) अब आनंद बागेश्वर पत्रिका में तब्दील हो चुकी है। पत्रकारिता में चरणवंदना के दौर का स्वर्णयुग चल रहा है। ज्ञानेंद्र तिवारी माइक लेकर बाबा के चरणों में गिर पड़े। लेकिन ज्ञानेंद्र तिवारी से ज्यादा कोई चीज गिरी तो वह चैनल की पत्रकारिता है।
दरअसल कई टीवी न्यूज़ चैनल को अब बैसाखी उपलब्ध करा देनी चाहिए। मीडिया हाउस की रीढ़ की हड्डी अब खत्म हो चुकी है। अंधविश्वास फैलाने वाले पाखंडी बाबा, अनपढ़ मौलाना और जाहिल पादरियों के समर्थन में इन्होंने सिद्धांत की बत्ती बना दी है।
जिस ज्ञानेंद्र तिवारी के ऊपर पत्रकार होने के नाते जिम्मेदारी थी उसने तो चरण में गिरकर इतिश्री कर ली है….