Kumar Sanjay Tyagi : हरियाणा में पुलिस बर्बरता की सही मायनों में शुरुआत ओपी चौटाला के शासन काल में हुई थी। जो भी पत्रकार चौटाला की निगाह में तिरछा चला, पुलिस के माध्यम से उसकी चाल सीधी करा दी गई। इससे पुलिस के भी समझ में पत्रकारों की औकात आ गई। सरकार और नेताओं के पुलिस के दुरूपयोग के सिलसिले के बाद हरियाणा की पुलिस बेकाबू और बर्बर होती चली गई। हरियाणा का एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज न हुए हों।
इससे हुआ ये कि हरियाणा में पुलिस की करतूतों को लिखने या दिखाने की जुर्रत कोई बिरला पत्रकार ही करता है। इसका एक बड़ा कारण हरियाणा के पत्रकारों की खुद की कमियां भी हैं। अगर एक पत्रकार पुलिसिया जुल्म का शिकार होता है तो दूसरे साथी इसमें मजे लेते हैं। जो पत्रकार सरकार पर दबाव बना सकते हैं वह सरकार का मजा लेने में मशगूल रहते हैं। यही है हरियाणा। दिल्ली में बैठे महान पत्रकारों का हरियाणा की पुलिस की महानता का अहसास पहली बार हुआ है इसलिए उन्हें यह लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला दिखाई दे रहा है। हरियाणा के लिए यह रूटीन है और यही यहां के पत्रकारों की नियति है।
अमर उजाला, कानपुर से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार संजय त्यागी के फेसबुक वॉल से.