मध्य प्रदेश में अभिव्यक्ति की आजादी पर सत्ता के अहंकार का निर्लज्ज हमला

नईदुनिया समूह के भोपाल दैनिक नवदुनिया पर भाजपा पार्षद और उनके गुर्गों का हमला कहीं अभिव्यक्ति की स्वाधीनता पर पार्टी की अभिव्यक्ति तो नहीं है..! अपना मानना है की ऐसा नहीं है। यह दरअसल यह सत्ता के अहंकार का निर्लज्ज प्रदर्शन है जिसमे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के जिम्मेदार लोग भी आकंठ डूबे हुए हैं। जरा याद करें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का यह दंभी डायलाग –पत्रकार-वत्रकार क्या होता है ,हमसे बड़ा कोई है क्या..! चिंता की बात यह है की सरकार ने मीडिया मालिकों को तो खूब मैनेज कर रखा है जिससे इस भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ खबरें कभी-कभार ही छपती हैं। इसे भी सत्ताधीश और उनसे जुड़े लोग पचा नहीं पाते और उनके कोप का शिकार पत्रकारों को होना पड़ता है।

भिंड में खिसियानी पुलिस ने पत्रकारों पर भड़ास निकाली, कैमरा तोड़ने का प्रयास

भिंड पुलिस का शर्मनाक और बेरहम चेहरा एक बार फिर सामने आया है… गोहद थाना क्षेत्र के विजसेन के पूरा में चोर पकड़ने गई पुलिस पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया और दो इंसास रायफल लूटने के बाद फरार हो गए… इस घटना के बाद पुलिस पूरी तरह से बौखला गई….  बौखलाहट में पुलिस पूरी तरह दबंगई पर उतर आई…. पुलिस को जब आरोपी नहीं मिले तो पुलिस आरोपियों के छोटे-छोटे बच्चे और उनकी पत्नी व माँ सहित पांच लोगों को उठाकर मालनपुर थाने ले आई….

The DUJ denounces these attacks on the freedom of the press

The Delhi Union of Journalists (DUJ) condemns the increasing curbs and restrictions being imposed on journalists in various parts of the country. In the latest instance, the West Bengal government has banned the movement of journalists within the state secretariat ‘Nabana’. Journalists holding Press Accreditation cards issued by the state government have been barred from moving beyond the designated Press Corner in the building. Violators, have been threatened with dire consequences, including arrest and slapping of cases charging them of violating the official secrets Act.

बाड़मेर के भाजपा जिलाध्यक्ष ने लगातार दो दिन मीडियावालों को पिटवाया, थार प्रेस क्लब ने दिया धरना

बाड़मेर : नगर निकाय चुनावों की कवरेज में लगे मीडियाकर्मियों पर बीजेपी कार्यकर्ताओ द्वारा लगातार हमले हो रहे है. शनिवार और रविवार को मीडिया पर हमले सत्ता के नशे में चूर भाजपा जिलाध्यक्ष के इशारे पर हुए. शनिवार को मतदान के दौरान वार्ड संख्या 33 में कवरेज करने गए एक समाचार पत्र के पत्रकार पर बीजेपी कार्यकर्ताओ ने हमला किया और निर्वाचन विभाग द्वारा जारी मीडिया पास को फाड़ दिया. अखबार के संवाददाता को जान से मारने की धमकी दी.

दिल्ली की मर्दानी पुलिस पर सरेआम हमला, मीडिया वालों को भी गालियां दी गई (देखें वीडियो)

Kumar Sauvir : गैंग्स ऑफ़ वासेपुर का एक मशहूर डॉयलाग है:- यह तुम से नहीं हो पायेगा बेटा। दिल्ली के कनाट प्लेस में कुछ ऐसा ही मामला हुआ जहाँ शराब में धुत्त दिल्ली के बड़े रसूखदार रईसजादों ने हंगामा किया। दिल्ली की मर्दानी पुलिस पर सरेआम हमला बोला, भद्दी गालियाँ दीं, जान से मारने और वर्दी उतार लेने की धमकी दीं। एक चैनेल के रिपोर्टर और विडियो कर्मी को भी गालियां दी गई।

पत्रकार अमित आर्य का मीडिया सलाहकार और पत्रकारिता छात्र शैलेश तिवारी का धर्मगुरु बनना….

अभिषेक श्रीवास्तव


Abhishek Srivastava : मुझे याद है कि एक गोरे-चिट्टे, सम्‍भ्रान्‍त से मृदुभाषी सज्‍जन थे जो आज से करीब 12 साल पहले बीएजी फिल्‍म्‍स के असाइनमेंट डेस्‍क पर काम करते थे। तब इसका दफ्तर मालवीय नगर में हुआ करता था और Naqvi जी उसके हेड थे। मैं तब प्रशिक्षु के बतौर असाइनमेंट पर रखा गया था। मैं तो ख़ैर 21वें दिन ही असाइनमेंट हेड इक़बाल रिज़वी से झगड़ कर निकल लिया था, लेकिन वे सम्‍भ्रान्‍त सज्‍जन इंडस्‍ट्री में बुलेट ट्रेन की तरह आगे बढ़ते गए। बाद में वे इंडिया टीवी गए, इंडिया न्‍यूज़ हरियाणा के हेड हुए और लाइव इंडिया हरियाणा के हेड बने।

मैनेज आपके मालिक होते हैं और आपको सैलरी उनके हिसाब से मैनेज होने के लिए मिलती है, जर्नलिज्म करने के लिए नहीं

Vineet Kumar : तमाम न्यूज चैनल और मीडिया संस्थान प्रधानसेवक के आगे बिछे हैं..उन्हें देश का प्रधानमंत्री कम, अवतारी पुरुष बताने में ज्यादा रमे हुए हैं लेकिन उनकी ही पार्टी की सरकार की शह पर मीडियाकर्मियों की जमकर पिटाई की जाती है. पुलिस उन पर डंडे बरसाती है..हमने तो जनतंत्र की उम्मीद कभी की ही नहीं लेकिन आपने जो चारण करके जनतंत्र के स्पेस को खत्म किया है, अब आपके लिए भी ऑक्सीजन नहीं बची है..

हरियाणा का एक भी जिला ऐसा नहीं जहां पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज न हुए हों

Kumar Sanjay Tyagi : हरियाणा में पुलिस बर्बरता की सही मायनों में शुरुआत ओपी चौटाला के शासन काल में हुई थी। जो भी पत्रकार चौटाला की निगाह में तिरछा चला, पुलिस के माध्‍यम से उसकी चाल सीधी करा दी गई। इससे पुलिस के भी समझ में पत्रकारों की औकात आ गई। सरकार और नेताओं के पुलिस के दुरूपयोग के सिलसिले के बाद हर‍ियाणा की पुलिस बेकाबू और बर्बर होती चली गई। हरियाणा का एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज न हुए हों।

बेचारे हिसार वाले ‘मीडिया मीठू’… वे अब भी सहला सेंक रहे हैं अपना-अपना अगवाड़ा-पिछवाड़ा…

Yashwant Singh : पहले वो पुलिस के पक्ष में बोलते दिखाते रहे क्योंकि पुलिस ने उन्हें पुचकारा था, अपने घेरे में रखते हुए आगे बढ़ाकर बबवा को बुरा बुरा कहलवाया दिखाया था… जब पुलिस को लगा कि भक्तों-समर्थकों को लतिया धकिया मार पीट तोड़ कर अंदर घुसने और बबवा को पकड़ कर आपरेशन अंजाम तक पहुंचाने का वक्त आ गया है तो सबसे पहले पुचकार के मारे तोते की तरह पुचुर पुचुर बोल दिखा रहे ‘मीडिया मीठूओं’ को लतियाना लठियाना भगाना शुरू किया ताकि उनके आगे के लतियाने लठियाने भगाने के सघन कार्यक्रम के दृश्य-सीन कैमरे में कैद न किए जा सकें… ये सब प्री-प्लान स्ट्रेटजी थी. सत्ताधारी राजनीतिज्ञों से एप्रूव्ड.

हिसार में पुलिस ने दो दर्जन मीडियाकर्मियों को बर्बर तरीके से पीटा और कैमरा तोड़ा

संत रामपाल प्रकरण कवर करने हरियाणा के हिसार पहुंचे दर्जनों मीडियाकर्मियों को हरियाणा पुलिस ने बुरी तरह पीटा. कई चैनलों के रिपोर्टरों और कैमरामैनों को गंभीर चोटें आई हैं. पुलिस द्वारा आजतक के रिपोर्टर और कैमरामैन को पीटते हुए दृश्य न्यूज चैनलों पर दिखाए जा रहे हैं. ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने मीडिया पर जान-बूझकर किए गए अटैक की कड़ी निंदा की है और दोषियों तो दंडित करने की मांग की है. बीईए महासचिव और वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने कहा है कि पुलिस ने राजनीतिक आकाओं के इशारे के बाद मीडिया पर हमला किया है ताकि पुलिस कार्रवाई को मीडिया कवर न कर सके और मौकै से मीडिया के लोगों को भगाया जा सके. ओबी वैन से लेकर मोबाइल, कैमरा तक तोड़े क्षतिग्रस्त किए गए हैं. करीब दो दर्जन पत्रकारों और कैमरामैनों को चुन चुन कर पुलिस ने निशाना बनाया है.

सत्तर सेकेंड का सीन

यह एक्शन सीन कुल सत्तर सेकेंड का रहा. इसमें सब कुछ था. सवाल पूछती हुई एक रिपोर्टर थी. उसका कैमरा था. सामने रॉबर्ट वाड्रा खड़े थे. उनके साथ उनके सुरक्षा गार्ड खडे थे. यह एक होटल का गलियारा था जहां पूरा सीन एक ही टेक में शूट हुआ. कहते हैं कि रिपोर्टर कई घंटे से उनका इंतजार करती रही और ज्यों ही राबर्ट वाड्रा जिम से कसरत करके निकले त्यों ही रिपोर्टर ने माइक लेकर पूछना शुरू कर दिया कि हरियाणा वाली जमीन के प्रकरण के बारे में उन्हें क्या कहना है? वाड्रा पहले रिपोर्टर को देखते रहे, फिर तीन बार क्रोध में भरकर कहा: ‘आर यू सीरियस?’ फिर एएनआई की उस रिपोर्टर के हाथ में ठहरे गनमाइक को जोर का मुक्का मारा. गनीमत रही कि रिपोर्टर का गनमाइक उसके हाथ छूट कर नीचे नहीं गिरा. उसके बाद वाड्रा आगे बढ गए और एक आवाज आती रही कि डिलीट कर दो…