मजीठिया वेज बोर्ड मांगने वाले पत्रकार को एमपी पुलिस ने 31 घंटे तक अवैध हिरासत में रखा

प्रति,
श्रीमान् प्रधान संपादक महोदय
भड़ास मीडिया

पत्रकार के साथ पुलिस की गुंडागर्दी का मामला आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं… मैं पत्रकार विपिन नामदेव बताना चाहूंगा कि मेरे पिताजी को पुलिस वाले 04/03/2017 को सुबह 04:10 मिनट पर उठा के ले गये. घर की महिलाओं के साथ गाली गलौज की. इसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. मैं पुलिस के पास शाम 05:30 पर पहुंचा तो मुझे बिठाकर पिताजी को छोड़ दिया गया.

पीएम की चंडीगढ़ यात्रा के दौरान चौकसी के नाम पर पुलिस ने पत्रकार के पिता को उठाकर थाने में डाल दिया

चंडीगढ़ में एक न्यूज चैनल के पत्रकार अमित चौधरी जो अभी तक दूसरों की परेशानियों, उन पर हुए अत्याचारों को दिखाते और बताते रहे हैं, आज खुद उसका शिकार हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के चलते उनके साथ वो सब हुआ जिसे वह ‘तानाशाही, जुल्म, अत्याचार, प्रताड़ना और भयावह’ जैसे शब्दों के जरिये बयां करते हैं। यही नहीं, कारगिल युद्ध में देश के लिए दुश्मन से लोहा लेने वाले ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह के बेटे का निधन हो गया, उन्हें सेक्टर 25 के श्मशान घाट में बेटे का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया। क्योंकि प्रधानमंत्री की रैली के चलते श्मशान घाट को पार्किंग में बदल दिया गया था। सोशल मीडिया के चलते अमित और ब्रिगेडियर देवेंद्र की तकलीफ का पता हमें लग भी गया लेकिन हजारों-लाखों लोग ऐसे हैं जिनके पास अपनी तकलीफ और पीड़ा बताने के लिए स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया का मंच नहीं है लेकिन असहनीय पीड़ा है।

कैमरे से सच दिखाने वाले आजाद पत्रकार गौतम पर आज 15 केस हैं…

कैमरे पर सच दिखाने की हिमाकत का नतीजा यह रहा कि कोलकाता पुलिस गौतम कुमार विश्वास को बालों से नोचती हुई घसीट कर ले गई। उन्हें जहां चाहा मारा। लातें, घूसे सब। गौतम कोलकाता के फ्रीलांस पत्रकार हैं, जो पुलिस और प्रशासन की पोल खोलती फिल्में बनाते हैं। जान की परवाह किए बिना भ्रष्ट तंत्र से टकराने वाले गौतम के महीने के आधे से ज्यादा दिन अदालतों में जाते हैं। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा वकीलों को जा रहा है लेकिन फिर भी गौतम इस घुन लगी व्यवस्था के आगे न झुकते हुए बखूबी अपना काम कर रहे हैं।

यूपी में किसान की मौत और आदिवासी नेता पर पुलिसिया फायरिंग से मुलायम-अखिलेश का असली चेहरा उजागर

लखनऊ 14 अप्रैल 2015। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ के गांव सरायसादी में हुई किसान की मौत को रिहाई मंच ने सपा सरकार की किसान विरोधी नीति का एक और उदाहरण बताते हुए कहा कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूबे में किसान और उसके प्रति सरकार का रवैया क्या है। मंच ने सोनभद्र में कन्हार बांध के नाम पर गैरकानूनी ढ़ंग से किए जा रहे अधिग्रहण के खिलाफ अंबेडकर जयंती पर ‘संविधान बचाओ’ प्रदर्शन पर पुलिस फायरिंग की कड़ी भर्त्सना करते हुए दोषी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

यूपी में जंगलराज : एक और अन्नदाता ने की आत्महत्या, एक और किसान के सीने में घुसी पुलिस की गोली

यूपी में एक महीने में 67 किसानों ने की आत्‍महत्‍या कर ली। ये आंकड़ा झूठा है क्योंकि ये पिछले मार्च महीने में हुई किसान मौतों का जोड़ है। आज तो आधा अप्रैल भी गुजर रहा है। संख्या सैकड़ा पार कर चुकी है। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और उसके साथ ही किसानों की सदमे से मौत और खुदकुशी का सिलसिला भी थम नहीं रहा है। मौसम लगातार फसलों पर कहर बन कर टूट रहा है। करोड़ों अन्नदाताओं के घरों में अंधेरा पसरता जा रहा है। उन्हें अपनी मुसीबतों का कोई पारावार नहीं सूझ रहा है। अखबारी सूचनाओं पर यकीन करें तो सबसे खराब हाल उत्तर प्रदेश के मध्यक्षेत्र और बुंदेलखंड का है। यहां रोजाना मौतों की गिनती बढ़ती जा रही है। 

यूपी में जंगलराज : जौनपुर में पुलिस द्वारा एक युवक की बेरहमी से पिटाई का लाइव वीडियो देखें

पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर गये देश के प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में भले ही फिल्मों में पुलिस की ख़राब छवि दिखाए जाने की बात कही और पुलिस को स्मार्ट बनने के लिए मन्त्र भी दे डाले लेकिन पुलिस सुधरने को कतई तैयार नहीं है. इस वीडियो को देख लीजिए. इसके दृश्य देख कर एक बार सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. ये किसी निर्माता निर्देशक द्वारा बनाई गयी फिल्मी सीन नहीं है. ये रीयल वीडियो है. बीच सड़क पर पुलिस के दो जवान एक युवक को डंडे से पीटते हुए ले जा रहे हैं.

हल्द्वानी में पत्रकारों पर बर्बर लाठीचार्ज, 13 मीडियाकर्मी घायल

लाडली हत्याकांड में विफलता से बौखलाई पुलिस ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री के जाते ही शीशमहल में धरने पर बैठे लोगों और पत्रकारों और स्थानीय लोगों पर बर्बरता से लाठीचार्ज कर दिया। पत्रकारों के बीच बचाव में आए लोगों पर भी जमकर लाठियां बरसाई गईं। पुलिस कर्मियों ने मासूम को भी नहीं छोड़ा। लाठीचार्ज में 13 मीडिया कर्मियों समेत 18 लोग घायल हो गए। इनमें एक पत्रकार की हालत गंभीर बनी हुई है। उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है।

वाह रे लखनऊ पुलिस! : जो लड़की को बचा रहा था उसे एएसपी पर फायरिंग का आरोपी बना दिया

हमने हजरतगंज, लखनऊ में एएसपी दुर्गेश कुमार पर हुए कथित फायरिंग मामले में अपने स्तर पर जांच की. हमने आरोपी पुलकित के घर जाकर उसके पिता राम सुमिरन शुक्ला, माँ सावित्री शुक्ला, भाई पीयूष शुक्ला तथा अन्य परिचितों से मुलाकात की. इन लोगों ने बताया कि घटना प्रोवोग शॉप के पास हुई जिसमें परिचित लड़की को छेड़े जाते देख पुलकित और साथियों ने बीच-बचाव किया.

हिसार लाठीचार्ज में घायल पत्रकार मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

नई दिल्ली: हिसार के बरवाला में सतलोक आश्रम से रामपाल की गिरफ्तारी से जुड़ी पुलिसिया कार्रवाई में घायल हुए पत्रकार विकास चंद्रा की हालत इतनी खराब हो गई है कि उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है। इस घटना में घायल अन्य चार पत्रकार ने घटना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। पत्रकारों ने मामले की जांच कराने और मुआवजे देने के लिए यह अपील की है।

मैनेज आपके मालिक होते हैं और आपको सैलरी उनके हिसाब से मैनेज होने के लिए मिलती है, जर्नलिज्म करने के लिए नहीं

Vineet Kumar : तमाम न्यूज चैनल और मीडिया संस्थान प्रधानसेवक के आगे बिछे हैं..उन्हें देश का प्रधानमंत्री कम, अवतारी पुरुष बताने में ज्यादा रमे हुए हैं लेकिन उनकी ही पार्टी की सरकार की शह पर मीडियाकर्मियों की जमकर पिटाई की जाती है. पुलिस उन पर डंडे बरसाती है..हमने तो जनतंत्र की उम्मीद कभी की ही नहीं लेकिन आपने जो चारण करके जनतंत्र के स्पेस को खत्म किया है, अब आपके लिए भी ऑक्सीजन नहीं बची है..

हरियाणा का एक भी जिला ऐसा नहीं जहां पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज न हुए हों

Kumar Sanjay Tyagi : हरियाणा में पुलिस बर्बरता की सही मायनों में शुरुआत ओपी चौटाला के शासन काल में हुई थी। जो भी पत्रकार चौटाला की निगाह में तिरछा चला, पुलिस के माध्‍यम से उसकी चाल सीधी करा दी गई। इससे पुलिस के भी समझ में पत्रकारों की औकात आ गई। सरकार और नेताओं के पुलिस के दुरूपयोग के सिलसिले के बाद हर‍ियाणा की पुलिस बेकाबू और बर्बर होती चली गई। हरियाणा का एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज न हुए हों।

दिल्ली के त्रिलोकपुरी में थानाध्यक्ष ने पत्रकार राजेश सरोहा को पीटा

त्रिलोकपुरी दंगे के दौरान पुलिसिया ज्यादाती की कहानी बाहर न आए इसके लिए पूर्वी जिला पुलिस अब पत्रकारों पर भी हमला करने से नहीं चूक रही है. ऐसे ही एक मामले में मंगलवार को विवेक विहार थानाध्यक्ष ने अपनी टीम के साथ एक अखबार के वरिष्ठ संवाददाता राजेश सरोहा पर लाठियों से जमकर प्रहार किए. घायल पत्रकार ने किसी तरह मौके से हटकर डीसीपी को फोन किया और जान बचाई. सरोहा का कहना है कि वे दिन में करीब 12.30 बजे दंगा प्रभावित इलाके की स्थिति को देखने के लिए त्रिलोकपुरी ब्लॉक 5 और 6 से होते हुए ब्लॉक 11 पहुंचे थे.

अजय वर्मा पिटाई प्रकरण में भोपाल के कथित वरिष्ठ पत्रकारों की घटिया भूमिका

Ashish Maharishi : पुलि‍स के गुंडे भोपाल में एक युवा पत्रकार अजय वर्मा को जमकर पी‍टते हैं। अजय की गलती बस इतनी थी कि वह पुलि‍सि‍या अकड़ के आगे झुकने को तैयार नहीं थे। अजय अभी अस्‍पताल में भर्ती हैं। अजय के कुछ चुनिंदा साथी उससे मि‍लने कभी कभार अस्‍पताल पहुंच जाते हैं। अजय अपनी लड़ाई अकेला ही लड़ रहा है।