मोदी मंत्र, मोदी सूत्र के बाद अब हरीश बर्णवाल की नई किताब ‘मोदी नीति’ के नाम से आई है. टीवी पत्रकार डॉ. हरीश चन्द्र बर्णवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पांच साल में ये तीसरी किताब लिख दी है. प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित और 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मार्केट में आई यह किताब मोदी सरकार के पांच वर्षों की कार्यशैली से इस देश की सभ्यता, संस्कृति और समाज पर पड़े गहरे और व्यापक असर का सकारात्मक आंकलन करती है. साथ ही इसके दूरगामी प्रभाव के बारे में भी सकारात्मक तरीके से बताती है. इस किताब में सब कुछ मोदी के लिए जय-जय के भाव से लिखा गया है.
हरीश बर्णवाल की पुस्तक ‘मोदी नीति’ में आंकड़ों के माध्मय से संदर्भों को विश्लेषित करने का प्रयास किया गया है. ‘मोदी नीति’ के मुताबिक- ‘जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये आंकड़े गिनाते हैं कि किस प्रकार जो कार्य देश में छह दशकों में भी नहीं हुए, वो उन्होंने 4-5 वर्षों के कार्यकाल में कर दिए तो ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर उन्हीं लोगों, साधनों और संसाधनों के रहते कार्य संस्कृति में इतना बड़ा बदलाव कैसे आ गया।’
पुस्तक इस बात का भी जवाब देती है कि आज जब ये महसूस हो रहा है कि इक्कीसवीं सदी भारत की सदी होगी, तो इस आत्मविश्वास के पीछे की वजह क्या है. कुछ वर्ष पहले पूरे विश्व में जिस देश की पहचान भ्रष्टाचार, गरीबी, भुखमरी वाले देश के रूप में होती थी, वो आज अचानक विकास के नए-नए रिकॉर्ड कैसे बना रहा है, न्यू इंडिया की बात कैसे हो रही है, इसकी असली वजह क्या है? ‘मोदी नीति’ इन सारे सवालों के जवाब समग्रता में देती है.
‘मोदी नीति’ पुस्तक में नौ चैप्टर हैं. इसमें लोक संस्कृति से लेकर पौराणिक ग्रंथों तक, योग से लेकर स्वास्थ्य क्रांति तक, पत्रकारिता से लेकर पर्यावरण तक और भाषाई एकजुटता से लेकर न्यू इंडिया के संकल्प तक जैसे विषयों को लेखक ने अलग-अलग तरीके से विश्लेषित किया है. पुस्तक का नौवां चैप्टर ‘सार्थक परिवर्तन के चार साल’ को लेखक ने वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक श्री रामबहादुर राय जी के साथ मिलकर लिखा है. इस चैप्टर में भारत के परिवेश में हो रहे नीतिगत बदलाव की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया है.
प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित यह पुस्तक दो संस्करणों में आई है. हार्ड बाउंड संस्करण की कीमत 400 रुपये तो पेपरबैक संस्करण की कीमत 200 रुपये है. डॉ. हरीश चन्द्र बर्णवाल की यह छठी पुस्तक है. इससे पहले उनकी कहानियों की पुस्तक वाणी प्रकाशन से, जबकि टेलीविजन की भाषा राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है. लेखक भारतेंदु हरिश्चन्द्र पुरस्कार और हिन्दी अकादमी पुरस्कार समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं.