नई दिल्ली : देश अगले महीने होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले जोरदार राजनीतिक विवादों की चपेट में हैं, और इसी दौरान RTI कार्यकर्ता-लेखक संजॉय बसु, नीरज कुमार और शशि शेखर ने अपनी नई लॉन्च की गई किताब, ‘वादा-फरामोशी’ (फैक्ट्स, फिक्शन नहीं , RTI अधिनियम पर आधारित) को जनता के सामने प्रस्तुत किया है। पिछले …
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इस टीवी पत्रकार ने पांच साल में मोदी के पक्ष में तीसरी किताब ठोंक दी
मोदी मंत्र, मोदी सूत्र के बाद अब हरीश बर्णवाल की नई किताब ‘मोदी नीति’ के नाम से आई है. टीवी पत्रकार डॉ. हरीश चन्द्र बर्णवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पांच साल में ये तीसरी किताब लिख दी है. प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित और 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मार्केट में आई यह किताब मोदी …
Subject: Arvind Mohan’s review of My book in your web portal
Dear Yashwantji
Someone pointed out to me about this review and I read. After reading I was shocked. While I have nothing to say about Shri Arvind Mohan or his credibility I strongly object to insinuations and innuendos in his article against my book and my credibility. Not that his review would undermine these, but I wish to set the record straight.
मोदी पुराणों की धूम : गिनती करिए, मोदी पर हिंदी अंग्रेजी में कुल कितनी किताबें आ गईं!
Arvind Mohan
अब यह समझना कुछ मुश्किल है कि नरेन्द्र मोदी व्यक्ति भर हैं या कोई परिघटना हैं. उनकी राजनीति, उनकी कार्यशैली, उनकी सोच और इन सबके बीच उनकी सफलताएं जरूर उन्हें सामान्यजन से ऊपर पहुंचाती हैं. और उनकी ही भाषा में कहें तो उन्हें इसका एहसास है कि उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लिए ही बनाया गया है. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कमल के निशान पर पड़े वोट सीधे उनको मिलने (उम्मीदवार, पार्टी और ग्ठबन्धन नहीं) और ईश्वर द्वारा इस काम अर्थात प्रधानमंत्री बनने के लिए चुने जाने की बात खुले तौर पर कही. कहना न होगा काफी कुछ उनकी इच्छा के अनुरूप ही हुआ. अब हम आप इसके अनेक कारण और उनके विरोधियों की कमजोरी या सीधापन को जिम्मेवार मानते रहें पर मोदी ने अपनी बड़ी इच्छा पूरी कर ली. हमें देवता के आशीर्वाद और आदेश की जगह उनकी तैयारियां, उनको उपलब्ध साधन, उनका अपूर्व प्रचार वगैरह-वगैरह नजर आता हो तो इसमें भी कोई हर्ज नहीं है. पर यह तो मानना ही पड़ेगा कि मोदी को चन्दा देने वालों ने चन्दे से ज्यादा हासिल किया होगा, उनका प्रचार करने वालों ने खर्च से ज्यादा पैसे निकाल लिए होंगे, उनका गुणगान करने वालों ने अपने-अपने यहां काफी कुछ हासिल कर लिया होगा- और यह सब इसी दरिद्रता के, इसी कमजोरी-बीमारी के, इसी पिछड़ेपन वाले भारत से निकाल लिया गया है. पर असली हिसाब यही है कि सबने छोटे-छोटे धन्धे करते हुए मोदी का मुख्य काम आसान कर दिया.