सुप्रभात यशवंत जी
आपसे टेलीफ़ोन पर हुई वार्ता के सन्दर्भ में पूरी बात लिखकर यहां बताना चाहूंगा आपको कि उत्तर प्रदेश द्वारा शुरू की गयी हेल्पलाइन यदि केवल राजपत्रित (accredit) पत्रकारों के लिए है तो इसका कोई मतलब नहीं है। जागरण, अमर उजाला जैसे बड़े संस्थानों में भी 5% से कम ही राजपत्रित पत्रकार है। बाकी 95% पत्रकार और गैर पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों का क्या मीडिया में कोई योगदान नहीं है? राजपत्रित पत्रकारों पर तो मीडिया मालिक और प्रशासन वैसे ही मेहरबान रहता है, उन्हें तो सामान्यता शिकायत की नौबत आती ही नहीं है।
आज मैंने अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिये फ़ोन किया, तो बताया गया कि केवल राजपत्रित पत्रकार ही अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उसमें में भी उन्होंने कुछ सीमित विषय बताये जैसे पैसे का लेन-देन वगैरह। मैंने उन्हें बताया कि मेरा मामला पैसे, शोषण और मजीठिया victimization का है जो आपकी बताई category के अंतर्गत आता है। इस पर उन्होंने कहा ऐसी 350 शिकायतें पहले ही दर्ज हैं। जब उन पर कोई कार्यवाही होगी तो आपका समाधान भी अपने आप हो जाएगा। उन्हें मेरी शिकायत दर्ज नहीं करनी थी, अंतोगत्वा दर्ज नहीं ही की। इससे लगता है कि यूपी में पत्रकारों के लिए अखिलेश सरकार द्वारा शुरू की गई हेल्पलाइन मात्र छलावा है।
सुशील राणा
पत्रकार
यूपी सरकार द्वारा पत्रकारों के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन को लेकर अगर आपके पास भी कोई पाजिटिव या निगेटिव फीडबैक है तो कृपया भड़ास से शेयर करें, [email protected] पर मेल करें.