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सुख-दुख

श्रद्धांजलि : पान सिंह तोमर का वह एकमात्र इंटरव्यू हेमेंद्र नारायण ने ही लिया था…

वरिष्ठ पत्रकार हेमेंद्र नारायण के निधन से जयशंकर गुप्त और दिलीप मंडल मर्माहत

Jaishankar Gupta : एक नितांत दुखद सूचना। वरिष्ठ पत्रकार एवं निजी पारिवारिक मित्र हेमेंद्र नारायण 16-17 नवंबर की आधी रात हम सबको छोड कर अनंत की यात्रा पर निकल गए। बीमार तो लंबे अरसे से थे लेकिन 32-33 वर्षो का पुराना साथ इस कदर छोड जाएंगे, इसका यकीन नहीं था। हम पहली बार संभवतः 1983 में गोहाटी में मिले थे। हम तब रविवार के साथ थे और वह इंडियन एक्सप्रेस के।

<p><strong><span style="font-size: 18pt;">वरिष्ठ पत्रकार हेमेंद्र नारायण के निधन से जयशंकर गुप्त और दिलीप मंडल मर्माहत</span></strong> </p> <p>Jaishankar Gupta : एक नितांत दुखद सूचना। वरिष्ठ पत्रकार एवं निजी पारिवारिक मित्र हेमेंद्र नारायण 16-17 नवंबर की आधी रात हम सबको छोड कर अनंत की यात्रा पर निकल गए। बीमार तो लंबे अरसे से थे लेकिन 32-33 वर्षो का पुराना साथ इस कदर छोड जाएंगे, इसका यकीन नहीं था। हम पहली बार संभवतः 1983 में गोहाटी में मिले थे। हम तब रविवार के साथ थे और वह इंडियन एक्सप्रेस के।</p>

वरिष्ठ पत्रकार हेमेंद्र नारायण के निधन से जयशंकर गुप्त और दिलीप मंडल मर्माहत

Jaishankar Gupta : एक नितांत दुखद सूचना। वरिष्ठ पत्रकार एवं निजी पारिवारिक मित्र हेमेंद्र नारायण 16-17 नवंबर की आधी रात हम सबको छोड कर अनंत की यात्रा पर निकल गए। बीमार तो लंबे अरसे से थे लेकिन 32-33 वर्षो का पुराना साथ इस कदर छोड जाएंगे, इसका यकीन नहीं था। हम पहली बार संभवतः 1983 में गोहाटी में मिले थे। हम तब रविवार के साथ थे और वह इंडियन एक्सप्रेस के।

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असम के रक्त रंजित विधान सभा चुनाव की कवरेज के लिए दोनों पहली बार वहां गए थे। उस समय की यारी बाद के दिनों वर्षो में और घनिष्ठ और पारिवारिक होती गई पटना प्रवास के समय भी हम आस पास ही रहते थे। हेमेंद्र का निधन न सिर्फ बिहार बल्कि इस देश की जन पक्षधर पत्रकारिता के लिए और इस सबसे अधिक हमारे लिए अपूरणीय क्षति है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की अपूरणीय क्षति का सिलसिल है कि टूटने का नाम ही नहीं ले रहा। अरुण कुमार के जाने के बाद अब हेमेंद्र! विनम्र श्रद्धांजलि।

Dilip C Mandal :  हमारे दौर के श्रेष्ठ पत्रकारों में से एक हेमेंद्र नारायण नहीं रहे. मेरे लिए तो वे शिक्षक समान पारिवारिक मित्र रहे. वे जिन दिनों स्टेट्समैन में स्पेशल कॉरसपोंडेंट थे और उन दिनों मैं संसद की रिपोर्टिंग सीख रहा था. पत्रकारिता के विद्यार्थियों से मैं कह सकता हूं कि कॉपीराइटिंग और रिपोर्टिंग में महारत हासिल करनी हो तो हेमेंद्र नारायण की कॉपी पढ़िए.

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असम के नेल्ली नरसंहार पर उनकी पुस्तिका यादगार है. जिलों से लेकर संसदीय राजनीति पर उन्होंने क्या खूब कलम चलाई. उनकी जनपक्षधरता असंदिग्ध थी. जिनका पत्रकारिता से वास्ता नहीं है, उन्हें बता दूं कि पान सिंह तोमर का वह एकमात्र इंटरव्यू हेमेंद्र नारायण ने ही लिया था. उन दिनों वे ग्वालियर में यूएनआई में पोस्टेड थे.

वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त और दिलीप मंडल के फेसबुक वॉल से.

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