हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान अखबार चाहे जितनी भी बड़ी मीडिया कंपनी का प्रोडक्ट हो, इससे जुड़े पत्रकार फिलहाल बदनसीबी झेल रहे हैं। हरदोई में हिन्दुस्तान अखबार कई सालों से जनाब तारिक इकबाल के हवाले है। उनको जिला प्रभारी का वेतनमान आज तक नसीब नहीं हो रहा है। शहरी रिपोर्टर के अलावा तहसील, ब्लाक और कस्बाई रिपोर्टरों को मानदेय उनके अनुरूप नहीं दिया जा रहा है। तमाम लोगों को मानदेय आज तक नसीब नहीं हुआ तो कुछ का मानदेय मिलने के बावजूद बन्द है। ऐसे में कानपुर संपादक की लापरवाही से हरदोई हिन्दुस्तान से जुड़े लोग घुट-घुटकर जीने को मजबूर हैं।
शहर में स्थित हिन्दुस्तान कार्यालय पर तारिक इकबाल के भाई बिरादरी के लोगों की बादशाहत है। संस्थान से उचित मानदेय न मिलने के कारण उनसे जुड़े कुछ लोग सिर्फ कमाई का जरिया तलाशने में रहते हैं। उनकी मांग जो पूरी नहीं करता उसके खिलाफ खबर छापने की धमकी दी जाती है। दफ्तर में अनाधिकृत उन लोगों का बोलबाला है जो अखबार संस्थान से ताल्लुक नहीं रखते बल्कि तारिक इकबाल के करीबी हैं। अखबार की हनक में कोयलबाग कालोनी के सरकारी आवास में रहकर जिन्दगी का लुत्फ उठा रहे तारिक इकबाल अपने करीबी शहनवाज को सरकुलेशन प्रभारी बनाने को बेताब हैं। इस समय वही सरकुलेशन देख भी रहे हैं। इससे पूर्व उनको विज्ञापन प्रभारी बनाने को लेकर एड़ी चोटी का जोर लगा चुके हैं।
बहुत सज्जन व्यक्ति इन्द्रमोहन श्रीवास्तव को इससे पहले हटाने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे। नशेड़ी पत्रकार मोहम्मद खालिद को क्राइम रिपोर्टर बनाने का प्रयास किया लेकिन शिकायत के बाद उसमें असफल हो गए। पाली के हिन्दुस्तान संवाददाता शिवाकान्त बाजपेयी को तारिक इकबाल ने तबाह कर रखा है। कानपुर के संपादक सुनील द्विवेदी के संज्ञान में मामला गया उन्होंने तारिक इकबाल को समझाया फिर भी तारिक इकबाल के सामने संपादक की नहीं चली। वहां के रिजवान खान की चरण वन्दना करने वाले पत्रकार अनुराग गुप्ता को भरखनी हिन्दुस्तान संवाददाता बना दिया। बीच में संपादक के हस्तक्षेप से मामला टल गया था लेकिन फिर उसको टार्चर किया जा रहा है।
हरदोई जिले की शिकायतों लेकर संपादक गंभीर न होने से हरदोई में हाय-तौबा मची हुई है। अखबार के सरकुलेशन प्रभारी प्रमोद श्रीवास्तव इसी तानाशाही और बिरादरीवाद के चलते अखबार से किनारा कर दैनिक जागरण में चले गए। वासुदेव तिवारी, संजय सिंह, संजीव गुप्ता जैसे तमाम पत्रकारों ने अखबाार को छोड़ दिया। यह हरदोई से समय रहते हटाए नहीं गए तो बहुत लोग अखबार से जुड़े किनारे हो जाएंगे जिससे कानपुर यूनिट के हरदोई संस्करण को आगामी समय में बड़ा झटका लग सकता है।