Abhishek Srivastava : IIMC में कुछ गड़बड़ हो रहा है, इसकी मुझे आज सुबह से बू आ रही है। जिन लोगों ने भी मामले को प्रेस में सरकाया है, उन्होंने जानबूझ कर बड़ी गलती की है। अब छूटा हुआ तीर वापस नहीं आने वाला। इस मामले का राजनीतिकरण किया जा चुका है जबकि इसे संस्थान के भीतर आरोपी छात्र के माफ़ीनामे के बाद ही खत्म कर दिया जाना चाहिए था। अगर इस छात्र का निष्कासन किया जाता है, तो उसके संभावित परिणाम का जवाबदेह कौन होगा?
इतनी राजनीति तो हम सब समझते हैं कि रोहित वेमुला कांड के बाद सरकार व संस्थानों के भीतर बैठे पंडों की नींद हराम है। ब्राह्मणवाद को हमेशा ऐसे हालात से निपटने के लिए अपनों के बीच से ही एक बलि की ज़रूरत होती है। मुझे शक़ है कि आइआइएमसी के मामले के बहाने कुछ दक्षिणपंथी तत्व आरोपी छात्र को घेरघार कर अलगाव में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। इसे तत्काल रोका जाना चाहिए।
हम नहीं चाहते कि किसी भी युवा के साथ ज्यादती हो, ब्राह्मणवाद के नाम पर या आंबेडकरवाद के नाम पर। मुझे शक़ है कि रोहित वेमुला की एंटी-थीसिस दिल्ली के भारतीय जनसंचार संस्थान में लिखी जा रही है। हो सकता है मेरा आकलन ग़लत भी हो, लेकिन सब मिलकर कम से कम वहां हालात को बिगड़ने से ज़रूर रोकें।
पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से. इस पोस्ट पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं…
Deepak Singh IIMC में ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए, कुछ लोग फ़र्ज़ी में नेतागीरी झाड़ रहे हैं। जिसका नुकसान संस्थान और छात्रों को ही होगा
Atul Chaurasia स्कूल कॉलेज के झगड़े वहीं निपट जाएं इससे बेहतर कुछ नहीं होगा. जब लड़के ने लिखित माफी मांग ली है तब बात आगे बढ़ने की गुंजाइश और भी खत्म हो जाती है. उन लड़कों की भूमिका भी संदेहास्पद है जो पहले सिर्फ ओपेन माफी की मांग कर रहे थे और अब उन्हेंं छात्र का निलंबन चाहिए. संस्थान के भीतर से या बाहर से जो लोग भी इस मसले को अब तूल दे रहे हैं वो दरअसल आग से खेल रहे हैं…
Manshes Kumar छूटा तीर तो वापस आने से रहा अब लगातार न्यूज़ चैनलों पर चलने लगा है। उसका क्या। और आपने बहुत सही बात कही कि कुछ दक्षिणपंथी छात्र किसी न किसी की बलि चढाने में लगे हैं।