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IIMC प्रवेश परीक्षा 2021: चोटी का संस्थान और इतनी सारी समस्याएं!

कल भारतीय जनसंचार संस्थान यानी कि आईआईएमसी की प्रवेश परीक्षा थी। इस बार की परीक्षा का आयोजन बीते वर्ष की भांति NTA यानी कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी करा रही थी। सभी विद्यार्थी उत्साहित थे, तैयार थे उस कॉलेज की प्रवेश परीक्षा के लिए, जिसका सपना उन्होंने बीते कुछ समय से देखा था, लेकिन आज की परीक्षा में तमाम अनियमितताएं देखने को मिली।

कुछ सेंटरों में सर्वर की समस्या के चलते पेपर देरी से शुरू हुआ। कुछ सेंटरों में लाइट चली गई, कुछ सेंटरों में कक्ष निरीक्षकों के पास पेपर से सम्बंधित पूरी जानकारी नहीं उपलब्ध थी। वैसे देखने में तो ये ज्यादा बड़ी समस्या नहीं लगती हैं, लेकिन आप में से जो भी इसे पढ़ रहे हैं, वो इसको उस स्थिति में समझिये, जब आप या आपका भाई/भतीजा/बेटी/बुआ-मौसी का लड़का/लड़की इत्यादि किसी प्रवेश परीक्षा का पेपर देने गए हों, और यही सब उनके साथ हो और आप बाहर हाथ में मोबाइल लेकर खड़े हों।

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यकीन मानिये काफी बुरा लगता है !

जिस प्रकार आईआईटी और आईआईएम देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और प्रबंधन सरकारी संस्थान हैं, ठीक उसी प्रकार आईआईएमसी भी देश में पत्रकारिता का चोटी का और एकमात्र संस्थान है। यहां पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के विभिन्न कोर्सों का आयोजन होता है।

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आखिर है क्या IIMC?

आईआईएमसी की महानता का अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक तरफ आईआईटी और आईआईएम में कुल क्रमशः 7,000 और 5,000 से अधिक सीटें हैं। वहीँ आईआईएमसी के सभी कैंपसों को मिलाकर देश में कुल 476 सीटें हैं। आप लोग अगर गणित में गुणा-भाग जानते होंगे तो इस आंकड़ें को जरूर निकालिएगा, ताकि आपको समझ आये कि आईआईएमसी क्या चीज़ है।

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लेकिन, फिर भी इस प्रकार की लापरवाही क्या दर्शाती है। यकीन मानिये आपमें से जितने भी लोग टीवी, वेबसाइट और अखबार पढ़ते हैं। उसमें काम करने वाले संपादक से लेकर खबर लिखने वाले लोगों की सूची में आईआईएमसी से पढ़े लोगों की एक अच्छी खासी संख्या है। हां अगर आप उन्हें नहीं जानते तो यह आपकी समस्या है। यकीन मानिये अगर यही कमियां आईआईटी और आईआईएम की प्रवेश परीक्षाओं के दौरान हुईं होती तो आईआईएमसी से पढ़े लिखे रिपोर्टरों ने ही सबसे ज्यादा हल्ले गुल्ले के साथ आज इस विषय को उठाया होता।

अफसोस, आज सब शांत हैं…..

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वैसे सर्वर की दिक्कत होना कोई बड़ी बात नहीं है। तकनीकि दिक्कत है, कहीं भी और कभी भी हो सकती है, लेकिन सवाल यह है कि जो पेपर सुबह 10 बजे शुरू होना था, उसको 11:30 बजे शुरू करवाना कितना सही है !

लेट पहुंचने पर पर एंट्री नहीं मिलती, तो लेट पेपर क्यूं ?

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अब इसी बात को अब दूसरे तरीके से समझिये, मान लीजिये कि आप किसी ऐसी परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, जिसका समय 10 बजे का है और उस परीक्षा का आयोजनकर्ता NTA(नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) है। ऐसी स्थिति में यदि आप 10 मिनट देरी से पहुंचते हैं, तो क्या आपको एग्जाम में बैठने की अनुमति मिलेगी?

इसका उत्तर है नहीं !!!! नहीं !!! और नहीं

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यकीन मानिये, आप चाहे जितनी कोशिश कर लें, जितनी मिन्नतें कर लेते, आपको पेपर में बैठने नहीं दिया जायेगा। क्यूंकि नियम हैं कि आपको समय से पेपर में शामिल होना है और समय से ही आपको टेस्ट पेपर (ऑनलाइन माध्यम) जमा करना है।

क्या है विकल्प?

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  1. इस समस्या का सबसे बड़ा हल तो यह है कि जब आईआईएमसी में खुद का इतना बड़ा स्टाफ है तो इस पेपर को कराने की जिम्मेदारी NTA को क्यूं दी जा रही है। चूंकि IIMC एक स्वायत्त संस्थान है, ऐसे में जब कॉलेज की फीस का निर्णय कॉलेज का मैनजेमेंट ले सकता है तो फिर प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी क्यूं नहीं। ऐसे में अगले वर्षों में आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी आईआईएमसी को उठानी चाहिए।
  2. वर्ष 2019 तक IIMC की प्रवेश परीक्षा का आयोजन लिखित माध्यम, सामूहिक चर्चा और निजी साक्षात्कार के माध्यम से होता था। इसके बाद कोरोना के चलते बीते वर्ष और इस वर्ष की प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी NTA को दी गई। परीक्षा का पैटर्न बदला गया, पहले जो लिखित पेपर, सामूहिक चर्चा और निजी साक्षात्कार था, अब उसकी जगह सिर्फ एक बहुविकल्पीय पेपर ने ले ली।
  3. इसी प्रकार की समस्याएं बीते वर्ष भी विद्यार्थियों को झेलनी पड़ी थीं, जिसकी वजह से कई विद्यार्थियों को काफी समस्याएं उठानी पड़ी थीं। ठीक इसी प्रकार की समस्याएं इस वर्ष भी विद्यार्थियों को उठानी पड़ीं।
  4. पिछले वर्ष प्रवेश परीक्षा का आयोजन घर बैठे हुआ था, ऐसे में “Log-in की समस्या, आटोमेटिक Log-Out की समस्या, Noise Disturbance” प्रमुखता से देखी गईं थीं। इसके अलावा NTA द्वारा दिए गए हेल्पलाइन नंबर से विद्यार्थियों को तत्काल राहत की सुविधा नहीं थी। इस वर्ष राहत की सुविधा तो उपलब्ध थी, लेकिन परीक्षा के आयोजन को लेकर कई राज्यों के कई सेंटरों में भारी अनियमितताएं देखने को मिली।

कैसा रहा इस बार का पेपर ?

वैसे तो बीते वर्षों के मुकाबले इस बार का पेपर थोड़ा सा अलग हट के था। 100 नंबर के बहुविकल्पीय प्रश्नों वाले पेपर में लगभग आधे से अधिक सवाल इतिहास, संविधान और कानून से जुड़े थे। बीते वर्षों की अपेक्षा विज्ञापन और जनसम्पर्क और पत्रकारिता से जुड़े सवालों की मौजूदगी काफी कम थी। इस बार के पेपर को देखकर लगा नहीं कि यह पेपर मीडिया के किसी संस्थान का है। इसको देखकर ऐसा प्रतीत हुआ कि मानों विद्यार्थी किसी लॉ कॉलेज या इतिहास में एमए करने का एंट्रेंस दे रहे हों।

Written By an “Alumni of IIMC”

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