सरकार को खुश करते कारपोरेट घराने कर्मचारियों का खून चूस रहे, वालमार्ट भी करेगा दर्जनों की छुट्टी
नयी दिल्ली। कारपोरेट घराने मोटी रकम का दान देकर इन दिनों सरकार के गुड बुक्स में अपनी जगह बना रहे हैं। दूसरी तरफ नुकसान की भरपाई करने के लिए अपने कर्मचारियों का खून पी रहे हैं। कंपनी के सर्वेसर्वा महज एक रुपये की तनख्वाह लेने की घोषणा कर वाहवाही बटोर रहे हैं। मगर पर्दे के पीछे कुछ और ही खेल चल रहा है। इन कंपनियों के पास अपने नुकसान की भरपाई करने के तमाम हथकंडे मौजूद हैं। सबसे आसान शिकार कंपनी के कर्मचारी ही हैं। ये कंपनियां जो अपने कर्मचारियों, अपने ग्राहकों और समुदाय की मदद करने के लिए कई गुना बेहतर कर सकती हैं वह छंटनी और भुगतान में कटौती करने में जुट गयी हैं।
वॉलमार्ट इंडिया भी छंटनी करने जा रही है। दर्जनों लोगों की नौकरी खतरे में है। सूत्रों के मुताबिक वालमार्ट इंडिया अपने स्टोर्स के बिजनस से जुड़े शीर्ष अधिकारियों में से एक तिहाई अधिकारियों को हटाने जा रही है। गुरुग्राम स्थित कंपनी के मुख्यालय से छंटनी की जाएगी। वॉलमार्ट ने साल 2018 में देश की टॉप ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीदा था। सूत्रों का दावा है कि भारत में वॉलमार्ट को मुनाफा नहीं हुआ है। इसलिए मुंबई में फुलफिलमेंट सेंटर बंद कर दिया जायेगा। वॉलमार्ट एग्री बिजनस और एफएमसीजी डिविजन से उपाध्यक्ष सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों की छंटनी कर कर सकता है।
कोरोना की वजह से आम आदमी तो तबाह हो ही रहा है। बड़े-बड़े कारोबारी दिग्गजों को भी भारी नुकसान हो रहा है। करोड़ों लोगों की नौकरी पर संकट के बादल छाए हुए हैं। फोर्ब्स ने दुनिया के अमीर लोगों की जो 34वीं सालाना सूची जारी की। पिछले कुछ दिनों में 226 अरबपतियों की संपत्ति इतनी कम हो गयी कि वे इस सूची से बाहर हो गए। गौतम अडानी, शिव नाडर और उदय कोटक कोरोना की वजह से ही दुनिया के टॉप अमीरों की सूची से बाहर हो गये हैं। जाहिर है ये कारपोरेट घराने कर्मचारियों पर गाज गिराकर अपना घाटा वसूल करेंगे।
कोरोना वायरस ने एयरलाइन और हॉस्पीटलिटी सेक्टर को भी काफी नुकसान पहुंचाया है, इस वजह से देश के निजी एयरपोर्ट संचालकों के साथ काम करने वाले दो लाख कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है। छंटनी के प्रभाव को पूरे देश में महसूस किया जाएगा, क्योंकि नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद में ऐसे कुछ बड़े हवाई अड्डे हैं जिसे निजी प्रतिष्ठान संभालते हैं।
कोरोना महामारी से निपटने में सरकार की मदद में हाथ बंटाते हुए कोटक महिंद्रा बैंक ने लीडरशिप टीम के मुआवजे में 15 प्रतिशत की कटौती की। इधर सीईओ उदय कोटक ने ऐलान किया कि वे पूरे साल में बतौर वेतन सिर्फ एक रुपया लेंगे। कोटक महिंद्रा बैंक ने पीएम केयर फंड में 25 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। और महाराष्ट्र में राहत कार्यों के लिए 19 करोड़ रुपये का दान किया। इसके साथ ही उन्होंने जीवन और आजीविका की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने की बात पर जोर दिया।
मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के चलते नौकरियों की रक्षा के लिए व्यवसायों से अपील की है, लेकिन भारतीय कॉर्पोरेट्स ने वेतन और भत्तों में कटौती शुरू कर दी है। हालांकि इसका खामियाजा वरिष्ठ अधिकारियों को भुगतना पड़ रहा है, लेकिन कम वेतन वाले कर्मचारियों को भी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है।
महामारी की आड़ में निम्न आय वर्ग की नौकरियां प्रभावित हो रही हैं। दिवालियेपन के डर से मीडिया, यात्रा और पर्यटन एवं अऩ्य क्षेत्रों की कंपनियों ने कर्मचारियों को आनन फानन में नौकरी से निकालने का फऱमान जारी कर दिया है। अधिकतर कंपनियां वेतन वृद्धि और बोनस को स्थगित कर रही हैं। अपना पक्ष रखने के लिए तमाम औद्योगिक घराने 15-30 प्रतिशत तक वेतन कटौती का ऐलान कर रहे हैं। दूसरी ओर पिछले कुछ दिनों से मल्टीप्लेक्स, सिंगल स्क्रीन थिएटर, मॉल और रेस्टोरेंट बंद नजर आ रहे हैं। हालांकि मॉल डेवलपर्स बचाए रहने के लिए समर्थन मांगने के लिए सरकार के पास पहुंच गए हैं, लेकिन इन संगठनों में भी छंटनी की खबर है।
कोरोना वायरस महामारी के साथ तेज आर्थिक मंदी को देखते हुए विशेषज्ञ कंपनियों को सुझाव दे रहे हैं कि वे मंदी से तेजी से उबरने के लिए बोर्ड वेतन में कटौती करने के बजाय अपने खर्चों को तर्कसंगत बनाने में मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं । हालांकि कई क्षेत्रों में संविदा कर्मचारी, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र के लोग, पहले से ही संयंत्रों और विभिन्न अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लॉकडाउन के कारण अपनी दैनिक मजदूरी खो रहे हैं।
खर्चों पर नियंत्रण के लिए विशेषज्ञों ने इन कंपनियों को यात्रा, बोनस, प्रशिक्षण लागत कम करने का सुझाव दिया और कहा कि इन कटौती से एचआर लागत का 5-6 प्रतिशत बचा जा सकता है जिसका उपयोग वेतन में कटौती से बचने और यहां तक कि अगले वित्त वर्ष के लिए उचित वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि अन्य क्षेत्रों की कंपनियां मानने को राजी नहीं हैं लेकिन वरिष्ठ कर्मचारियों को सूचित कर चुकी हैं कि उनके वेतन में कटौती की जाएगी। सीनियर एचआर प्रोफेशनल बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि इन कंपनियों के पास फंड नहीं है, उन्हें सतर्क किया जा रहा है।
कंपनियां द्वारा की जा रही छंटनी से कर्मचारियों का जीना मुश्किल हो गया है। कंपनियों का कहना है कि हम कर्मचारियों को बुनियादी समर्थन देंगे। लेकिन हम विशेष भत्तों में कटौती करेंगे। कोरोना वायरस के संक्रमण का खौफ और लॉकडाउन ने पहले ही लोगों को घरों में रहने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे हालात में भी कंपनियां मानवीयता की जगह बस अपना फायदा देख रही हैं। पीएम का भाषण सुनने और ताली-थाली बजाने जैसी अपीलों पर बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाला कार्पोरेट जगत आनन-फानन में कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर रहा है और उन्हें तनख्वाह तक देने को राजी नहीं है।
कोलकाता की वरिष्ठ पत्रकार श्वेता सिंह की विश्लेषण.