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दैनिक जागरण और हिंदुस्तान अखबार पी गए नाबालिग छात्र से अध्यापक द्वारा दुष्कर्म की खबर!

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से सूचना है कि एक प्रतिष्ठित स्कूल सनबीम के अध्यापक द्वारा अपने ही स्कूल के छात्र से दुष्कर्म किए जाने की सनसनीखेज और घृणित घटना की खबर को दैनिक जागरण और हिंदुस्तान अखबारों ने प्रकाशित नहीं किया. सूत्रों का कहना है कि सनबीम स्कूल के प्रबंधक के पास दैनिक जागरण की एजेंसी भी है, इस कारण दैनिक जागरण ने खबर का प्रकाशन नहीं किया. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि दैनिक जागरण वालों के साथ स्कूल प्रबंधन ने सेटिंग कर ली, जिससे खबर नहीं छपी.

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पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से सूचना है कि एक प्रतिष्ठित स्कूल सनबीम के अध्यापक द्वारा अपने ही स्कूल के छात्र से दुष्कर्म किए जाने की सनसनीखेज और घृणित घटना की खबर को दैनिक जागरण और हिंदुस्तान अखबारों ने प्रकाशित नहीं किया. सूत्रों का कहना है कि सनबीम स्कूल के प्रबंधक के पास दैनिक जागरण की एजेंसी भी है, इस कारण दैनिक जागरण ने खबर का प्रकाशन नहीं किया. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि दैनिक जागरण वालों के साथ स्कूल प्रबंधन ने सेटिंग कर ली, जिससे खबर नहीं छपी.

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वहीं हिंदुस्तान अखबार के बारे में बताया जा रहा है कि इनके ब्यूरो चीफ के बच्चे सनबीम स्कूल में पढ़ते हैं, इस कारण उन्होंने इस खबर का कवरेज नहीं किया. हालांकि हिंदुस्तान अखबार के गाजीपुर जिले के ब्यूरो चीफ बिनोद मिश्रा ने फोन पर बताया कि वह बजट के कवरेज में मशगूल थे, इस कारण यह खबर मिस हो गई. लेकिन घटना का फालोअप जरूर प्रकाशित किया जाएगा. हालांकि लोगों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने एक सोची समझी रणनीति के तहत दो बड़े अखबारों दैनिक जागरण और हिंदुस्तान से सेटिंग कर ली, जिसके कारण खबर का प्रकाशन नहीं किया गया.

वहीं, गाजीपुर के लोग अमर उजाला अखबार की जमकर तारीफ कर रहे हैं जिसने किसी दबाव को मानने से इनकार करते हुए खबर का प्रकाशन प्रमुखता से किया. नाबालिग छात्र के साथ स्कूल में अध्यापक द्वार दुष्कर्म किए जाने की घटना रेयरेस्ट आफ रेयर कैटगरी की होती है जिसे हर हाल में अखबारों को प्रकाशित करना चाहिए क्योंकि हर किसी के बच्चे स्कूलों में जाते हैं और अध्यापक बेहद भरोसेमंद लोग माने जाते हैं. अगर ऐसी घटनाएं स्कूल कैंपस में अध्यापकों द्वारा की जा रही हैं तो फिर यह हर किसी पिता और माता के लिए खतरे की घंटी है. हर कोई सोचेगा कि उसका बच्चा स्कूल में कितना सुरक्षित है. अमर उजाला अखबार ने जनहित को ध्यान में रखते हुए इस खबर का प्रकाशन कर अपनी स्वस्थ पत्रकारिता की परंपरा को आगे बढ़ाया है.

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उधर, नाबालिग छात्र से अध्यापक द्वारा दुष्कर्म किए जाने की घटना उजागर होने के बाद पुलिस ने भी काफी खेल तमाशे किए हैं. एफआईआर काफी देर बाद लिखी गई. आरोपी अब भी फरार है. आरोप है कि कोतवाल ने स्कूल प्रबंधन और आरोपी से सेटिंग कर ली है, इसी कारण जघन्य अपराध करने के बावजूद आरोपी अध्यापक पुलिस गिरफ्त से बाहर है. जिले के एसएसपी का कहना है कि हर हाल में आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा. सूत्रों का कहना है कि पुलिस पूरे मामले को पी जाने के मूड में है. डाक्टरी रिपोर्ट प्रतिकूल तैयार करवाई गई है. सारे साक्ष्य मिटाने की कवायद की जा रही है ताकि आरोपी आखिरकार बच सके और स्कूल प्रबंधन अपने कुकर्म जारी रख सके.

जानकारों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोग आरोपी अध्यापक को इसलिए बचाने में जुटे हैं क्योंकि ऐसे कुकर्म में स्कूल के कई अन्य लोग भी जुड़े हुए हैं. इसलिए अगर किसी एक पर आंच आई तो सबकी पोल पट्टी खुल सकती है. अगर स्कूल प्रबंधन साफ पाक होता तो अध्यापक पर छात्र से कुकर्म करने का आरोप लगते ही स्कूल से निलंबित कर देता और ऐसे कुकृत्य करने वालों के लिए सख्त चेतावनी संदेश जारी करता. इसके उलट स्कूल प्रबंधन हर किस्म का हथकंडा इस्तेमाल कर पूरे मामले को दबाने और आरोपी अध्यापक को बचाने में जुटा हुआ है.

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पूरे मामले के बारे में गाजीपुर के सोशल एक्टिविस्ट और डिजिटल जर्नलिस्ट सुजीत कुमार सिंह प्रिंस का कहना है कि कक्षा 3 में पढ़ने वाले नौ वर्षीय छात्र के साथ अध्यापक द्वारा दुष्कर्म करने की इस घृणित घटना पर मीडिया से लेकर पुलिस प्रशासन तक बेहद शर्मनाक रवैया अपनाए हुए हैं. ऐसा लगता है जैसे स्कूल प्रबंधन ने सबको खरीद लिया है. मीडिया ने चुप्पी साध ली है. सिर्फ अमर उजाला में दुष्कर्म और एफआईआर की खबर छपी है. हिंदुस्तान और दैनिक जागरण अखबार ने एक लाइन भी खबर का प्रकाशन नहीं किया. इससे जिले के लोग बेहद गुस्से में हैं.

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सुजीत कुमार सिंह प्रिंस का कहना है कि कोई पत्रकार हो या पुलिस वाला, सबके बच्चे हैं और स्कूलों में पढ़ने जाते हैं. अगर ऐसे ही दुष्कर्म की घटनाओं को दबाया जाता रहा और आरोपी को बचाया जाता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब किसी पत्रकार या पुलिस वाले का बेटा भी ऐसी घृणित हरकत का शिकार हो जाए. कायदे से सबको मिल जुल कर और लोभ-लालच-दबावों से उठ कर आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के लिए अभियान चलाना चाहिए. साथ ही ऐसे अध्यापक को संरक्षण देने वाले स्कूल का बहिष्कार किया जाना चाहिए. अगर इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी जल्द न की गई तो गुस्साए लोग पुलिस प्रशासन और मीडिया के खिलाफ सड़क पर उतर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पूरे मामले की शिकायत उच्च स्तर पर की जा रही है.

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