Sheetal P Singh : JNU भी अजीब शै है! संघी एक युग से परेशान हैं इससे! कुल जमा दस हज़ार स्टूडेंट्स होंगे जिनके दिल दिमाग़ पर क़ब्ज़ा कर पाने में नागपुर से दिल्ली तक के मठ और सल्तनत अनवरत फेल है! वे दुनिया जीत कर आते हैं पर जेएनयू हार जाते हैं! लाल सलाम वालों का छोटा सा अनूठा द्वीप है jnu जो धर्म धन और संकीर्णता को अपने अंदाज में पराजित कर क्रांति के प्रतीक्षित सपने में डूब जाता है, अगले साल तक के लिए!
इधर मोदीजी ने उनके छोटे से घोंसले को तोड़ डालने के लिए तंत्र मंत्र षड्यंत्र को लगा दिया था पर वे अपने को बचा ले गए। वीसी तक धुर संघी लगा लिया। संस्कृत विभाग खोल लिया, ज्योतिष भी शायद जुड़ गया है अब। क्या क्या न किया? ये अच्छी बात नंई ऐ!
जेएनयू में एबीवीपी के साफ़ होने की वजह उसका ‘ब्राह्मणवादी’ होना है। सेंट्रल पैनल के चार पदों में से तीन पर ब्राह्मण उम्मीदवार पेश कर पाना उसकी सामाजिक स्वीकार्यता की दरिद्रता का परिचायक है। जे एन यू एक बेहद सचेत उच्च शिक्षा प्राप्त बहसतलब लोकतांत्रिक और युवा समाज है। ब्राह्मणवाद आज यहाँ सबसे तल्ख़ बहस का मुद्दा है। इस तरह एक ऐसी जाति के संगठन में मिलना जिस से बाकी का सारा समाज उद्वेलित पीड़ित और छला हुआ महसूस करे ऐसे ही नतीजे ला सकता था। यह नतीजा भी संस्कृत जैसे केंद्र खोलकर और अपनी विचारधारा के एक तानाशाह को वीसी नियुक्त कर मिल पाया है। लाइफ़ साइंसेज़ का इनका सवर्ण गढ़ तक इस चुनाव में मटियामेट हो गया।
जेएनयू छात्र संघ चुनाव का फ़ाइनल रिज़ल्ट
Finla Central Panel
(After complete counting of 5185 Votes)
President:
Lalit Pandey (ABVP )-972
N Sai Balaji (Left Unity)- 2151
LEFT WON BY 1179 VOTES
Vice President
Geeta Sri (ABVP)- 1013
Sarika (Left Unity)- 2592
LEFT WON BY 1579 VOTES
General Secretary
Aejaj (Left Unity)- 2426
Ganesh (ABVP)- 1235
LEFT WON BY 1193 VOTES
JT. SEC
Amutha (Left Unity)- 2047
Venkat Chaubey (ABVP)- 1290
LEFT WON BY 757 VOTES
Arun Maheshwari : जेएनयू छात्र यूनियन के चुनाव में सभी प्रमुख पदों पर वाम एकता की भारी जीत। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव, सभी पदों पर वाम एकता के उम्मीदवारों को एबीवीपी से लगभग दुगुना वोट मिलें। बाकी धर्म-निरपेक्ष संगठनों को मिला देने पर एबीवीपी को एक चौथाई मत भी नहीं मिले। सारी गुंडागर्दी धरी की धरी रह गई। तय है कि नरेन्द्र मोदी को भी 2019 में देश भर में कुल पचीस प्रतिशत से ज्यादा मत नहीं मिलेंगे, भले वे कोई भी साजिश क्यों न कर लें!
Amitaabh Srivastava : जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के नतीजे वामपंथी खेमे के लिए सिर्फ फौरी राहत हैं। एबीवीपी का दूसरे नंबर पर रहना बताता है कि दक्षिणपंथी ताकतें वहां भी मज़बूत हो रही हैं। उनके पांव उखाड़ने के लिए लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और जनवादी एकता का दायरा बढ़ाने की ज़रूरत है। जेएनयू के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए भी यहां के चुनावों का यही संदेश है।
Pankaj Chaturvedi : न गुंडगर्दी काम आयी और न ही सरकार की ठसक। जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर लेफ्ट के उम्मीदवार एन. साई बालाजी (2161 वोट) की जीत हुई है। उपाध्यक्ष पद पर लेफ्ट की सारिका चौधरी (2692 वोट), महासचिव पद पर लेफ्ट के एजाज अहमद राथेर (2423 वोट) और संयुक्त सचिव पद पर भी लेफ्ट उम्मीदवार अमुथा जयजीप (2047 वोट) की जीत हुई है। बता दें कि वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), डेमोक्रैटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने इस बार ‘यूनाइटेड लेफ्ट’ गठबंधन के तहत एकसाथ चुनाव लड़ा। वामपंथी छात्र संगठनों के अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) और बिरसा-आंबेडकर-फूले स्टूडेंट असोसिएशन (बापसा) के उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में थे
Samar Anarya : Left 4. ABVP 0. And ABVP lost all seats by more than a margin of half of what left polled, despite BAPSA, RJD and others contesting. एबीवीपी चारों पोस्ट लेफ़्ट के पोल किये वोट्स के आधे से भी कम पा कर हारी है- बावजूद इसके कि बापसा से लेकर आरजेडी और निर्दलीय तक लड़ रहे थे।
Satyendra PS : जेएनयू वालों से बड़ा दुख हो रहा था कि सवर्ण मोर्चा की कैंडिडेट को एक वोट भी नहीं मिला। ताजा सूचना है कि उन्हें 47 वोट मिले हैं। मतलब अभी सवर्ण जिंदा हैं। वाम मोर्चे को हर पद पर करीब इतना वोट मिल चुका है कि वो विजयी हो चुके हैं।
सौजन्य : फेसबुक
https://www.youtube.com/watch?v=TrP1u30Ks-E
RAMESH RAMAN
September 18, 2018 at 1:57 pm
Chinta karne ki bat nahi he 2019 me fir se modi sarkar hi hogi
amit
September 19, 2018 at 7:31 pm
जेएनयू को लोकसभा सीट घोषित कर देना चाहिए, लाल सलाम जैसे शब्द बचे रहेंगे