केंद्र सरकार ने विशेष अनुमति के बगैर पत्रकारों और फिल्म निर्माताओं के जेल में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव कुमार आलोक ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है कि किसी भी पत्रकार, एनजीओ या कंपनी के कर्मचारी को शोध करने, डॉक्यूमेंटरी बनाने, लेख लिखने या साक्षात्कार लेने के लिए जेल में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
आदेश में कहा गया है कि यदि कोई फिल्म निर्माता ऐसी डॉक्यूमेंटरी बनाना चाहता है, जिसका समाज पर सकारात्मक असर पड़ेगा, तो उसे प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है। पत्रकारों या किसी अन्य व्यक्ति पर भी यही बात लागू होगी। इस तरह से यदि किसी व्यक्ति को जेल में प्रवेश की इजाजत दी जाती है, तो उसे एक लाख रुपये की जमानत राशि जमा करानी होगी।
संयुक्त सचिव कुमार आलोक ने अपने पत्र में यह भी बताया है कि डॉक्यूमेंटरी बनाने के लिए सिर्फ हैंडी-कैमरा ले जाने की इजाजत होगी। मोबाइल फोन, कागज, किताब या कलम लेकर नहीं जाने दिया जाएगा। ब्रिटिश फिल्म निर्माता लेस्ली उडविन द्वारा तिहाड़ जेल जाकर दिल्ली दुष्कर्म कांड के गुनहगार का साक्षात्कार लेने और उस पर पैदा हुए विवाद के बाद सरकार ने काफी देर से ये कदम उठाया है।