Dilip Mandal : सॉरी…. क्या यह जानकर आपके दिल को चोट पहुँचेगी कि मैंने लंबे समय तक ज्योतिष यानी भविष्यफल का कॉलम लिखा है। दुनिया में चूंकि 12 राशियाँ, यानी 12 तरह के ही लोग होते हैं, इसलिए, भविष्यवाणी करना मुश्किल नहीं है। 12 तरह के लोगों के लिए 12×3 यानी 36 अच्छे बुरे वाक्य बना लीजिए। इसके लगभग असंख्य कॉम्बिनेशन बनते हैं। इन्हें 12 राशियों पर फेंटते रहिए। आप ज़िंदगी भर इन 36 सेंटेंस से ज्योतिष का धंधा कर सकते हैं। आज ही करके देखिए।
ज्योतिष में कोई बुराई नहीं है। देखना सिर्फ़ यह है कि इस कारोबार में पैसा जाता किसकी जेब से है और पैसा पाता कौन है। जो पैसे पाता है, उसकी समझदारी असंदिग्ध है। जो पैसा गँवाता है, उसकी मूर्खता के बारे में मैं कुछ कहना नहीं चाहता। लोगों के दिलों को ठेस लग जाएगी। और ठेस पहुँचाना कोई अच्छी बात नहीं है। चाहे सामने वाला निपट मूर्ख ही क्यों न हो। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (a) (h) के मुताबिक़ हर नागरिक का कर्तव्य है कि अपने अंदर वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करे। बाक़ी आपकी मर्ज़ी। ज़बर्दस्ती नहीं है। संविधान और क़ानून की दृष्टि में अंधविश्वास या ज्योतिष पर भरोसा करना कोई अपराध नहीं है। बस रिक्वेस्ट है संविधान की तरफ़ से कि साइंटिफिक टेंपरामेंट विकसित कीजिए। अच्छा होता है।
पश्यन्ती शुक्ला ‘ऋता’ : 2009 की बात है. हमारे न्यूज़ चैनल में मेरी दोस्त ‘राशिफल’ नाम का प्रोग्राम बनाती थी. एक दिन मैने देखा कि पिछले 3 दिनों के राशिफल को एडिट करके उसने आज का राशिफल बना दिया, सभी 12 राशियों का. इतना ही नहीं, मेरे दूसरे चैनल में मैने देखा कि जब किसी caller का सवाल खुद के मुताबिक नही होता या फिर caller ही नहीं मिलता तो ऑफिस वाले लोग खुद ही Intercom से फोन लगाकर फलानी जगह के फलाने caller बन जाते थे. और इस तरह ज्योतिष जैसे विज्ञान का बाज़ारीकरण कर अपने धंधे को चलाने वाले ये मीडिया वाले हमें बता रहे हैं कि ज्योतिष एक अंधविश्वास है. मेरी दोस्त यहां फेसबुक पर हैं. उनकी अनुमति के बाद उनका नाम लिख रही हूं- Smita M Singh. मेरे लिखे दोनों वाकिये.. P7 & Zee से रिलेटेड हैं… हालांकि इसके अलावा मैं ये भी जानती हूँ कि बाकी के भी चैनलों में ऐसा ही होता है क्योंकि काम करने वाले वही हैं.
दिलीप मंडल और पश्यंती शुक्ला के फेसबुक वॉल से.