आईबीएन7 न्यूज चैनल में कचरा हटाओ अभियान जोरों से जारी है. कई सालों से लाखों रुपये की सेलरी लेकर कुंडली मारे बैठे पत्रकार पंकज श्रीवास्तव को प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया है. पंकज श्रीवास्तव को संजीव पालीवाल की टीम का प्रमुख सदस्य बताया जाता है. चैनल का प्रबंधन नए हाथों में आने के बाद पुरानी टीम के लोगों को परफार्म करने के लिए छह महीने का वक्त दिया गया लेकिन पुराने लोगों ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे चैनल की साख छवि रेटिंग सुधर सके. इस कारण सबसे पहले संजीव पालीवाल पर गाज गिराई गई. उसके बाद से ही कयास लगाया जा रहा था कि पंकज श्रीवास्तव भी जल्द नपेंगे. इस बारे में भड़ास ने पहले ही इशारों इशारों में संभावना जता दी थी.
पंकज श्रीवास्तव कामरेड रहे हैं. सीपीआईएमल लिबरेशन ग्रुप के लंबे समय तक होलटाइमर रहे हैं. साथ ही काफी समय तक थिएटर वगैरह भी किया. आईबीएन7 में काफी समय से हैं ये. इसके पहले ये स्टार न्यूज और अमर उजाला अखबार में काम कर चुके हैं. चैनल से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पंकज श्रीवास्तव का परफारमेंस शून्य था. केवल आफिस आना और बातों के जरिए टाइम पास करते हुए घर चले जाना इनका रुटीन बन गया था. काहिली और कामचोरी का माहौल खत्म करने के लिए प्रबंधन को सख्त निर्णय लेना पड़ा. इस फैसले से बाकी नाकारा लोगों में ये संदेश जाएगा कि परफार्म करो या फिर बर्खास्तगी के लिए तैयार रहो.
उधर, पंकज श्रीवास्तव हटाए जाने के बाद अपनी गल्ती से उंगली कट जाने पर बहता खून दिखाकर शहीद बताने वाली मुद्रा में आ गए हैं. उन्होंने फेसबुक पर खुद को आईबीएन7 से हटाए जाने को लेकर अपना पक्ष बेहद बौद्धिक, सैद्धांतिक और आकर्षक पैकेजिंग के साथ पेश किया है. असल में पंकज को पहले से अंदाजा था कि उनके जाने के दिन आ गए हैं. लेकिन बजाय खुद छोड़ देने के, वे खुद के हटाए जाने का इंतजार करते रहे. ऐसा किस लोभ में करते रहे, ये तो वही जानें लेकिन वे खुद को मानसिक रूप से तैयार कर चुके थे कि जब हटाए जाएंगे तो इनटरनल पत्राचार को सार्वजनिक कर और पूरे मामले को वैचारिक रंग देकर अपने को शहीद कहलवाएंगे. तभी तो बर्खास्तगी के बाद मुट्ठी ताने वाली भाषा वे लिखने लगे हैं.
पंकज की मुट्ठी तब नहीं तनी जब आईबीएन7 में सैकड़ों लोगों का कत्लेआम किया गया. तब उन्हें मुट्ठी की जगह कुर्सी पसंद थी. एक शब्द न कहीं लिखा न कहीं बोला. छंटनी के शिकार लोगों ने आईबीएन7 के सामने धरना प्रदर्शन किया, उस तक में यह ढोंगी शख्स पंकज श्रीवास्तव कहीं नजर नहीं आया. जब आईबीएन7 को अंबानी ने खरीद लिया तब भी पंकज श्रीवास्तव की मुट्ठी नहीं तनी. ऐसे दर्जनों सरोकारी प्रसंग इस चैनल के भीतर हुए हैं जहां किसी भी संवेदनशील और कामरेड किस्म के व्यक्ति को अपनी पक्षधरता खुलकर दिखानी जतानी चाहिए थी लेकिन पंकज श्रीवास्तव तब लाखों की सेलरी के कारण चुप रह गए.
अब जब उन्हें फाइनली बर्खास्त कर दिया गया है नान-परफारमेंस में तो केजरीवाल और ‘आप’ को ढाल बनाकर खुद को फिर से महान क्रांतिकारी बताने पेश करने में जुट गए हैं. समझदार किस्म के कामरेड ऐसा ही करते हैं. वर्षो बरस कंबल ओढ़कर घी पीते हैं और एक दिन अचानक खुद को भूखा प्यासा घोषित करते हुए खुद को सर्वहारा के मसीहा के रूप में पेश करने लगते हैं. पंकज के साथ ऐसा ही हो रहा है. ऐसा ही कुछ करके अवसरवादी आशुतोष आम आदमी पार्टी का नेता बन गया. ऐसा ही कुछ करके ढोंगी पंकज श्रीवास्तव भी आम आदमी पार्टी का नया नेता बन सकता है. दुनिया में अवसरवादियों और ढोंगियों के लिए हजार मौके हैं. नाकारापन के कारण निकाले जाने के बाद पंकज कुछ वैसी ही बयानबाजी कर रहे हैं जैसे कोई नेता किसी पार्टी से निकाल दिया जाए तो अचानक उसे पार्टी में ढेर सारी बुराई नजर आने लगे और पार्टी के नेताओं को नंगा करने के लिए एक के बाद एक बयान जारी करने लगे. ऐसे अमर सिंहों का हश्र सबने देखा है. ऐसे लोगों के कहे को कोई सीरियसली नहीं लेता. सब कुछ समय की मिट्टी तले दफन हो जाता है. आइए आप खुद पढ़िए, हटाए जाने के बाद पंकज खुद की बर्खास्तगी को किस एंगल से पेश कर रहे हैं…
Pankaj Srivastava : और मैं आईबीएन 7 के एसो.एडिटर पद से बर्खास्त हुआ !!! सात साल बाद अचानक सच बोलना गुनाह हो गया !!!! कल शाम आईबीएन 7 के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर सुमित अवस्थी को दो मोबाइल संदेश भेजे। इरादा उन्हें बताना था कि चैनल केजरीवाल के खिलाफ पक्षपाती खबरें दिखा रहा है, जो पत्रकारिता के बुनियादी उसूलों के खिलाफ है। बतौर एसो.एडिटर संपादकीय बैठकों में भी यह बात उठाता रहता था, लेकिन हर तरफ से ‘किरन का करिश्मा’ दिखाने का निर्देश था।दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय पर बिजली मीटर लगाने को लेकर लगे आरोपों और उनकी कंपनी में उनके भाई उमेश उपाध्याय की भागीदारी के खुलासे के बाद हालात और खराब हो गये।
उमेश उपाध्याय आईबीएन 7 के संपादकीय प्रमुख हैं। मेरी बेचैनी बढ़ रही थी। मैंने सुमित को यह सोचकर एसएमएस किया कि वे पहले इस कंपनी में रिपोर्टर बतौर काम कर चुके हैं, मेरी पीड़ा समझेंगे। लेकिन इसके डेढ़ घंटे मुझे तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। नियमत: ऐसे मामलों में एक महीने का नोटिस और ‘शो काॅज़’ देना जरूरी है। पिछले साल मुकेश अंबानी की कंपनी के नेटवर्क 18 के मालिक बनने के बाद 7 जुलाई को ‘टाउन हाॅल’ आयोजित किया गया था (आईबीएन 7 और सीएनएन आईबीएन के सभी कर्मचरियों की आम सभा) तो मैंने कामकाज में आजादी का सवाल उठाया था। तब सार्वजनिक आश्वासन दिया गया था कि पत्रकारिता के पेशेगत मूल्यों को बरकरार रखा जाएगा। दुर्भाग्य से मैने इस पर यकीन कर लिया था।
बहरहाल मेरे सामने इस्तीफा देकर चुपचाप निकल जाने का विकल्प भी रखा गया था।यह भी कहा गया कि दूसरी जगह नौकरी दिलाने में मदद की जाएगी। लेकिन मैंने कानूनी लड़ाई का मन बनाया ताकि तय हो जाये कि मीडिया कंपनियाँ मनमाने तरीके से पत्रकारों को नहीं निकाल सकतीं । इस लड़ाई में मुझे आप सबका साथ चाहिये। नैतिक भी और भौतिक भी। बहुत दिनों बाद ‘मुक्ति’ को महसूस कर रहा हूं। लग रहा है कि इलाहाबाद विश्वविदयालय की युनिवर्सिटी रोड पर फिर मुठ्ठी ताने खड़ा हूँ।
पंकज श्रीवास्तव के उपरोक्त ‘क्रांतिकारी’ स्टेटस पर भावुक हृदय और इन्नोसेंट लोगों ने खूब ‘लाल सलाम, लाल सलाम’ किया है लेकिन कुछ ऐसे भी लोगों ने कमेंट किया है जिन्हें नौकरी से निकाले जाने के बाद क्रांति याद आने के निहितार्थ पता हैं… इन्हीं में से एक वरिष्ठ पत्रकार सुमंत भट्टाचार्या का कमेंट पढ़िए….
Sumant Bhattacharya बधाई, लेकिन ना कहने में बहुत देर कर दी मित्र। यदि ल़ड़ाई निकाले जाने की है तो मामला बेहद निजी हो जाएगा। और यदि लड़ाई पत्रकारिता की शुचिता की है तो सोचा जा सकता है।
आगे की कथाएं पढ़िए, आखिर क्यों बागी बनने को राजी हुए परम करियरिस्ट पंकज श्रीवास्तव और इनके व्यक्तित्व का सच क्या है…
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पढ़िए, भड़ास ने पहले ही संजीव पालीवाल के चेलों (खासकर कामरेड और थिएटर बैकग्राउंड वाले पंकज श्रीवास्तव) को हटाए जाने की घोषणा कर दी थी…
Comments on “आईबीएन7 में कचरा हटाओ अभियान जारी, अबकी पंकज श्रीवास्तव हुए बर्खास्त”
जनाब सरकार की चाकरी न करने का भुगतान है ये…. मीडिया में कौन कितना दूध का धुला है….. पंकज बेगुनाह है…. आपका ये सडा हुआ लेखन सही बात का गला कितने दिन दबाएगा