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कैसे-कैसे अखबार मालिक बन गए ऐसे-वैसे सांसद, पढ़िए इनकी कुंडली

आप सबको यह जानकर अवश्य आश्चर्य होगा कि अपने अखबारों के पत्रकारों और संपादकों के जरिये सांसदों और नेताओं के चरित्र और उनके कथित आपराधिक रिकार्ड की बखिया उधेड़ने वाले सांसद (पूर्व सांसद) सह अखबार मालिक संसद में क्या कहते हैं और अपने अखबार में क्या करते हैं। इस सीरिज के तहत हम राज्य‍सभा के तीन पूर्व सांसदों की संसद की गतिविधियों का जिक्र करेंगे। संसद में उनका क्या कहना है और जब वही बात उन्हें अपनी कंपनी पर लागू करनी होती है तो वे क्या करते हैं।

<p>आप सबको यह जानकर अवश्य आश्चर्य होगा कि अपने अखबारों के पत्रकारों और संपादकों के जरिये सांसदों और नेताओं के चरित्र और उनके कथित आपराधिक रिकार्ड की बखिया उधेड़ने वाले सांसद (पूर्व सांसद) सह अखबार मालिक संसद में क्या कहते हैं और अपने अखबार में क्या करते हैं। इस सीरिज के तहत हम राज्य‍सभा के तीन पूर्व सांसदों की संसद की गतिविधियों का जिक्र करेंगे। संसद में उनका क्या कहना है और जब वही बात उन्हें अपनी कंपनी पर लागू करनी होती है तो वे क्या करते हैं।</p>

आप सबको यह जानकर अवश्य आश्चर्य होगा कि अपने अखबारों के पत्रकारों और संपादकों के जरिये सांसदों और नेताओं के चरित्र और उनके कथित आपराधिक रिकार्ड की बखिया उधेड़ने वाले सांसद (पूर्व सांसद) सह अखबार मालिक संसद में क्या कहते हैं और अपने अखबार में क्या करते हैं। इस सीरिज के तहत हम राज्य‍सभा के तीन पूर्व सांसदों की संसद की गतिविधियों का जिक्र करेंगे। संसद में उनका क्या कहना है और जब वही बात उन्हें अपनी कंपनी पर लागू करनी होती है तो वे क्या करते हैं।

इन तीन पूर्व राज्यसभा सांसद सह अखबार मालिकों में हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान की मालकिन श्रीमती शोभना भरतिया, दैनिक जागरण के सीएमडी श्री महेंद्र मोहन (इसी अखबार के एक और मालिक दिवंगत नरेंद्र मोहन भी राज्ससभा में रहे हैं।) और लोकमत समाचारपत्र समूह के श्री विजय जवाहरलाल दर्डा शामिल हैं। इन तीनों समूहों की गणना बड़े समाचारपत्र समूहों में होती है। शायद यही कारण है कि इनके मालिक पार्टियों की पूंछ पकड़कर या चोर दरवाजे से राज्य सभा में पहुंच जाते हैं। यह प्रक्रिया पहले से जारी है और आनेवाले दिनों में रुकने वाली नहीं है।

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इन तीनों समूहों की गणना बड़े समाचार पत्र समूहों में होती है। शायद यही कारण है कि इनके मालिक पार्टियों की पूंछ पकड़कर या चोर दरवाजे से राज्य सभा में पहुंच जाते हैं। यह प्रक्रिया पहले से जारी है और आनेवाले दिनों में रुकने वाली नहीं है। राज्यसभा में हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान की मालकिन श्रीमती शोभना भरतिया छह साल तक राज्यसभा में रहीं। वैसे, श्रीमती भरतिया कांग्रेस के काफी करीब मानी जाती रहीं हैं, लेकिन उन्हें राज्यसभा में केंद्र सरकार ने नामांकित किया था। आप सबको पता है कि उनके अखबार में कानून का क्या‍ हाल है। कर्मचारियों की क्या दशा है और एक समय ईमानदारी और समझदारी के लिए प्रसिद्ध इनके अखबारों के संपादक राडिया टेप प्रकरण जैसे मामले में लिप्त पाए गए। एक साथ 350 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और जब वे अदालत से जीत कर आए तो उन्हें श्रीमती भरतिया के लोग वाजिब हक तो देना दूर, प्रदर्शन करने की जमीन भी छीन ली। पता नहीं एक समय कर्मचारियों को अपने ही परिवार का सदस्य मानने वाले श्रीमती भरतिया के दिवगंत पिता पर, कर्मचारियों की दशा देखकर क्या गुजर रही होगी।

लेकिन आश्चर्य की बात ये कतई नहीं है। आश्चर्य तो यह है कि राज्यसभा में इन छह वर्षों के दौरान श्रीमती भरतिया कर्मचारियों, मजदूरों, महिलाओं, किसानों के लिए तरह–तरह के सवाल सरकार से पूछती रहीं। हम यहां छह वर्षों में श्रीमती भरतिया द्वारा पूछे गए 1348 सवालों में से कर्मचारियों, मजदूरों, महिलाओं, किसानों से संबंधित उनके द्वारा पूछे गए सवालों का जिक्र, उनकी कंपनी द्वारा उठाए गए कदमों के संदर्भ में करेंगे। ऐसा इसलिए कि पता चले कि श्रीमती भरतिया की कंपनी सचमुच वही कर रही है, जिस पर वह राज्यसभा में चिंता व्‍यक्‍त कर चुकी हैं।

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इसी तरह दुनिया में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले हिंदी अखबार दैनिक जागरण के मालिक महेंद्र मोहन भी राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सदस्य रह चुके हैं। वैसे, इनका और इनके अखबार का दूर–दूर तक समाजवाद से कोई रिश्ता. नहीं है। हम आपको बताने में यहां शर्म महसूस करते हैं कि पत्रकारिता जगत में लोग इनकी कंपनी को किस दृष्टि से देखते हैं। संसद में बढ़-चढ़कर सवाल पूछने वाले इन पूर्व सांसद महोदय की कंपनी में तो कर्मचारियों का हाल बंधुआ मजदूरों से भी बुरा है। हम आपको इनके द्वारा पूछे गए 805 सवालों में कुछ का जिक्र इस सीरिज में करना चाहेंगे ताकि आप सब के सामने इनकी जो कलई खुली हुई है, उसमें और चार-चांद लग जाए। इस सीरिज के तीसरे और बड़े हीरो हैं – श्री विजय जवाहरलाल दर्डा। आपसे इनका परिचय करना जरूरी नहीं है। पिछले दिनों इन्होंने समाचारों की काफी सुर्खियां बटोरी थी। कोयले की लूट में हाथ-मुंह सब काला कर चुके हैं, लेकिन सफेदी इनकी गई नहीं है। राज्यसभा में छह साल में इन्होंने ही इन सब में सबसे अधिक सवाल पूछे हैं- 2319। सभी की तरह इनके सवालों का भी रेंज काफी है। किसान, मजदूर, पत्रकार, गरीब, महिला और सूचना व प्रसारण मंत्रालय इनके खास प्रिय विषय रहे हैं। इनकी भी कथनी का जायजा हम उनकी करनी के आधार पर लेना चाहेंगे। 

दैनिक जागरण, नोएडा में वरिष्ठ पद पर काम कर चुके एक पत्रकार द्वारा संचालित ‘मजीठिया मंच‘ नामक फेसबुक पेज से.

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