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सांसद शोभना भरतिया के संसद में पूछे गए सवाल और उनकी कंपनी के अंदरखाने का बुरा हाल

फेसबुक पर ‘मजीठिया मंच‘ नाम से एक प्रोफाइल है जिसमें अखबारों से जुड़ी बातें, खबरें, सूचनाएं छापी जाती हैं. इसे दैनिक जागरण, नोएडा में लंबे समय से कार्यरत रहे एक पत्रकार चलाते हैं. इस ‘मजीठिया मंच’ पेज पर शोभना भरतिया को लेकर सीरिज में एक कहानी प्रकाशित की जा रही है. पेश है उस कहानी के कुछ अंश….

<p>फेसबुक पर '<a href="https://www.facebook.com/majithia.manch" target="_blank">मजीठिया मंच</a>' नाम से एक प्रोफाइल है जिसमें अखबारों से जुड़ी बातें, खबरें, सूचनाएं छापी जाती हैं. इसे दैनिक जागरण, नोएडा में लंबे समय से कार्यरत रहे एक पत्रकार चलाते हैं. इस 'मजीठिया मंच' पेज पर शोभना भरतिया को लेकर सीरिज में एक कहानी प्रकाशित की जा रही है. पेश है उस कहानी के कुछ अंश....</p>

फेसबुक पर ‘मजीठिया मंच‘ नाम से एक प्रोफाइल है जिसमें अखबारों से जुड़ी बातें, खबरें, सूचनाएं छापी जाती हैं. इसे दैनिक जागरण, नोएडा में लंबे समय से कार्यरत रहे एक पत्रकार चलाते हैं. इस ‘मजीठिया मंच’ पेज पर शोभना भरतिया को लेकर सीरिज में एक कहानी प्रकाशित की जा रही है. पेश है उस कहानी के कुछ अंश….

महान शोभना भरतिया की कंपनी की शर्मनाक कहानी…

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इस सीरिज में सबसे पहले हम हिन्दु्स्तान टाइम्स. और हिन्दुस्तान की मालकिन श्रीमती शोभना भरतिया का जिक्र कर रहे हैं। श्रीमती भरतिया का इसलिए कि दयालु हृदय पिता की वह कठोर दिल पुत्री हैं। राष्‍ट्रपति (सरकार) ने उनका मनोनयन राज्यसभा में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में किया था और इसलिए भी कि वह इस सीरिज की अकेली महिला सदस्य भी हैं। श्रीमती भरतिया ने राज्यसभा में 7 दिसंबर 2011 को सरकार से पूछा था कि पिछले तीन सालों के दौरान राज्यवार बेरोजगारी की दर की प्रवत्ति क्या रही।

हम समझते हैं मजदूरों के हालात पर राज्यसभा के वातानुकूलित हॉल में सवाल पूछने से पहले अपने अधिकारियों से भी पूछ लिया होता कि हर साल उनकी कंपनी से कितने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। उन्हेंं यह भी पता होना चाहिए था कि इससे कुछ साल पहले ही थोक के भाव में निकाले गए हिन्दुस्‍तान टाइम्स के कर्मचारियों के बाल-बच्चे कैसे गुजर–बसर कर रहे होंगे। इनमें से कई आज भी अपने अधिकारों के लिए हिन्दुतान टाइम्स के बाहर धरने पर बैठे हैं। लेकिन रातों रात कंपनी का नाम बदलकर हिन्दुतान टाइम्स को मिटाने वाली श्रीमती शोभना भरतिया और उनके कारकूनों को न तो कानून की चिंता है न मानवता की। मालकिन और प्रबंधन दोनों पैसों के पीछे पागल हैं।

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मानवता की प्रतिमूर्ति बनने की शोभना मैडम ने और कोशिश की है। एनसीबी का हवाला देते हुए पूछा है कि 1995 से 2010 तक कोई 2.5 लाख किसानों द्वारा आत्महत्या करने की खबर है। क्या 7-8 सालों में किसानों में आत्मतहत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।यह सवाल उन्होंने 2 दिसंबर 2011 को पूछा था। माननीया महोदया को हम याद दिलाना चाहते हैं कि आपकी कंपनी के एक पत्रकार श्री प्रदीप संगम का हृद्याघात से निधन हो गया । शायद आप जैसे व्यरस्त लोगों को पता न चला हो। हम बताते हैं – श्री संगम पहाड़ घूमने गए थे। वहीं उनको बताया गया कि उनकी नौकरी खत्म कर दी गई। किसानों का हाल चाल लेकर वाहवाही लूटने की कोशिश करनेवाली शोभना मैडम अपनी कंपनियों में हो रहे अन्यााय और अमानवीय कार्यों पर आपकी नजर कब जाएगी।

राज्यसभा में 5 अगस्त 2011 को माननीया सदस्या श्रीमती शोभना भरतीया ने सरकार को आगाह करते हुए पूछा कि क्या् सरकार को पता है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में छात्रों ने नामांकन करवाया है। श्रीमती ने विशेष रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय का जिक्र किया है।

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उच्च शिक्षा में इस तरह की धांधली और फर्जीवाड़े पर शोभना भरतिया जैसी सामाजिक हस्तीा की चिंता जायज है। लेकिन एक ऐसे ही फर्जीवाड़े के बारे में हम यहां बताने जा रहे हैं जो सालों तक श्रीमती भरतीया जी के संस्थाफन एचटी मीडिया लिमिटेड (एचटीएमएल) में मालिकों और अधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जता रहा। सीटीसी के तहत कर्मचारियों को जो वेतन दिया गया उसका एक हिस्साा उन्हें मेडिकल भत्ते के रूप में दिया गया। हर महीने वेतन के हिस्से को लेने के लिए कर्मचारियों से फर्जी मेडिकल बिल मंगवाए गए। पहले यह भत्ता साल में एकमुश्तफ दो किस्तों में उठाया जाता था। इसी तरह एलटीए और बोनस का भी हाल था। हम यहां किसी भी तरह के फर्जीवाड़े के पक्ष में नहीं है लेकिन एचटीएमएल कर्मचारियों को मूर्ख बनाकर उनके साथ यह खेल खेलती रही। शोभना जी को शायद इसका पता हो या न हो।

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यह जानकर आप सभी को आश्‍चर्य होगा कि हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स की मालकिन श्रीमती शोभना भरतिया गृह मंत्रालय की आधिकारिक सूचना के अनुसार पत्रकार/समाज सेवक हैं। इसलिए उनका मनोनयन भारत के राष्‍ट्रपति ने राज्‍य सभा सदस्‍य के रूप में भारत के संविधान की धारा 80 (1)और 80(2) के तहत किया था। अपनी कंपनी से एक साथ 350 लोगों को दर -दर की ठोकरें खाने को विवश करने वाली श्रीमती भरतिया का गृहमंत्रालय के अनुसार उनका जीवन वृत(बायोडाटा)इस तरह है। आप भी समझ लीजिए कि श्रीमती किस तरह की समाज सेव‍क हैं।

श्रीमती शोभना भरतिया का जीवन वृत : श्रीमती शोभना भरतिया हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स की कार्यकारी निदेशक और एचटी विजन लिमिटेड की चेयरपर्सन ( बहुत कम लोग इस कंपनी को जानते हैं।) हैं। उन्‍होंने कलकत्‍ता में 4 जनवरी 1957 को जन्‍म लिया था। वह श्री (स्‍व.) केके बिड़ला और श्रीमती मनोरमा की पुत्री हैं।उनकी शादी श्री श्‍याम सुंदर से हुई है। वह स्‍नातक हैं और पीटीआई की निदेशक थीं। वह फिक्‍की महिला संगठन की अध्‍यक्ष औरएसपी मुखर्जी कॉलेज ,नई दिल्‍ली की संचालन समिति की सदस्‍य थीं। वह महिलाओं के प्रतिनिधिमंडल को लेकर आस्‍ट्रेलिया,न्‍यूजीलैंड और फिलीपिंस गईं थीं। इस समय ,वह17,फ्रेंडस कॉलोनी ( पश्चिम),नई दिल्‍ली-110065 में रह रही हैं। यह है भारत के ऊपरी सदन में मनोनयन के लिए संविधान की धारा 80 (1)और 80(2) के तहत जरूरी योग्‍यता।

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