Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

मजीठिया मामले में काश सुप्रीमकोर्ट ऐसा कर देता!

देश के अधिकांश अखबार मालिकों के खिलाफ माननीय सुप्रीमकोर्ट में अवमानना का केस चल रहा है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में अभी डेट नहीं पड़ पा रही है। अगर माननीय सुप्रीमकोर्ट कुछ चीजें कर दे तो सभी अखबार मालिकों की नसें ना सिर्फ ढीली हो जायेंगी बल्कि देश भर के मीडिया कर्मियों को इंसाफ भी मिल जायेगा। इसके लिये सबसे पहले जिन समाचार पत्रों की रिपोर्ट कामगार आयुक्त ने सुप्रीमकोर्ट में भेजी है उसमें जिन अखबार मालिकों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू किया है या आंशिक रुप से लागू किया है ऐसे अखबारों के मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर और सभी पार्टनरों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुये उनके खिलाफ कामगार आयुक्त को निर्देश दें कि उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दें और सभी जिलाधिकारियों, तहसीलदारों को निर्देश दें कि उनके खिलाफ रिकवरी कार्रवाई शुरू की जाये। उनको जमानत भी माननीय सुप्रीमकोर्ट से तभी प्राप्त हो जब वे मीडियाकर्मियों को उनका पूरा बकाया एरियर वेतन तथा प्रमोशन दें।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>देश के अधिकांश अखबार मालिकों के खिलाफ माननीय सुप्रीमकोर्ट में अवमानना का केस चल रहा है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में अभी डेट नहीं पड़ पा रही है। अगर माननीय सुप्रीमकोर्ट कुछ चीजें कर दे तो सभी अखबार मालिकों की नसें ना सिर्फ ढीली हो जायेंगी बल्कि देश भर के मीडिया कर्मियों को इंसाफ भी मिल जायेगा। इसके लिये सबसे पहले जिन समाचार पत्रों की रिपोर्ट कामगार आयुक्त ने सुप्रीमकोर्ट में भेजी है उसमें जिन अखबार मालिकों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू किया है या आंशिक रुप से लागू किया है ऐसे अखबारों के मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर और सभी पार्टनरों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुये उनके खिलाफ कामगार आयुक्त को निर्देश दें कि उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दें और सभी जिलाधिकारियों, तहसीलदारों को निर्देश दें कि उनके खिलाफ रिकवरी कार्रवाई शुरू की जाये। उनको जमानत भी माननीय सुप्रीमकोर्ट से तभी प्राप्त हो जब वे मीडियाकर्मियों को उनका पूरा बकाया एरियर वेतन तथा प्रमोशन दें।</p>

देश के अधिकांश अखबार मालिकों के खिलाफ माननीय सुप्रीमकोर्ट में अवमानना का केस चल रहा है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में अभी डेट नहीं पड़ पा रही है। अगर माननीय सुप्रीमकोर्ट कुछ चीजें कर दे तो सभी अखबार मालिकों की नसें ना सिर्फ ढीली हो जायेंगी बल्कि देश भर के मीडिया कर्मियों को इंसाफ भी मिल जायेगा। इसके लिये सबसे पहले जिन समाचार पत्रों की रिपोर्ट कामगार आयुक्त ने सुप्रीमकोर्ट में भेजी है उसमें जिन अखबार मालिकों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू किया है या आंशिक रुप से लागू किया है ऐसे अखबारों के मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर और सभी पार्टनरों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुये उनके खिलाफ कामगार आयुक्त को निर्देश दें कि उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दें और सभी जिलाधिकारियों, तहसीलदारों को निर्देश दें कि उनके खिलाफ रिकवरी कार्रवाई शुरू की जाये। उनको जमानत भी माननीय सुप्रीमकोर्ट से तभी प्राप्त हो जब वे मीडियाकर्मियों को उनका पूरा बकाया एरियर वेतन तथा प्रमोशन दें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जिन मीडियाकर्मियों ने मजीठिया का क्लेम लगाया या याचिका दायर की ऐसे जितने मीडियाकर्मियों का प्रबंधन ने ट्रांसफर या टर्मिनेशन किया है ऐसे मीडियाकर्मियों के ट्रांसफर और ट्रमिनेशन पर रोक लगा दे। अब बाकी बचे ऐसे अखबार मालिक जिन्होंने कामगार आयुक्त को पटा कर यह रिपोर्ट लिखवा लिया कि उनके यहां मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू है ऐसे अखबारों की स्कूटनी करायी जाये। इसके लिये प्रदेश स्तर पर एक जांच कमेटी बनायी जाये। इस कमेटी में आयकर विभाग के अधिकारी, हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज, पत्रकारों द्वारा प्रत्येक राज्य में चुने गये उनके प्रतिनिधि और सुप्रीमकोर्ट के एडवोकेट हो।

यह कमेटी सभी अखबारों में यह विज्ञापन जारी करे कि इन अखबारों ने दावा किया है कि ये अपने कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश दे रहे हैं। अखबार मालिकों के एक दावे की जांच के लिये तीन दिवसीय एक कैंप लगाया जा रहा है। अगर किसी भी कर्मचारी को जो इन अखबारों में काम करते हैं उनको वेज बोर्ड के अनुसार वेतन नहीं मिल रहा है तो वे इस कैंप में संपर्क करें। इस कैंप में आयकर अधिकारी अखबारों और उनके प्रबंधन की सहयोगी कंपनियों के २००७ से १० तक की बैलेंससीट और दूसरे कागजात लेकर आयें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस कैंप में कामगार आयुक्त इस दावे की पुष्टि के सभी कागजात प्रमोशन लिस्ट लेकर आयें जिसकी एक सीए भी जांच करे और मीडियाकर्मियों की सेलरी स्लीप तथा दूसरे संबंधित कागजातों की उसी समय जांच कर अखबार के मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर और सभी पार्टनरों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुये उनके खिलाफ कामगार आयुक्त को निर्देश दे कि उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दें और  सभी जिलाधिकारियों, तहसीलदारों को निर्देश दे कि उनके खिलाफ रिकवरी कार्रवाई शुरू की जाये। उस अखबार के सभी मीडियाकर्मियों को उनका अधिकार दिलाया जाये। साथ ही इसकी पूरी रिपोर्ट माननीय सुप्रीमकोर्ट में भेजी जाये। इसके बाद जितने मामले १७. २ के लेबर कोर्ट में चल रहा हैं वे खुद ब खुद मीडियाकर्मी वापस ले लेंगे। इस पूरी प्रक्रिया में ६ माह से ज्यादा का समय ना लगे। साथ ही जो मीडियाकर्मी २००७ से २०११ तक जिस पद पर था उसी पद को आधार माना जाये और उनका पद या विभाग या कंपनी ना बदला जाये।  काश सुप्रीमकोर्ट ऐसा कर देता।

Advertisement. Scroll to continue reading.

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement