अमित शाह का केस लड़ ने वाला वकील सुप्रीम कोर्ट में जज बना, जिस जज ने शाह को बरी किया वह राज्यपाल बन गया

भारत में न्यायपालिका को लेकर बहस जारी है. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने जो विद्रोह कर सुप्रीम कोर्ट के भीतर सब कुछ ठीक न चलने की जो बात कही है, उसके दूरगामी मायने निकाले जा रहे हैं. इसी दौर में कुछ लोगों ने कुछ घटनाओं की तरफ ध्यान दिलाया. जैसे अमित शाह का जो केस एक वकील लड़ रहा था, उसे सुप्रीम कोर्ट में जज बना दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के जिस जज ने अमित शाह को बाइज्जत बरी किया, उसे रिटायरमेंट के बाद राज्यपाल बना दिया गया.

मजीठिया मामला : सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को राहत देने से किया इनकार

धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, लतिका चव्हाण और आलिया शेख के मामले में भास्कर प्रबंधन को लगा झटका

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गए दैनिक भास्कर (डी बी कॉर्प लि.) अखबार के प्रबंधन को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए उसे वापस मुंबई उच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए मजबूर कर दिया है। यह पूरा मामला मुंबई में कार्यरत दैनिक भास्कर के प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह संग मुंबई के उसी कार्यालय की रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया इम्तियाज़ शेख की मजीठिया वेज बोर्ड मामले में जारी रिकवरी सर्टीफिकेट (आरसी) से जुड़ा हुआ है… पत्रकार सिंह और रिसेप्शनिस्ट चव्हाण व शेख ने मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उमेश शर्मा के मार्गदर्शन एवं उन्हीं के दिशा-निर्देश में कामगार आयुक्त के समक्ष 17 (1) के तहत क्लेम लगाया था।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश- ‘मजीठिया वेज बोर्ड के सभी प्रकरण 6 महीने के भीतर निपटाएं’

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अहम फैसला सुनाते हुए देश के सभी राज्यों के श्रम विभाग एवं श्रम अदालतों को निर्देश दिया कि वे अखबार कर्मचारियों के मजीठिया संबंधी बकाये सहित सभी मामलों को छह महीने के अंदर निपटाएं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं नवीन सिन्हा की पीठ ने ये निर्देश अभिषेक राजा बनाम संजय गुप्ता / दैनिक जागरण (केस नंबर 187/2017) मामले की सुनवाई करते हुए दिए।

इस संजय गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट की बात न मानने पर हुई दस दिन की जेल, एक करोड़ 32 लाख रुपये जुर्माना भी भरना होगा

ये संजय गुप्ता एक मिल मालिक हैं. इनका भी काम  कोर्ट को गुमराह करना हो गया था. सो, इस संजय गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट ने दस दिन की जेल और एक करोड़ 32 लाख रुपये का जुर्माना लगाकर दिमाग ठिकाने पर ला दिया. इस फैसले से पता चलता है कि कोई भी अगर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करेगा और अदालत को गुमराह करते पाया गया तो उसे एक लाख रुपये प्रतिमाह का जुर्माना और दस दिन की जेल होगी. सोमवार को शीर्ष अदालत ने संजय गुप्ता नामक एक मिल मालिक को 10 दिन की कैद के साथ-साथ एक करोड़ 32 लाख रुपये का जुमार्ना सुनाया है.

ईमानदार जज जेल में, भ्रष्टाचारी बाहर!

सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है, इसलिए उसका फ़ैसला सर्वोच्च और सर्वमान्य है। चूंकि भारत में अदालतों को अदालत की अवमानना यानी कॉन्टेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट की नोटिस जारी करने का विशेष अधिकार यानी प्रीवीलेज हासिल है, इसलिए कोई आदमी या अधिकारी तो दूर न्यायिक संस्था से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़ा व्यक्ति भी अदालत के फैसले पर टीका-टिप्पणी नहीं कर सकता। इसके बावजूद निचली अदालत से लेकर देश की सबसे बड़ी न्याय पंचायत तक, कई फ़ैसले ऐसे आ जाते हैं, जो आम आदमी को हज़म नहीं होते। वे फ़ैसले आम आदमी को बेचैन करते हैं। मसलन, किसी भ्रष्टाचारी का जोड़-तोड़ करके निर्दोष रिहा हो जाना या किसी ईमानदार का जेल चले जाना या कोई ऐसा फैसला जो अपेक्षित न हो।

(पार्ट थ्री) मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें

16. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि अधिनियम की धारा 12 के तहत केंद्र सरकार द्वारा सिफारिशों को स्वीकार करने और अधिसूचना जारी किए जाने के बाद श्रमजीवी पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारी मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड के तहत अपना वेतन/मजदूरी प्राप्त करने के हकदार हैं। यह, अवमानना याचिकाकर्ताओं के अनुसार, अधिनियम की धारा 16 के साथ धारा 13 के प्रावधानों से होता है, इन प्रावधानों के तहत वेजबोर्ड की सिफारिशें, अधिनियम की धारा 12 के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित होने पर, सभी मौजूदा अनंबधों के साथ श्रमजीवी पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों की सेवा की शर्तों को नियंत्रित करने वाले विशिष्ट अनुबंध/ठेका व्यवस्था को अधिलंघित  (Supersedes) करती है या इसकी जगह लेती है।

जागरण के पत्रकार पंकज के ट्रांसफर मामले को सुप्रीमकोर्ट ने अवमानना मामले से अटैच किया

दैनिक जागरण के गया जिले (बिहार) के मीडियाकर्मी पंकज कुमार के ट्रांसफर के मामले पर आज सोमवार को माननीय सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मुकदमे की सुनवाई कोर्ट नम्बर 4 में आयटम नम्बर 9, सिविल रिट 330/2017 के तहत की गई। न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुनवाई करते हुए इस मामले को भी मजीठिया वेज बोर्ड के अवमानना मामला संख्या 411/2014 के साथ अटैच कर दिया है। माननीय न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे ही अन्य मामलों पर निर्णय आने वाला है, लिहाजा याचिका का निपटारा भी इसी में हो जाएगा।

दैनिक जागरण के पत्रकार पंकज के ट्रांसफर मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी ऐतिहासिक सुनवाई

पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश रखेंगे मीडियाकर्मी का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष… देश भर के अखबार मालिकों की जहां मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सांस टंगी है वहीं दैनिक जागरण के बिहार के मीडियाकर्मी पंकज कुमार के ट्रांसफर मामले में आज सोमवार को सुप्रीमकोर्ट में एक ऐतिहासिक सुनवाई होने जा रही है। ऐतिहासिक इस मामले में यह सुनवाई होगी कि दैनिक जागरण, बिहार के गया जिले के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार का तबादला किए जाने पर फौरन सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने जा रही है, साथ ही पीड़ित पत्रकार का पक्ष माननीय सुप्रीमकोर्ट में पटना हाई कोर्ट के रिटायर मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश नागेंद्र राय रखेंगे।

मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित, कई मालिक नपेंगे

बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट से आ रही है. प्रिंट मीडिया के कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ न देने पर चल रही अवमानना मामले की सुनवाई आज पूरी हो गई. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है. इसके पहले जस्टिस रंजन गोगोई की अदालत के सामने मीडिया मालिकों …

सुप्रीम कोर्ट ने दिया पत्रकार गिरिराज शर्मा पर मानहानि का मामला दर्ज करने का आदेश

रायपुर। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अमन सिंह तथा उनकी पत्नी के विरूद्ध तथ्यहीन तथा दुराग्रहपूर्ण समाचार प्रकाशित करने के आरोप में रायपुर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ”पत्रिका” के तत्कालीन संपादक गिरिराज शर्मा के विरूद्ध मानहानि का फौजदारी प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं. यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया. कोर्ट ने न्यायायिक दंडाधिकारी रायपुर को प्रकरण दर्ज कर प्रतिवादी, को सम्मन जारी करने के लिये आदेशित किया है.

एनडीटीवी माफी मांग ले तो एक दिन का प्रतिबंध हम भी माफ कर देंगे : मोदी सरकार

एक दिन का प्रतिबंध लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है कि पठानकोट एयरबेस पर आतंकी मामले की गलत रिपोर्टिंग के लिए चैनल अगर माफी मांग ले तो वह एक दिन के प्रतिबंध को माफ कर सकती है. एनडीटीवी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उन्हें हफ्ते भर का समय दिया जाए ताकि वह एनडीटीवी प्रबंधन से बात कर उसके रुख की जानकारी दे सकें. ऐसे में माना जा रहा है कि चैनल प्रबंधन विवाद को आगे न बढ़ाते हुए माफी मांगने को तैयार हो जाएगा और पूरे मामले का पटाक्षेप हो जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त- पैसे न दिए तो एंबी वैली नीलाम कर देंगे

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा मामले में अपने फरवरी के आदेश को संशोधित कर दिया है… सहारा को अब सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के मुकाबले सेबी-सहारा खाते में रकम जमा करानी होगी.. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को चेताते हुए कहा अगर उसने पैसे नहीं जमा कराए तो एंबी वैली को नीलाम कर देंगे… सहारा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फरवरी के आदेश को संशोधित करते हुए समूह के न्यूयॉर्क स्थित होटल की नीलामी से मिलने वाली रकम को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराए जाने के बदले सेबी-सहारा के संयुक्त खाते में जमा कराने का आदेश दिया है…

‘ईयर ऑफ विक्टिम्‍स’ और मजीठिया मामले में इंसाफ की आस

मजीठिया वेज अवॉर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अवमानना केसों की सुनवाई ठहर गई है। रुक गई है। एक तरह से विराम लग गया है। तारीख पड़नी बंद हो गई है। तारीख क्‍यों नहीं पड़ रही है, इस पर कुछ वक्‍त पहले अटकलें भी लगती थीं, अब वो भी बंद हैं। सन्‍नाटा पसर गया है। हर शोर, हर गरजती-गूंजती-दहाड़ती, हंगामेदार आवाज इन्‍हें निकालने वाले गलों में शायद कहीं फंस कर रह गई है। या हो सकता है कि इन्‍हें निकालने वाले गलों ने साइलेंसर धारण कर लिया हो। जो भी हो, यह स्थिति है आस छुड़ाने वाली, निराशा में डुबाने वाली, उम्‍मीद छुड़वाने वाली, नाउम्‍मीदी से सराबोर करने वाली, सारे किए-धरे पर पानी फिरवाने वाली।

मजीठिया मामले में काश सुप्रीमकोर्ट ऐसा कर देता!

देश के अधिकांश अखबार मालिकों के खिलाफ माननीय सुप्रीमकोर्ट में अवमानना का केस चल रहा है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में अभी डेट नहीं पड़ पा रही है। अगर माननीय सुप्रीमकोर्ट कुछ चीजें कर दे तो सभी अखबार मालिकों की नसें ना सिर्फ ढीली हो जायेंगी बल्कि देश भर के मीडिया कर्मियों को इंसाफ भी मिल जायेगा। इसके लिये सबसे पहले जिन समाचार पत्रों की रिपोर्ट कामगार आयुक्त ने सुप्रीमकोर्ट में भेजी है उसमें जिन अखबार मालिकों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू किया है या आंशिक रुप से लागू किया है ऐसे अखबारों के मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर और सभी पार्टनरों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुये उनके खिलाफ कामगार आयुक्त को निर्देश दें कि उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दें और सभी जिलाधिकारियों, तहसीलदारों को निर्देश दें कि उनके खिलाफ रिकवरी कार्रवाई शुरू की जाये। उनको जमानत भी माननीय सुप्रीमकोर्ट से तभी प्राप्त हो जब वे मीडियाकर्मियों को उनका पूरा बकाया एरियर वेतन तथा प्रमोशन दें।

मजीठिया वेतनमान : आगे से कौन डरेगा सुप्रीम कोर्ट से…

मजीठिया वेतनमान को लेकर भले ही देश की कानून व्यवस्था और उसका पालन आलोचनाओं के घेरे में हो लेकिन प्रिंट मीडिया में भूचाल देखा जा रहा है, एबीपी अपने 700 से अधिक कर्मचारियों को निकाल रही है, भास्कर, पत्रिका आधे स्टाफों की छंटनी करने जा रहा है, हिंदुस्तान टाइम्स बिक गया आदि बातें स्पष्ट संकेत दे रही हैं सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेतनमान को लेकर कुछ बड़ा फैसला आने वाला है। अब ये उठा पटक नोटबंदी के कारण हो रही है या किसी और कारण? यह तो समय बताएगा लेकिन मार्च-अप्रैल तक प्रिंट मीडिया में बड़े उलट फेर देखने को मिल सकते हैं. क्योंकि डीएवीपी की नई नीति से उसी अखबार को विज्ञापन मिलेगा जो वास्तव में चल रहा है और जहां के कर्मचारियों का पीएफ कट रहा हो या फिर पीटीआई, यूएनआई या हिन्दुस्थान न्यूज एजेंसी से समाचार ले रहा हो। साथ ही लगने वाला समाचार कापी पेस्ट ना हो, कि बेवसाइट से उठाकर सीधे-सीधे पेपर में पटक दी गई हो। इसका असर प्रिंट मीडिया में पड़ेगा.