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वेब-सिनेमा

गूगल सर्च क्वालिटी गाइडलाइंस, कौन सा वेबपेज घटिया, कौन सा बढ़िया?

राजीव सिंह-

डिजिटल मीडिया के पत्रकारों ने एसईओ के बारे में तो सुना ही होगा। सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन। हर मीडिया संस्थान में एसईओ रखे जाते हैं जो दावा करते हैं वो वेबसाइट के पेज को सर्च इंजन में टॉप पर लाने की काबिलियत रखते हैं। लेकिन अपने दस साल की डिजिटल पत्रकारिता के अनुभव में मैंने किसी भी एसईओ को अपडेट होते नहीं देखा। मीडिया संस्थानों में जितनी भी एसईओ ट्रेनिंग में मैं शामिल हुआ उनमें बस कीवर्ड्स और कैची (आकर्षक) हेडलाइंस का ज्ञान दिया गया। भड़ास की भाषा में कहें तो चू…या बनाया गया। एसईओ यह कभी नहीं बता पाए कि कैची हेडलाइंस कहते किसको हैं, या इन-डेप्थ आर्टिकल लिखते कैसे हैं। बस ज्ञान दिया। गाहे-बगाहे कोई न्यूज पेज सर्च में ऊपर आया तो ये एसईओ क्रेडिट लेने से नहीं चूके लेकिन जब सर्च में नहीं आया तो सारा ठीकरा पत्रकार के सिर। आपने अच्छी हेडलाइन नहीं लगाई, आपने अच्छी कॉपी नहीं लिखी।

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इन एसईओ और डिजिटल पत्रकारों को अपडेट करने के लिए मैं यह बताना चाहता हूं कि गूगल अब कीवर्ड्स साइंस से बहुत आगे निकल चुका है और यह नेचुरल लैंग्वेज को समझने के करीब पहुंचता जा रहा है। अगर आज के जमाने के एसईओ को समझना है तो गूगल की 176 पेज की इस गाइडलाइन बुक को पढ़ लीजिए जिसका लिंक इस लेख के नीचे दिया गया है। गूगल किसी भी पेज को घटिया या बढ़िया कैसे मानता है, इस पीडीएफ में वह सब लिखा है। मैं संक्षेप में यहां बता देता हूं कि गूगल की इन गाइडलाइंस में क्या है?

दरअसल गूगल अब वेबसाइट के पेज की क्वालिटी रेटिंग कराता है और भारत में भी इसके लिए उसने कई लोगों को नियुक्त कर रखा है। किसी भी वेबसाइट के पेज को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। मेन कंटेंट, सप्लिमेंटरी कंटेंट और ऐड। मेन कंटेंट का एक मकसद होता है। किसी भी न्यूज पेज का मकसद होता है कि कोई खबर देना। उस खबर के बारे में पेज पर लिखी गई बातें मेन कंटेंट हो गईं। उसके अलावा बाकी सभी कंटेंट सप्लिमेंटरी कंटेंट कहलाते हैं। इन दोनों के अलावे पेज पर ऐड होते हैं।

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कोई भी वेबपेज घटिया है या बढ़िया, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह वेबसाइट कंटेंट की जिम्मेदारी लेता है कि नहीं? उस कंटेंट के लेखक की कोई प्रतिष्ठा है कि नहीं? ऑनलाइन लोगों की नजर में उस वेबसाइट की कितनी प्रतिष्ठा है? कंटेंट की भाषा कैसी है, उसमें लिखे गए तथ्य कितने सही हैं? मान लीजिए कोई न्यूज वेबसाइट इंवेस्टमेंट टिप्स दे रहा है तो वैसे पेज की क्वालिटी रेटिंग की गाइडलाइंस और भी सख्त हैं क्योंकि उस टिप्स से किसी व्यक्ति को नुकसान भी हो सकता है।

इस संदर्भ में दो टर्म गूगल ने बनाए हैं। EAT और YMYL । EAT का मतलब, Expertise, Authoritativeness, Trustworthy । हिंदी में, विशेषज्ञता, प्रामाणिकता और विश्वसनीयता। दूसरा टर्म है Your money, Your life ।

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जिस वेबपेज का EAT उच्च स्तर का होगा, वह पेज उतनी ही हाई क्वालिटी का होगा। अगर कोई वेबपेज ऐसी बात बता रहा है जिससे किसी व्यक्ति, समाज या समूह को किसी भी प्रकार की हानि हो सकती है तो वह पेज निम्न स्तर की रेटिंग में जाता है।

वेबसाइट पर कॉन्टेक्ट, अबाउट जैसे पेज डिटेल में सही-सही होने चाहिए ताकि यह प्रमाणित हो कि इसका कोई मालिक भी है जो इसके कंटेंट की जिम्मेदारी लेता है। ऑनलाइन रिसर्च कर उस वेबसाइट की प्रतिष्ठा के बारे में पता लगाया जाता है। वेबपेज का मेन कंटेंट अगर अपने मकसद में कामयाब है, अगर उसकी हेडिंग जो बता रही है वही कंटेंट में भी मौजूद है, तो वह पेज उच्च स्तर के पायदान की तरफ बढ़ेगा। लेकिन मान लीजिए कि वेबसाइट पर ऐड इतने हों कि यूजर उससे डिस्टर्ब होता हो तो वह लो क्वालिटी की तरफ जाएगा। खासकर मेन कंटेंट के दो पैरा के बीच में ऐड नहीं होने चाहिए। साइड में ऐड होने से समस्या नहीं है।

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गूगल वेबपेज को मोबाइल के आधार पर रेटिंग कराता है। एक वेबपेज को कई रेटर्स रेटिंग देते हैं और गूगल उस आधार पर यह तय करता है कि उस पेज के साथ क्या न्याय किया जाय? मान लीजिए, कोई वेबपेज लगातार गूगल सर्च में ऊपर आ रहा है लेकिन ज्यादातर रेटर्स ने उसको लो क्वालिटी पेज माना है तो वह निश्चित तौर पर सर्च रैकिंग में नीचे चला जाएगा। आखिर में यह बता दूं कि वेबपेज की रैंकिंग क्या- क्या हैं? सबसे निम्न स्तर का पेज Lowest, फिर Lowest+, उससे ऊपर Low, Low+, उससे ऊपर Medium, Medium+, उससे ऊपर High, High+, सबसे ऊपर Highest ।

Highest और Lowest रैंकिंग के पैमाने बड़े ही सख्त हैं। ज्यादातर पेज Low से High के बीच आते हैं। जो बिल्कुल ही नुकसानदेह पेज हैं वही Lowest में जाते हैं या जो आला दर्जे का विश्वसनीय कंटेंट है वही Highest में जाता है। अब गूगल यह भी मान चुका है कि एक ही वेबसाइट पर उच्च स्तर का कंटेंट भी हो सकता है और निम्न स्तर का भी। इसलिए रेटिंग के लिए पैनी निगाह रखनी होती है और रेटर्स बनने की परीक्षा भी उतनी ही कठिन है। परीक्षा में थ्योरी का एक फेज होता है, बाकी दो फेज प्रैक्टिकल के होते हैं। बहरहाल पीडीएफ का लिंक नीचे है जिसमें विस्तार से आप पढ़ सकते हैं। अगर परीक्षा पास कर गए तो आप भी सर्च क्वालिटी रेटर बन सकते हैं।

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ये रहा गूगल सर्च क्वालिटी गाइडलाइंस पीडीएफ लिंकhttps://static.googleusercontent.com/media/guidelines.raterhub.com/en//searchqualityevaluatorguidelines.pdf

लेखक दिल्ली में एक दशक से डिजिटल पत्रकारिता क्षेत्र में हैं। फिलहाल गूगल के लिए सर्च क्वालिटी रेटिग का काम करते हैं। संपर्क- [email protected]

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4 Comments

4 Comments

  1. anonymous

    January 12, 2023 at 2:41 pm

    पहली बात – यह आर्टिकल लिखने वाले सज्जन पुरूष, खुद बहुत Outdated हैं… गूगल के 176 पेजों में से जिन मुख्य बातों जैसे कि EAT, YMYL के बारे में, यह सज्जन बता रहे हैं, वो सालों पुराने रूल्स हैं। इनमें कुछ भी नया नहीं है। लेकिन ये जरूर है कि इनके लिए नया है और इनको सालों पहले की ये चीज, अब से पहले की नहीं पता था, तो इनको लग रहा है कि ये वाकई में नई चीज है दुनिया है। भाई साहब, ये दुनिया के लिए पुरानी ही चीज है, बस आपको आज पता चली है, तो यह आपके लिए नई चीज है।

    दूसरी बात – लगता है कि इन सज्जन ने या तो कभी किसी अच्छे मीडिया संस्थान में काम नहीं किया, या फिर किया है, तो उनको वाकई में बहुत घटिया SEO Expert / SEO Expert Team से पाला पड़ा है। वरना, Keyword based traffic लाने का रास्ते का जमाना तो कब का गुजर गया। अब तो कहानी, कई दशक आगे चली गई है, जिसमें URL, H1, H2, H3, H4, Query, SR, etc तक जा पहुंची हैं और सच कहूं तो ये भी लगभग Outdated हो चुका है।

    2023 का साल GA4 के लिए याद किया जाएगा। अब गूगल करके देख लीजिएगा कि GA4 क्या है और GA से कैसे यह बहुत ज्यादा अलग है।

    • राजीव

      January 13, 2023 at 11:53 am

      आप जिस GA4 का जिक्र कर रहे हैं वह गूगल एनेलेटिक्स से जुड़ा है। यहां SEO की चर्चा हो रही है। आप ही समझा दीजिए GA4 और SEO में क्या संबंध है। आप अगर SEO में रुचि रखते हैं तो तर्क के साथ अपनी बात रखिए, भावना में बहकर नहीं। नई चीजों की जानकारी अगर आपको होती तो ये कमेंट नहीं लिखते आप, न ही GA4 का जिक्र करते जिसका इस आलेख से कोई लेना देना नहीं।

  2. Radhe Shyam

    January 12, 2023 at 2:41 pm

    पहली बात – यह आर्टिकल लिखने वाले सज्जन पुरूष, खुद बहुत Outdated हैं… गूगल के 176 पेजों में से जिन मुख्य बातों जैसे कि EAT, YMYL के बारे में, यह सज्जन बता रहे हैं, वो सालों पुराने रूल्स हैं। इनमें कुछ भी नया नहीं है। लेकिन ये जरूर है कि इनके लिए नया है और इनको सालों पहले की ये चीज, अब से पहले की नहीं पता था, तो इनको लग रहा है कि ये वाकई में नई चीज है दुनिया है। भाई साहब, ये दुनिया के लिए पुरानी ही चीज है, बस आपको आज पता चली है, तो यह आपके लिए नई चीज है।

    दूसरी बात – लगता है कि इन सज्जन ने या तो कभी किसी अच्छे मीडिया संस्थान में काम नहीं किया, या फिर किया है, तो उनको वाकई में बहुत घटिया SEO Expert / SEO Expert Team से पाला पड़ा है। वरना, Keyword based traffic लाने का रास्ते का जमाना तो कब का गुजर गया। अब तो कहानी, कई दशक आगे चली गई है, जिसमें URL, H1, H2, H3, H4, Query, SR, etc तक जा पहुंची हैं और सच कहूं तो ये भी लगभग Outdated हो चुका है।

    2023 का साल GA4 के लिए याद किया जाएगा। अब गूगल करके देख लीजिएगा कि GA4 क्या है और GA से कैसे यह बहुत ज्यादा अलग है।

    • राजीव

      January 13, 2023 at 11:17 am

      राधे श्याम जी, EAT और YMYL के अर्थ गूगल खुद ही अपडेट करता रहता है। गाइडलाइंस अपडेट होते रहते हैं। नई गाइडलाइंस में YMYL की परिभाषा को बदला गया है। क्या आप इसे नई चीज नहीं कहेंगे? मैंने सिर्फ EAT और YMYL का जिक्र नहीं किया है। यह तो सिर्फ एक पहलू है। आपने अगर 176 पेज की गाइडलाइंस को पढ़ा होता और अगर आप इस पर सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन की दुनिया में चल रहे बहस को जाना होता तो जल्दबाजी में अपना कमेंट नहीं लिखते। मैंने भी आपकी ही बात को लिखा है। आपने खुद ही लिखा है कि H1, H2 जैसी चीजें भी आउटडेटेड हो रही हैं।

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