लखनऊ : लोकायुक्त नियुक्ति पर उत्तर प्रदेश सरकार को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार सुनने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकायुक्त नियुक्ति के लिए कैबिनेट से जो प्रस्ताव पारित करा लिया था, गवर्नर राम नाईक ने उसे मंजूरी देने से इनकार करते हुए फाइल सीएम को वापस कर दी है, जबकि सरकार किसी भी कीमत पर जस्टिस रवींद्र सिंह को ही लोकायुक्त नियुक्त कराने पर आमादा है।
राज्यपाल राम नाइक ने सरकार से हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के साथ लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए किए गए सभी पत्राचारों की फाइल भी तलब कर ली है। जस्टिस रविन्द्र सिंह की लोकायुक्त पद पर नियुक्ति के लिए अखिलेश सरकार ने कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराया था। उसके बाद कार्यवाही के लिए उस फाइल को राज्यपाल के पास भेजा गया।
फ़रवरी में सरकार ने नेता प्रतिपक्ष की सलाह से जस्टिस रवींद्र सिंह का नाम तय करके इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास परामर्श के लिए भेजा था। चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस रवींद्र के नाम पर आपत्ति जताते हुए राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र से अवगत करा दिया था। इसके बाद सरकार ने लोकायुक्त की चयन प्रक्रिया से चीफ जस्टिस की भूमिका ही समाप्त कर दी थी।