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लखनऊ के डीएम की चमचागिरी में खबर चुराने की खुल गई पोल

कभी-कभी अफसरों की चमचागिरी भी भारी पड़ जाती है. ऐसा तब देखने को मिला, जब ‘समाचार प्लस’ के पत्रकार आलोक पाण्डेय ने लखनऊ के डीएम की चमचागिरी में अपने अखबार ‘द मिड डे एक्टिविस्ट’ में  एक खबर लिखी और ग्रुप में डाल दी. पलक झपकते ही एक अन्य पत्रकार ने अपनी खबर लगाते हुए कहा कि यह खबर तो उसकी है. आलोक ने चमचागिरी के लिए उसकी खबर हूबहू कॉपी करके छाप दी है. इस पोस्ट के बाद तो आलोक को साप सूंघ गया.

कभी-कभी अफसरों की चमचागिरी भी भारी पड़ जाती है. ऐसा तब देखने को मिला, जब ‘समाचार प्लस’ के पत्रकार आलोक पाण्डेय ने लखनऊ के डीएम की चमचागिरी में अपने अखबार ‘द मिड डे एक्टिविस्ट’ में  एक खबर लिखी और ग्रुप में डाल दी. पलक झपकते ही एक अन्य पत्रकार ने अपनी खबर लगाते हुए कहा कि यह खबर तो उसकी है. आलोक ने चमचागिरी के लिए उसकी खबर हूबहू कॉपी करके छाप दी है. इस पोस्ट के बाद तो आलोक को साप सूंघ गया.

 

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यह ग्रुप डीएम राजशेखर ने बनाया है. इसमें सभी अफसर और पत्रकार शामिल हैं. डीएम इस ग्रुप में और पत्रकार भी इस ग्रुप में अपनी जानकारी डालते रहते हैं. शुरुआत में कुछ पत्रकार इस ग्रुप में अपनी खबर डाल दिया करते थे मगर फिर डीएम ने मना किया कि अपनी लिखी खबर इस ग्रुप में न डालें. इसके बाद कोई पत्रकार अपनी खबर इसमें नहीं डालता. 

कुछ रोज पहले आलोक पाण्डेय ने द मिड डे एक्टिविस्ट में ‘लूट लो लखनऊ’ शीर्षक से छपी खबर डीएम के ग्रुप में लगा दी. इस खबर में बॉक्स में डीएम का फोटो छापा गया था. मतलब साफ़ था कि डीएम की चमचागिरी की जाये. खबर में था कि कर्मचारी मिल कर जमीनों का अवैध धंधा करते हैं. हकीकत यह है कि आलोक पाण्डेय ही आजकल जमीनों का धंधा करने में लगा है. अखबार इतने गंदे कागज पर छपता है कि उसकी पचास कॉपी भी नहीं बिकती मगर सबको व्हॉट्सएप्स और मेल करके अखबार भेजता है और खबरें दूसरे अखबारों से चोरी करता है. 

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जैसे ही इसने डीएम के ग्रुप में यह खबर डाली तो तुरंत ही डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट के नीरज मिश्रा ने अपनी खबर डाल दी और कहा कि सब लोग देख लो, यह खबर तो उन्होंने एक दिन पहले ही लिखी है, इसमें शब्द तक नहीं बदले गए. नीरज मिश्रा तेज तर्रार पत्रकार हैं. उन्होंने लिखा कि डीएनए में प्रकाशित खबरें दोपहर को द मिड डे में प्रकाशित हो रही हैं और इसके बाद ग्रुप में पोस्ट  की जा रही हैं. नीरज के ऐसा लिखते ही सभी पत्रकारों को आलोक की हैसियत पता चल गई. 

पत्रकार योगेन्द्र अवस्थी और पत्रकार शकील रिजवी ने इस पर हैरानी जताई. पत्रकार मनीष श्रीवास्तव ने कहा ग्रुप के एडमिन इसकी जांच करवायें. डीएम लखनऊ ने माहौल को हल्का करते हुए कहा कि सीबीआई जांच? इस खुलासे से साफ़ हो गया कि आलोक पाण्डेय और द मिड डे एक्टिविस्ट के लोग किस तरह के धंधों में लगे हैं. हकीकत यह है कि आलोक पाण्डेय को पत्रकारिता का क-ख-ग भी नहीं आता. वो बस उमेश कुमार की चापलूसी में लगा रहता है . डीएम के ग्रुप के स्क्रीन शॉट आप देख सकते है. 

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. 

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