देश भर के अखबार मालिकों द्वारा अपने कर्मचारियों का किए जा रहा शोषण और मजीठिया वेज बोर्ड लागू किए जाने की मांग आज संसद में उठी। २४ घंटे के अंदर मीडियाकर्मियों के साथ अन्याय और वेज बोर्ड न लागू कर मीडिया मालिकों द्वारा की जा रही मनमानी का मसला राज्यसभा और लोकसभा दोनों जगहों में उठाया गया। बुधवार को राज्यसभा में जहां जाने माने नेता जदयू के शरद यादव ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश अभी तक लागू ना किए जाने का सवाल जोरशोर से उठाया वहीं मंगलवार को कोडरमा के सांसद डाक्टर रविंद्र कुमार राय ने इस मुद्दे को लोकसभा में जमकर उठाया।
अखबार मालिकों की मनमानी का मुद्दा राज्य सभा में दूसरे नेताओं ने भी उठाया और वे अखबार मालिकों पर जमकर बिफरे। चुनाव सुधार पर उच्च सदन में हुयी अल्पकालिक चर्चा में भाग लेते हुए जदयू के शरद यादव ने मीडिया में सुधारों की वकालत की और कहा कि अगर मीडिया पर पूंजीपतियों का नियंत्रण हो जाएगा तो इससे लोकतंत्र ही खतरे में पड़ जाएगा। शरद यादव ने कहा कि पत्रकारों को ठेके पर रखा जा रहा है। उन्होंने मांग की कि समाचार पत्रों के लिए मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए। यादव ने कहा कि उन्होंने खुद ही पेड न्यूज की आयोग से शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों को सही खबरें नहीं मिल रही हैं। पत्रकार ईमानदार हैं लेकिन वे अपने मालिकों के कारण सही खबरें नहीं लिख पाते। उन्होंने कहा कि अब पूंजीपति मीडिया घरानों के मालिक हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय पर विस्तार से चर्चा किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि पत्रकार जो लोकहित के संदेशों का प्रमुख वाहक और प्रहरी होता था, वह पूंजीपतियों के मीडिया में बढ़ते वर्चस्व के कारण ठेके पर रखे जाते हैं और हायर एंड फायर के खतरे से जूझते हैं। उन्होंने कहा कि आज मीडिया को आम जनता से काट दिया गया है।
शरद यादव का पूरा भाषण सुनने के लिए नीचे क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=L_cGrOGKhWY
उधर कोडरमा के सांसद डॉ रविंद्र कुमार राय ने मंगलवार को लोकसभा में नियमावली 377 के अंतर्गत पत्रकारों को मिलने वाले वेतन और सुविधाओं का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र में अपनी बड़ी भूमिका निभाते हैं, कुछ पत्रकारों को जीवन यापन करने लायक वेतन भी नहीं मिलता। देश में पत्रकारों के वेतन व सुविधाओं में वृद्वि हेतु जस्टिस जी आर मजीठिया वेज बोर्ड का गठन किया गया था। बोर्ड ने सभी तथ्यों को देखकर अपनी सिफारिशे सरकार को दी और 11 नवम्बर 2011 को अधिसूचित कर दिया गया।
बड़े खेद का विषय है कि आज तक भी अखबार मालिको द्वारा पत्रकारो को उनका हक नही दिया जा रहा है, इस तरह की अवमानना के कई मामले माननीय सर्वोच्य न्यायालय में विचाराधीन है । डॉ रविंद्र कुमार राय ने सरकार से अनुरोध किया कि देश के सभी पत्रकारो को मजीठिया बोर्ड की सिफारिशो अनुसार सुविधाएं तत्काल दी जाए और मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशे न मामने वालो के विरूद्व कार्यवाही की जाए ताकि पत्रकारो को उनका हक मिल सकें। उन्होंने कहा की माननीय मोदी जी के नेतृत्व में चल रही सरकार में हर वर्ग की चिंता हुई है, पत्रकारों के साथ अनदेखी न की जाये।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५