कर्मचारियों के द्वेषपूर्ण तबादला मामले में कोर्ट ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को फटकारा

ट्रांसफर पर यथास्थिति आदेश के बावजूद कंपनी ने अप्रैल से बैठा दिया था घर… कोर्ट ने कहा- जब तक केस का फैसला नहीं हो जाता, कर्मचारियों को होशंगाबाद में ही पूर्ववत करने दें काम, अप्रैल से अब तक का पूरा वेतन भी दें तत्काल… मजीठिया रिकवरी केस की सुनवाई के दौरान द्वेषपूर्ण तरीके से रायपुर स्थानांतरित किए गए तीन कर्मचारियों के मामले में लेबर कोर्ट ने दैनिक भास्कर को कड़ी फटकार लगाई है। कर्मचारियों को मई से अब तक का पूरा वेतन देने और फैसला होने तक होशंगाबाद में ही कार्य करवाए जाने का आदेश कोर्ट ने दिया है। मामले में कर्मचारियों ने बिना विलंब किए जबलपुर हाईकोर्ट में कैवियट भी फाइल कर दी है। अब यदि भास्कर ने लेबर कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील भी की तो कर्मचारियों का पक्ष सुने बिना भास्कर को कोर्ट से किसी प्रकार की अंतरिम राहत नहीं मिलेगी।

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में ‘हिंदुस्तान’ अखबार को क्लीनचिट देने वाली शालिनी प्रसाद की झूठी रिपोर्ट देखें

यूपी में अखिलेश यादव सरकार के दौरान श्रम विभाग ने झूठी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एचटी मीडिया और एचएमवीएल कंपनी यूपी में अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ की सभी यूनिटों में मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करके सभी कर्मचारियों को इसका लाभ देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह अनुपालन कर रही है. श्रम विभाग की यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश की तत्कालीन श्रमायुक्त शालिनी प्रसाद ने 06 जून 2016 को सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में अखबार मालिकों के विरुद्ध विचाराधीन अवमानना याचिका संख्या- 411/2014 में सुनवाई के दौरान शपथपत्र के साथ दाखिल की है.

सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का झूठा हलफनामा, कहा- हिंदुस्तान की दसों यूनिटों में मजीठिया लागू है

देश के अन्य राज्यों में भले ही प्रिंट मीडिया के कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक वेतनमान और एरियर न मिल रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में एचटी मीडिया कंपनी का अखबार ‘हिन्दुस्तान’ अपनी सभी यूनिटों में मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करके सभी कर्मचारियों को इसका लाभ देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का …

मजीठिया न देना पड़े इसलिए कर्मियों पर वीआरएस का दबाव बना रहा लोकमत

महाराष्ट्र का नंबर वन अखबार कहलाने वाला लोकमत मजीठिया वेतन आयोग की पूरी राशि कर्मचारियों को न देने के लिए हर पैंतरा अपनाने की कोशिश कर रहा है. परमानेंट स्टाफ को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए 100 से ज्यादा कर्मचारियों की सूची तैयार की गई है. बता दें कि लोकमत ने अपने कर्मचारियों को अब तक मजीठिया का आंशिक भुगतान ही किया है.

शेम शेम दैनिक जागरण! मजीठिया मांगने पर संकट से घिरे वरिष्ठ पत्रकार का जम्मू कर दिया तबादला

दैनिक जागरण बिहार का अमानवीय शोषणकारी चेहरा…दैनिक जागरण के वरिष्ठ एवं ईमानदार पत्रकार पंकज कुमार का मजीठिया के अनुसार वेतन मांगने पर जम्मू किया तबादला…. वीआरएस लेने  के लिए जागरण प्रबंधन बना रहा है दबाव… बिहार के गया जिले में दैनिक जागरण के पत्रकार पंकज कुमार अपनी बेख़ौफ़ एवं निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने जाते …

बरेली में डीएलसी ने पूरी की मजीठिया क्लेम की सुनवाई, फैसला सुरक्षित

बरेली से बड़ी खबर आ रही है। बरेली के श्रम न्यायालय में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान और एरियर के दाखिल हिंदुस्तान के तीन कर्मचारियों के क्लेम पर शनिवार को उपश्रमायुक्त ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया है। उपश्रमायुक्त ने हिंदुस्तान प्रबंधन को अब और समय देने से दो टूक इंकार कर दिया।

लोकसभा में फिर उठी मजीठिया की मांग, अबकी RSP के प्रेमचंद्रन ने उजागर किया पत्रकारों का दर्द

देश भर के प्रिंट मीडियाकर्मियों का दर्द अब संसद सदस्यों को भी समझ में आने लगा है। कल दूसरे दिन भी लोकसभा में पत्रकारों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़ा जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का मामला उठा। इससे पहले मंगलवार को झारखंड के कोडरमा से सांसद डॉ रविन्द्र कुमार राय ने पत्रकारों को मिलने वाले वेतन व सुविधाओं का मामला उठाते हुए मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग लोकसभा में की थी।

संसद में दहाड़े शरद यादव- ‘पत्रकारिता छोड़ बाकी सभी धंधा कर रहे मीडिया मालिक, लागू हो मजीठिया वेज बोर्ड’ (देखें वीडियो)

शरद यादव ने राज्यसभा में बोलते हुए पत्रकारिता को राह से भटक जाने का मुद्दा उठाया…. इसके लिए मडिया मालिकों पर जमकर भड़ास निकाली….

लोेकसभा और राज्यसभा में उठी मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने की मांग (देखें वीडियो)

देश भर के अखबार मालिकों द्वारा अपने कर्मचारियों का किए जा रहा शोषण और मजीठिया वेज बोर्ड लागू किए जाने की मांग आज संसद में उठी। २४ घंटे के अंदर मीडियाकर्मियों के साथ अन्याय और वेज बोर्ड न लागू कर मीडिया मालिकों द्वारा की जा रही मनमानी का मसला राज्यसभा और लोकसभा दोनों जगहों में उठाया गया। बुधवार को राज्यसभा में जहां जाने माने नेता जदयू के शरद यादव ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश अभी तक लागू ना किए जाने का सवाल जोरशोर से उठाया वहीं मंगलवार को कोडरमा के सांसद डाक्टर रविंद्र कुमार राय ने इस मुद्दे को लोकसभा में जमकर उठाया।

मजीठिया क्रांतिकारी मनोज शर्मा की कविता- …होठों को सी कर जीने से तो मरना ही अच्छा है!

मनोज शर्मा हिंदुस्तान बरेली के वरिष्ठ पत्रकार हैं. ये मजीठिया क्लेम पाने के लिए हिन्दुस्तान प्रबंधन से जंग लड़ रहे हैं. इन्होंने आज के वर्तमान परिस्थियों में अखबारों में कार्यरत साथियों की हालत को देखते हुए एक कविता लिखी है. कविता पढ़ें और पसंद आए तो मनोज शर्मा को उनके मोबाइल नंबर 9456870221 पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएं….

‘हिंदुस्तान’ अखबार से 6 करोड़ वसूलने के लखनऊ के अतिरिक्त श्रमायुक्त के आदेश की कापी को पढ़िए

लखनऊ के श्रम विभाग ने हिंदुस्तान के 16 पत्रकारों व कर्मचारियों को क़रीब 6 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है. लखनऊ के एडिशनल कमिशनर बी.जे. सिंह व सक्षम अधिकारी डॉ. एमके पाण्डेय ने 6 मार्च को हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ आरसी जारी कर दी और पैसा वसूलने के लिए ज़िलाधिकारी को अधिकृत कर …

‘हिंदुस्तान’ अखबार के खिलाफ आरसी जारी, 6 करोड़ वसूल कर 16 पत्रकारों में बंटेगा

लखनऊ से बड़ी ख़बर है। मजीठिया वेतनमान प्रकरण में दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान की अब तक की सबसे बड़ी हार हुई है। कम्पनी का झूठ भी सामने आ गया है। यह भी सामने आया है कि मजीठिया की सिफ़ारिश से बचने के लिए कम्पनी ने तरह तरह के षड्यंत्र किए। लखनऊ के श्रम विभाग ने हिंदुस्तान के 16 पत्रकारों व कर्मचारियों को क़रीब 6 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है। लखनऊ के एडिशनल कमिशनर बी.जे. सिंह व सक्षम अधिकारी डॉ. एम॰के॰ पाण्डेय ने ६ मार्च को हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ आरसी जारी कर दी और पैसा वसूलने के लिए ज़िलाधिकारी को अधिकृत कर दिया है।

सीनियर कापी एडिटर राजेश्वर ने भी हिंदुस्तान बरेली पर ठोंका श्रम न्यायालय में क्लेम

बरेली से बड़ी खबर आ रही है कि हिंदुस्तान की बरेली यूनिट में मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक वेतनमान और बकाया एरियर को लेकर चीफ कॉपी एडिटर सुनील मिश्रा की अगुवाई में शुरू हुई लड़ाई दिनोंदिन तेज होती जा रही है। हालाँकि सुनील ने प्रबंधन के मनाने पर भले ही अपने कदम पीछे खींच लिए मगर मजीठिया की लड़ाई उनके अन्य साथी पूरी ताकत से लड़कर हिंदुस्तान प्रबंधन की नींद हराम किये हैं।

मजीठिया वेज बोर्ड मांगने वाले पत्रकार को एमपी पुलिस ने 31 घंटे तक अवैध हिरासत में रखा

प्रति,
श्रीमान् प्रधान संपादक महोदय
भड़ास मीडिया

पत्रकार के साथ पुलिस की गुंडागर्दी का मामला आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं… मैं पत्रकार विपिन नामदेव बताना चाहूंगा कि मेरे पिताजी को पुलिस वाले 04/03/2017 को सुबह 04:10 मिनट पर उठा के ले गये. घर की महिलाओं के साथ गाली गलौज की. इसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. मैं पुलिस के पास शाम 05:30 पर पहुंचा तो मुझे बिठाकर पिताजी को छोड़ दिया गया.

पीटीआई यूनियन लीडर एमएस यादव की कारस्तानी : फेडरेशन की एक करोड़ की संपत्ति बेटे को सौंपा!

देश की जानी मानी न्यूज़ एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया की फेडरेशन ऑफ़ पीटीआई एम्प्लाइज यूनियंस के महासचिव महाबीर सिंह यादव पर कई गंभीर किस्म के आरोप लगे हैं. महाबीर सिंह यादव उर्फ एमएस यादव की मनमानी के कई किस्से सामने आ रहे हैं. लगभग एक करोड़ रूपये से अधिक कीमत की फेडरेशन की प्रॉपर्टी को इन महाशय ने गलत तरीके से अपने बेटे के नाम पर करा दिया. एमएस यादव की हरकतों से पीटीआई इंप्लाइज फेडरेशन का अस्तित्व खतरे में है.

दिल्ली की श्रम अदालत ने दैनिक जागरण पर ठोंका दो हजार रुपये का जुर्माना

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े दिलीप कुमार द्विवेदी बनाम जागरण प्रकाशन मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण पर दो हजार रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है। इस जुर्माने के बाद से जागरण प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है। बताते हैं कि गुरुवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय में दैनिक जागरण के उन 15 लोगों के मामले की सुनवाई थी जिन्होंने मजीठिया बेज बोर्ड की मांग को लेकर जागरण प्रबंधन के खिलाफ केस लगाया था। इन सभी 15 लोगों को बिना किसी जाँच के झूठे आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया गया था। गुरुवार को जब न्यायालय में पुकार हुयी तो इन कर्मचारियों के वकील श्री विनोद पाण्डे ने अपनी बात बताई।

शिकायत वापस लेने वाले भी डीएलसी से बोले- नहीं मिल रहा मजीठिया का लाभ

बरेली से खबर आ रही है कि हिंदुस्तान के जिन तीन कर्मचारियों से 7 जनवरी को प्रबंधन ने डीएलसी कार्यालय ले जाकर केस फाइल पर गुपचुप तरीके से शिकायत वापसी के लिए लिखवा के चस्पा करा दिया था, उन तीनों को डीएलसी के सख्त रुख के चलते प्रबंधन को पेश करना पड़ गया।

मजीठिया वेतनमान पाने के लिए संगठन के माध्यम से करें क्लेम

मजीठिया वेतनमान पाने के लिए सबसे पहले आपको श्रम विभाग में आवेदन करना पड़ेगा। इसके लिए सीए रिपोर्ट तो और अच्छी बात है नहीं तो खुद ही अपना शेष बकाया निकाल कर श्रम विभाग में निवेदन कर सकते हैं। हालांकि 17 (1) के तहत आवेदक को कही-कही श्रम विभाग निर्धारित प्रारूप में आवेदन मांगता है। कोशिश करें कि यहां प्रकरण का निराकरण हो जाए, कोर्ट ना जाए। कोर्ट प्रकरण तब जाता है जब किसी बात ऐसा विवाद हो जाता है जिससे क्लेम की विश्वसनियता या कर्मचारी ना होने या किसी अनसुलझे मुद्दे पर विवाद हो जाता है।

States to go by Delhi model in implementing Wage Board wages for scribes, non-scribes

New Delhi : President of the Indian Federation of Working Journalists K Vikram Rao has urged the state governments to follow the Delhi government in implementing of the Wage Board wages for journalists and non-journalists, already endorsed by the Supreme Court.

कर्मचारी एचटी डिजिटल स्टीम्स लिमिटेड के, वेतन अभी भी दे रही एचएमवीएल

कई कर्मचारियों से त्यागपत्र लेने के बाद भी नहीं दिया गया पुराना बकाया… शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले अखबार हिन्दुस्तान से खबर आ रही है कि यहां कर्मचारियों को पुरानी कंपनी से इस्तीफा दिलाकर नयी कंपनी में भले ही ज्वाईन करा लिया गया है मगर पटना सहित कई जगह रिजाईन लेने के बाद भी कई कर्मचारियों को उनका पुराना हिसाब नहीं दिया गया है। यही नहीं, हिंदुस्तान अखबार की कंपनी का नाम कल तक हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड था मगर अब एक नयी कंपनी खोलकर अखबार प्रबंधन ने उसका नाम रख दिया एचटी डिजिटल स्टीम्स लिमिटेड। इस नई कंपनी में जबरिया कर्मचारियों को पुरानी कंपनी से त्यागपत्र दिलाकर 1 जनवरी 2017 से ज्वाईन करा दिया गया है।

डीएलसी बरेली ने हिंदुस्तान प्रबंधन से कहा- ”सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर कोई नहीं”

बरेली में मजीठिया वेज बोर्ड के वेतनमान के अनुसार एरियर के दाखिल क्लेम (हिंदुस्तान समाचार पत्र के सीनियर कॉपी एडिटर मनोज शर्मा के 33,35,623 रुपये, सीनियर सब एडिटर निर्मल कान्त शुक्ला के 32,51,135 रुपये, चीफ रिपोर्टर डॉ. पंकज मिश्रा के 25,64,976 रुपये) पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उप श्रमायुक्त बरेली रोशन लाल ने हिंदुस्तान प्रबंधन की ओर से मौजूद बरेली के एचआर हेड व विधि सलाहकार को चेताया कि सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर कोई नहीं है।

हिंदुस्तान बरेली से तीन लोगों ने उप श्रमायुक्त के कोर्ट में किया मजीठिया का क्लेम

बरेली से खबर आ रही है कि हिंदुस्तान अखबार के सीनियर कॉपी एडिटर मनोज शर्मा ने 33,35,623 रुपये, सीनियर सब एडिटर निर्मल कान्त शुक्ला ने 32,51,135 रुपये और चीफ रिपोर्टर डॉ. पंकज मिश्रा ने 25,64,976 रुपये का मजीठिया वेज बोर्ड के वेतनमान के अनुसार एरियर का क्लेम उप श्रमायुक्त बरेली के यहाँ ठोंक दिया है। तीनों ने उपश्रमायुक्त बरेली से शिकायत की है कि हिंदुस्तान प्रबंधन मजीठिया के अनुसार वेतन और बकाया देय मांगने पर उनको प्रताड़ित कर रहा है। साथ ही आये दिन धमका रहा है।

पत्रिका, मंदसौर आफिस में कार्यरत मुरली मनोहर शर्मा की अमानवीय और घटिया हरकत

Shri Maan ji, mei Mandsaur Patrika me circulation back office or account ka work dekhta thha. 25.01.2016 Ko muje Murli Manohar Sharma davra cabin me Bulaya Gaya. Khaa Gaya ki kal se aap Ko nokari par nahi aana he. Mene uska reson puchha to bole koi reson nahi hei. Mene Khaa thik hei, mujhe letter de do aap to me kal se office nahi ayunga. Lekin letter Dene se bhi Mana kar diya.

मजीठिया वेज बोर्ड से डरे अमर उजाला प्रबंधन ने भी डंडा चलाना शुरू किया

मजीठिया वेज बोर्ड का खौफ अखबार मालिकों पर इस कदर है कि वह सारे नियम कानून इमान धर्म भूल चुके हैं और पैसा बचाने की खातिर अपने ही कर्मचारियों को खून के आंसू रुलाने के लिए तत्पर हो चुके हैं. इस काम में भरपूर मदद कर रहे हैं इनके चमचे मैनेजर और संपादक लोग. खबर है कि अमर उजाला प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड से बचने की खातिर कर्मचारियों का तबादला करना शुरू कर दिया है. साथ ही इंप्लाइज की पोस्ट खत्म की जा रही है.

मजीठिया वेज बोर्ड से घबड़ाये हिन्दुस्तान प्रबंधन ने कर्मचारियों से लिया त्यागपत्र

एक नयी कंपनी एच टी डिजिटल स्टीम्स लिमिटेड में कराया गया ज्वाईन

देश के प्रतिष्ठित अखबार हिन्दुस्तान से खबर आ रही है कि जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अवमानना मामले से घबड़ाये प्रबंधन ने संपादकीय विभाग में कुछ संपादक लेबल के या पुराने लोगों को छोड़कर बाकी सभी से त्यागपत्र ले लिया है और इन सभी को एक नयी कंपनी एचटी डिजिटल स्टीम्स लिमिटेड में ज्वाईन करा दिया गया है। साथ ही जितने भी हिन्दुस्तान के संपादकीय विभाग के कर्मचारी हैं, अधिकांश से जबरी इस्तीफे पर साईन करा लिया गया है।

डीएलसी पाठक साहब, आखिर प्रकरण में बहस कराते क्यों हो?

डिप्टी लेबर कमिश्नर एल.पी. पाठक के कार्यालय में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप बकाया वेतन और एरियर की माँग कर रहे अनेक पत्रकारों और गैर-पत्रकार साथियों के प्रकरण इन निरन्तर सुनवाई चल रही है। केस की सुनवाई में आवेदक और अनावेदक पक्ष द्वारा जो जवाब लिखित में दिए जा रहे हैं, उन जवाबों को ही श्री पाठक अपने आदेश में शामिल कर अंतिम फैसला दे रहे हैं।

कौन करेगा बर्खास्त मीडियाकर्मियों के साथ न्याय?

क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पक्ष में आवाज उठाना गुनाह है? अमित नूतन की पत्नी की मौत है या हत्या?

भड़ास फॉर मीडिया पर पढ़ा कि राजस्थान पत्रिका से बर्खास्त अमित नूतन की पत्नी का निधन हो गया। अमित नूतन का दोष यह था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए प्रबंधन से मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन की मांग की थी। इस साहस की कीमत उन्हें पहले बखार्रस्तगी और अब अपनी पत्नी के निधन के रूप में चुकानी पड़ी। यह घटना भले ही लोगों को आम लग रही हो पर जिन हालातों में अमित नूतन की पत्नी का निधन हुआ है यह मामला बड़ा है। देश की सर्वोच्च संस्था सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पक्ष में आवाज उठाना क्या गुनाह है ? जब अमित नूतन को बर्खास्त किया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया?

हिन्दुस्तान रांची के हेचआर हेड ने मजीठिया मांगने वाले दो कर्मियों के साथ की बदतमीजी, कॉलर पकड़ हड़काया, गाली दी

हिन्दुस्तान अखबार प्रबंधन इन दिनों मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया मांगने वालों के खिलाफ लगातार दमन की नीति अपना रहा है और अपने ही किये वायदे से मुकर रहा है। रांची में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप वेतन और भत्ते मांगने वाले दो कर्मचारियों ने जब श्रम आयुक्त कार्यालय में क्लेम लगाया तो इनका ट्रांसफर कर दिया गया। जब ये लोग कोर्ट से जीते तो हिन्दुस्तान प्रबंधन को उन्हें वापस काम पर रखना पड़ा। तीन दिन बाद ही जब ये कर्मचारी कार्यालय आकर काम करने लगे तो उन्हें कार्मिक प्रबंधक ने कालर पकड़ कर अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुये जबरी ट्रांसफर लेटर थमाने का प्रयास किया।

मजीठिया वेतनमान : आगे से कौन डरेगा सुप्रीम कोर्ट से…

मजीठिया वेतनमान को लेकर भले ही देश की कानून व्यवस्था और उसका पालन आलोचनाओं के घेरे में हो लेकिन प्रिंट मीडिया में भूचाल देखा जा रहा है, एबीपी अपने 700 से अधिक कर्मचारियों को निकाल रही है, भास्कर, पत्रिका आधे स्टाफों की छंटनी करने जा रहा है, हिंदुस्तान टाइम्स बिक गया आदि बातें स्पष्ट संकेत दे रही हैं सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेतनमान को लेकर कुछ बड़ा फैसला आने वाला है। अब ये उठा पटक नोटबंदी के कारण हो रही है या किसी और कारण? यह तो समय बताएगा लेकिन मार्च-अप्रैल तक प्रिंट मीडिया में बड़े उलट फेर देखने को मिल सकते हैं. क्योंकि डीएवीपी की नई नीति से उसी अखबार को विज्ञापन मिलेगा जो वास्तव में चल रहा है और जहां के कर्मचारियों का पीएफ कट रहा हो या फिर पीटीआई, यूएनआई या हिन्दुस्थान न्यूज एजेंसी से समाचार ले रहा हो। साथ ही लगने वाला समाचार कापी पेस्ट ना हो, कि बेवसाइट से उठाकर सीधे-सीधे पेपर में पटक दी गई हो। इसका असर प्रिंट मीडिया में पड़ेगा.

निकाले गए दो कर्मियों को काम पर वापस बुलाने को मजबूर हुआ हिन्दुस्तान प्रबंधन

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में रांची हिन्दुस्तान के संपादकीय विभाग में कार्यरत मुख्य उप संपादक अमित अखौरी और वरीय उप संपादक शिवकुमार सिंह को श्रम अधीक्षक कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल हिन्दुस्तान प्रबंधन को 13 फरवरी को दोनों कर्मियों को ज्वाइन कराने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हालांकि हाजिरी बनाने के बाद भी इनसे संपादकीय विभाग में काम नहीं लिया जा रहा है।

इंदौर में मजीठिया के समस्त प्रकरण 17 (2) में हो जा रहे हैं ट्रांसफर!

माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदत्त विशेषाधिकार के तहत मजीठिया वेज बोर्ड के मामलों की सुनवाई कर रहे मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित श्रमायुक्त कार्यालय में  सहायक श्रमायुक्त श्री एल पी पाठक की कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड की मांग कर रहे पत्रकार साथियों के करीब 150 से 200 प्रकरण विचाराधीन है। इन समस्त प्रकरणों में सुनवाई और बहस निरन्तर जारी है। किन्तु बहस के दौरान ए.एल.सी श्री पाठक का रुख़ पीड़ित पत्रकार साथियों की तरफ न होकर अख़बार प्रबंधन की और ज्यादा सकारत्मक दिखाई पड़ रहा है। इसका ताजा उदाहरण अभी अभी देखने में आया है कि इंदौर और आसपास के शहरों से अनेक पीड़ित कर्मचारियों ने अख़बार मालिकों के विरूद्ध केस लगा रखे है जिनकी सुनवाई ए.एल.सी.श्री पाठक की कोर्ट में निरन्तर चल रही है।

मजीठिया वेज बोर्ड : नयी दुनिया प्रबंधन के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी

इंदौर से एक बड़ी खबर आ रही है. यहां नई दुनिया अखबार प्रबंधन के खिलाफ अदालत की अवमानना संबंधी नोटिस जारी की गयी है. पूरा मामला नयी दुनिया में एक्जीक्यूटिव विपणन पद पर कार्यरत दिव्या सेंगर के रायपुर में हुये ट्रांसफर पर सिवील कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद भी नयी दुनिया प्रबंधन द्वारा उन्हें अब तक वापस पुराने स्थान पर ज्वाइन ना कराने से जुड़ा है। दिव्या सेंगर के अधिवक्ता मनीष पाल ने खुद इस खबर की पुष्टि की है। मनीष पाल के मुताबिक नई दुनिया समाचार पत्र के प्रधान संपादक, संपादक, कमलेश पांडेय, संजय शुक्ल आदि सभी के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का वाद प्रस्तुत किया गया. इस पर न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए सभी विपक्षीगण को नोटिस जारी कर दिया. ऐसे मामलों में जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

हिन्दुस्तान प्रबंधन ने जबरन इस्तीफा लिखाया, सदमे में मीडियाकर्मी की मौत

दिल्ली से हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड प्रबंधन के करतूत की एक दिल दुखा देने वाली खबर आ रही है। यहां जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार कर्मचारियों को वेतन और उनका बकाया ना देना पड़े, इसके लिये प्रबंधन उन लोगों से जबरी त्यागपत्र लिखवा रहा है और टार्गेट कर रहा है जिन्होंने अपने हक के लिए अदालत में केस नहीं लगाया है और ना ही लेबर विभाग में क्लेम किया है।

मजीठिया जंग : हेमकांत को स्टे के बावजूद ऑफिस में न घुसने देने वाले दैनिक भास्कर प्रबंधन पर कोर्ट ने शुरू की अवमानना कार्रवाई

मजीठिया मांगने वाले हेमकांत चौधरी को ट्रांसफर पर स्टे के बावजूद ऑफिस में नहीं घुसने देने वाले दैनिक भास्कर के अफसरों पर कोर्ट ने शुरू की अवमानना कार्रवाई… तीन महीने जेल की सजा और 5000 जुर्माना होना तय, भास्कर के अफसरों में हड़कंप… मजीठिया मामले में अब तक की सबसे बड़ी खबर महाराष्ट्र के औरंगाबाद से प्रकाशित होने वाले दैनिक भास्कर के मराठी अखबार दिव्य मराठी से आई है। यहाँ प्रबंधन की लगातार धुलाई कर रहे हेमकांत चौधरी ने अबकी बार प्रबंधन के चमचों को पटखनी देते हुए एक ही दांव में न केवल धूल चटा दी है बल्कि चारों खाने चित्त कर दिया है।

Majithia : Registry has assured that the Case will be listed on the priority basis

Dear Comrades,

The office of the ‘Indian Federation of Working Journalists’ (IFWJ) has been inundated with innumerable telephone calls and emails to know as to why the date of hearing of the Majithia case, which was fixed on 17th January 2017, was not taken up? On the last of date of hearing i.e. 10th January the matter was listed for arguments on Legal Issues. The arguments remained inconclusive.

मजीठिया वेज बोर्ड : अखबार मॉलिकों के खिलाफ 24 आरसी जारी, भास्कर में हड़कंप

मध्यप्रदेश के श्रम विभाग कार्यालय के काम करने के तरीके से दूसरे राज्यों के कामगार आयुक्त कार्यालयों को भी सीख लेनी चाहिए। पिछले दिनों श्रम विभाग द्वारा मध्यप्रदेश के विभिन्न समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मचारियों के वेतन के मामलों का निराकरण कर 24  आर.आर.सी. जारी की गई। इनमें सबसे ज्यादा आर सी दैनिक भास्कर प्रबंधन के खिलाफ काटी गयी।

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई टली

आज मंगलवार के दिन जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन इसे टाल दिया गया है. देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले की 17 जनवरी 2017 को होने वाली सुप्रीमकोर्ट की सुनवाई आगे बढ़ा देने से मीडियाकर्मी निराश हैं. बहुत …

मुंबई के ‘हमारा महानगर’ ने एक अक्टूबर 2016 से लागू किया मजीठिया वेज बोर्ड

एरियर देने के लिये मांगा समय… 74 कर्मचारियों की सूची कामगार विभाग को सौंपी गयी…

मुंबई से खबर आ रही है कि यहां ‘हमारा महानगर’ अखबार ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की स्रिफारिश लागू कर दिया है। मुंबई के कामगार आयुक्त कार्यालय को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में हमारा महानगर प्रबंधन ने एक एफिडेविट देकर यह जानकारी दिया है कि उसने अपने यहां कार्यरत 74 कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश का लाभ दे दिया है।

‘प्रातःकाल’ अखबार कर्मचारियों का नाम छिपा रहा है

मुम्बई से प्रकाशित गोयल फैमिली के अखबार प्रातःकाल में बड़े गड़बड़झाले की खबर सामने आ रही है। चर्चा है कि प्रातःकाल अखबार के सर्वेसर्वा गोयल फैमिली के चाचा- भतीजे ने अपने यहाँ कार्यरत मीडियाकर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ ना देना पड़े, इसके लिए दर्जनों मीडियाकर्मियों का नाम झटके से अपने रजिस्टर से बाहर कर दिया है। जब लेबर विभाग की ओर से दबाव पड़ा तो इन्होंने जो नाम दिया उसमे वर्किंग जर्नलिस्ट कैटेगरी में सिर्फ दो नाम हैं- पहला नाम था सुरेश गोयल जो कि मुख्य संपादक हैं और दूसरा महीप गोयल जो स्थानीय संपादक हैं।

नासिक में सिर्फ 6 अखबार मालिकों ने दी बैलेंससीट, रिकवरी क्लेम एक भी नहीं

देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन तथा अन्य सुविधाओं के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र के नासिक जिले में सिर्फ 6 अखबार मालिकों ने माननीय सुप्रीमकोर्ट के दिशा निर्देश का पालन करते हुए अपनी कंपनी का वर्ष 2007 से 2010 तक का बैलेंससीट दिया है। ये अखबार हैं- दैनिक भ्रमर नासिक, श्रीरंग प्रकाशन, गावकरी प्रकाशन नासिक, आपला महाराष्ट्र धुले, दैनिक वार्ता धुले और दैनिक तरुण भारत जलगांव। अन्य अखबारों के मालिकों ने सुप्रीमकोर्ट के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया।

शोकाज नोटिस देने के बाद भी जलगांव के किसी अखबार ने नहीं लागू किया मजीठिया

पत्रकारों ने भी मांगना उचित नहीं समझा अपना बढ़ा हुआ वेतन… आर टी आई से हुआ खुलासा… माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बावजूद महाराष्ट्र के जलगांव में एक भी अखबार ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं किया है। यह खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये। मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह ने आरटीआई के जरिये जो जानकारी निकाली है उसके मुताबिक जलगांव के तीन अखबारों जलगांव तरुण भारत, दैनिक जनशक्ति और दैनिक साईंमत में से दैनिक जलगांव तरुण भारत तथा जनशक्ति का मुख्यालय जलगांव में है। इन तीनों अखबारों ने आज तक जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश तो छोड़िये, मणिसाना वेज बोर्ड भी लागू नहीं किया है।

मजीठिया वेज बोर्ड के लिये यूपी में भी गठित हुई त्रिपक्षीय कमेटी, कई पत्रकार भी बनाए गए सदस्य

देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन तथा अन्य सुविधाओं को दिलाने के लिये गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को सुचारू रूप से क्रियान्यवयन कराने के लिये भारत सरकार के आदेश पर अब देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में भी त्रिपक्षीय समिति का गठन किया गया है। यह गठन उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना पर किया गया है। इसी तरह की त्रिपक्षीय समिति इसके पहले महाराष्ट्र में बन चुकी है। जानकार बताते हैं कि यह त्रिपक्षीय समिति सिर्फ नाम के लिये बनायी जाती है।

मीडियाकर्मियों ने मांगी छुट्टी तो ‘हिन्दुस्तान’ के संपादक ने दी गालियां!

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर प्रबंधन से मांगने पर स्वामी भक्त संपादकों को भी बुरा लग रहा है। सबसे ज्यादा हालत खराब हिन्दुस्तान अखबार की है। खबर है कि हिन्दुस्तान अखबार के रांची संस्करण के दो कर्मियों अमित अखौरी और शिवकुमार सिंह ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन प्रबंधन से मांगा तो यहां के स्वामी भक्त स्थानीय संपादक  दिनेश मिश्रा को इतना बुरा लगा कि उन्होंने पहले मजीठिया कर्मियों को ना सिर्फ बुरा भला कहा बल्कि एक कर्मचारी को तो गालियां भी दीं। बाद में इन दोनों कर्मचारियों ने विरोध किया तो उन्हें मौखिक रूप से स्थानीय संपादक ने कह दिया कि आप दोनों कल से मत आईयेगा।

मजीठिया वेज बोर्ड : नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट ने की कामगार मंत्री से शिकायत

मुंबई : देश भर के मीडियाकर्मियों के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को महाराष्ट्र में अखबार मालिक और कामगार आयुक्त की सांठगांठ से लागू नहीं कराया जा रहा है। यह आरोप लगाते हुए नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष डाक्टर उदय जोशी और महासचिव शीतल करदेकर ने महाराष्ट्र के कामगार मंत्री को एक शिकायती पत्र लिखा है। इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि जानबूझ कर कामगार आयुक्त की तरफ से माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अहवेलना की जा रही है।

श्री अम्बिका एजेंसी ने मजीठिया वेज बोर्ड न देने के लिए नया कुतर्क ढूंढा

मुंबई : देश भर के मीडियाकर्मियों के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ पाने का सपना देखने वाले मुम्बई के श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस की न्यूज़ पेपर वितरण कंपनी श्री अम्बिका एजेंसी के कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज का लाभ अब नहीं मिल पायेगा। 21 अक्टूबर 2016 को श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस के पर्सनल आफिसर दयानेश्वर विठ्ठल रहाणे ने मुंबई के कामगार आयुक्त कार्यालय को एक पत्र लिखकर जानकारी दी है कि श्री अम्बिका एजेंसी पार्टनरशिप फर्म है। ये कोई कंपनी नहीं है। श्री अम्बिका एजेंसी कई समाचार पत्रों का, जिसमें श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस के समाचार पत्र भी शामिल हैं, का वितरण करती है।

दैनिक जागरण मजीठिया का लाभ कर्मचारियों को नहीं देगा! हिंदुस्तान, अमर उजाला और सहारा ने भी चली चाल

खुद को देश का नंबर वन अखबार बताने वाले दैनिक जागरण के कानपुर प्रबन्धन ने अपने कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने से साफ़ तौर पर पलटी मार लिया है। यही नहीं कानपुर से प्रकाशित हिंदुस्तान और अमर उजाला तो यहाँ तक दावा कर रहे हैं कि वह अपने कर्मचारी को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ दे रहे हैं। कानपुर से प्रकाशित राष्ट्रीय सहारा और आज अखबार ने अपने आर्थिक हालात का रोना रोते हुए मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने से इनकार कर दिया है।

Gopal Subramaniam Assures Implementation of Majithia

We have been getting inquiries from all over the country as to what had happened on 16th November in the Supreme Court during the hearing of the Majithia case. Many employees from the newspapers were present in the court room and they have communicated the information to other employees, yet the curiosity still persists. Although no hearing has taken place on that date yet for the employees, particularly of the Ushodaya Publications, the publishers of the multi edition Eenadu newspaper, there appeared to be the silver linings of hopes when, Senior Advocate Mr. Gopal Subramaniam sought time to from the Court to discuss the details of the implementation of the Majithia Wage Board from his client Mr. Ramoji Rao, the owner of the newspaper.

मजीठिया मामले में सुप्रीम कोर्ट में इस वकील के पाला बदलने से हर कोई अचरज में

पहले मीडियाकर्मियों के पक्ष में खड़ा होता था, इस बार मीडिया मालिकों के पक्ष में खड़ा हो गया… कभी सुप्रीम कोर्ट में महाधिवक्ता रह चुके कांग्रेस के मोहन पराशरन के खिलाफ जल्द ही बार एसोसिएशन में शिकायत की जायेगी. शिकायत करेंगे मीडिया कर्मियों की तरफ से सुप्रीमकोर्ट में केस लड़ रहे वकील.

मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में मीडिया मालिकों की चाल होने लगी कामयाब, अगली डेट 10 जनवरी को

लीगल इश्यू के दावपेंच में पूरे मामले को लंबा खींचने की रणनीति में सफल दोते दिख रहे मीडिया मालिकों के वकील : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में बुधवार को लीगल इश्यू पर माननीय सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुयी। इस सुनवाई में पहले से ही घोषित एक रणनीति के तहत तय किया गया कि मीडियाकर्मियों …

मजीठिया वेतनमान: काश! कोर्ट से पूछने का अधिकार होता…

मजीठिया वेतनमान मामले में अगर मुझे सुप्रीम कोर्ट से पूछने का अधिकार होता तो पूछता कि आपको यह न्यायालय के अवमानना का मामला क्यों नहीं लगता? पत्रकारों को मजीठिया वेतनमान दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भले ही कई कदम उठाए हैं लेकिन प्रेस मालिकों पर इसका तनिक भी भय नहीं है। अधिकांश पत्रकार आज भी मजीठिया वेतनमान के लिए तरस रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दो साल से न्यायालय अवमानना का सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

सुप्रीम कोर्ट को समझ में आ गया है कि मीडियाकर्मियों का हित क्या है और अखबार मालिकों की बेईमानी का इलाज क्या है।

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मीडियाकर्मियों की हर हाल में मदद करना चाहता है सुप्रीम कोर्ट : सुप्रीम कोर्ट में 8 नवंबर को हुई सुनवाई में मजीठिया वेज बोर्ड मामले को जल्दी निपटाने की दिशा में एक पहल की गई। यह तय किया गया है कि एक समिति या एक एसआईटी या एक मानीटरिंग कमेटी बना दिया जाए जो सारे मामले को अंजाम तक पहुंचाए। साथ ही राज्यों के लेबर कमिश्नरों की रिपोर्ट पर अब चर्चा न होकर सीधे मजीठिया मामले की कानूनी पहलुओं पर चर्चा करने का दौर शुरू होगा। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट 23 अगस्त की सुनवाई के बाद इस मामले के सबसे विवादित और महत्वपूर्ण पहलू 20(जे) तथा अनुबंध पर रखे गए कर्माचारियों के मुद्दे पर चर्चा करने के आदेश दिए थे लेकिन 4 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान कर्मचारियों के वकीलों की दलीलों के कारण स्थिति गड्डमड हो गई।

मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी बनाने का निर्देश दिया

सही दिशा में जा रही है जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सुनवाई :  देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन एरियर तथा प्रमोशन से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी बनाने का निर्देश दिया है। इस एसआईटी को लीड करेंगे हाईकोर्ट के एक रिटायर जज। आखिर …

दैनिक जागरण ने अब तक नहीं दिया मजीठिया वेज, परंतु कर्मचारियों का शोषण जारी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी जागरण मैनेजमेंट के लोग अब तक कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ तो दूर, सम्मानित वेतन तक नहीं दे रहे। एक ही वेतन में दो कार्य (अखबार के लिए रिपोर्टिंग/एडिटिंग और डिजिटल के लिए ऑनलाइन ब्रेकिंग) लिया जा रहा है। लगातार शोषण से जागरण के कर्मी परेशान है। जागरण मैनेजमेंट झूठ पर झूठ बोल रहा है।

कंचन प्रिंटिंग प्रेस और लक्ष्मी प्रिंटिंग प्रेस को लेकर दैनिक जागरण के मालिकों ने लेबर कोर्ट में बोला झूठ

कंचन प्रिंटिंग प्रेस जागरण का हिस्सा नहीं… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अपने कर्मचारियों का लगातार उत्पीड़न कर रहे दैनिक जागरण के मालिकान अब बिना किसी ठोस आधार के लेबर कोर्ट में झूठ बोल रहे हैं। 11 नवंबर 2011 को भारत सरकार ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन तथा भत्ते से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी।इस अधिसूचना में अंग्रेजी के पेज नंबर 12 पर साफ़ लिखा है कि अखबार की सभी इकाइयों,शाखाओं तथा केंद्रों को उसका अंग माना जाएगा मगर  जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर दैनिक जागरण प्रबंधन गंभीर नहीं है।

आदर्श पेलने वाले अखबार मालिकों की असलियत

कुछ भी हो, मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों ने अच्छे-अच्छों की पोल खोल कर रख दी है… दुनिया भर का आदर्श पेलने वाले अखबार मालिकों की असलियत देखनी हो तो बस, एक बार मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक़ अपनी सैलरी एवं बकाया की मांग कर के देख लीजिये!

मजीठिया वेतनमान : वो अपना राजधर्म निभा रहे हैं लेकिन आप?

मोदी सरकार हो या और सरकारें। कुछ प्रेस मालिकों को इसलिए नागदेव के सामन पूजती हैं कि वे उनकी छवि बनाते हैं, नतीजन प्रेस में लेबर लॉ किस बदहाली में है, पत्रकारों के वेज दिलाने की हिम्मत कोई सरकार नहीं कर पाई। यही काम मोदी सरकार भी कर रही है। प्रेस मालिक अपना राजधर्म निभा रहे हैं, सोशल मीडिया में सरकार की आलोचना हो रही है। लेकिन मजीठिया वेतनमान की बात आती हैं तो मोदी सरकार का राजधर्म चीन-भारत युद्ध, काश्मीर विवाद, पाकिस्तान को सबक सिखाने चला जाता है। लेकिन देश के भीतर जिन दुश्मनों को सबक सिखाना है उन्हें नहीं सिखाया जाता। जब आप देश में ठीक से लेबर लॉ लागू नहीं करा पा रहे हैं। कुछ उद्योगपतियों के सामने इतने असहाय हैं तो फिर चीन, पाकिस्तन की क्या बात करते हैं?

‘प्रातःकाल’ अखबार में भी उठी मजीठिया की मांग

मुंबई : राजस्थानी समाज में गहरी पैठ रखने वाले मुम्बई के हिंदी दैनिक प्रातःकाल में भी जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन, एरियर और प्रमोशन की मांग उठी है। यहाँ खबर है कि प्रातःकाल के मुख्य उपसंपादक अश्विनी राय ने भी जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर की मांग को लेकर 17 (1) का एक रिकवरी क्लेम श्रम आयुक्त कार्यालय महाराष्ट्र में दाखिल किया है। इससे प्रातःकाल प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है।

रिसेप्शनिस्ट ने डीबी कॉर्प की सहायक महाप्रबंधक को श्रम विभाग में तलब कराया

मुंबई : मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर मांगने पर डी बी कॉर्प के मुम्बई ऑफिस में कार्यरत महिला रिलेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण का ट्रांसफर सोलापुर कर दिया गया था। लतिका ने इस मामले की शिकायत श्रम आयुक्त कार्यालय मुम्बई में लिखित रूप से कर दी। लतिका की इस शिकायत पर श्रम आयुक्त कार्यालय की सरकारी कामगार अधिकारी निशा नागराले ने डी बी कॉर्प प्रबंधन को नोटिस भेजा।

मजीठिया मांगने वाले को फंसाने वाला दैनिक भास्कर का मैनेजर अपने ही बुने जाल में फंसने जा रहा!

खबर जालंधर से है. दैनिक भास्कर के मैनेजर को एक पत्रकार के लिए जाल बुनना महंगा पड़ने जा रहा है. यह खबर दूसरे अखबारों और अन्य मैनेजरों के लिए भी चेतावनी है कि वे मजीठिया वेज बोर्ड मांगने के लिए लड़ रहे साहसी मीडियाकर्मियों से टक्कर न लें वरना उन्हें एक न एक दिन ऐसे जाल में फंसना पड़ेगा जिससे वे निकल न सकेंगे और उनके अखबार मालिक भी उनकी कोई मदद न कर पाएंगे.

मजीठिया की जंग : सुनवाई के लिए आज हम तीन पत्रकार पहुंचे तो उप श्रमायुक्त गोरखपुर गायब मिले

 

मेरी लड़ाई पत्रकारों या अखबारों से नहीं, कंपनियों की शोषक नीतियों से लड़ रहा हूं

मित्रों,

दस साल हो गए पत्रकारिता में। इस दरम्यान टीवी, रेडियो, कई दैनिक सांध्य अखबारों, दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान जैसे कार्पोरेट अखबारों, साप्ताहिक अखबारों, डिजीटल मीडिया और मैगजीन में सेवाएं दीं। स्वतंत्र पत्रकार के रूप में डिजीटल मीडिया व एक सांध्य दैनिक अखबार में लेखन और रेडियो पत्रकारिता अभी भी जारी है। एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं। मेरी लड़ाई न किसी अखबार से है और न ही किसी पत्रकार से। मैं उन कंपनियों से लड़ रहा हूं जो अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों के साथ धोखा कर रही हैं। उनका आर्थिक, शारीरिक और मानसिक शोषण कर रही हैं। इस लड़ाई में शोषित सभी पत्रकार साथी मेरे साथ हैं। बस चंद ऐसे पत्रकार मेरे विरोधी हैं जो कंपनियों द्वारा गुमराह किये जा रहे हैं। ऐसे विरोधी साथियों के प्रति भी मेरी पूरी हमदर्दी है। भरोसा है कि एक न एक दिन वह भी मेरे साथ जरूर आएंगे।

Arguments in favour of 167 base and divisor

Dear Yashwantji,

I request you to consider publishing the following in bhadas4media.com . The main reason for writing this to you is to clarify on the issue as there is some confusion even among learned people as to which DA formula is correct – Gazette Notified 167 Base and Divisor formula or the INS dictated 189 Base and Divisor formula as it has put forth that it has changed the base and divisor to 189 because of change in the implementation date set by the Hon Supreme Court, viz, Nov 11, 2011.

श्रम आयुक्त को पत्र : सीएमडी, एमडी और डायरेक्टर के हस्ताक्षर वाले एफिडेविड ही करें स्वीकार

देश भर के मीडिया कर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मजीठिया संघर्ष मंच ने महाराष्ट के श्रम आयुक्त को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि अखबार मालिकों की साजिश रोकने के लिये मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किये जाने के बारे में आपके विभाग द्वारा मंगाये जा रहे एफिडेविड पर कंपनी के सीएमडी, एमडी, डायरेक्टर या पार्टनर का ही हस्ताक्षर होना मान्य किया जाये।

विश्वेश्वर कुमार ने क्राइम बीट इंचार्ज अभिषेक त्रिपाठी की ली बलि

वाराणसी : अब बनारस में दिखा मजीठिया बाबा का प्रकोप। मजीठिया वेज बोर्ड का जिन्न समाचारपत्र कर्मचारियों की बलि लगातार ले रहा है। केंद्र व राज्य सरकारों को अपने ठेंगे पर नचा रहे अखबार मालिकों के सम्मुख सुप्रीम कोर्ट से क्या राहत मिलेगी, यह तो कोई नहीं जानता। लेकिन यह राहत कब मिलेगी और तब तक लोकत्रंत का तथाकथित चौथा पाया किस कदर टूट चुका होगा, इसका अहसास होने लगा है।

मजीठिया मांगने पर हिंदुस्तान प्रबंधन ने अपने चार कर्मियों को नौकरी से निकाला

संजय दुबे ने कानपुर के उप श्रमायुक्त को पत्र लिखकर अपने और अपने साथियों के साथ हुए अन्याय के बारे में विस्तार से बताया है. मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन और एरियर मांगने पर संजय दुबे, नवीन कुमार, अंजनी प्रसाद और नारस नाथ साह को पहले तो आफिस में घुसने पर रोक लगा दी गई. उसके बाद इन्हें टर्मिनेट कर दिया गया. हिंदुस्तान प्रबंधन के खिलाफ ये चारों कर्मी हर स्तर पर लड़ रहे हैं लेकिन इन्हें अब तक न्याय नहीं मिला है.

मजीठिया : हिंदुस्‍तान, अमर उजाला, पंजाब केसरी के साथियों, इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा

मजीठिया की लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है, उसके बावजूद अपने जायज हक के लिए आवाज न उठाने के लिए पत्रकारिता के इतिहास में हिंदुस्‍तान, अमर उजाला, पंजाब केसरी जैसे अखबारों में कार्यरत साथियों का नाम काले अक्षरों में लिखा जाएगा। यह बहुत ही शर्म की बात है कि अंदर कार्यरत साथियों को तो छोड़ों, जो रिटायर या नौकरी बदल चुके हैं उन्‍होंने भी अभी तक रिकवरी का क्‍लेम नहीं लगाया है।