लखनऊ : पत्रकार दोस्तों, जगेन्द्र सिंह के जिंदा जलाकर मार दिए जाने के बाद उनका परिवार अब बिखर चुका है। बीबी-बच्चे सड़क पर आ गए हैं और अचानक जिंदगी की छोटी-मोटी जरूरतों तक के लिए भी वे दूसरों पर मोहताज हो गए हैं। आप सभी जानते हैं कि इस स्थिति में आपका अपना परिवार भी कभी भी पहुंच सकता है, यदि आप ईमानदारी से अपनी पेशेगत जिम्मेदारी निभा रहे हैं तो। हालांकि वो लोग जरूर सुरक्षित हैं जिनमें पेशेवाराना ईमानदारी नहीं है और जो छोटी-छोटी खबरों पर भी समझौते कर लेते हैं।
खैर, हम उनकी बात भी नहीं कर रहे हैं। हम आपकी बात कर रहे हैं जो खबरों को सिर्फ इसलिए नहीं दबा देते हैं उससे कोई गुंडा-माफिया या सरकारी दबंग नाराज हो जाएगा। आप ही की बदौलत आज भी लोग करोड़ो की तादाद में खबरें पढ़ते या देखते हैं क्योंकि लोगों को मालूम है कि तमाम बुराईयों, कमजोरियों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आप सच्चाई को बयान करते हैं। इसीलिए आप सब लोगों ने महसूस किया होगा कि जब आप के बीच के ही एक साथी को जलाकर मार दिया जाता है तो किस तरह पूरे देश और दुनिया की संवेदनाएं दिवंगत पत्रकार के परिवार के साथ जुड़ जाती हैं और लोग जगह-जगह विरोध-प्रर्दशनों में स्वतः स्फूर्त शामिल होते हैं।
ऐसे में क्या आपको नहीं लगता कि जनता की इन भावनाओं के साथ आपको भी मुखर होकर एकाकार होना चाहिए। पत्रकारिता के वसूलों को जिंदा रखने, लोगों के भरोसे को कायम रखने और खुद अपने मां-बाप, बीवी-बच्चों को किसी और के सामने मोहताज होने से बचाने के लिए।
हमें उम्मीद है कि आप जगेन्द्र सिंह में अपनी और उसके बर्बाद हो चुके परिवार में अपने परिवार का अक्स जरूर देखते होंगे। इसलिए जगेन्द्र के इंसाफ की लड़ाई आप की अपनी लड़ाई है। अपने बीवी-बच्चों और परिजनों के साथ आप आपातकाल की पूर्व संध्या पर 25 जून 2015, गुरूवार शाम 4 बजे गांधी प्रतिमा, हजरतगंज लखनऊ में हम सभी के साथ संघर्ष में शामिल हों।
शाहनवाज आलम
25 जून 2015, गुरुवार, शाम 4 बजे
गांधी प्रतिमा के सामने, जीपीओ हजरतगंज, लखनऊ
Comments on “सवाल और आह्वान : जगेन्द्र तो मर गए, क्या आप जिंदा हैं !”
अब तो भैया मुख्यमन्त्री ने कई घोषणायें कर दी है उनके परिवार के लिये तीस लाख नकद, बेटे को नौकरी आदि आदि : 😥