दिल्ली सरकार की मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के फरमान और दो पेजी 19 बिंदुओं की प्रश्नोपत्तरी के बाद दैनिक जागरण प्रबंधन और मालिकों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए आईएनएस और आईटीओ के धुरंधर पत्रकारों को लगाया। काफी टालमटोल के बाद आप की ओर से दो वरिष्ठ लोगों को लगाया गया।
पिछले दिनों नई दिल्ली में इन दो लोगों की संजय गुप्ता से मुलाकात हुई। करीब दो घंटे तक चली वार्ता में संजय गुप्ता इन दो लोगों को समझाते, धमकाते और इनकी चापलूसी करते रहे लेकिन कुछ हुआ नहीं। उल्टे बात बनने के बजाय बिगड़ गई।
बात बिगड़ने का नतीजा ये निकला कि सेामवार से दैनिक जागरण के कार्यालयों पर श्रम विभाग के छापे पड़ने शुरू हो गए हैं। सेामवार को श्रम विभाग की टीम ने आईटीओ कार्यालय का निरीक्षण किया। यहां के इंचार्ज ने तो बहुत केाशिश की लेकिन ऐन वक्त पर दो -तीन साथियों ने टीम को असली तथ्यों से अवगत करा दिया। इस छापेमारी का सबसे बुरा प्रभाव संजय गुप्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश/बिहार के भ्रष्ट श्रम विभाग द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के फर्जी प्रमाण पत्र जमा कराने की भी पोल खुल जाएगी।
संजय गुप्ताा ने शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद, आगरा, अलीगढ़, गोरखपुर, पटना और भागलपुर के उपश्रमायुक्त कार्यालयों से अपने संस्थानों में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की फर्जी रिपोर्ट बनवाकर पेश की है। इन रिपोर्टों में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के 20(जे) के हवाले से रिपोर्ट बनाई गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि यह रिपोर्ट दैनिक जागरण के कहने पर तैयार की गई है।
इतना ही नहीं, मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के क्लाउज 20(जे) का भी हवाला दिया गया है और कहा गया है कि कर्मचारियों को तीस फीसदी अंतरिम राहत भी दी गई है। यह सरासर झूठ है। दिल्ली सरकार की रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के श्रम विभाग की भी पेाल खुलने वाली है।
मजीठिया मंच एफबी वॉल से