Om Thanvi : केजरीवाल को क्या होने लगा? कभी जम्मू-कश्मीर पर केंद्र के क़ब्ज़े का समर्थन, कभी आर्थिक मन्दी में राग दरबारी। राष्ट्रवाद की भावना भरने के लिए देशभक्ति को पाठ्य-पुस्तकों में ला रहे हैं। जबकि दोनों दो अलग चीज़ें हैं। क्या वे अगले चुनाव से भय खा रहे हैं?
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बड्डे की बधाई लेते CM केजरीवाल की इस तस्वीर को ध्यान से देखें….
Yashwant Singh : दिल्ली के सीएम को जन्मदिन की बधाई । आज के वक़्त के ज़िंदा नेताओं में मेरे सबसे प्रिय नेताओं में से एक हैं अरविंद केजरीवाल। कई मुद्दों पर असहमतियां अपनी जगह हैं लेकिन अरविंद की सादगी, उनकी जनपक्षधरता, स्वास्थ्य-शिक्षा-बिजली जैसे क्षेत्र में उल्लेखनीय काम यह एहसास दिलाता है कि हिप्पोक्रेसी और नारेबाजी …
मोदी की ‘वादा-फरामोशी’ पर 3 पत्रकारों ने मिलकर लिख दी किताब, केजरीवाल ने कर दिया लांच
नई दिल्ली : देश अगले महीने होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले जोरदार राजनीतिक विवादों की चपेट में हैं, और इसी दौरान RTI कार्यकर्ता-लेखक संजॉय बसु, नीरज कुमार और शशि शेखर ने अपनी नई लॉन्च की गई किताब, ‘वादा-फरामोशी’ (फैक्ट्स, फिक्शन नहीं , RTI अधिनियम पर आधारित) को जनता के सामने प्रस्तुत किया है। पिछले …
यह कोई मान नहीं सकता कि केजरीवाल ने पैसे खाकर दो गुप्ताओं को राज्यसभा टिकट दिए होंगे…
लेकिन ये टिकट क्यों दिए गए, यह बताने में आम आदमी पार्टी असमर्थ है… केजरीवाल भूल सुधार करें….
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
यह तो कोई मान ही नहीं सकता कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पैसे खाकर दो गुप्ताओं को राज्यसभा के टिकिट दे दिए होंगे लेकिन ये टिकिट उन्हें क्यों दिए गए, यह बताने में आम आदमी पार्टी असमर्थ है। उन दोनों में एक चार्टर्ड एकाउंटेट है और दूसरा शिक्षा और चिकित्सा के धंधे में है, जो आज देश में लूट-पाट के सबसे बड़े धंधे हैं। जो चार्टर्ड एकाउंटेंट है, वह अभी कुछ दिन पहले तक कांग्रेस में था और केजरीवाल का घनघोर विरोधी था।
केजरी-लालू के बेमेल मिलन में रोड़ा बनेंगे कुमार विश्वास, देखें वीडियो
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा के इस बयान पर कि आम आदमी पार्टी और राजद में चुनावी गठबंधन संभव है, पर आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य डॉ कुमार विश्वास का बयान पढ़िए-देखिए : मैं आश्वस्त करता हूँ कि किसी भी हालत में हमारी पार्टी का लालू के साथ खड़े होने का कोई प्रश्न ही नहीं है। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का सिपाही और आम आदमी पार्टी का संस्थापक सदस्य होने के नाते मैं पूरी ज़िम्मेदारी से इस ख़बर का खंडन करता हूँ। We can’t and we won’t even think of political alliance with Lalu Prasad Yadav ever, this I assure you as a founder member of the party and as a foot-soldier of the anti-corruption movement.Rebutting this news with full responsibility.
2019 में मोदी के लिए असली सिरदर्द केजरीवाल बनेंगे!
Vikram Singh Chauhan : अरविंद केजरीवाल बहुत बहादुर है, शेर हैं। वे मोदी के सामने झुके नहीं। दिल्ली में रहकर मोदी के 56 इंच के सीने पर मूंग दल रहे हैं। मोदी जहाँ गए वहां जाकर चुनाव लड़ने की चुनौती दी और बिना पहले के जनाधार और संगठन के चुनाव लड़कर मोदी का होश उड़ा दिया, हिंदुत्व ने उसे हरा दिया। वे भारत के एक अकेले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जिसके साथ वर्तमान ने अन्याय किया पर इतिहास न्याय करेगा। मीडिया पहले दिन से उनकी सुपारी ली हुई है।
केजरीवाल यानि हर रोज नया बवाल
अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी में इन दिनों जो कुछ चल रहा है, उससे राजनीतिज्ञों के प्रति अविश्वास और गहरा हुआ है। वे उम्मीदों को तोड़ने वाले राजनेता बनकर रह गए हैं। साफ-सुथरी राजनीति देने का वादा करके बनी आम आदमी पार्टी को सत्ता देने में दिल्ली की जनता ने जितनी तेजी दिखाई, उससे अधिक तेजी केजरीवाल और उनके दोस्तों ने जनता की उम्मीदें तोड़ने में दिखाई है।
केजरी में हवा मत भरिए, गुब्बारे को फूटने दें : यशवंत सिंह
Yashwant Singh : केजरीवाल में ज्यादा हवा भरने की गुंजाइश नहीं बची है Madan Tiwary जी. नहीं मानिएगा और भरते रहिएगा तो अप्राकृतिक दुर्घटना हो जाएगी और वो फट जाएगा…जिससे अंग प्रत्यंग छितरा जाएगा… देखिएगा, कार्यकाल पूरा होते वह खुदे राजनीति छोड़ कर भाग जाएगा… कहेगा कि कहां फंस गया था, एनजीओ वाला कमवा ही ठीक था 🙂
केजरीवाल जैसों की नियति है नष्ट हो जाना!
Yashwant Singh : केजरीवाल जैसों की नियति है नष्ट हो जाना. एक अच्छे खासे आंदोलन की माकानाकासाका करने के बाद यह आदमी अब खुद और अपनी पार्टी की वाट लगाने लगा है. भाजपा को क्यों कोस रहे हैं साहिब. सियासत में पार्टियां ऐसे ही दूसरे दलों पर निशाना साधा करती हैं. सवाल ये है कि आज आपके बचाव में कोई खड़ा क्यों नजर नहीं आ रहा. हम जैसे प्रचंड समर्थक तो सरकार बनने के कुछ माह बाद ही बदले रंग ढंग देखकर अलग हो लिए थे.
ये वही कपिल मिश्रा है जो केजरी के इशारे पर शांति भूषण और प्रशांत भूषण को भरी सभा में मारने दौड़ा था
देश की जनता को ईमानदारी और नए लोकतंत्र का झुनझुना थमाकर अरविंद केजरीवाल बनने तो सिकंदर चले थे, पर औकात इतनी हो पाई कि वह अपने ही पाले हुए संपोलों को बस में रख सकें। उन्हीं संपोलों में से एक हैं कपिल मिश्रा, जिनको अरविंद ने अपना दूध पिलाकर किंग कोबरा बनाया था। किंग कोबरा अब फुंफकार रहा है और अरविंद हैं कि उनको जादू—मंतर का कोई सम्मोहनी मंत्र सूझ नहीं रहा! दिल्ली से भूपेंदर चौधरी की रिपोर्ट…
एक था केजरीवाल… एक थी आम आदमी पार्टी…
Sheetal P Singh : आम आदमी पार्टी… वे चौराहे पर हैं और उनकी याददाश्त जा चुकी है। चौराहे पर कोई साइनबोर्ड नहीं है न किसी क़िस्म का मील का पत्थर! भारतीय मध्यम वर्ग के २०११-२०१७ के दौरान जगमगाये और बुझ रहे दियों के मानिंद दिवास्वप्न हैं। उनकी समस्यायें अनंत हैं पर उनमें संभावनायें भी कम नहीं पर निश्चित ही वे एक ऐसी बारात हैं जिनमें कोई बूढ़ा नहीं जो बिना साइनबोर्ड के चौराहे पर फँस जाने पर रास्ता सुझा सके। उन्होंने ऐतिहासिक काम हाथ में लिये पर उनके सारे काम अधूरे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य में उनके आउट आफ बाक्स फ़ैसलों से वामपंथी तक एकबारगी चकरा गये पर उनके पास फालोअप न था और ब्यूरोक्रेसी वे पहले ही मोदी के हाथ LG को हार चुके थे।
इन 10 कारणों से MCD चुनाव हारेंगे केजरीवाल
एक कहावत है अति भक्ति, चोरस्य लक्षणम्। यानी बहुत विनम्र इंसान, घातक
होता है। अरविंद केजरीवाल इस कहावत के लिए बिल्कुल सटीक उदाहरण बन गए
हैं। कैसे ? जनता को ऐसा लगता है कि उन्होंने जो कहा, वह किया नहीं।
मसलन, बेहद लाचार व शरीफ बन कर बार बार खांसते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार
और नेताओं की मनमानी से अजिज आ चुकी दिल्ली की जनता को कहा कि हम लाल
बत्ती वाली गाड़ी नहीं लेंगे। सरकारी मकानों में नहीं रहेंगे।
सुरक्षाकर्मियों का घेरा नहीं रखेंगे। जनता का पैसा बर्बाद नहीं करेंगे।
लाेकपाल लाएंगे। सरकार के कामकाज में पारदर्शिता लाएंगे। शीला दीक्षित
काे जेल पहुंचवाएंगे। आैर क्या क्या गिनवाएं..आप खुद ही गिन लीजिए।
दिल्लीवाले उनके झांसे में आ गए।
सुभाष चंद्रा ने केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा ठोंका, कोर्ट ने नोटिस भेजा
Sheetal P Singh : सुभाष चन्द्रा ‘जी’ टेलिविज़न के विभिन्न अवतारों के मालिक हैं। इसके अलावा इनके तरह तरह के बिज़नेस हैं! पता चला कि उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र हरियाणा और कुछ अन्य जगहों पर इनकी कंपनियाँ बड़ी सड़कों के निर्माण का काम भी करती हैं जो आजकल की मंदी के दौर में दुधारू गाय है! वे ख़बरों के जरिये ब्लैकमेल के एक आरोपी भी हैं पर देश के उन समर्थ लोगों में हैं जिन्हे क़ानून पकड़ने से पहले परिभाषा बदल लिया करता है!
दिल्ली में ‘आप’ सरकार को न कुचला गया तो बीस वर्षों तक भाजपा यहां सत्ता में न आ पाएगी!
Om Thanvi : दिल्ली में आप सरकार के दो वर्षों के कामकाज पर हिंदुस्तान टाइम्स में छपा वृहद सर्वे बताता है कि लोग मानते हैं राजधानी में भ्रष्टाचार घटा है और शिक्षा, चिकित्सा, जल-आपूर्ति और बिजली-प्रबंध के क्षेत्रों में बेहतर काम हुआ है। और, दिल्ली सरकार की यह छवि दो वर्षों तक नजीब जंग की अजीब हरकतों के बावजूद बनी है, जिन्होंने केंद्र सरकार की गोद में बैठकर निर्वाचित शासन के काम में भरसक रोड़े अपनाए।
केजरीवाल महोदय को ये एक श्रेय तो जरूर जाता है….
Rajiv Nayan Bahuguna : अरविन्द केजरीवाल को एक श्रेय तो जाता है कि उसने धुर विरोधी कांग्रेस और भाजपा को कम से कम एक मुद्दे पर एकजुट कर दिया। एक दूसरे से फुर्सत पाते ही वे दोनों केजरीवाल पर टूट पड़ते हैं। क्यों? उदाहरण से समझाता हूं।
नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल : इन दो नेताओं का घमंड तो देखो…
Sheel Shukla : ये घमंडी! अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि अभी नरेंद्र मोदी इतने शिक्षित नहीं है कि देश के अर्थ शास्त्र को समझ सके। अरविन्द केजरीवाल के ऐसा बोलते समय एक बू आ रही थी कि मैं तो IRS रहा हूँ और मेरी किताबी शिक्षा की कोई तुलना नरेंद्र मोदी की शिक्षा से नहीं है। यह कोई राष्ट्रहित या नोटबंदी के खिलाफ दिया गया बयान नहीं था बल्कि ये अरविन्द केजरीवाल का दम्भ था, घमंड था।
चेहरा चमकाने के लिए लाइक्स पाने का चक्कर : केजरीवाल जनता के लाखों रुपये रोजाना देते हैं गूगल और फेसबुक को!
प्रशांत भूषण ने खोली पोल…. दिल्ली सरकार ने टॉक टू एके नामक जो प्रोग्राम कराया, उसके लिए सोशल मीडिया पर पूरे 1.58 करोड़ रुपये लुटाए. ये पैसे आम आदमी पार्टी के नहीं बल्कि जनता के थे. केजरीवाल सोशल मीडिया पर लाइक्स खरीदने के लिए हर दिन 10-10 लाख रुपये गूगल और फेसबुक आदि को दिए. इसी तरह केजरीवाल ने ताज पैलेस होटल से 12 हजार रुपये प्रति थाली के हिसाब से सैकड़ों थाली खरीद कर अपने नेताओं कार्यकर्ताओं को दिल्ली सरकार के दो साल पूरे होने पर पार्टी दी थी. यहां भी जो पैसा खर्च हुआ वह जनता का था, आम आदमी पार्टी का नहीं.
गुजरात में ‘आप’ की लहर, सूरत की सफल रैली से भाजपा नेताओं को आए पसीने
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह सूरत में हैं. वहां से उन्होंने जो हालात बयान किया उससे तो यही लगता है कि आम आदमी पार्टी की अंदरखाने गुजरात में लहर है. भारतीय जनता पार्टी के कुशासन, भ्रष्टाचार और दमन से सिहरे हुए गुजरात के लोग अब केजरीवाल के शरण में जा रहे हैं. सूरत रैली में उमड़ी भीड़ ने काफी कुछ स्पष्ट कर दिया है. शीतल कहते हैं- ”इस भीड़ का असर मौक़े पर मौजूद लोगों से सैकडों गुना ज्यादा उस अवाम पर होगा जो डराया हुआ है और दूर से बैठकर इसकी कामयाबी की दुआएँ पढ़ रहा है”.
केजरीवाल जी, नई राजनीति करने की बात करते हुए सत्ता में आए थे इसलिए आप तो मिसाल कायम कीजिए
Amitabh Thakur : क्या दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री गोपाल राय ‘सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण सत्ता पूरी तरह भ्रष्ट करती है” के एक और उदहारण हैं या अभी अंतिम टिप्पणी देना जल्दीबाज़ी होगी? इस मामले में सच्चाई का सामने आना नितांत आवश्यक है, अतः मैं एसीबी दिल्ली से जाँच के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करता हूँ.
सम-विषम के खिलाफ ट्वीट करने वाले दैनिक जागरण के राजकिशोर की नौकरी अरविंद केजरीवाल के चलते गई?
फेसबुक पर सुगबुगाहट है कि अरविंद केजरीवाल की सम विषम योजना के खिलाफ दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो चीफ राजकिशोर को ट्वीट करना महंगा पड़ा है और अरविंद केजरीवाल की जिद के कारण राजकिशोर को दैनिक जागरण प्रबंधन ने नौकरी से हटा दिया है. फेसबुक पर लोग अरविंद केजरीवाल को कोसने में लगे हैं लेकिन असल अपराधी तो दैनिक जागरण प्रबंधन है जो दिल्ली सरकार के विज्ञापन के लालच में राजकिशोर को बलि का बकरा बनाने को तैयार हो गया. दैनिक जागरण हमेशा ऐसा करता रहा है. पटना हो या लखनऊ हो या दिल्ली, वह सत्ता के आगे घुटने टेक कर अपने पत्रकारों की बलि देते हुए रेवेन्यू का रास्ता साफ करने की परंपरा कायम रखता है. नीचे एफबी के दो वो पोस्ट हैं जिससे पता चलता है कि राजकिशोर, दैनिक जागरण और केजरीवाल के बीच कुछ न कुछ तो हुआ है….
राहत का सोमवार : odd-even फॉर्मूले ने तौबा करवा दी
Sarjana Sharama : इस बार सोमवार राहत का सोमवार होगा। ऑटो या टैक्सी खोजने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के श्री अरंविंद केजरीवाल के odd-even फॉर्मूले ने तौबा करवा दी। इतनी भीषण गरमी में लोग तपती धूप में 20-20 मिनट ऑटो का इंतज़ार करते रहे। रेडियो टैक्सी के अपने नखरे हैं। अभी इस रूट पर कोई टैक्सी नहीं मिल सकती। दो घंटे से पहले नहीं आ सकते आदि आदि।
जूते तो केजरीवाल पर फेंके गए लेकिन पिट गए दर्जनभर से भी ज़्यादा न्यूज़ चैनल
Vineet Kumar : जूते तो केजरीवाल पर फेंके गए लेकिन पिट गए दर्जनभर से भी ज़्यादा न्यूज़ चैनल. एक भी चैनल के पास जूते फेंकनेवाले की फ्रंट से तस्वीर नहीं है. साभार, इंडियन एक्सप्रेस लिखकर तस्वीर इस्तेमाल करनी पड़ रही है. आप सोचिये, न्यूज़ चैनलों के पल-पल की खबर, सबसे तेज जैसे दावे कितने खोखले हैं. लाइव में भी प्रिंट से साभार कंटेंट इस्तेमाल करने की ज़रुरत पड़ जाए, न्यूज़ चैनल के लिए इससे ज़्यादा बुरा क्या हो सकता है? अब लूप की दालमखनी इसी फ्रंट स्टिल के बूते बन रही है..
केजरीवाल जी, आपभी मोदी की तरह जुमलेबाजी की सियासत कर रहे हो?
Vishwanath Chaturvedi : जुमले बाजों ने बिगाड़ा देश मिज़ाज़. बड़े मिया तो बड़े मिया छोटे मियां सुभानल्लाह. जुमलेबाज़ो ने बदरंग किया सियासी चेहरा. केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार को समर्थन करते हुए दिल्ली की जनता का कर्ज उतार दिया. अब बारी थी पंजाब चुनाओं में लड़ रही पार्टी के लिए फर्ज पूरा करने की. सो केजरीवाल ने शाम होते-होते वकील को बलि का बकरा बनाते हुए यू टर्न लिया और कहा ये वकील तो कांग्रेसी था, इसे मैंने हटा दिया.
दिल्ली विधानसभा के केबल टीवी और यूट्यूब चैनल के लिए कर्मचारियों की भर्ती शुरू
दिल्ली विधानसभा अब निजी केबल टीवी और यूट्यूब के जरिए अपनी कार्यवाही और दूसरे कार्यक्रमों के प्रसारण की योजना बना रही है. केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार से अपने लिए अलग टीवी चैनल स्थापित करने से जुड़े प्रस्ताव पर केंद्र से जवाब ना मिलने के बाद यह फैसला किया है. दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि सदन ने इसे लेकर सलाहकार रखने शुरू कर दिए हैं और दूसरे कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है. गोयल ने कहा, ‘पिछले साल नवंबर में मैंने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर लोक सभा टीवी और राज्य सभा टीवी की तर्ज पर दिल्ली विधानसभा का खुद का टीवी चैनल स्थापित करने के लिए उनके मंत्रालय की मंजूरी मांगी थी.’
‘आप’ तो ऐसे न थे : केजरी वही सब टोटके कर रहे जो भ्रष्ट नेता करते रहे हैं
-मनोज कुमार-
एक साथ, एक रात में पूरी दुनिया बदल डालूंगा कि तर्ज पर दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी के हुक्मरान जनाब अरविंद केजरीवाल ने मुझे तीन दिनों से परेशान कर रखा है। आगे और कितना परेशान करेंगे, मुझे नहीं मालूम लेकिन हाल-फिलहाल मेरी बड़ी शिकायत है। सुबह अखबार के पन्ने पलटते ही दो और चार पन्नों का विज्ञापन नुमाया होता है। इन विज्ञापनों में केजरीवाल अपनी पीठ थपथपाते नजर आते हैं। केजरीवाल सरकार इन विज्ञापनों के जरिये ये साबित करने पर तुले हैं कि उनसे बेहतर कौन? ऐसा करते हुए केजरीवाल भूल जाते हैं कि दिल्ली के विकास को जानकर मध्यप्रदेश का कोई भला नहीं होने वाला है और न ही उनके इस ‘पीठ खुजाऊ अभियान’ से मध्यप्रदेश में कोई सुधार होगा। बार बार भोपाल और मध्यप्रदेश की बात इसलिए कर रहा हूं कि इससे मुझे इस बात की परेशानी हो रही है कि मेरे पढ़ने की सामग्री गायब कर दी जा रही है। केजरीवाल के इस ‘पीठ खुजाऊ अभियान’ में मेरी कोई रूचि नहीं है।
Like a ponzi scheme, Kejriwal bubble will burst sooner or later
The Aam Admi Party (AAP) won a landslide victory in Delhi in 2015 because people were disgusted with the other parties and wanted a radical change. Its leader Arvind Kejriwal projected himself as an epitome of honesty, a modern Moses, a Superman who will lead Delhi into a land of milk and honey. But his popularity started to rapidly decline as people started seeing the reality. He has no solutions to the problems facing the people — massive poverty, unemployment, lack of healthcare and good education, etc.
Kejriwal’s Modus Operandi
As I have said many times earlier, Arvind Kejriwal has no solution to the real problems facing the people—massive poverty, unemployment, malnourishment, price rise, lack of healthcare, etc. And yet he must be seen to be doing something to grab the headlines and restore his popularity ( which was rapidly sinking after the initial euphoria).
केजरीवाल और उनके सम-विषम की असलियत बता रहे हैं जस्टिस काटजू
The Truth about the Odd Even Scheme
By Justice Katju
AAP had won a landslide victory in the Delhi elections in Februaary, 2015, because people were disgusted with the other parties, and wanted a radical change. Kejriwal had projected himself as an epitome of honesty, a modern Moses, a Superman (as Modi had done earlier) who will lead Delhi into a land of milk and honey. Later, his popularity started to rapidly decline as people started seeing the reality. There is really nothing in the man, he has no solutions to the real problems facing the people— massive poverty, unemployment, malnourishment, lack of healthcare and good education, farmers suicides, etc.
उतर गया चोला… अमीरों का आदमी साबित हुआ केजरीवाल, समझा रहे हैं यशवंत सिंह
Yashwant Singh : कई लोग कहते मिले कि दिल्ली सुधर गई, केजरीवाल का फार्मूला पास हो गया, दिल्ली वाले बिना चूं चपड़ किए हंसते खेलते नया नियम मान लिए, प्रदूषण घट गया, ट्रैफिक स्मूथ हो गया… ब्ला ब्ला ब्ला…
टीवी टुडे ग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार संजय सिन्हा ने सम-विषम पर अरविंद केजरीवाल को दिखाया आइना, आप भी पढ़ें..
Sanjay Sinha : आदरणीय अरविंद केजरीवाल जी, नया साल मंगलमय हो। मैं संजय सिन्हा, दिल्ली का एक आम नागरिक, आज खुद को बहुत लाचार और त्रस्त महसूस कर रहा हूं। मैं पत्रकार हूं और रोज सुबह फेसबुक पर एक पोस्ट लिखना मेरा शौक है। मैं आम तौर पर रिश्तों की कहानियां लिखता हूं। मैं स्वभाव से खुश और अपनी ज़िंदगी से संतुष्ट व्यक्ति हूं। मैं दफ्तर में राजनीति की ख़बरें लिखता हूं, लेकिन कभी निज़ी ज़िंदगी में राजनीति की बातें नहीं करता।
odd-even : केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा नहीं देखा…
Nadim S. Akhter : अरविन्द केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा ने नहीं देखा, जिसन वाहवाही बटोरने के चक्कर में बिना सोचे-समझे पूरी जनता को odd-even की खाई में धकेल दिया। पहले से ही मरणासन्न दिल्ली का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम इतनी बड़ी आबादी के सफ़र को कैसे झेलेगी, इस पर एक पल भी नहीं सोचा। ऊपर से ये महामूर्ख मुख्यमंत्री स्कूल में बच्चों के बीच जाकर कह रहे हैं कि बेटे, अपने मम्मी-पाप को इस नियम का पालन करने की सीख देना, उनसे जिद करना। लेकिन ये नहीं बता रहे कि जब टाइम से ऑफिस न पहुचने पे पापा की सैलरी कटेगी और ऑटो लेकर जाने में उनकी जेब से दोगुने नोट ढीले होंगे, घर का बजट बिगड़ेगा, तो पापा घर कैसे चलाएंगे?
केजरीवाल पर निशाना साध प्रशांत भूषण ने काटजू के तर्क को गलत बताया तो जवाब में काटजू ने लिखा लंबा चौड़ा मेल…
Markandey Katju : Mr. Shanti Bhushan’s response to my article in scroll.in in which I said that the Delhi Govt. is a state, and is empowered to constitute a Commission of Inquiry. I have taken his permission to post his email to me…
CBI रेड अब सारे आरोपों और असफलताओं से निकाल देगा केजरीवाल को! (पढ़ें सोशल मीडिया पर पक्ष-प्रतिपक्ष में टिप्पणियां)
Amitaabh Srivastava : अरविंद केजरीवाल और उनकी मंडली मन ही मन बहुत प्रसन्न होंगे। शकूरबस्ती झुग्गी कांड के बाद बैकफुट पर आई केंद्र सरकार ने सीबीआई छापे के बहाने इस सर्दी में उन्हें victim politics का एक गरमागरम मुद्दा और मौका दे दिया है। सर्दियों में आम आदमी पार्टी की पालिटिक्स गरमाती भी है। इसी …
अगले लोकसभा चुनाव तक मोदी की मार खा खा के केजरी देशव्यापी हैसियत हासिल कर लेंगे : यशवंत सिंह
Yashwant Singh : इस देश के जन-मानस में पीड़ित या प्रताड़ित के प्रति सिंपैथी रखने की प्रवृत्ति बहुत भयंकर है. इमोशनल देश जो ठहरा. एक जमाने में मोदी जी इसी टाइप सिंपैथी गेन कर कर के इतने मजबूत हुए कि अब पीएम हैं. पीएम पद ने मोदी का दिमाग घुमा दिया है. या यूं कहिए …
दिल्ली की केजरी सरकार ने मीडियाकर्मियों के हित में उठाया बड़ा कदम, श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम में संशोधन हेतु बिल पेश किया
नयी दिल्ली : दिल्ली सरकार ने श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया जिसमें किसी भी उल्लंघन के लिए एक साल तक की कैद की सजा और 10,000 रुपए तक के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया है।
इस तस्वीर ने ढेर सारे केजरीवाल समर्थकों का दिल तोड़ा
Padampati Sharma : वाह रे इमानदारी के झंडाबरदार! घोषित भ्रष्टाचारी के साथ इस ऐतिहासिक मिलन का फोटो जब आप देखेंगे, सोचा है कभी कि शर्म से डूब नहीं मरेंगे? क्या कहेंगे अपने समर्थकों को कि बड़े मुकाम हासिल करने के लिए इस तरह की गलबहियां जरूरी है.
अरविंद केजरीवाल ने किस्सा सुनाने के बहाने कह दिया- ”टीवी चैनल वालों को तो मोदी ने खरीद रखा है”
Arvind Kejriwal : अभी अभी बिहार गए हुए एक रिपोर्टर से बात हुई। उसने एक बड़ा दिलचस्प किस्सा सुनाया। रिपोर्टर ने बिहार के एक गाँव में एक रिक्शा वाले से बात की। दोनों के बीच हुई बात इस प्रकार है –
मोदी और केजरी स्टाइल का ‘आदर्श’ मीडिया… जो पक्ष में लिखे-बोले वही सच्चा पत्रकार!
: मीडिया समझ ले, सत्ता ही है पूर्ण लोकतंत्र और पूर्ण स्वराज! : मौजूदा दौर में मीडिया हर धंधे का सिरमौर है। चाहे वह धंधा सियासत ही क्यों न हो। सत्ता जब जनता के भरोसे पर चूकने लगे तो उसे भरोसा प्रचार के भोंपू तंत्र पर होता है। प्रचार का भोंपू तंत्र कभी एक राह नहीं देखता। वह ललचाता है। डराता है। साथ खड़े होने को कहता है। साथ खड़े होकर सहलाता है और सिय़ासत की उन तमाम चालों को भी चलता है, जिससे समाज में यह संदेश जाये कि जनता तो हर पांच बरस के बाद सत्ता बदल सकती है। लेकिन मीडिया को कौन बदलेगा? तो अगर मीडिया की इतनी ही साख है तो वह भी चुनाव लड़ ले… राजनीतिक सत्ता से जनता के बीच दो-दो हाथ कर ले… जो जीतेगा, उसी की जनता मानेगी!
इरफान ने कार्टून मैग्जीन ‘तीखी मिर्च’ लांच की, केजरीवाल ने किया विमोचन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि आवाजों को दबाना जनतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. केजरीवाल ने कार्टूनिस्ट इरफान द्वारा लांच किए गए कार्टून पत्रिका ‘तीखी मिर्च’ का विमोचन करते हुए कहा कि आजकल जो माहौल है, ऐसे में पत्रकारों के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में कुछ कार्टूनिस्ट हैं जो अभी भी अपने कार्टूनों के जरिए इस स्वतंत्रता को जीवित रखे हुए हैं. कार्टून पत्रिका तीखी मिर्च के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसी आवाजों को आवाज देना हम सबकी जिम्मेदारी है. तभी यह जनतंत्र बचा रहेगा.
स्वतंत्रता दिवस या ARVIND KEJRIWAL दिवस!
पूरा देश आज स्वतंत्रता दिवस मना रहा था लेकिन अरविंद केजरीवाल खुद आज अपना दिवस मनाने में जुटे थे, वह भी स्कूली बच्चों और सरकारी पैसों के जरिए. स्वाधीनता दिवस के मौके पर दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में सीएम अरविंद केजरीवाल ने जनता को संबोधित किया. लेकिन, इस मौके पर स्टेडियम में कुछ ऐसा भी हुआ, जिससे केजरीवाल विवादों में घिर गए. स्टेडियम की दर्शक दीर्घा में बच्चों को इस तरह बिठाया गया था, जिससे इंग्लिश में ‘ARVIND KEJRIWAL‘ लिखा दिखाई दे रहा था.
केजरीवाल और राजदीप सरदेसाई की ‘आफ दी रिकार्ड’ बातचीत लीक, आप भी देखें वीडियो
केजरीवाल और पुण्य प्रसून बाजपेयी की आफ दी रिकार्ड बातचीत लीक होने का मामला सभी को पता है. अब केजरीवाल और राजदीप सरदेसाई की निजी बातचीत लीक हो गई है. राजदीप सरदेसाई जब केजरीवाल का इंटरव्यू करने के लिए बैठे तो नजीब जंग के मसले पर निजी बात करने लगे. इस दौरान इंटरव्यू की तैयारी के लिए बाकी स्टाफ सक्रिय था. निजी बातचीत के दौरान माइक और कैमरा आन था. नजीब जंग के पाला बदलने को लेकर दोनों लोग दुखी दिखे.
(वीडियो देखने के लिए उपरोक्त तस्वीर पर क्लिक करें)
ये केजरीवाल सरकार का नहीं, दिल्ली के लोगों का अपमान है
Sushil Upadhyay : बस्सी, केजरीवाल और चाबी भरा खिलौना… कुछ महीने पहले तक ज्यादातर लोगों को नहीं पता था कि बी.एस.बस्सी कौन है ? उनके बारे में पता न होना कोई बड़ी बात भी नहीं है, क्योंकि उनके जैसे सैंकड़ों आईपीएस अफसर इस देश में काम करते हैं। लेकिन, अब अधिकतर लोग जानते हैं कि बी.एस. बस्सी दिल्ली के पुलिस आयुक्त हैं और लोगों द्वारा चुनी गई सरकार की लगातार खिल्ली उड़ा रहे हैं। हाल के दिनों में कई बार बी.एस. बस्सी टीवी पर देखने का मौका मिला है, वे जिस प्रकार की शब्दावली का इस्तेमाल करते हैं, उसे देखकर लगता है कि कोई अधिकारी नहीं, बल्कि नेता बोल रहा है।
केजरीवाल ने किया विज्ञापन के बजट में कई गुना इजाफा
दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने विज्ञापन के बजट को कई गुना बढ़ाते हुए 526 करोड़ कर दिया है। टेलिविजन ऐड पर विवाद के बाद इन दिनों रेडियो पर केजरीवाल सरकार का 76 सेकंड का एक विज्ञापन भी चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, ‘जो कहा, सो किया’ टैगलाइन के साथ यह विज्ञापन दिन भर में 40 बार चलता है।
सीएम अरविंद केजरीवाल के टीवी विज्ञापन पर भाजपा का प्रहार, सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी
इन दिनों टीवी पर केजरीवाल सरकार का एक ऐड चल रहा है जिसमें अरविंद केजरीवाल को छोड़ कर बाकी सभी नेताओं को बेईमान बताया जा रहा है। विज्ञापन को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ‘उल्लंघन’ करार देते हुए भाजपा ने धमकी दी है कि अगर इसे तुरंत नहीं हटाया गया तो वह सुप्रीम कोर्ट जाएगी। केजरीवाल सरकार विज्ञापन पर पैसे की बर्बादी कर रही है।
इस सदी के स्वघोषित सबसे बड़े महानायक केजरीवाल की नाक जड़ से कट गई…
Samarendra Singh : जिसका अंदेशा था वही हुआ. अभय कुमार दुबे की बात सही निकली. किसी एक की नाक जड़ से कटनी थी और इस सदी के स्वघोषित सबसे बड़े महानायक की नाक जड़ से कट गई. कमाल के केजरीवाल जी दुखी हैं. बोलते नहीं बन रहा है. इसलिए अदालत के फैसले का इंतजार किये बगैर उन्होंने अपने क्रांतिकारियों को अपने बचाव में आगे कर दिया है. तोमर की डिग्री फर्जी है, यह मानने के लिए अब उन्हें किसी अदालत के फैसले की जरुरत महसूस नहीं हो रही है. अब उनके क्रांतिकारी कह रहे हैं कि माननीय को गहरा सदमा लगा है. तोमर ने उन पर जादू कर दिया था. फर्जी आरटीआई दिखा कर भ्रमित कर दिया था. हद है बेशर्मी की. बार-बार झूठ बोलने पर जरा भी लाज नहीं आती.
जवाब तो देना ही पड़ेगा केजरीवाल को
दिल्ली के कानून मंत्री रहे जितेन्द्र तोमर को पुलिस ने फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार किया है और कोर्ट द्वारा दी गई रिमांड पर अब पुलिस तोमर को साथ ले जाकर फर्जी डिग्री कांड की जांच में जुटी है और प्रथम दृष्ट्या तो साबित भी हो रहा है कि तोमर के पास वैध नहीं, बल्कि अवैध डिग्रियां ही हैं। यह भी सोचने वाली बात है कि दिल्ली पुलिस इतनी भी मूर्ख नहीं है कि वह केजरीवाल सरकार के एक मंत्री को इस तरह गिरफ्तार करे, जब तक कि उसके पास पुख्ता सबूत ना हों, क्योंकि यह मामला दिल्ली पुलिस तक ही सीमित नहीं है, बल्कि केन्द्र की मोदी सरकार के साथ चल रहे केजरीवाल सरकार के पंगे का भी बड़ा मामला है।
दम तो है केजरीवाल की तल्खी में
अरविन्द केजरीवाल की तल्खी और आरोपों को लगाने की दमदारी का मैं हमेशा कायल रहा हूं। एक सशक्त लोकतंत्र में जब तक इस तरह की बेबाकी नहीं होगी तब तक उसकी गूंज राजनीतिक गलियारों से लेकर मीडिया तक सुनाई नहीं देगी। सफल लोकतंत्र का तो सबसे बड़ा तकाजा भी यही बोलता है कि पक्ष से ज्यादा ताकतवर विपक्ष होना चाहिए तब ही जनता के हित सुरक्षित रह सकेंगे। इसमें भी कोई शक नहीं कि भाजपा ने विपक्ष का रोल पूरी दमदारी से निभाया और आज भी सत्ता पक्ष में आने के बावजूद वह अपने प्रचार-प्रसार और मार्केटिंग में कोई कोताही नहीं बरत रही है। इसके ठीक विपरित कांग्रेस की हालत यह है कि उसकी ट्यूबलाइट लगातार बुरी तरह हार के बावजूद आज तक नहीं जलती दिख रही है।
Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal meets Justice Majithia
The Chief Minister of Delhi, Mr. Arvind Kejriwal, met Justice G.R.Majithia at the Delhi Secretariat. The two discussed the Majithia Wage Board recommendations. Justice Majithia also shared several experiences with the Chief Minister of the times when the wage board was working. “I assure you that I will get the Majithia Wage Board recommendations implemented in Delhi,” the Chief Minister told Justice Majithia.
लगता है मोदी जी एक दिन केजरीवाल को देश का प्रधानमंत्री बनवाकर ही मानेंगे… कीप इट अप भाजपाइयों…
Yashwant Singh : नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल पर तरह तरह से नकेल कस कर खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर दिया है. दिल्ली सरकार के प्रति मोदी जी की चीप किस्म की हरकतों से एक तो खुद मोदी और दूसरे भाजपाई एक्सपोज हो रहे हैं. इस कारण अरविंद केजरीवाल को भारी मात्रा में जन सुहानभूति प्राप्त हो रही है. हाल के दिनों में केजरीवाल ने मोदी के लगाए अवरोधों और उसका डटकर कर रहे प्रतिरोध के कारण जो सिंपैथी गेन की है उससे योगेंद्र यादव -प्रशांत भूषण निष्कासन प्रकरण के घाव भुलाकर लोग फिर से केजरी के साथ खड़े होने लगे हैं. उनमें से एक मैं भी हूं.
मध्यप्रदेश की राजनीति में भी किसी केजरीवाल की तलाश
एक तरफ सांपनाथ तो दूसरी तरफ नागनाथ… सालों से जनता यह कहते हुए हर चुनाव में अल्टा-पल्टी के साथ कांग्रेस और भाजपा को जीताती या हराती आई है। दरअसल अभी तक देश की राजनीति में कोई सशक्त विकल्प जनता को मिला ही नहीं। कुछ राज्यों में सपा, बसपा या तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों ने सरकारें तो बनाईं, मगर ये दल भी कांग्रेस और भाजपा की फोटो कॉपी कुछ ही अर्से में बन गए। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने देश में एक नई उम्मीद इसलिए जगाई है क्योंकि इसके नेता पेशेवर और घाघ राजनीतिज्ञ नहीं हैं। नई दिल्ली के चुनाव में जिस तरह केजरीवाल ने आम आदमी के सड़क, बिजली, पानी, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को फोकस में रखकर चुनाव लड़ा और बखूबी जीता, उसने तथाकथित विकास पर नए सिरे से बहस की गुंजाइश भी शुरू की है। मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में जनता को किसी केजरीवाल की बड़ी बेसब्री से तलाश है, क्योंकि हरल्ली कांग्रेस से कोई उम्मीद इसलिए नहीं है क्योंकि वह जनता के मुद्दे उठाने में पूरी तरह से नाकामयाब रही है, जिसके चलते लगातार चुनाव जीतने वाली भाजपा के मुगालते आसमान पर पहुंच गए हैं। यह बात अलग है कि नई दिल्ली में सरकार चला रहे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस और उससे अधिक भाजपा द्वारा नित नए षड्यंत्र भी रचे जा रहे हैं।
एक पाती पीएम के नाम : ऐसी क्यों मति मारी गई, मजीठिया पर कुछ तो बोलो महराज !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, आपको ठीक एक वर्ष पहले जनता जनार्दन का आशीर्वाद नहीं, ईश्वर की ओर से अवसर मिला, जिसे आप विदेश यात्राओं पर गंवा रहे हैं। आपके पास भावना नहीं, भाव प्रवण अभिनय है, जिसके मायाजाल में जनता को भटका रहे हैं। आशीर्वाद तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिला है, जो …
मजीठिया पर दिल्ली सरकार की रिपोर्ट खोलेगी जागरण की पोल, संजय गुप्ता की दाल नहीं गली
दिल्ली सरकार की मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के फरमान और दो पेजी 19 बिंदुओं की प्रश्नोपत्तरी के बाद दैनिक जागरण प्रबंधन और मालिकों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए आईएनएस और आईटीओ के धुरंधर पत्रकारों को लगाया। काफी टालमटोल के बाद आप की ओर से दो वरिष्ठ लोगों को लगाया गया।
हम तो मीडिया कर्मियों के लिए लड़ रहे, मजीठिया कमीशन लागू करवाएंगे : केजरीवाल
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने जनसभा के माध्यम से अपनी उपलब्धियों का बखान किया। खास बात ये रही कि सीएम केजरीवाल मीडिया पर प्रहार करने से इस बार बचे रहे। मीडिया के प्रति वह नरम दिल दिखे। उन्होंने मीडिया का आभार भी जताया।
एसीबी पर हाईकोर्ट के फैसले से मोदी के मंसूबों पर पानी फिरा, केजरीवाल सरकार की बांछें खिलीं
पहला जूता दिल्ली हाई कोर्ट ने दे मारा । एसीबी को दिल्ली पुलिस के घूसखोरों को पकड़ने का पूरा अख़्तियार है। कोर्ट ने नोटिफिकेशन रद्द कर दिया है। इस फैसले पर मीडिया (टी वी) के क़ानूनी विशेषज्ञ बिलों में दुबक लिए हैं। दरअसल हाईकोर्ट ने 21 मई 2015 के नोटिफिकेशन को भी रद्दी का टुकड़ा बता दिया, जैसाकि कानूनविद कह रहे थे पर मीडिया के ख़ुद गढ़ें फ़र्ज़ी विशेषज्ञ जो क़ानून की उल्टी पट्टी पढ़ा रहे थे, अब बिलों में हैं! इस फैसले से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा गृहमंत्रालय की आड़ से पाले जा रहे मंसूबों पर पानी फिर गया है और केजरीवाल सरकार का कदम उचित ठहराया गया है।
केजरीवाल को खुला खत : ‘आप की टोपी रखी मेरे पास, जरा सुन लो अरज हमारी’
दिल्ली : प्रदेश सरकार के काम काज से असंतुष्ट आम आदमी देवेश वशिष्ठ ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रोष भरा पत्र लिखते हुए उन्हें अवगत कराया है कि अब आपसे और आपके मंत्रियों से मिलना बहुत मुश्किल हो गया है और हमारे विधायक कभी न घर मिलते हैं, न फोन उठाते हैं। इसलिए आपको ये खुला खत लिखना पड़ रहा है।
अफसरों की छुट्टी की खबर बनी मुद्दा, न्यूज चैनलों पर बरसे मनीष
दिल्ली सरकार का झमेला बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रही खींचतान अब आर-पार की लड़ाई में बदल गई है। बुधवार को एक ओर जहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकारी अफसरों के साथ बैठक कर रहे थे तो दूसरी ओर उपराज्यपाल नजीब जंग ने पिछले एक हफ्ते में सरकार द्वारा किए गए सभी ट्रांसफर-पोस्टिंग को रद्द करने का आदेश दे दिया। रोजाना पार्टी प्रमुखों की किसी न किसी बात पर मीडिया से भी ठन जा रही है। इस बीच आज उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने न्यूज चैनलों पर नजला उतारा। वह इस बात से काफी नाराज दिखे कि दिल्ली सरकार के पास किसी अधिकारी की छुट्टी का आवेदन नहीं पहुंचा है जबकि टीवी चैनल खबर चला रहे हैं, 45 अधिकारी विरोध में छुट्टी पर चले गए हैं।
केजरीवाल सरकार के 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड, पास हुए या फेल, क्या कहती है दिल्ली
केजरीवाल और मनीष सिसोदिया नहीं हैं दिल्ली के सबसे लोकप्रिय विधायक, लेकिन यदि आज चुनाव हों तो भारी बहुमत से सरकार बनाएगी आम आदमी पार्टी www.mlareportcard.com के ऑनलाइन सर्वे की रिपोर्ट ।
केजरीवाल सरकार के मीडिया परिपत्र आरएसएस का निशाना
मीडिया के खिलाफ छह मई को जारी किए गए मानहानि संबंधी परिपत्र को तानाशाही वाला करार देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र आर्गनाइजर में अरविंद केजरीवाल सरकार की आलोचना की गयी है. इसमें कहा गया है कि यह भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनने का कथित प्रयास है जो संदेश देता है कि सिक्के के दोनों पहलू मेरे हैं.
मोदी और केजरी : आइए, दो नए नेताओं के शीघ्र पतन पर मातम मनाएं…
Yashwant Singh : यथास्थितिवाद और कदाचार से उबी जनता ने दो नए लोगों को गद्दी पर बिठाया, मोदी को देश दिया और केजरीवाल को दिल्ली राज्य. दोनों ने निराश किया. दोनों बेहद बौने साबित हुए. दोनों परम अहंकारी निकले. पूंजीपति यानि देश के असल शासक जो पर्दे के पीछे से राज करते हैं, टटोलते रहते हैं ऐसे लोग जिनमें छिछोरी नारेबाजी और अवसरवादी किस्म की क्रांतिकारिता भरी बसी हो, उन्हें प्रोजेक्ट करते हैं, उन्हें जनता के गुस्से को शांत कराने के लिए बतौर समाधान पेश करते हैं. लेकिन होता वही है जो वे चाहते हैं.
ये सब तो खबरें हैं ही नहीं… ख़बरें हैं सिर्फ, क्रिकेट, सिनेमा और केजरीवाल की धुलाई
रिलायंस को 4G प्रकरण में क़रीब ३३०० करोड़ का अवैध लाभ पहुँचाने पर “कैग” का आकलन आल इंडिया रेडियो पर है पर बाकी मीडिया (टी वी ) के लिये संभव नहीं !
केजरीवाल बोले – पत्रकारों के सैलरी रिकार्ड की करा रहा पड़ताल, अब हो मीडिया का भी पब्लिक ट्रायल
दिल्ली : एक न्यूज वेबसाइट की लॉन्चिंग के मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहा कि झूठी खबरों का पर्दाफाश करने के लिए मीडिया का पब्लिक ट्रायल होना चाहिए। हमारी सरकार मीडिया संस्थानों में टैक्स रेकॉर्ड और सैलरी से जुड़ी डिटेल्स की पड़ताल कर रही है। लेबर इंस्पेक्टर न्यूज संस्थानों का दौरा कर रहे हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा से जब यह पूछा गया है कि क्या आप प्रशासन ने इस आइडिया पर आगे बढ़ना शुरू किया है, तो उनका कहना था कि अब तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
जी मीडिया के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने दी केजरीवाल को नसीहत
जी मीडिया के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, ‘सीएम अरविंद केजरीवाल को लगता है कि मीडिया किसी को भी बनाऔर बर्बाद कर सकता है पर ये गलत है, मैं उनसे ये रिक्वेस्ट करता हूं कि वह न सिर्फ जी बल्कि किसी भी मीडिया से अपने दुश्मन जैसा बर्ताव नहीं करें.’
अपने गिरेबान में झांकने की बजाय सुभाष चंद्रा ने केजरीवाल के खिलाफ निकाली भड़ास
सुपारी पत्रकारिता को संगठित तरीके से अंजाम देने वाले सुभाष चंद्रा बजाय अपनी गिरेबान में झांकने के, दूसरों को ही समझाने पर उतारू हो जाते हैं. अबकी उनके निशाने पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल हैं. जी मीडिया पर बार-बार आम आदमी पार्टी को बदनाम करने का आरोप लगाने वाले दिल्ली के सीएम केजरीवाल के खिलाफ भड़ास निकालते हुए जी मीडिया के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्विट कर लिखा है, ‘सीएम केजरीवाल को लगता है कि मीडिया किसी को भी बना और बर्बाद कर सकता है पर ये गलत है, मैं उनसे ये रिक्वेस्ट करता हूं कि वह न सिर्फ जी बल्कि किसी भी मीडिया से अपने दुश्मन जैसा बर्ताव नहीं करें.
केजरीवाल से एक और समर्थक का मोहभंग, अपने ब्लाग पर लिखा: ”Kejriwal, You Have Failed Us”
“Not even the king has the right to subordinate the interests of the state to his personal sympathies or antipathies.”
AAP “leader” Ashutosh started his blog with this statement to defend the expulsion of four AAP leaders from the party. If there is one person who needed to be reminded of this sentence today, it is none other than Arvind Kejriwal.
Kejriwal has no moral ground to remain as the convener of AAP and here are the reasons.
अब केजरीवाल से फरियाद करेंगे जैन टीवी के पीड़ित पत्रकार
जैन टीवी में कार्यरत ज्यादातर मीडिया कर्मियों को हमेशा प्रबंधन से सैलरी समय से प्राप्त न होने, फंड राशि कंपनी द्वारा हजम कर लिए जाने की शिकायतें बनी रहती हैं। उनका कहना है कि आदमी नौकरी करता है पैसे के लिए लेकिन जैन टीवी ग्रुप में नौकरी करने के बदले मिलती है धमकी। जब तक नौकरी करनी है, करो, वेतन आठ-नौ महीने में एक महीने का मिल जाएगा।
भड़ास के एडिटर यशवंत ने ‘आप’ से दिया इस्तीफा… केजरी को हिप्पोक्रेट, कुंठित और सामंती मानसिकता वाला शातिर शख्स करार दिया
(यशवंत सिंह)
: सवाल उठाने वालों को ‘आप’ से बर्खास्त कर केजरीवाल ने अपनी सच्ची शकल दिखा ही दी : अरविंद केजरीवाल की सच्ची शकल सामने आने से कम से कम मुझे बड़ा फायदा हुआ. अच्छी राजनीति को लेकर मन में जो थोड़े बहुत पाजिटिव विचार आए थे, वो खत्म हो गए. राजनीति में डेमोक्रेटिक नहीं हुआ जा सकता, ये समझ में आ गया. भारत जैसे देश में कहने को भले ही शासन की प्रणाली डेमोक्रेसी हो लेकिन यहां डेमोक्रेटिक व्यक्ति नहीं हुआ जा सकता और डेमोक्रेटिक व्यक्ति हुए बिना अच्छी सच्ची राजनीति हो ही नहीं सकती. केजरीवाल डेमोक्रेटिक था ही नहीं, यह साबित हो गया. इसलिए इससे अब किसी अच्छी सच्ची राजनीति की अपेक्षा नहीं की जा सकती.
केजरीवाल से आज फिर निराश हुए ओम थानवी
Om Thanvi : केजरीवाल को पहली बार किसी सभा में आमने-सामने सुना। आशुतोष की किताब का लोकार्पण था। राजदीप ने वे सारे मुद्दे कुरेदे जो जरूरी थे। जो सब भुला बैठे उन्हें अंत में भूपेंद्र चौबे और शेखर गुप्ता ने पूछ लिया। लेकिन केजरीवाल सबसे दाएं-बाएं ही हुए। सिर्फ साले-कमीने की भाषा के इस्तेमाल पर इतना कहा कि उन्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। पर इसमें कोई अफसोस का भाव जाहिर न था।
केजरीवाल या आम आदमी पार्टी से वही लोग निराश हो रहे हैं जो बहुत ज्यादा उम्मीद पाले हुए थे
Sanjaya Kumar Singh : मुझे लग रहा है कि अरविन्द केजरीवाल या आम आदमी पार्टी से वही लोग निराश हो रहे हैं जो बहुत ज्यादा उम्मीद पाले हुए थे। जब अन्ना हजारे के साफ मना करने के बावजूद केजरीवाल ने राजनैतिक पार्टी बनाई – तभी साफ हो गया था कि अरविन्द केजरीवाल में वही कीड़े हैं जो नरेन्द्र मोदी या सोनिया गांधी में। पैकिंग अलग है। अन्ना के आंदोलन की सफलता और अपनी नई बनी छवि को कैश कराने की जल्दबाजी में अरविन्द इस्तीफा देकर बनारस गए और मुंह की खाकर लौटे। इस तरह अरविन्द ने बता दिया कि ना उन्हें राजनीतिक समझ है और ना धूर्तता (तभी कभी कोई स्टिंग कर ले रहा है और कभी कोई और)।
केजरीवाल : चेहरा या मुखौटा?
किसी को इंदिरा गांधी का सिडिंकेट से लड़कर मजबूत नेता के तौर पर उभरना याद आ रहा है तो किसी को प्रफुल्ल महंत का असम में सिमटना और फूकन को बाहर का रास्ता दिखा कर एक क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर सिमट कर रह जाना याद आ रहा है। किसी को दिल्ली का चुनावी बदशाह दिल्ली में जीत का ठग लग रहा है तो कोई दिल्ली सल्तनत को अपनी बौद्दिकता से ठगकर गिराने की साजिश देख रहा है। कोई लोकतंत्र की हत्या करार दे रहा है तो कोई जनतंत्र पर हावी सत्ताधारी राजनीति को आईना दिखाने वाली राजनीति का पटाक्षेप देख रहा है। एकतरफा निर्णय सुनाने की ताकत किसी में नहीं है। कोई इतिहास के पन्नों को पलटकर निर्णय सुनाने से बचना चाह रहा है तो कोई अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिये राजनीति के बदलते मिजाज को देखना चाह रहा है। लेकिन सीधे सीधे यह कोई नहीं कह रहा है कि आम आदमी पार्टी का प्रयोग तो राजनीतिक विचारधाराओं को तिलांजलि देकर पनपा है। जहां राजनेता तो हैं ही नहीं। जहा समाजवादी-वामपंथी या राइट-लेफ्ट की सोच है ही नहीं। जहां राजनीतिक धाराओं को दिशा देने की सोच है ही नहीं। जहां सामाजिक-आर्थिक अंतर्रविरोध को लेकर पूंजीवाद से लड़ने या आवारा पूंजी को संभालने की कोई थ्योरी है ही नहीं। यहा तो शुद्द रुप से अपना घर ठीक करने की सोच है।
केजरीवाल जी, अपने ये घड़ियाली आंसू बंद कीजिये…
Umesh Dwivedi : क्या जॉइंट कमिश्नर इनकम टैक्स की नौकरी बेहतर होती या मुख्यमंत्री की कुर्सी, पावर? केजरी बाबू अब हमें बार बार मत सुनाइए कि आप इनकम टैक्स की नौकरी छोड़ कर आये हैं …आपने कोई अहसान नहीं किया है ..हां यदि आप नौकरी छोड़ कर “मदर टेरेसा” जैसा कोई काम करते तो तब आपके उस कदम को सराहा जाता! आपने उससे बड़ा पद पाया है, ये आपकी महत्वकांक्षा थी, ना कि त्याग ! हर व्यक्ति अपने जीवन में ऊंचाई पर जाने के लिए जोखिम लेता है, वो आपने भी लिया तो कोई बड़ी बात नहीं की. ईसलिये अहसान की ये गठरी आप अपने मुख्यमंत्री आवास के अटाला घर में रख दें. कल आप राष्ट्रपति भवन में थे. क्या ज्वाइंट कमिश्नर रहते हुए आप जा पाते? नहीं, बिलकुल नहीं ….आपने नौकरी छोड़ कर उससे ज्यादा पाया है ..ईसलिये कृपया अपने ये घड़ियाली आंसू बंद कीजिये.
केजरीवाल पर संपादक ओम थानवी और नरेंद्र मोदी पर पत्रकार दयानंद पांडेय भड़के
Om Thanvi : लोकपाल को वह क्या नाम दिया था अरविन्द केजरीवाल ने? जी, जी – जोकपाल! और जोकपाल पैदा नहीं होते, अपने ही हाथों बना दिए जाते हैं। मुबारक बंधु, आपके सबसे बड़े अभियान की यह सबसे टुच्ची सफलता। अगर आपसी अविश्वास इतने भीतर मैल की तरह जम गया है तो मेल-जोल की कोई राह निकल आएगी यह सोचना मुझ जैसे सठियाते खैरख्वाहों की अब खुशफहमी भर रह गई है। ‘साले’, ‘कमीने’ और पिछवाड़े की ‘लात’ के पात्र पार्टी के संस्थापक लोग ही? प्रो आनंद कुमार तक? षड्यंत्र के आरोपों में सच्चाई कितनी है, मुझे नहीं पता – पर यह रवैया केजरीवाल को धैर्यहीन और आत्मकेंद्रित जाहिर करता है, कुछ कान का कच्चा भी।
पूर्व ‘आप’ सदस्य का कथन – गालियों ने दिखाया, केजरीवाल सच्चे इंसान
सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व ‘आप’ सदस्य डॉ नूतन ठाकुर ने ‘आप’ कन्वेनर अरविन्द केजरीवाल द्वारा प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के खिलाफ गाली-गलौज की खुल कर तारीफ़ की.
‘आप’ में लवंडई जारी है… : टीवी पर सबा नक़वी का शर्मनाक बचाव और पुण्य प्रसून का विश्वसनीय कटाक्ष…
Abhishek Srivastava : कोई पत्रकार जब पार्टी बन जाता है तो उसके चेहरे पर डिफेंस की बेचारगी झलकने लगती है। वहीं कभी पार्टी रहा पत्रकार जब अपने पुराने पाले को दूर से देख रहा होता है तो उसके चेहरे पर सच की रेखाएं उभरने लगती हैं। पहले का उदाहरण आज टाइम्स नाउ पर प्राइम टाइम पैनल में बैठी सबा नक़वी रहीं तो दूसरे का उदाहरण दस तक में पुण्य प्रसून वाजपेयी रहे। सबा ने अरविंद केजरीवाल का जैसे बचाव किया, वह बहुत शर्मनाक था जबकि प्रसून ने कुमार विश्वास के स्वराज पर दिए बयान को तीन बार दिखाकर पार्टी पर जो कटाक्ष किया, वह ज्यादा विश्वसनीय लगा। वैसे, दस तक के बैकग्राउंड में जो लिखा था वही पूरी कहानी बताने के लिए काफी था- ”क्रिकेट खत्म, खेल शुरू”।
केजरीवाल की असलियत और पूंजीवादी व्यवस्था का बलात्कारी चरित्र
Vimala Sakkarwal : दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन के दौरान वहां जिस तरह लड़कियों को पीटा गया, वो काम इंसान नहीं कर सकते, सिर्फ जानवर ही कर सकते हैं। वहां महिला पुलिस तो थी, लेकिन पुरुष पुलिस ने जिस तरह टारगेट करके लड़कियों के सिरों पर डंडे मारे, उनके पेटों में डंडे घुसेड़े, उनके नीचे के हिस्से में ड़डे घुसेड़े, बहुत विमानवीय था। मेरे हाथों और पेट पर, … पड़ी नीलें इनकी बर्बरता बयान कर रही हैं।
केजरी और इसका गैंग इतने छोटे दिल दिमाग वाला होगा, मुझे उम्मीद नहीं थी
Yashwant Singh : प्राइम टाइम के दौरान जब एनडीटीवी पर कायदे की बहस ना चल रही हो तो मैं फोकस टीवी देखने लगता हूँ। संजीव श्रीवास्तव बेहद सहज और दिल में उतरने वाली एंकरिंग करते हैं। ज्ञान, भाषा और समझ का स्तर ठीकठाक होने के कारण संजीव बड़े प्यार से बहुत नयी नयी बातें निकालते और निकलवाते रहते हैं। साथ ही चीख चिल्लाहट और चीप एंकरिंग की जगह ताजगी भरी स्टाइल का विकल्प भी बाकी एंकर्स को अनजाने में बताते समझाते रहते हैं।
केजरीवाल ने छात्रों, मजदूरों, शिक्षकों को पिटवाकर बहुत गलत काम किया है
Abhishek Srivastava : कल दिल्ली सचिवालय के बाहर छात्रों, मजदूरों और शिक्षकों को पिटवाकर, उन पर आपराधिक मुकदमे लगाकर और जेल में डालकर आपने बहुत गलत काम किया है Arvind Kejriwal… मैं आपको निजी तौर पर कायदे का आदमी समझता था। अब ये मत कहिएगा कि दिल्ली पुलिस केंद्र के पास है, आपके पास नहीं।
अबे चिरकुट आपियों, खुद को अब मोदी-भाजपा से अलग कैसे कहोगे…
Yashwant Singh : चोरकट केजरी और सिसोदिया का असली रूप आया सामने.. दिल्ली में पानी के दाम में 10 परसेंट वृद्धि। अबे चिरकुट आपियों, मोदी-भाजपा से खुद को अलग अब कैसे कहोगे। सत्ता पाकर तुम लोग भी आम जन विरोधी हो गए! अरे करना ही था तो चोर अफसरों के यहाँ छापे मरवाकर उनकी संपत्ति जब्त कराते और उस पैसे को बिजली पानी में लगाते। जल बोर्ड के करप्ट अफसरों और पानी माफिया की ही घेराबंदी कर देते तो इनके यहाँ से हजार करोड़ निकल आता। पर अमेरिकी फोर्ड फाउंडेशन के धन पर करियर बनाने वाले इन दोनों नेताओं से अमेरिकी माडल के पूंजीवाद से इतर काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
चुनाव जीतने के बाद सामने आने लगी अहंकारी केजरीवाल की असलियत
Mukesh Kumar : अहंकारी कौन? केजरीवाल या प्रशांत-योगेंद्र?? मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला अहंकार से प्रेरित था। फिर उन्होंने इस फ़ैसले को नकारते हुए इसके पैरोकारों को पीएसी से बाहर कर दिया। अब वे कह रहे हैं कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर अपना विस्तार करेगी। सवाल उठता है कौन अहंकारी है? कहीं ये केजरीवाल का अहंकार तो नहीं बोल रहा था कि मेरे होते हुए फ़ैसला करने वाले तुम तुच्छ लोग कौन होते हो? फैसला करने का हक मेरा और मेरे चमचों का है, किसी और का नहीं इसलिए अब का फ़ैसला सही है और अहंकार रहित है। इस पाखंड पर बलिहारी जाने का मन करता है।
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‘आप’ की हरकतें कहीं से भी उसे देश की दूसरी पार्टियों से अलग नहीं करती है
नई दिल्ली। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और मीडिया स्टडीज ग्रुप (एमएसजी) ने मंगलवार को संयुक्त तौर पर “चर्चाः विकल्प की राजनीति का भविष्य” विषय पर एक कार्यक्रम का आय़ोजन किया। चर्चा का संचालन करते हुए मीडिया स्टडीज ग्रुप के अध्यक्ष अनिल चमड़िया ने कहा कि आम आदमी हमेशा अपनी राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए एक नए और मजबूत, सुदृढ़ विकल्प की तलाश करता रहा है। इसी लिहाज से आम आदमी बनाम आम आदमी पार्टी की राजनीति को देखा जाना चाहिए। लेकिन ‘आप’ में प्रशांत भूषण औऱ योगेंद्र यादव को लेकर जो कुछ हो रहा है वह निराशाजनक है।
केजरीवाल सरकार भी बांटने लगी रेवड़ियां, संसदीय सचिव बनाकार 21 MLA को मंत्री पद का दर्ज़ा दिया
Mukesh Kumar : दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी रेवड़ियां बाँटने लगी है। इक्कीस विधायकों को संसदीय सचिव बनाकार मंत्री पद का दर्ज़ा दे दिया गया है। इतने संसदीय सचिव देश के किसी भी राज्य में नहीं हैं। बहुत से राज्यों में तो ये हैं ही नहीं। लगता है किसी असंतोष को दबाने के लिए ऐसा किया गया है, क्योंकि दिल्ली जैसे आधे-अधूरे और छोटे से राज्य में तीन-चार संसदीय सचिवों से काम चल सकता था, इसके लिए इस पैमाने पर रिश्वत ब़ॉटने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
आओ बेटा, पब्लिक अप्राकृतिक इलाज करने को तैयार बैठी है….
Ajit Singh : मेरी साली साहिब …..छोटी वाली …..एक बार विपासना कर आई । और कर क्या आई भैया , एकदम आशिक हो गयी । जब देखो तब विपासना । सोते जागते उठते बैठते खाते पीते बस विपासना । विपासना ये विपासना वो ……और मैं …..जस जस सुनूं मेरा खून खौले ……अबे साले पागल हो बे ? सुबह 4 बजे आँख मून के बैठ जाओ और रात 10 बजे तक बैठे रहो ……ध्यान करो …..और सबसे बड़ी बात …..10 दिन मौन …..
Arvind Kejriwal sting tape: Full Transcript
New Delhi: The Aam Aadmi Party (AAP) has been hit by another crisis after its member Anjali Damania quit the party alleging horse-trading by Arvind Kejriwal. Here are the main points from the conversation allegedly between Kejriwal and former AAP MLA Rajesh Garg.
सच्चाई जान जाएंगे तो आप भी कहेंगे- ”केजरी ने अब तक भूषण तिकड़ी और योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर निकाला क्यों नहीं!”
(लेखक यशवंत सिंह भड़ास4मीडिया डॉट कॉम के संस्थापक और संपादक हैं.)
उन दिनों मेरे पास अंदर से कोई खबर नहीं थी. सिर्फ मीडिया द्वारा परोसे दिखाए जा रहे तथ्यों-खबरों पर निर्भर था. उस निर्भरता के जरिए ये राय बना ली कि केजरीवाल तो चुनाव जीतने के बाद अहंकारी हो गए हैं और इन्हें योगेंद्र व प्रशांत को कतई पोलिटिकल अफेयर्स कमेटी से नहीं निकालना चाहिए. जब इन दोनों को निकाल दिया गया तो मुझे भी बहुत धक्का लगा कि आखिर ये क्या हो रहा है, कहीं ‘आप’ नेता केजरीवाल तानाशाही की तरफ तो नहीं बढ़ रहे, कहीं केजरीवाल आलाकमान सिस्टम तो नहीं लागू कर रहे, कहीं केजरीवाल वन मैन पार्टी तो नहीं बना दे रहे ‘आप’ को…
किस-किस को कत्ल करोगे केजरीवाल… हिम्मत हो तो अब मयंक गांधी को बाहर निकाल कर दिखाओ…
Yashwant Singh : किस-किस को कत्ल करोगे केजरीवाल… हिम्मत हो तो अब मयंक गांधी को बाहर निकाल कर दिखाओ… मयंक गांधी ने सारी सच्चाई बयान कर दी है… (पढ़ने के लिए क्लिक करें: http://goo.gl/IY1Bx9 ) …मयंक गांधी ने आम आदमी पार्टी बनने और चलाए जाने के असली विजन को बेहद ईमानदारी से सबके सामने रख दिया है… इसलिए, हे केजरी, 67 सीटें जीत जाने से ये मत सोचो कि सिर्फ केजरीवाल के कारण ये सीटें मिल गई हैं और तुम्हीं सबके बाप हो… कांग्रेस और भाजपा की घटिया व परंपरागत राजनीति से उबे करोड़ों लोगों का तन मन धन लगा, दुआएं मिलीं, आशीर्वाद और प्यार मिला, अलग-अलग किस्म की क्रांतिकारी धाराएं एकजुट हुईं तब जाकर सब मिलाकर आम आदमी पार्टी नामक परिघटना तैयार होती है..
केजरीवाल की तानाशाही के खिलाफ मयंक गांधी ने किया विद्रोह, पढ़िए कार्यकर्ताओं के नाम लिखी उनकी खुली चिट्ठी
प्रिय कार्यकर्ताओं,
मैं माफी चाहता हूं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कल जो कुछ हुआ उसे बाहर किसी को न बताने के निर्देशों को तोड़ रहा हूं। वैसे मैं पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूं। 2011 में जब अरविंद केजरीवाल लोकपाल के लिए बनी ज्वाइंट ड्राफ्ट कमेटी की बैठक से बाहर आते थे तो कहते थे कि कपिल सिब्बल ने उनसे कहा है कि बैठक में जो कुछ हुआ उसे वो बाहर न बताएं। लेकिन अरविंद कहते थे कि ये उनका कर्तव्य है कि वे देश को बैठक की कार्यवाही के बारे में बताएं क्योंकि वो कोई नेता नहीं थे बल्कि लोगों के प्रतिनिधि थे। अरविंद ने जो कुछ किया वो वास्तव में सत्य और पारदर्शिता थी।
योगेंद्र-प्रशांत निष्कासन प्रकरण के बाद अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है
‘आप’ की ‘पीएसी’ से योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निकलाने व इसके पहले चले पूरे विवाद के बाद अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है. सोशल मीडिया पर जो चिंतक, पत्रकार और एक्टिविस्ट किस्म के लोग केजरीवाल की तारीफ करते न अघाते थे, अब वे इस घटनाक्रम के बाद से केजरीवाल पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं. साथ ही, पूरे प्रकरण के बाद से योगेंद्र यादव की लोकप्रियता और कद में इजाफा हुआ है. यहां फेसबुक से उन कुछ स्टेटस को दिया जा रहा है जिससे पता चलता है कि अब तक ‘आप’ को सपोर्ट करते रहे लोग पूरे प्रकरण से दुखी हैं और केजरीवाल को कोस रहे हैं. -एडिटर, भड़ास4मीडिया
केजरीवाल से मेरा मोहभंग… दूसरी पार्टियों के आलाकमानों जैसा ही है यह शख्स…
Yashwant Singh : केजरीवाल से मेरा मोहभंग… घटिया आदमी निकला… दूसरे नेताओं जैसा ही है यह आदमी… संजय सिंह, आशुतोष, खेतान जैसे चापलूसों और जी-हुजूरियों की फ़ौज बचेगी ‘आप’ में… सारा गेम प्लान एडवांस में रचने के बाद खुद को बीमार बता बेंगलोर चला गया और चेलों के जरिए योगेन्द्र-प्रशांत को निपटवा दिया… तुम्हारी महानता की नौटंकी सब जान चुके हैं केजरी बाबू… तुम्हारी आत्मा कतई डेमोक्रेटिक नहीं है… तुम सच में तानाशाह और आत्मकेंद्रित व्यक्ति हो… तुममें और दूसरी पार्टियों के आलाकमानों में कोई फर्क नहीं है…
‘आप’ की आंतरिक लड़ाई का असली सच जानिए
Sheetal P Singh : ‘आप’ की जो आज ख़बर है वह पिछले क़रीब छ: माह से खदबदाती हाँड़ी का विस्तार भर है, सिर्फ़ उसका कैनवास बड़ा हो गया है। वजह: भूषण परिवार ने इस पार्टी के पैदा होते समय तन मन और “धन” लगाया था पर प्रशांत भूषण की रेडिकल पृष्ठभूमि(ख़ासकर कश्मीर में plebiscite पर उनके stand) से केजरीवाल ने अनवरत सचेत रुख़ से ख़ुद और पार्टी को बचा के रक्खा। बीजेपी/संघ ने हर मुमकिन कोशिश की पर केजरीवाल बच के निकल गये पर वे भूषण परिवार के उतने क़रीब भी न रहे जितना तन मन धन के कारण भूषण’s चाहते थे। उन्होंने योगेन्द्र यादव को समानान्तर स्थापित करने का प्रयास आगे बढ़ाया। लोकसभा में बड़ी हार से उन्हे मौक़ा भी मिल चुका था पर हरियाणा में योगेन्द्र यादव भी न सिर्फ़ फ़ेल रहे थे बल्कि नवीन जयहिंद (हरियाणा के एक अन्य नेता) से उलझ कर रह गये थे।
अंग्रेजी न्यूज चैनल का अहंकारी एंकर और केजरीवाल की जीत
Binod Ringania
पिछले सप्ताह राष्ट्रीय विमर्श में जिस शब्द का सबसे अधिक उपयोग किया गया वह था अहंकार। दिल्ली में बीजेपी की हार के बाद लोगों ने एक स्वर में कहना शुरू कर दिया कि यह हार अहंकार की वजह से हुई है। इन दिनों तरह-तरह का मीडिया बाजार में आ गया है। एक तरफ से कोई आवाज निकालता है तो सब उसकी नकल करने लगते हैं। और एक-दो दिन में ही किसी विचार को बिना पूरी जांच के स्वीकार कर लिया जाता है। इस तरह दिल्ली में हार की वजह को बीजेपी का अहंकार मान लिया गया। कल को किसी राज्य में बीजेपी फिर से जीत गई तो ये लोग उसका विश्लेषण कैसे करेंगे पता नहीं।
”मनीष सिसोदिया और आशुतोष खुद पत्रकार रहे हैं और अब वही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोटना चाहते हैं”
दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (डीजेए) केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली सचिवालय में पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध की कड़ी निंदा करता है और साथ ही दिल्ली के उप-राज्यपाल से मांग करता है कि वह प्रेस की आजादी को बचाने के लिए हस्तक्षेप करें और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फौरन इस प्रतिबंध को हटाने का निर्देश दें। पिछली बार भी जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तब भी केजरीवाल सरकार ने पत्रकारों के सचिवालय में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन पत्रकारों के प्रबल विरोध और सचिवालय पर धरना प्रदर्शन के बाद यह प्रतिबंध हटा लिया गया था। इस बार भी पत्रकार इसके विरोध में मीडिया रूम में दो दिन से डटे हुए हैं।
कार्पोरेट और करप्ट मीडिया को केजरी ने सबक सिखाना शुरू किया, सचिवालय में प्रवेश पर रोक, सिसोदिया पीसी से उठे
कार्पोरेट और करप्ट मीडिया के निशाने पर रहे केजरीवाल और ‘आप’ पार्टी ने मौका मिलते ही मीडिया को सबक सिखाना शुरू कर दिया है. मीडिया के लोगों के सचिवालय प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है. इसी को लेकर काफी विवाद और बवाल हुआ. दिल्ली की केजरीवाल सरकार में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नई सरकार की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में छोड़कर चले गए. दरअसल, उन्हें घेरकर पत्रकारों ने सवाल किया था कि आखिर सचिवालय में मीडिया के प्रवेश पर रोक क्यों लगाई गई है? इस सवाल पर सिसोदिया नाराज हो गए और कॉन्फ्रेंस बीच में छोड़कर चले गए. इससे पहले सुबह पत्रकार दिल्ली सचिवालय पहुंचे थे पर उन्हें अंदर जाने नहीं दिया गया.
ये हार बहुत भीषण है म्हराज!
Sheetal P Singh : पिछले दो दिनों में दिल्ली के सारे अख़बारों में पहले पेज पर छापे गये मोदी जी + बेदी जी के विज्ञापन का कुल बिल है क़रीब चौबीस करोड़ रुपये। आउटडोर विज्ञापन एजेंसियों को होर्डिंग / पोस्टर / पैम्फलेट / बैनर / स्टेशनरी / अन्य चुनावी सामग्री के बिल इससे अलग हैं। इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों द्वारा प्रधानमंत्री और अन्य हैवीवेट सभाओं के (कुल दो सौ के क़रीब)इंतज़ाम तथा टेलिविज़न / रेडियो विज्ञापन और क़रीब दो लाख के क़रीब आयातित कार्यकर्ताओं के रख रखाव का ख़र्च श्रद्धानुसार जोड़ लें। आम आदमी पार्टी के पास कुल चुनाव चंदा क़रीब चौदह करोड़ आया। बीस करोड़ का लक्ष्य था। कुछ उधार रह गया होगा। औसतन दोनों दलों के ख़र्च में कोई दस गुने का अंतर है और नतीजे (exit poll) बता रहे हैं कि तिस पर भी “आप” दो गुने से ज़्यादा सीटें जीतने जा रही है! ये हार बहुत भीषण है म्हराज! ध्यान दें, ”आप” बनारस में पहले ही एक माफ़िया के समर्थन की कोशिश ठुकरा चुकी थी, आज उसने “बुख़ारी” के चालाकी भरे समर्थन को लात मार कर बीजेपी की चालबाज़ी की हवा निकाल दी।
Will ’K’ factor be a boon for BJP in Delhi polls?
Delhi goes to the polls on February 7. The BJP is keen to win after 2013 loss when the AAP had formed a minority government and ruled the capital for 49 days before its leader Kejriwal resigned. Delhi has been under President’s rule since then. Manay political changes can be seen in the Delhi election. A desperate shift of the candidates fron one party to other is done. The major rivals are AAP and BJP.Congress is a distant third in the election. However, it pretends to be in the race. Above all, the entry of the first lady police officer Kiran Bedi into BJP has changed the whole political game, say the Delhites.
एक अकेले बंदे ने, एक अकेली शख्सियत ने पूरी की पूरी केंद्र सरकार की नींद उड़ा रखी है
दिल्ली चुनाव इन दिनों आकर्षण और चर्चा का केंद्र है. हो भी क्यों ना, एक अकेले बंदे ने, एक अकेली शख्सियत ने पूरी की पूरी केंद्र सरकार की नींद उड़ा कर रखी हुई है. आपको याद होगा कि 2013 में सरकार गठन पर अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि अन्य दलों को राजनीति तो अब आम आदमी पार्टी सिखाएगी. अब जाकर यह बात सही साबित होती हुई दिखाई दे रही है. जहाँ महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू कश्मीर और हरियाणा में बीजेपी ने बिना चेहरे के मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा और नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन दिल्ली में उसे चेहरा देना ही पड़ा. अपने पुराने सिपहसालारों व वफादारों को पीछे करके एक बाहरी शख्सियत को आगे लाया गया. देखा जाए तो ये भी अपने आप में केजरीवाल और उनकी पार्टी की जीत है. कहना पड़ेगा, जो भी हो, बन्दे में दम है.
‘आप’ ने ढूंढ़ा बिकाऊ मीडिया पर खर्च का पूरा लाभ पाने का तरीका
Sanjaya Kumar Singh : आम आदमी पार्टी ने ढूंढ़ा बिकाऊ मीडिया पर खर्च का पूरा लाभ पाने का तरीका। फर्जी सर्वेक्षणों का बाप है यह तरीका। इसे कहते हैं आईडिया। यह विज्ञापन इस तरह आ रहा है जैसे रेडियो चैनल खुद सर्वेक्षण कर रहा हो। इसमें किसी व्यक्ति से पूछा जाता है पिछली बार आपने किसे वोट दिया था। वह चाहे जो कहे दूसरा सवाल होता है इस बार किसे देंगे– आम आदमी पार्टी को। और क्यों में, आम आदमी के पक्ष में कारण बताया जाता है।
जानिए, उन वजहों को जिसके कारण दिल्ली में किरण बेदी फैक्टर अरविंद केजरीवाल को बहुमत दिला रहा है
Yashwant Singh : भाजपाई दिल्ली में गड़बड़ा गए हैं. जैसे भांग खाए लोगों की हालत होती है, वही हो चुकी है. समझ नहीं पा रहे कि ऐसा करें क्या जिससे केजरीवाल का टेंपो पंचर हो जाए, हवा निकल जाए… रही सही कसर किरण बेदी को लाकर पूरा कर दिया.. बेचारी बेदी जितना बोल कह रही हैं, उतना भाजपा के उलटे जा रहा है… आखिरकार आलाकमान ने कह दिया है कि बेदी जी, गला खराब का बहाना करके चुनाव भर तक चुप्पी साध लो वरना आप तो नाश कर दोगी…
एनडीटीवी प्राइम टाइम में Ravish Kumar और अभय दुबे ने भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली को पूरी तरह घेर लिया
Shambhunath Shukla : एक अच्छा पत्रकार वही है जो नेता को अपने बोल-बचन से घेर ले। बेचारा नेता तर्क ही न दे पाए और हताशा में अंट-शंट बकने लगे। खासकर टीवी पत्रकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। बीस जनवरी को एनडीटीवी पर प्राइम टाइम में Ravish Kumar और अभय दुबे ने भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली को ऐसा घेरा कि उन्हें जवाब तक नहीं सूझ सका। अकेले कोहली ही नहीं कांग्रेस के प्रवक्ता जय प्रकाश अग्रवाल भी लडख़ड़ा गए। नौसिखुआ पत्रकारों को इन दिग्गजों से सीखना चाहिए कि कैसे टीवी पत्रकारिता की जाए और कैसे डिबेट में शामिल वरिष्ठ पत्रकार संचालन कर रहे पत्रकार के साथ सही और तार्किक मुद्दे पर एकजुटता दिखाएं। पत्रकार इसी समाज का हिस्सा है। राजनीति, अर्थनीति और समाजनीति उसे भी प्रभावित करेगी। निष्पक्ष तो कोई बेजान चीज ही हो सकती है। मगर एक चेतन प्राणी को पक्षकार तो बनना ही पड़ेगा। अब देखना यह है कि यह पक्षधरता किसके साथ है। जो पत्रकार जनता के साथ हैं, वे निश्चय ही सम्मान के काबिल हैं।
दिल्ली चुनाव : भाजपा लगातार गल्तियां कर रही, ‘आप’ को 37 से 42 सीट मिलने के आसार
Girijesh Vashistha : My prediction- Aap 37-42 , Bjp 17-22, cong 5-7, others 2-3. Credit goes to last moment wrong decisions of BJP central leadership. Errors….
1. Wrong entry of kiran bedi and others.
2. Late ticket distribution
3. Aap support base ( much more strong then RSS)
4. Discouraging Attitude of kiran bedi.
5. Dragging campaign due to useless last moment changes in leadership and pole policies.
सतीश उपाध्याय, उमेश उपाध्याय और बिजली कंपनियों का खेल
Madan Tiwary : सतीश उपाध्याय पर अरविन्द केजरीवाल ने आरोप लगाये है बिजली के मीटर को लेकर सतीश उपाध्याय बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष हैं। उन्होंने मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दी है और आरोपों से इंकार किया है। सतीश जी, शायद केजरीवाल के हाथ बहुत छोटी सी जानकारी लगी है। आप जेल चले जायेंगे सतीश जी। आपके ऊपर करीब चार सौ करोड़ बिजली कंपनी से लेने का मुद्दा बहुत पहले से गरमाया हुआ है और आपके भाई उमेश उपाध्याय की सहभागिता का भी आरोप है। यह दीगर बात है कि पत्रकार बिरादरी भी यह सबकुछ जानते हुए खुलकर नहीं बोल रही है। दिल्ली की जनता को दुह कर दिल्ली की सत्ता को दूध पिलाने का काम करती आ रही हैं बिजली कंपनियां। खैर मुद्दा चाहे जो हो लेकिन एक साल के अंदर बिजली की दर 2:80 प्रति यूनिट से 4:00 प्रति यूनिट करने की दोषी तो भाजपा है ही। देश है, सब मिलकर बेच खाइये। जनता है, किसी न किसी को वोट देगी ही। काश! देश की जनता सही लोगों को चुन पाती या चुनाव बहिष्कार कर पाती। अपने नेताओं से सवाल कर पाती। काश।
दिल्ली विधानसभा चुनाव एफएम रेडियो पर : भाजपा की बुजुर्ग महिला का जवाब खुद केजरीवाल ने यूं दिया
Sanjaya Kumar Singh : दिल्ली विधानसभा चुनाव एफएम रेडियो पर अच्छा चल रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने रेडियो पर एक विज्ञापन चलाया जो इस प्रकार है, “गलती मेरी ही थी। आम आदमी, आम आदमी कहकर धोखा दे दिया। बड़े-बड़े वादे। पानी मुफ्त कर देंगे। आंसू दे गया। घर के काम छोड़कर उसके लिए मीटिंग करवाई, मोहल्लों में। पर बदले में क्या मिला। सब छोड़कर भाग गया। इनके अपने आदमी तक चले गए। गैर जिम्मेदारी का बदला लेंगे। अब इस नाकाम आदमी को वोट न देंगे। पूर्ण बहुमत से बदलें दिल्ली के हालात। चलो चलें मोदी के साथ।”
ABP न्यूज ने ‘तर्क’ से जिताया मोदी को
पाठकों की राय को दरकिनार कर ABP न्यूज ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साल 2014 का व्यक्ति विशेष बना डाला। ABP न्यूज ने अपनी वेबसाइट ABP live पर साल 2014 के व्यक्ति विशेष का पोल करवाया। इस पोल में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुरी तरह पछाड़ दिया। मगर, ABP न्यूज ने निम्न तर्क देते हुए अरविंद केजरीवाल को हरा दिया।
दिल्ली में केजरीवाल का सीएम बनना इसलिए जरूरी है…
Yashwant Singh : दिल्ली में केजरीवाल का सीएम बनना इसलिए जरूरी है ताकि लोकतंत्र बचा रहे. कांग्रेस ने करप्शन के कारण तो वामपंथियों ने खुद के अहंकार की वजह से अपने आप को नष्ट कर लिया है. ऐसे में देश में कोई स्मार्ट और धारधार विपक्ष लगभग न के बराबर है. केजरीवाल और उनकी पार्टी के दिल्ली राज्य में बहुमत में आ जाने से इतना तो हम सबको संतोष रहेगा कि ये भाई और उनकी पार्टी कुछ न कुछ खुराफात करेगा, और वह खुराफात सच में जनहित में होगा.
मोदी के ‘हनुमान’ ने तेवर दिखाए तो अंग्रेजी अखबार यूं बन बैठा केजरीवाल विरोधी!
: कानाफूसी : जी हां. ये गासिप यानि कानाफूसी कैटगरी की खबर जरूर है, लेकिन है सोलह आने सच. देश का एक बहुत बड़ा अंग्रेजी अखबार इन दिनों मोदी के ‘हनुमान’ के इशारों पर नाचता है. आप गौर करिए. पिछले कई महीने से अंग्रेजी का यह बड़ा अखबार आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ एक कैंपेन छेड़े हुए है. क्यों? कभी सोचा आपने? अंदर की खबर ये है कि इस अखबार के सीईओ को जनवरी माह में मोदी के ‘हनुमान’ ने फोन कर बुलाया. तब सीईओ ने बताया कि वो तो इंदौर में हैं.
बुढ़ापे में पैसे के लिए पगलाया अरुण पुरी अब ‘पत्रकारीय वेश्यावृत्ति’ पर उतर आया है…
Yashwant Singh : फेसबुक पर लिखने वालों, ब्लाग लिखने वालों, भड़ास जैसा पोर्टल चलाने वालों को अक्सर पत्रकारिता और तमीज की दुहाई देने वाले बड़े-बड़े लेकिन परम चिरकुट पत्रकार इस मुद्दे पर पक्का कुछ न बोलेंगे क्योंकि मामला कथित बड़े मीडिया समूह इंडिया टुडे से जुड़ा है. बुढ़ापे में पैसे के लिए पगलाए अरुण पुरी क्या यह बता सकेगा कि वह इस फर्जी सर्वे के लिए बीजेपी या किसी अन्य दल या कार्पोरेट से कितने रुपये हासिल किए हैं… इंडिया टुडे वाले तो सर्वे कराने वाली साइट के पेजेज को खुलेआम अपने एफबी और ट्विटर पेजों पर शेयर कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि मामला सच है और इंडिया टुडे वालों ने केजरीवाल को हराने के लिए किसी बड़े धनपशु से अच्छे खासे पैसे हासिल किए हैं.
इंडिया टुडे वालों के फर्जी सर्वे की खुली पोल, केजरीवाल ने पूछा- क्या यही है पत्रकारिता?
इंडिया टुडे समूह के फर्जी सर्वे और घटिया पत्रकारिता से अरविंद केजरीवाल नाराज हैं. अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्टवीट करके लोगों से पूछा है कि क्या इसे ही पत्रकारिता कहते हैं? साथ ही केजरीवाल ने एक वीडियो लिंक दिया है जिसमें इंडिया टुडे के फर्जी सर्वे की असलियत बताई गई है. अरविंद केजरीवाल के पेज पर शेयर किए गए लिंक से यू-ट्यूब पेज पर जाने पर एक वीडियो मिलता है. इस वीडियो में दिखाया गया है कि देश का नामी इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा न्यूजफिल्क्स डाट काम नामक एक वेबसाइट के जरिए एक सर्वे कराया रहा है जिसमें लोगों से पूछा गया है कि वह केजरीवाल को कितना नापसंद करते हैं और ये कि क्या आप केजरीवाल को दोबारा मौका देंगे?
केजरीवाल की खांसी और मोदी की चायवाले की पोलिटिकल मार्केटिंग के मायने
Vineet Kumar : मैं मान लेता हूं कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी खांसी की पॉलिटिकल मार्केटिंग की..शुरुआत में जो खांसी हुई और उसके प्रति लोगों की जो संवेदना पैदा हुई, उसे उन्होंने सिग्नेचर ट्यून में बदल दिया..ये अलग बात है कि बनावटी खांसी के लिए भी कम एफर्ट नहीं लगाने पड़ते..लेकिन एक दूसरा शख्स अपने को चाय बेचनेवाला बताता है, बचपन के संघर्ष के किस्से सुनाता है जो कि उसकी असल जिंदगी से सालों पहले गायब हो गए तो आप हायपर इमोशनल होकर देश की बागडोर उनके हाथों सौंप देते हैं.
सोशल मीडिया के मित्रों ने मुझे मोदी विरोधी कहते हुए हमला बोल दिया : अमोल पालेकर
हां, मैंने नोटा का बटन दबाया और बूथ के बाहर खड़े मीडिया को अपनी स्याही लगी बायें हाथ की उंगली उठा कर दिखा दिया. जी हां, मेरे विचार इन स्वार्थी लोगों से नहीं मिलते! मेरी ऐसी इच्छा भी नहीं है कि मेरे बारे में छोटी-छोटी बात दूसरे लोग जानें. शायद यही वजह है कि मुझे सोशल मीडिया और मोदी विरोधी मान लिया गया. आज ‘ब्रांडिंग’ के दौर में एक खास विचारधारा के लोग मुझ पर ठप्पा लगाने से नहीं चूक रहे. ये गजब है. या तो आप मोदी के समर्थक हैं या फिर मोदी विरोधी हैं. जिस समय मैंने ये कहा कि मोदी की आलोचना उनके कद को और ऊंचा कर देगी, मेरे आजाद ख्याल दोस्तों ने मुझे मोदी का पक्षकार मान लिया और जिस क्षण मैंने ‘सेकुलर’ पर बात की, मेडिसन स्क्वायर से सोशल मीडिया के मित्रों ने मुझे मोदी विरोधी कहते हुए हमला बोल दिया.
अरविंद केजरीवाल को शांति भूषण ने अक्षम बताया
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पर आज ‘आप’ संस्थापकों में से एक शांति भूषण ने गंभीर आरोप लगाए. अरविंद के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए शांति भूषण ने कहा कि अरविंद में पार्टी को आगे बढ़ाने की क्षमता नहीं है. अरविंद अच्छे कैंपेनर हैं, लेकिन उनमें सांगठनिक क्षमता नहीं है. इसी कारण वह आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मैनेज नहीं कर पा रहे हैं.