मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की तीस याचिकाएं पर सुनवाई की गई । ये सभी नए मामले थे। इन मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को आभास हो गया है कि मालिक असंगठित कर्मचारियों का हक मारने के लिए रोज ‘रोज नए -नए हथकंडे अपना रहे हैं।
केस नंबर 570ऑफ 2014 का हवाला देना जरूरी है। यह टाइम्स ऑफ इंडिया के प्रबंधन के खिलाफ दायर मामला है। प्रबंधन ने बड़ी चालाकी से इस मामले को ध्वस्त करने के लिए दलील दी कि जिसने अवमानना का मामला दयर किया है, उसने अपनी याचिका वापस ले ली है। इस पर अदालत ने दोनों पक्षों को फटकार लगाई है।
मालिक इस तरह बेईमानी और गलत रास्ते का इस्तेमाल कर रहे है कि वे कुछ भी कर सकते हैं। एक तो उनका मकसद अदालत में इस मामले को अधिक से अधिक दिनों तक घसीटना है। इसलिए वे अदालत के समक्ष ही इस तरह के सीन क्रिएट कर रहे हैं। लेकिन उन्हें पता नहीं हैं कि अदालत ने इससे पहले उन्हें ताकीद कर दिया है और 28 अ्प्रैल को किसी तरह की सुनवाई टालने से मना कर दिया है।
मालिकों की ओर से इस तरह संगठित प्रयास किए जा रहे हैं। एक के बाद एक नए तरीके इजाद किए जा रहे हैं। इसके पीछे आईएनएस का भी हाथ हो सकता है। ऐसे में इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए आपसी समन्वय और सहयोग बहुत जरूरी होगा। हमें 28 अप्रैल को हर स्तर पर बेहतर तैयारी करनी हेागी।
मजीठिया मंच के फेसबुक वॉल से