बेइन्तहा पैसे वाली हो गई डाक कर्मचारी की बेटी मायावती पर टिकट बेचने को लेकर चौतरफा हमला :

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: बसपा से बिदकते नेताओं की भाजपा पहली पसंद : बसपा सुप्रीमो मायावती के ऊपर एक बार फिर टिकट बेचने का गंभीर आरोप लगा है।यह आरोप भी पार्टी से निकाले गये बसपा के एक कद्दावर नेता ने ही लगाया है।मायावती के विरोधियों और मीडिया में अक्सर यह चर्चा छिड़ी रहती है कि बसपा में टिकट वितरण में खासकर राज्यसभा और विधान परिषद के चुनावों में पार्दशिता नहीं दिखाई पड़ती है। विपक्ष के आरोपों को अनदेखा कर भी दिया जाये तो यह बात समझ से परे हैं कि बसपा छोड़ने वाले तमाम नेता मायावती पर टिकट बेचने का ही आरोप क्यों लगाते हैं। किसी और नेता या पार्टी को इस तरह के आरोप इतनी बहुतायत में शायद ही झेलने पड़ते होंगे। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि धुआ वहीं से उठता है जहां आग लगी होती है। आरोप लगाने वाले तमाम नेताओं की बात को इस लिये भी अनदेखा नहीं किया क्योंकि यह सभी नेता लम्बे समय तक मायावती के इर्दगिर्द रह चुके हैं और उनकी कार्यशैली से अच्छी तरह से परिचित हैं।

पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बाहर का रास्ता दिखाने से मायावती ने शुरूआत की थी। उसमें नित नये नाम जुड़ते जा रहे हैं। वह भी विदादों के साथ। हाल में ही अखिलेश दास ने बसपा छोड़ते हुए आरोप लगाया था कि मायावती पैसे लेकर टिकट बेचती हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी बताया था कि उनसे कितनी रकम मांगी गई है। अखिलेश दास के बारे में तो यह भी चर्चा थी कि इससे पहले भी उन्होंने धनबल के सहारे राज्यसभा की सीट हथियाई थी। अखिलेश का बसपा की विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। वह राज्यसभा का टिकट लेने के लिये बसपा में आये थे। पहली बार तो इसमें वह कामयाब भी रहे। दूसरी बार बात नहीं बनी तो उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए बसपा से किनारा कर लिया। इसके बाद माया के करीबी दलित नेता और राज्यसभा सदस्य जुगल किशोर ने बसपा से किनारा किया तो उनके भी सुर अखिलेश दास जैसे ही थे। जुगल किशोर का भी कहना था कि बसपा में में पैसे का बोलबाला है। बीएसपी में पैसे लेकर टिकट दिए जाते हैं।

पार्टी से निकाले जाने के बाद जुगल किशोर ने मायावती पर संगीन इल्जाम लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि मायावती दलित की नहीं दौलत की बेटी हैं। उन्होंने मायावती के खिलाफ भंडाफोड़ अभियान छेड़ते हुए कहा कि मायावती कभी किसी दलित नेता के घर नहीं जातीं। पार्टी कार्यकर्ताओं के परिवार में मौत हो, तब भी नहीं पूछतीं। जुगलकिशोर ने आरोप लगाते हुए कहा एक डाक कर्मचारी की बेटी इंतहा पैसे वाली हो गई। उनके परिवार का हर सदस्य करोड़पति हो गया है। हकीकत है कि जुगलकिशोर कई राज जानते हैं और वे मायावती व दलित वोटों के बीच सेतु रहे हैं। इस सबसे बसपा की अंदरूनी बदहाली का साफ पता पड़ता है। लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद मायावती ने ब्राह्यण आधार और नेताओं की उपेक्षा शुरू की। सिर्फ दलित नेताओं को महत्व दिया। लेकिन जुगलकिशोर के साथ उन्होंने जो किया है उससे दलित आधार खिसकने की बीज पड़ गए हैं। उत्तरप्रदेश में अकेले दलित आधार से यों भी बसपा जीरो हैसियत में आई हुई है।

देश के सबसे बड़े प्रदेश और सबसे बड़े वोट बैंक में मायावती की जो दुर्दशा है वह राजनीति की इस हकीकत को बयां करती है कि उसमें कुछ भी स्थाई नहीं होता। घटते आधार के बीच मायावती अपनी कोर टीम में भी अलोकप्रिय हो रही है यह जुगल किशोर के बयानों से जाहिर है। वैसे तो ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों के हालात खराब हैं, लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार पांच साल चलाने के बाद आज बहुजन समाज पार्टी जिस हालत में है, उसे देख कर कहा जा सकता है कि उसकी स्थिति सबसे खराब है। विधानसभा में उसे 80 सीटें मिलीं, लेकिन उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। बसपा की हालत सिर्फ उत्तर प्रदेश में नहीं बिगड़ी है, बल्कि उन दूसरे राज्यों में भी, जहां वह एक बड़ी ताकत रही है, वहां भी उसका वोट आधार खिसक गया है।
सूत्रों के मुताबिक जुगल किशोर बीजेपी में जा सकते हैं। जुगल किशोर का कहना था कि उनका बेटा 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता था। इस दौरान उनसे पैसे मांगे गए थे। बेटे ने यह रकम देने से मना कर दिया, तो उसे टिकट नहीं मिला।

किशोर ने बताया कि कांशीराम के जीवित रहने तक पार्टी में ऐसा नहीं होता था। उनके मुताबिक, बीते कुछ सालों से ही पार्टी में यह प्रथा शुरू हुई है।  मामला अभी ठंडा भी नहीं हो पाया था कि पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद ने मायावती पर निशाना साधते हुए तमाम गंभीर आरोप लगा दिये। दद्दू ने कहा कि बसपा के डूबने से पहले मायावती उसे पूरी तरह बेचने में लगी हैं। वह बसपा से बाहर हुए नेताओं को एक मंच पर लाकर कांशीराम की विचारधारा आगे बढ़ाने को बहुजन समाज बनाएंगे। कांशीराम के मिशन को छोड़ मायावती जो कुछ कर रही हैं उससे बसपा बचने वाली नहीं है। पूर्व में पार्टी से अलग हुए नेताओं की तरह दद्दू ने भी मायावती पर करोड़ों रुपये में टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांशीराम के मूल सिद्धांतों से हटकर अब वह समाज को बेच रही हैं। दद्दू ने बताया कि पार्टी में लोकतंत्र तो है नहीं, नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य तक के बोलने पर मायावती ने उन्हें सबके सामने न केवल डांट दिया बल्कि टिकट काटकर उनके कुशीनगर जाने पर भी रोक लगा दी। बसपा से निष्कासन के एक दिन बाद भी दद्दू प्रसाद ने मायावती पर निशाना साधते हुए उन पर इसी तरह के  गंभीर आरोप लगाए। कहा कि वह भाजपा या किसी दूसरी पार्टी में नहीं जा रहे हैं। दद्दू ने बताया कि 15 मार्च को वह कांशीराम के जन्मदिन पर लखनऊ में संगोष्ठी करने के साथ ही उनके विचारों की पुस्तक जारी करेंगे।

पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद के आरोपों का जवाब देने को बसपा विधान मंडल दल नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मोर्चा संभाला। बसपा प्रमुख मायावती पर लगाए तमाम आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दद्दू प्रसाद को अपने दामन में झांकने की सलाह दी। मौर्य ने पत्रकारों को बताया कि दद्दू प्रसाद की स्थिति खिसियाई बिल्ली खंभा नोचे जैसी है। निष्कासित होने के बाद दद्दू प्रसाद उस पार्टी और नेता पर आरोप लगा रहे हैं जिसने तीन बार उन्हें विधायक बनाया व मंत्री पद भी दिया। स्व. कांशीराम ने सार्वजनिक तौर पर मायावती को पार्टी और मिशन की कमान सौंपी थी, इसमें जबरदस्त कामयाबी भी मिली है। पार्टी से निष्कासित होने वाले नेता ही अंगूर खट्टे बताने वाली लोमड़ी की तर्ज पर अपनी भड़ास निकालते रहे हैं। बसपा में टिकट बेचने जैसी परंपरा नहीं रही। मौर्य पर भी जल्द कार्रवाई होने की दद्दू प्रसाद द्वारा जतायी गई संभावना के सवाल को हास्यास्पद करार देते स्वामी प्रसाद ने कहा कि दद्दू प्रसाद अपने आप को देखें।

बसपा में भगदड़ सी मची है तो दलित और पिछड़े वोटों के लिये हाथ-पैर मार रही भाजपा की लाटरी खुल गई है। बसपा से निकाले या उसे छोड़ने वाले नेताओं की भाजपा शरणस्थली बनी हुई है।दिग्गज बसपा नेता जुगल किशोर,पूर्व सांसद रमाशंकर राजभर और अखिलेश दास के भाजपा में जाने की चर्चा के बीच बसपा से निकाले गये दारा सिंह चौहान ने कांग्रेस में जाते-जाते भाजपा का दामन थाम भी लिया है। चौहान को पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद वर्मा अपनी पार्टी में लाना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस की दुर्दशा के चलते चौहान ने भाजपा में आना ज्यादा मुनासिब समझा। दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में दारा सिंह चैहान भाजपाई हो गये। कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी रहे दारा सिंह चैहान 15 वीं लोकसभा में बसपा संसदीय दल के नेता हुआ करते थे। पूर्वांचल में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले दारा सिंह चौहान पिछड़ी जाति चौहान-नोनिया समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। बसपा में दारा सिंह की गिनती बेदाग नेताओं में हुआ करती थी। बताते हैं कि 2017 के चुनाव करीब आते-आते बसपा के कई और बड़े नाम भाजपा के साथ जुड़ सकते हैं। इसमें कुछ विधायक भी शामिल हैं जिन्हें लगता है कि अब ‘हाथी’ कमजोर हो गया है उसकी सवारी करना नादानी होगी।

लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार की रिपोर्ट.

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