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संबित पात्रा को शो से बाहर निकालने का मजा एनडीटीवी को तो चखाना ही था!

Shrikant Asthana : सत्तारूढ़ दल के बड़बोले प्रवक्ता को कार्यक्रम से बाहर करने पर सरकारी तंत्र को एनडीटीवी को मजा तो चखाना ही था। प्रणव राॅय ने अगर कोई गड़बड़ न की हो तो भी परेशान तो किए ही जा सकते हैं। मीडिया हाउस चला रहे हैं तो इतने के लिए तैयार रहना भी चाहिए।

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Shrikant Asthana : सत्तारूढ़ दल के बड़बोले प्रवक्ता को कार्यक्रम से बाहर करने पर सरकारी तंत्र को एनडीटीवी को मजा तो चखाना ही था। प्रणव राॅय ने अगर कोई गड़बड़ न की हो तो भी परेशान तो किए ही जा सकते हैं। मीडिया हाउस चला रहे हैं तो इतने के लिए तैयार रहना भी चाहिए।

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Priyabhanshu Ranjan : Zee News वाले सुधीर चौधरी और उसके मालिक सुभाष चंद्रा पर कोयला घोटाले की खबर दबाने की एवज में नवीन जिंदल से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में केस चल रहा है। चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। क्या मोदी राज में निष्पक्ष फैसला आने की उम्मीद है? इंडिया टीवी वाले रजत शर्मा, उनकी पत्नी और चैनल की एक बड़ी अफसर पर एक महिला एंकर ने ‘शोषण’ का आरोप लगाया था। मोदी राज में मामला दब क्यों गया? दैनिक जागरण ने अपने पत्रकारों और गैर-पत्रकारों को वेज बोर्ड की सिफारिशों का लाभ न देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाया है। मोदी सरकार ने अखबार पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? लेबल कमिश्नर ने छापेमारी क्यों नहीं की? सारे कानून NDTV के लिए हैं? क्योंकि वो बाकियों की तुलना में ठीक-ठाक पत्रकारिता करता है?

Dinesh Choudhary : अब और किसका इंतज़ार है? हर असहमति को सख्ती से कुचला जाएगा। लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले भारत के तमाम राजनीतिक दल, जन संगठन, मजदूर संगठन, बुद्धिजीवी, लेखक, कलाकार, पत्रकारों को एक साझा मोर्चा खोलना चाहिए। तेजी से फिसलते हुए समय में सम्भवतः यह आखिरी मौका हो!

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Vikram Singh Chauhan : नरेंद्र मोदी देश के साथ बहुत गलत कर रहे हैं। देश की जनता ने उन्हें चुनावी जनमत लोगों से ,मीडिया से बदला लेने नहीं दिया था। सत्ता के अहंकार में मोदी देश के एकमात्र निष्पक्ष न्यूज़ चैनल एनडीटीवी को दबाने की कई बार कोशिश कर चुके है। ठीक उसी तरह से जैसे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हर तीसरे दिन सीबीआई को मैदान में लाया जाता है। कथित संवेदनशील कॉन्टेंट मामले में एक दिन के लिए एनडीटीवी को बैन करने का मामला हो ,प्रवर्तन निदेशालय द्वारा फेमा प्रावधानों का उल्लंघन करने को लेकर एनडीटीवी के खिलाफ 2,030 करोड़ रुपए का नोटिस जारी करने का मामला हो या वर्तमान में एक निजी बैंक आईसीआईसीआई को कथित तौर पर 48 करोड़ का नुकसान पहुँचाने का मामला हो इसमें से किसी आरोपों में दम नहीं है। निजी बैंक ने भी इस मामले में सरकार से कोई जाँच नहीं चाही थी। मोदी की सीबीआई स्वतः इस मामले को अपने हाथ में ले ली। जबकि देश के लाखों करोड़ों लेकर भागे लोग भारत -पाकिस्तान मैच का लुत्फ़ उठा रहे हैं। वे देशभक्त बन गए है। मोदी ने देश में ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जिसकी तुलना हम आपातकाल से कर सकते है। एक सड़क छाप प्रवक्ता के घमंड के लिए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ढहाने की कोशिश करने वाला भी वह पहला प्रधानमंत्री है। चलो मान लेते है एनडीटीवी आपका गुणगान नहीं करती। लेकिन एनडीटीवी बेसिर पैर न्यूज़ भी तो नहीं देती। यह समाचार माध्यम उन न्यूज़ को दिखा रहा है ,उन मुद्दों को उठा रहा है जिसे वाकई उठाने की जरूरत है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को हमेशा सत्ता के विरोध में होना चाहिए। एनडीटीवी के पास ज़ी न्यूज़ और इंडिया टीवी की तरह मिसाइल नहीं है जो वे स्टुडिओ से रोज पाकिस्तान के ऊपर फेंक कर खुद को देशभक्त चैनल साबित कर सके। एनडीटीवी के पास गोबर ,गोमूत्र के चमत्कारी गुणों का फार्मूला भी नहीं है जिसे दिखाकर वे टीआरपी के रेस में आगे बने रहे। एनडीटीवी के संवाददाता बीफ की खोज में मुस्लिमों के घरों के फ्रिज भी नहीं झांकती। कितना गलत करते है ये लोग ,एनडीटीवी वालों को पत्रकारिता ही नहीं आती। एनडीटीवी वालों को पैनल में भाजपाई प्रवक्ता बैठने के बावजूद भाजपाई एंकर की भूमिका निभानी चाहिए तब होगी असली पत्रकारिता ,मोदी की पसंद की पत्रकारिता!

सौजन्य : फेसबुक

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