चैनल मालिक के खिलाफ जांच की कार्रवाई को मीडिया पर हमले का रंग देने का प्रयास क्यों?

प्रेस क्लब आफ इंडिया में बीते दिनों वरिष्ठ, कनिष्ठ, नामचीन, गुमनाम, बूढ़े, जवान
पत्रकारों का जमावड़ा लगा था। अवसर था एनडीटीवी के मालिक प्रणव राय के
यहां मारे गए सीबीआई छापे के विरोध का। मंच पर विराजमान थे एक से बढ़ कर
एक पत्रकारिता के अपने जमाने के दिग्गज अरुण शौरी, एच.के.दुआ, फली एस
नॉरीमन, कुलदीप नैय्यर, राज चेनप्पा, शेखर गुप्ता, ओम थानवी और प्रणव राय।
इन सभी ने एक स्वर में एक बैंक घोटाले की जांच के सिलसिले में एनडीटीवी
के मालिक प्रणव के यहां मारे गए छापे को प्रेस की आजादी पर हमला करार दे
दिया। इन्होंने साफ साफ कहा कि मोदी राज ने एक बार फिर आपातकाल की याद
दिला दी है और अब वक्त आ गया है कि मीडिया को एकजुट होकर विरोध करना
चाहिए सरकार की मीडिया विरोधी नीति का।

मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, क्या मेरे हक में वो फैसला देगा?

मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, क्या मेरे हक में वो फैसला देगा? मैं रवीश सर की इस बात से सहमत हूं कि प्रोपोगेंडा ही एजेंडा है और अरविन्द सर की इस बात से भी सहमत हूं कि सब मिले हुए है। आपको इन दोनों कथनों का अर्थ जानने के लिए पहले वकील फली एस नरीमन के बारे में जानने की जरुरत है। फली एस नरीमन देश के मशहूर कानूनविद और सुप्रीम कोर्ट के वकील है। वे एक बार पद्म भूषण और एक बार पद्म विभूषण से भी सम्मानित हो चुके है। यूं तो अलावा नरीमन साहब की कई उपलब्धियां हैं। पर आपको इतना जान लेने की जरुरत है कि वे राज्यसभा सांसद रह चुके हैं और भोपाल गैस त्रासदी में यूनियन कार्बाइड के पक्ष की वकालत कर चुके हैं।

बाबू मोशाय प्रणय रॉय, शीशे​ के घर में रहने वाले दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते

इंद्र वशिष्ठ कृपया क्या कोई बता सकता है कि मीडिया मालिक/संपादक द्वारा शोषित, पीड़ित, प्रताड़ित, नौकरी से निकाले गए पत्रकारों को न्याय दिलाने, मजीठिया वेतन बोर्ड लागू कराने के लिए या बीमारी से जूझ रहे किसी पत्रकार के लिए प्रेस क्लब और एडिटर गिल्ड ने कभी कोई पहल की है। जैसे धोखाधड़ी और आपराधिक साज़िश …

प्रेस क्लब आफ इंडिया : पत्रकारों की नौकरी जाने पर चुप्पी, मालिकों के यहां छापे पड़ते ही विरोध प्रदर्शन

संदीप ठाकुर


प्रेस क्लब आफ इंडिया ने एनडीटीवी के मालिक प्रणव रॉय और राधिका रॉय के
यहां पड़े सीबीआई छापे के विरोध में शुक्रवार यानी 9 जून यानि आज प्रोटेस्ट
मीटिंग बुलाई है। क्लब का मानना है कि सीबीआई की कार्रवाई देश के चौथे
स्तंभ यानी मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है। क्या वाकई ऐसा है। सीबीआई
का छापा क्या किसी खबर को लेकर मारा गया था या फिर प्रणव राय की कई
कंपनियों में से एक कंपनी की करतूत की जांच के सिलसिले में मारा गया था।
आगे लिखने से पहले चंद उदाहरण…

देश के सभी बड़े न्यूज चैनलों में अंबानी का पैसा लगा है!

Pushya Mitra : एनडीटीवी वाले मामले से और कुछ हुआ हो या न हो, मगर यह जरूर पता चल गया कि देश के टॉप टेन चैनलों में से शायद ही कोई बचा हो जिसमें अम्बानी का ठीक ठाक पैसा न लगा हो (NDTV में भी प्रणव-राधिका के तमाम शेयर अंबानी के पास गिरवी हैं)। इस हिसाब से राष्ट्रवादी हो, बहुराष्ट्रवादी हो या साम्यवादी हो। तकरीबन हर न्यूज़ चैनल अंततः अम्बानी न्यूज़ ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि कोई चीख कर बातें करता है तो कोई मृदुल स्वर में। कोई राष्ट्रवादियों को शेयरिंग कंटेंट उपलब्ध कराता है तो कोई उदारवादियों को।

सभी चैनलों औऱ अखबारों के मालिक चोर हैं, सबके घर छापा पड़ना चाहिए!

Ramesh Chandra Rai : एनडीटीवी के मालिक के घर छापे पर हाय तौबा मची है। दरअसल सभी चैनलों औऱ अखबारों के मालिक चोर है। इसलिए सभी अखबार और चैनल मालिकों के घर छापा पड़ना चाहिए ताकि उनकी काली कमाई का पता चल सके। यह सभी पत्रकारों का उत्पीडन करते हैं। मोदी सरकार ने गलती यही की है कि एक ही घर पर छापा डलवाया है। यह पक्षपात है इसलिए हम इसकी निंदा करते हैं। सभी के यहां छापा पड़ता तो निंदा नहीं करता। दूसरी बात जितने लोग एक चैनल मालिक के यहां छापे पर चिल्ला रहे हैं वे लोग पत्रकारों के उत्पीड़न पर आज तक नहीं बोले हैं। कई पत्रकारों की हत्या कर दी गयी कई नौकरी से निकाल दिए गए औऱ उन्होंने आत्महत्या कर ली, उनका परिवार आज रोटी के लिए मारा मारा घूम रहा है लेकिन किसी ने आवाज़ नहीं उठाई। जहां तक पत्रकारिता की स्वतंत्रता की बात है तो पत्रकार नहीं बल्कि मालिक स्वतन्त्र हैं। आज पत्रकारों की औकात नही है कि मालिक की मर्जी के खिलाफ कुछ लिख सके।

मैं रवीश कुमार, एनडीटीवी पर पेश है प्राइम टाइम, प्रायोजक हैं ‘पतंजलि’!

Samar Anarya : बस सनद रहे कि रवीश कुमार का आज का शानदार प्राइम टाइम भी पतंजलि प्रायोजित है! बोले तो लड़ाई बहुत मुश्किल है, बहुत बहुत मुश्किल। Gentle Reminder: Even today’s gallant Prime Time of Ravish Kumar is sponsored by Patanjali. The battle is going to be difficult, very very difficult.

एनडीटीवी पर छापे के पक्ष में पोस्ट और कमेंट लिखने वाले आदमी नहीं, पाजामा हैं!

Sheetal P Singh : वित्त मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 5500 willful defaulters हैं जिन से बैंकों को करीब साठ हजार करोड़ रुपये वसूलने हैं। माल्या के अलावा। प्रणव राय के उपर यह राशि 43 करोड़ बताई गई है जिसे वे अदा कर चुके हैं सिर्फ़ ब्याज पर यह FIR दायर है। बाकी किसी पर होमगार्ड तक नहीं पहुंचा। क्या यह तथ्य जानने के बाद भी आप सीबीआई की रेड के लिए पक्ष में पोस्ट लिख सकते हैं, कमेन्ट कर सकते हैं? आप आदमी हैं कि पाजामा?

मोदी सरकार में हिम्मत होती तो प्रणव रॉय अपनी दाढ़ी के बाल नोचते हुए तिहाड़ की रोटी तोड़ रहे होते!

Dayanand Pandey : एनडीटीवी पर आयकर और सीबीआई के संयुक्त छापे पर बहुत हाहाकार मचा हुआ है। यह व्यर्थ का हाहाकार है। जैसे सभी मीडिया घराने चोर और डाकू हैं, काले धन की गोद में बैठे हुए हैं, एनडीटीवी भी उनसे अलग नहीं है। एनडीटीवी भी चोर और डाकू है, अपने कर्मचारियों का शोषण करता है, क़ानून से खेलता है, काले धन की गोद में बैठा हुआ है। वह सारा कमीनापन करता है जो अन्य मीडिया घराने करते हैं। एनडीटीवी में चिदंबरम का ही काला धन नहीं बल्कि पोंटी चड्ढा जैसे तमाम लोगों का भी काला धन लगा है। सरकार से टकराना भी एनडीटीवी की गिरोहबंदी का हिस्सा है, सरोकार का नहीं। सरकार से टकराने के लिए रामनाथ गोयनका का डीएनए चाहिए जो आज की तारीख में किसी एक में नहीं है। अलग बात है कि आखिरी समय में व्यावसायिक मजबूरियों में घिर कर रामनाथ गोयनका भी घुटने टेक कर समझौता परस्त हो गए थे। इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप की धार रामनाथ गोयनका के जीवित रहते ही कुंद हो गई थी। अब तो वह धार भी समाप्त है।

रंगदार संपादक और राष्ट्रवादी शोर : टीवी जर्नलिज्म आजकल….

मोदी के राज में कानून का डंडा बहुत सेलेक्टिव होकर चलाया जा रहा है…

Nitin Thakur : एनडीटीवी प्रमोटर पर छापे के दौरान ‘ज़ी’ अजीब सी खुशी के साथ खबर चला रहा था. शायद उन्हें इस बात की शिकायत है कि जब उनकी इज्ज़त का जनाज़ा निकल रहा था तब उनका साथ किसी ने नहीं दिया. ज़ी का दर्द एक हद तक सही भी है. तब सभी ने चौधरी और अहलूवालिया का स्टिंग बिना ऐसे कुछ लिखे चलाया था कि “ये पत्रकारिता पर हमला है”. अब ज़ी हर बार जश्न मनाता है. जब एक दिन के एनडीटीवी बैन की खबर आई तो भी.. जब छापेमारी की खबर आई तो भी. उसे लगता होगा कि कुदरत ने आज उसे हंसने का मौका दिया है तो वो क्यों ना हंसे. बावजूद इसके सच बदल नहीं सकता कि उनका मामला खबर ना दिखाने के लिए संपादकों द्वारा रंगदारी की रकम तय करने का था और ये सब एक बिज़नेसमैन की वित्तीय अनियमितता का केस है जिसमें बैंक का कर्ज़ ना लौटाना प्रमुख है.

भड़ास के यशवंत ने एनडीटीवी छापे पर क्या लिखा, ये पढ़ें

Yashwant Singh : हां ठीक है कि ये लोकतंत्र पर हमला है, अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार है, मीडिया का गला घोंटने की कोशिश है.. लेकिन पार्टनर ये भी तो बता दीजिए कि जो आरोप लगे हैं आईसीआईसीआई बैंक के 48 करोड़ रुपये के फ्राड करने का, उस पर आपका क्या मत है.

संबित पात्रा को शो से बाहर निकालने का मजा एनडीटीवी को तो चखाना ही था!

Shrikant Asthana : सत्तारूढ़ दल के बड़बोले प्रवक्ता को कार्यक्रम से बाहर करने पर सरकारी तंत्र को एनडीटीवी को मजा तो चखाना ही था। प्रणव राॅय ने अगर कोई गड़बड़ न की हो तो भी परेशान तो किए ही जा सकते हैं। मीडिया हाउस चला रहे हैं तो इतने के लिए तैयार रहना भी चाहिए।

एनडीटीवी के मालिक प्रणय राय के घर पर इनकम टैक्स छापा

एक बड़ी खबर एनडीटीवी ग्रुप से आ रही है. चैनल के मालिक प्रणय राय के ठिकानों पर इनकम टैक्स का छापा पड़ा है. सीबीआई ने इस बात की पुष्टि की है. इस बाबत समाचार एजेंसी एएनआई ने जो ट्विटर पर न्यूज फ्लैश जारी किया है उसमें कहा गया है कि प्रणय राय के दिल्ली स्थित घर पर इनकम टैक्स विभाग ने रेड किया है और इसकी पुष्टि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने की है.