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सुख-दुख

पारदर्शिता का जमाना : संपादकों की पीठ पर मोदी का हाथ और मोदी की पीठ पर अंबानी का…

Om Thanvi : यह पारदर्शिता का जमाना है साहब। पत्रकार नेताओं के प्रति अपनी आसक्ति नहीं छुपाते, नेता पूंजीपतियों के प्रति। इनको उनका हाथ अपने सर पर चाहिए, उनको उनका हाथ अपने काँधे पर।

Om Thanvi : यह पारदर्शिता का जमाना है साहब। पत्रकार नेताओं के प्रति अपनी आसक्ति नहीं छुपाते, नेता पूंजीपतियों के प्रति। इनको उनका हाथ अपने सर पर चाहिए, उनको उनका हाथ अपने काँधे पर।

Amit Bhaskar : ये निहायती शर्म से डूब मरने वाली बात है की देश के प्रधानमन्त्री का ऑफिस अम्बानी और उनकी धर्मपत्नी के बातों को वाक्य दर वाक्य ट्वीट कर रहा है। PMO क्या पागल हो गया है? अगर मोदी साहब को अम्बानी परिवार से इतना ही लगाव है तो आप चमचागिरी अपने नरेद्र मोदी वाले ट्वीटर हैंडल से करें। PMO का मतलब है प्रधानमंत्री ऑफिस और ये किसी के बाप की जागीर नहीं है.. ये देश को समर्पित है… ये आपके निजी पसंद के लोगों के बातों को लिखने का पेज 3 नहीं है। लगता है आप प्रधानमंत्री बन गए लेकिन अब तक भाषण देने के भूत को अपने भीतर से निकाला नहीं है। कुछ काम भी कर लो… गौड़ा साहब से ही पूछ लो, कहाँ से पैसे आ गए। अब प्रधानमंत्री हो आप भाई साहब। लानत है।

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Dilip Khan : नए निज़ाम में अंबानी की चौड़ाई इतनी बढ़ गई है कि अब नीता अंबानी के कार्यक्रमों की घोषणा पीएमओ करता है. ‘नीता अंबानी विल स्पीक, वॉच’..ऐसा लग रहा है जैसे वही प्रधानमंत्री हो. बेशर्मी की हद है.  निजी रिश्ते रहे किसी उद्योगपति के साथ…इससे पहले भी रहे हैं. देश के हर प्रधानमंत्री के चार पांच आका उद्योगपति रहे हैं, लेकिन पीएमओ अंबानी के भाषण की सूचना दे…ये तो शर्मनाक है.

Usha Dubey : इस फोटो को देखने के बाद किसका खून गर्म नही होगा कि यह देश का p.m है या देश की जनता के साथ मजाक..??

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हितेन्द्र अनंत : “कर लो PMO मुट्ठी में”

नवनीत चतुर्वेदी : (दृश्य एक) मित्रों !!!! नीता मुकेश अम्बानी से मेरा बहुत पुराना रिश्ता है… मुकेश भाई का हाथ भी हमारी पीठ पर है. प्रधानमंत्री कार्यालय के ट्वीट नीता अम्बानी की नजर में पेश है… (दृश्य दो) एक सजायाफ्ता चीफ एडिटर ज़ी न्यूज़ सुधीर चौधरी के साथ. भाइयो-बहनों! मैं गुजराती हूँ, बिज़नेस के गुण मेरी नस नस में है… मुझे पता है पीआर प्रबंधन, मीडिया मैनेजमेंट, अम्बानी-अडानी को कैसे सेट किया जाता है… अभी कल की ही बात है… जिन लोगों के लिये मैं कभी कुर्सियां लगाता था मित्रों… मैंने कल उन्हें घिघियाने और एक सेल्फ़ी के लिये मजबूर कर दिया… साले बड़े धुरंधर पत्रकार संपादक बना करते थे… किसी को चीन, पाकिस्तान, पेट्रोल, डीजल, स्वास्थ्य, कालाधन, हमारे वादे, दिल्ली चुनाव, महाराष्ट्र का सीन, महंगाई कुछ भी पूछने का मौका तक नहीं दिया!!!

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Sharad Shrivastav : अंत मे सरकार ने अंबानी भाई की गैस के दाम बढ़ा ही दिये। काफी लोग खुश हैं की यूपीए वाले 8 डालर कर रहे थे, लेकिन देश भक्त मोदी सरकार ने 5.61 डालर ही किए। मोदी जी ने वादा भी किया था, देश नहीं बिकने दूँगा। पर साहब ये दाम डालर मे क्यों हैं। रिलायंस देश की कंपनी है, गैस देश के समुद्र से ही निकाली जा रही है। और बेची भी देश मे ही जा रही है। जब पहली बार गैस के दाम फिक्स हुए थे तब भी डालर मे थे, और रुपया रहा होगा 35-40 के आस पास। गैस के दाम डालर मे तो कई सालो तक वही रहे, लेकिन रुपए मे डबल हो गए। जरा सी होशियारी और अंबानी भाई ने बिना कुछ किए धरे अपना प्रॉफ़िट डबल कर लिया। आज भी भले रेट अंबानी की मांग से कम हों, लेकिन डालर की वजह से भविष्य मे उसे फायदा होता ही रहेगा। आखिर मोदी जी डालर को रुपए के 40 के भाव थोड़े ही करने जा रहे हैं। और वैसे तो आप जानते नहीं होंगे लेकिन मालूम कीजिएगा गैस की अन्तराष्ट्रिय कीमतें 3.67 डालर हैं। अपने देश मे गैस निकलाना बहुत महंगा है। गैस ही निकलती है। पता नहीं क्यों पर ऐसा लगता है की सरकार कोई भी हो जब ये बड़े लोग आते हैं तो उनके सामने रेड कार्पेट ( कपड़े) बिछा कर ( उतार कर) स्वागत करने को तैयार रहती हैं।

फेसबुक से.

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