Girdhari Lal Goyal-
मोदीजी द्वारा पेट्रोल डीजल की तेजी के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को दोषी ठहराना Narendra Modi जी के पूरे सात साल के कार्यकाल का सबसे निकृष्टतम और घटिया बयान है. अरे धन्यवाद दो पूर्ववर्ती सरकारों को जो उन्होंने ऊर्जा के घरेलू साधन नहीं ढूंढे जो कि डीजल पेट्रोल पर टैक्स लगा लगा कर देश को चला पा रहे हो अन्यथा इस टैक्स के बिना तो कब का देश को बेच के झोला लेकर निकल लिए होते या चाय की गुमटी सजा ली होती. हद कर के रख दी है. पूर्ववर्ती सरकारों को तो हर बात पर दोषी ठहरा रहे हैं. टैक्स आप लगाओ, दोष पूर्ववर्ती सरकारों को दो, मानो पूर्ववर्ती सरकारें संविधान में संशोधन करके भारी भरकम टैक्स लगाना अनिवार्य कर गयी हैं.
Mamta Malhar-
भारत में पेट्रोल डीजल गैस महंगी है उसके लिये पाकिस्तान जिम्मेदार है। कल एक चैनल खबर दिखा रहा था कि पाकिस्तान में महंगाई से जनता त्रस्त है। वहां दूध शक्कर आटे जैसी रोजमर्रा की जरूरी चीजें भी महंगी हैं। तो इस हिसाब से पाकिस्तान की जनता बेचारी है और हिंदुस्तान की देशद्रोही। 100 रुपये पेट्रोल, 90 रुपये डीजल, 800 रुपये गैस भी जिसे महंगी लगती है। बाकी खामोश अगर कुछ बोला तो।
अरे हमारी तरफ से पाकिस्तान गोबर खाये हमें क्या? वैसे अब महंगे पेट्रोल डीजल मुद्दे को हवा में उड़ाने के लिये नई कहानियां किस्से आईटी सेल लिखने लगा है कि भाजपा ने सेना को देश को क्या-क्या दिया? ठीक है भाई हम भी कहाँ इनकार कर रहे हैं? ये देश भाजपा का भी है मोदीजी का भी है सेना इस देश की है और पैसा इस देश की देशभक्त जनता का है। तो आपने क्या अहसान कर दिया?
मुद्दों से भटकाना छोड़िये और अपने गिरेबां में झांकिए क्या वाकई आप आईने के सामने खड़े होकर खुद के भीतर झांक पाते हैं? खुद से आंखें मिला पाते हैं? देशभक्ति का पाठ पढ़ाने जो मेरी पोस्ट पर आएगा वो टिप्पणी के बाद सीधे घऱ जाएगा। इसलिए फर्जी देशभक्त मेरी टाईमलाईन से दूर रहेंगे मुझे पूरी उम्मीद है।
Mukesh Kumar-
कितनी निर्लज्जता से कह दिया कि पेट्रोल की क़ीमतें इसलिए बढ़ीं कि पिछली सरकारों ने ऊर्जा की ज़रूरतों को क़दम नहीं उठाए। आपने क्या किया, ये भी बता देते तो अच्छा था। आपने तो जो किया गया उस पर भी पानी फेरने का ही काम किया। Gurdeep singh sappal की इस पोस्ट को पढ़िए और समझिए कि ये आदमी किस क़दर झूठा है।
बात 1955 की है। नेहरू PM थे, के डी मालवीय मंत्री।
कोशिश शुरू हुई कि भारत तेल, प्राकृतिक गैस के लिये अपनी सरकारी कम्पनी बनाये।अमरीका समेत दुनिया के कई ताकतवर देशों ने दबाव डाला कि भारत में असम ऑल कम्पनी है, तो सरकार को क्यों इसमें उतरना चाहिए।
ताकतवर देशों ने कहा कि गरीब भारत को अपनी पूँजी कहीं और लगानी चाहिये। ऊर्जा की ज़रूरत पूरी करने के लिए तो कई देश तैयार हैं।
संसद में गर्मागर्म बहस भी हुई। लेकिन नेहरू और मालवीय दृढ़ रहे। कहा कि आज़ाद भारत ऊर्जा क्षेत्र से अलग नहीं रह सकता।
इसलिए तब ONGC बनाया गया।
ONGC भारत में उपलब्ध तेल का 70%, गैस का 85% का उत्पादन करता रहा है।
2014 में ONGC का कैश रिज़र्व ₹ 10,799 करोड़ था। इसकी सहयोगी कम्पनी ONGC Videsh 17 देशों में सक्रिय थी।
लेकिन इस साल ये कैश रिज़र्व घट कर ₹968 करोड़ रह गया!
ONGC के पास कैश दस गुना कम हो गया, क्यों? इसका असर क्या हुआ?
2014 में नए तेल/गैस कुओं की खोज में और कुओं के विकास के लिए ONGC ने ₹20205 करोड़ खर्च किए थे।
2020 में ये खर्च सिमट कर ₹ 10689 रह गया! 2013 में ONGC ने पेट्रोलियम की क़ीमतें क़ाबू रखने के लिए 89765 अरब रुपए underwrite किये।
लेकिन 2019 और 2020 में ₹32441 करोड़ का क़र्ज़ लिया।
इस क़र्ज़ से BPCL और GSPC शेयर मजबूरी में ख़रीदे, क्यूँकि सरकार को पैसा चाहिए था।
2014 में ONGC का शेयर क़रीब ₹ 450 का था, आज क़रीब ₹100 का है!
क्यों?